9 सितंबर, 2022 को नई दिल्ली में दारा शिकोह के "मजमा उल-बहरीन" के अरबी संस्करण का विमोचन करने के बाद माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ का संबोधन।

नई दिल्ली | सितम्बर 9, 2022

मुझे आज इस महती सभा में दारा शिकोह की पुस्तक "मजमा-उल-बहरीन" के अरबी संस्करण, जिसका अनुवाद श्री अमर हसन ने किया है, का विमोचन करते हुए वास्तव में प्रसन्नता हो रही है।
मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए मैं आईसीसीआर का आभारी हूं।
इस पुस्तक को हम सब के बीच लाने का उत्कृष्ट कार्य करने और मुगल राजकुमार दारा शिकोह की प्रसिद्ध कृति को अरबी भाषी श्रोताओं के लिए उपलब्ध कराने के लिए अनुवादक, प्रकाशकों, आईसीसीआर और अन्य सभी शामिल लोगों को शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई।
भारत में न केवल दूसरों के विचारों के लिए 'सहिष्णुता' की गौरवशाली विरासत थी, बल्कि सभी विचारों के साथ तालमेल' की एक अनूठी संस्कृति थी - अनेकवाद और दार्शिनिक मतो के बीच मतभेद दूर करके एकता स्थापित करने का प्रयत्न करने की संस्कृति।
इसका उदाहरण भारतीय राजाओं ने भी प्रस्तुत किया था - दो सहस्राब्दी से अधिक समय पहले महान अशोक के समय से लेकर कुछ सौ वर्ष पहले क्राउन प्रिंस युवराज दारा शिकोह तक।
दारा शिकोह की महान कृति मजमा-उल-बहरीन (जिसका अर्थ है 'दो महासागरों का संगम') भारत के लोगों के बीच मजबूत एकता लाने में सहायक रही है। यह न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए हमेशा प्रासंगिक बनी रही है ।
एक प्रतिभाशाली, एक कुशल कवि और संस्कृत के विद्वान, दारा शिकोह ने सूफी और वैदिक दर्शन का गहन अध्ययन किया।
उन्होंने उपनिषदों और अन्य महत्वपूर्ण रचनाओं का संस्कृत से फारसी में अनुवाद किया। उन्हें यकीन था कि उपनिषद वही हैं जिसे कुरान 'अल-किताब अल-मकनौन' (द हिडन बुक) कहती है।
दारा शिकोह सामाजिक समरसता के पथप्रदर्शक थे।
हमें उनकी विरासत को पुनर्जीवित करना चाहिए और वर्तमान समय में सामाजिक सामंजस्य को सुदृढ़ करने के लिए उनके आध्यात्मिक विचारों को अपनाना चाहिए।
इस उदार प्रयास के लिए श्री अमर हसन को हार्दिक बधाई । मजमा-उल-बहरीन का अरबी में अनुवाद एक प्रशंसनीय पहल है जो प्राचीन समय से परस्पर संबंध रखने वाली हमारी सभ्यताओं को और भी करीब लाएगी।
भारत ने हमेशा 'वसुधैव कुटुम्बकम' के दर्शन में विश्वास किया है। हम वास्तव में मानते हैं कि दुनिया एक परिवार है। 'सर्व धर्म समभाव' भारत की आत्मा है।
भारतीय विचार और जीवन शैली में दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है, जैसा कि दारा शिकोह की रचना में दिखाया गया है।
हम इस प्राचीन भूमि के ज्ञान कोष पर चिंतन मनन कर सकते हैं और मानवता के हित में वैश्विक स्तर पर शांति स्थापित करने के समय की शुरूआत कर सकते हैं।
आज मुझे इस महत्वपूर्ण अनूदित संस्करण का विमोचन करके प्रसन्नता हुई। आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे को उनके अथक प्रयासों के लिए मैं हार्दिक बधाई देता हूं। सभी को शुभकामनाएँ।
धन्यवाद, नमस्कार।
जय भारत ।