26 अप्रैल, 2023 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में मन की बात@100 सम्मेलन में माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ का संबोधन।

नई दिल्ली | अप्रैल 26, 2023

नमस्कार! आप सभी को मेरा अभिनंदन

मैंने 'मन की बात' कार्यक्रम की सभी कड़ियां देखी हैं।

देश के इतिहास में 2014 एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लेकर आया है। मैं इसे एक ऐसा विकास कहूंगा जिसने भारत की नियति को आकार दिया है, हमें प्रगति के पथ पर ले गया है और हम अभूतपूर्व उत्थान कर रहे हैं और यह उत्थान निर्बाध है।

2014 में, 30 साल के अंतराल के बाद भारत को राजनीतिक स्थायित्व सदन में मिला हैI मैं 1989 से 1991 तक दर्जन भर से अधिक दलों की सरकार का हिस्सा था। उस गठबंधन सरकार में, मैं पार्लियामेंट्री अफेयर का मंत्री था। मैं जानता हूँ गठबंधन की विवशताएं बहुत भयानक होती हैI गठबंधन हमारी विकास यात्रा के लिए बाधा है।

2014 में यह बदलाव आया और 2014 में एक दूसरा बदलाव आया जिसकी वजह से हम और आप यहां पर हैंI विजयदशमी के पावन अवसर पर 3 अक्तूबर 2014 को सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात - एक नायाब शुरुआत की।

मैं उनके मन की बात हर आदमी के दिल तक की बात मानता हूंI उनकी बात हर आदमी के दिल तक जाती हैI इस मन की बात ने रेडियो को तो जीवंत कर ही दिया वरना इतना डेवलपमेंट हो रहा था टेक्नोलॉजिकल कि रेडियो काफी बैकग्राउंड में जा रहा था, पर अब फोरफ्रंट में आ गयाI भारत के लोगों की विकास यात्रा में मन की बात का कितना योगदान है, इसके बारे में मुझे कहने की आवश्यकता नहीं है मंत्री जी ने बहुत कह दियाI

इस महान यात्रा, जो एक ऐतिहासिक मील का पत्थर, एक अभूतपूर्व यात्रा है का शतक पूरा हो रहा है 30 अप्रैल 2023 कोI पर यह एक शतक है देश के प्रधानमंत्री, महानतम नेता, धरती पर सबसे लोकप्रिय नेता, जिन्होंने महात्मा गांधी की बात को दुनिया के सामने रखा, दुनिया ने स्वीकार किया और उन्होंने कहा युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है, संवाद और चर्चा ही एकमात्र रास्ता है। उन्होंने यह भी कहा कि हम विस्तारवाद के दौर में नहीं जी रहे हैं, बहुत बड़ा स्टेटमेंट है

वास्तव में मन की बात हमारी सभ्यतागत लोकाचार की भावना का प्रतिबिंब है।

भारत ने जब बहुत कठिन समय देखा कोविड-19 का, मैं पश्चिम बंगाल का राज्यपाल था। मैं देखकर दंग रह गया कि मन की बात का करिश्मा, हमारा अंदाजा लगाइए किसी ने सोचा था क्या प्रधानमंत्री की एक आवाज पर जनता का कर्फ्यू हुआ, लोगो के समझ में नहीं आया इसका आशय क्या हैI लेकिन माननीय प्रधानमंत्री अपनी दूरदर्शी गति से आगे के खतरे को देख सकते थे। जनता ने पूरा सहयोग दिया ये बहुत बड़ी क्रांति हैI

मन की बात देश के हर कोने तक पहुंच गया है। राजस्थान का वह सीन मुझे याद है जहां ऊंट के ऊपर रेडियो लटक रहा है और आदमी जा रहा है, पेड़ के नीचे खेती करता हुआ परिवार बैठा है और रेडियो सुन रहा हैI मैं कहना चाहूंगा कि हमारे देश के अंदर दो प्रवृत्ति बड़ी स्ट्रांग है जिन पर अंकुश लगना चाहिएI एक तो हम हर मुकदमे का अंत सुप्रीम कोर्ट में ही चाहते हैं और दूसरा कि कहीं भी दुनिया में किसी भी समय राजनीति वापस नहीं जाती हैI पर यह मन की बात में कहीं नहीं आई, मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि मन की बात पूरी तरह से इससे दूर रही है, इससे वंचित रही हैI

