1. उपराष्ट्रपति का पद
भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच वर्ष की अवधि का होता है। लेकिन वह इस अवधि के समाप्त हो जाने पर भी अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक, पद पर बने रह सकते हैं।
संविधान इस बात पर मौन है कि भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले जब उनका पद रिक्त हो जाता है या जब उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, तब उपराष्ट्रपति के कर्तव्यों का पालन कौन करता है। संविधान में एकमात्र उपबंध राज्य सभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति के ऐसे कृत्य से संबंधित है जिसका निर्वहन; ऐसी रिक्ति की अवधि के दौरान, राज्य सभा के उप सभापति द्वारा या भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्राधिकृत किए गए राज्य सभा के किसी अन्य सदस्य द्वारा किया जाता है।
उपराष्ट्रपति द्वारा अपने पद का त्याग भारत के राष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र देकर किया जा सकता है। त्याग पत्र उस तारीख से प्रभावी हो जाता है जिससे उसे स्वीकार किया जाता है।
उपराष्ट्रपति को राज्य सभा के एक ऐसे संकल्प द्वारा पद से हटाया जा सकता है, जिसे राज्य सभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत ने पारित किया हो और जिससे लोक सभा सहमत हो। इस प्रयोजनार्थ संकल्प को केवल तभी उपस्थित किया जा सकता है जबकि इस आशय की सूचना कम से कम 14 दिन पहले दी गई हो।
2. राज्य सभा के सभापति (पदेन)* के रूप में उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है और वह लाभ का कोई अन्य पद धारण नहीं करता है। जिस किसी ऐसी अवधि के दौरान उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करता है, उस अवधि के दौरान वह राज्य सभा के सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन नहीं करता है और वह राज्य सभा के सभापति को संदेय किसी वेतन या भत्ते का हकदार नहीं होता।
3.कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में उपराष्ट्रपति:
उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग, या बर्खास्तगी या अन्य कारणों से हुई राष्ट्रपति के पद की नैमित्तिक रिक्ति की स्थिति में नए राष्ट्रपति का यथाशीघ्र निर्वाचन होने तक, जो किसी भी स्थिति में रिक्ति होने की तारीख से छह माह के बाद नहीं होगा, राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है। जब राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य किसी कारण से अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो, तब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति द्वारा अपना कार्यभार पुन: ग्रहण करने तक उसके कृत्यों का निर्वहन करता है। इस अवधि के दौरान, उप-राष्ट्रपति को राष्ट्रपति की सभी शक्तियां, उन्मुक्तियां और विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं और वह राष्ट्रपति को संदेय परिलब्धियां तथा भत्ते प्राप्त करता है।
*इन मूल पाठों में लैंगिक आधार पर सही अभिव्यक्ति के लिए “चेयर परसन” शब्द का इस्तेमाल किया गया है। तथापि सांविधिक उपबन्धों में “चेयरमैन” शब्द का इस्तेमाल किया गया है।