ये जो कार्यक्रम हो रहा है इसके चार हिस्से हैI पहला, नारी शक्ति। नारी शक्ति का बहुत उत्थान हो रहा है जहां उनका पहले पदार्पण नहीं था, अब वहां भी हैI हमारी राष्ट्रपति एक जनजातीय महिला हैं, और वे अत्यंत प्रतिभाशाली हैं। मुझे सौभाग्य मिला है उनके साथ राज्यपाल रहने काI ये बदलते हुए भारत की तस्वीर हैI बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नतीजा सामने आने लग गया हैI अगर मैं एक वाक्य में कहूं तो यह पुरुषों के लिए हाल ही में उत्पन्न सबसे बड़ी चुनौती है। हमें उन्हें उनका स्थान देना होगा वरना ये मोदी राज है, इसमें सब कुछ मुमकिन हैI

दूसरा विरासत का उत्थानI कहां खो गए थे हम, कहां भटक गए थे हम, अपने देश को नहीं जानतेI प्रधानमंत्री ने जब कहा 'लुक ईस्ट', कितना बड़ा खजाना है कल्चर का, संस्कृति का, नेचर का... और नाम तक नहीं जानते, आठ प्रान्त कौन से है, वह शुरुआत हो गई है। यह बहुत बड़ा बदलाव हैI हम सांस्कृतिक रूप से कितने समृद्ध हैं, हमारे त्योहार क्या है, हमारी धरोहर क्या है, हमारे हर जिले का क्या योगदान है मन की बात ने हमारे सामने तस्वीर रख दी और एक भावना जागरूक हो गई और हमें उस रास्ते पर आगे बढ़ना है।

जन समाज से आत्मनिर्भरता, मैं अनुराग जी का शब्द लेता हूं ‘मित्रों’,1989 में मैं संसद सदस्य बन गया,जिससे मेरे हाथ में एक बहुत बड़ी ताकत आई कि मैं एक साल में 50 गैस कनेक्शन किसी को दे दूं... वह संसद सदस्य के हाथों में एक बड़ी शक्ति थी। अब देखिए मन की बात के सूत्रधार ने, 150 मिलियन तो मुफ़्त दे दिए, जिनको आवश्यकता थी उन सभी को उपलब्ध हैं।

मुझे कई बार तरस आता है, मनन और चिंतन करना पड़ता है कि हमारे ही कई लोग देश में या बाहर जाकर वे शुतुरमुर्ग जैसा रुख क्यों प्रदर्शित करते हैं? उन्हें अनिष्ट संकेत क्यों नहीं दिखता?

मैं राज्य सभा (उच्च सदन) का सभापति हूं, जिसमें ज्यादातर अव्यवस्था रहती है, पर बोलने की स्वतंत्रता पूरी है, इसीलिए मुझे व्यक्तिगत पीड़ा भी होती है और थोड़ा सा महसूस होता है कि हमारा इंटेलिजेंसिया क्या कर रहा है? लंबा लेख लिखा जाता है थोपी हुई चुप्पी पर... अरे भारत जैसे देश में चुप्पी थोपी हुई कैसे हो सकती है? इतनी बड़ी स्वतंत्रता और आजादी आपको दुनिया के किसी कोने में नहीं मिलेगी।

वकील बना था तो 6000 के लोन की आवश्यकता पड़ गई थी, लाइब्रेरी बनवाने के लिए... अब तक उस मैनेजर का चेहरा मेरी आंखों के सामने है जिसने मुझे बिना प्रतिभूती के लोन दिया। मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ कि बिना किसी वंश परंपरा के 11 साल की वकालत में वरिष्ठ अधिवक्ता बना, मैं उसके एक सानी की तलाश कर रहा हूँ; इस समय कोई भी उपलब्ध नहीं है। आज के दिन देखिए, आपको बस एक विचार, एक अवधारणा की आवश्यकता है, वित्तपोषण की कोई सीमा नहीं होगी, मुद्रा लोन के बारे में बताएं क्या करिश्मा उसने किया है, इसका राजकोषीय आयाम चौंकाने वाला है।

जब मैं आसियान की अपनी पहली विदेश यात्रा पर गया तो दुनिया के नेता दंग रह गए, हैरान रह गए और उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि भारत जैसे बड़े देश में एक व्यक्ति के मोबाइल पर 220 करोड़ कोविड वैक्सीन के खुराक के प्रमाण पत्र उपलब्ध हैं।कागज की आवश्यकता ही नहीं है, यहां तक कि सबसे विकसित राष्ट्र भी ऐसा नहीं कर सका..यह मन की बात से उजागर हुआ है।

खाद्य संकट, मैं जानता हूं, मैडम बेदी जानती हैं, उस विकट समय में हम दोनों एक साथ महत्वपूर्ण पदों पर थे, इस देश के 80 करोड़ लोगों का 1 अप्रैल, 2020 से भरण-पोषण शुरू हुआ। चावल, अनाज, गुणवत्ता वाली दाल, जो आज तक जारी है।80 करोड़ में तो दुनिया के कई देश आ जाएंगे कई महाद्वीप भी आ जाएंगे। तो यह जो जनकल्याण हुआ है, करिश्माई है।

आम आदमी को अपने अधिकारों का पता लग गया। मैं मन की बात @100 को भारत @100 से जोड़ता हूं, 2047 में हम भारत@100 हो जाएंगे. भारत @ 100 की मजबूत नींव होगी जब भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी पूरी कर रहा होगा, मन की बात का इसमें बहुत बड़ा योगदान है, मन की बात नींव का पत्थर है।

मन की बात ने एक और काम किया लेकिन उसकी चर्चा कुछ कम हुई है, मन की बात ने नकारात्मक्ता के ऊपर कुठाराघात किया, मन की बात में सकारातमक्ता को पराकाष्ठा पर लिया।

मन की बात की एक बड़ी उपलब्धि है, एक समय था जब विश्व में हमारी कोई छवि नहीं थी। लग रहा था हालात कैसे सुधरेंगे? अब लग रहा है कि यह तो मुद्दा ही नहीं है, अब है कि हम टॉप पर कब जाएंगे?

देवियों और सज्जनों, 2022 विकास के मामले में एक मील का पत्थर था, भारत 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया, लेकिन सोने पर सुहागा यह हुआ कि , हमने अपने पूर्व औपनिवेशिक शासकों पर बढ़त हासिल की, जिन्होंने 200 वर्षों तक हम पर शासन किया। यह निकट भविष्य में होने वाला है, दशक के अंत तक, भारत विश्व में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।

इसको मैं मन की बात से जोड़ता हूं, एक अध्ययन होना चाहिए कि मन की बात ने कितना रोजगार सृजन किया है? कितना कौशल उन्नयन किया है? मन की बात ने साधारण कुशल कामगार के लिए बाजार ढूंढा है। मन की बात ने स्थानीय कारीगरों, उनकी प्रतिभा और कौशल की ब्रांडिंग की है, अगर मैं इसे कम शब्दों में कहूं, तो मन की बात उस समय सकारात्मकता का प्रकाशस्तम्भ रहा है जब हम एक सुरंग में थे और नहीं जानते थे कि प्रकाश कहां होगा।

जिस देश में हम चारों तरफ राजनीति से प्रभावित हैं, वहां मन की बात (एमकेबी) अराजनैतिक है। बड़े से बड़ा आलोचक भी यह नहीं कह सकता कि इसकी नींव राजनीति से प्रेरित है।

प्रधानमंत्री की महानता की कल्पना कीजिए, मन की बात की यात्रा 2 महीनों जब एक कुशल और अनुभवी राजनेता की तरह उन्होंने अपनी इच्छा से 2019 के आम चुनाव के दौरान इसे रोक दिया था, को छोड़कर निर्बाध रूप से चलती रही है। यह विविधता का गुलदस्ता है।

हम आज भी अपने देश में जाति, पंथ और धर्म के संकीर्ण हितों द्वारा चालित हैं, हम अनेकता में एकता के कारण हमारे पास उपलब्ध अपनी प्रतिभा का दोहन नहीं कर पा रहे हैं, मन की बात ने जन आंदोलन का अग्रदूत बनकर इसे प्रदर्शित किया है।

मुझसे लोगों ने पूछा कि यह जनता का कर्फ्यू कानूनी है क्या? मैंने कहा मेरे हिसाब से तो नहीं है क्योंकि कर्फ्यू तो परेशानी का कारण होता है लेकिन यह जनता का कर्फ्यू तो परेशानी का कारण नहीं हुआ, ना पुलिस पर दबाव पड़ा, ना लोगों को बताना पड़ा और इसका नतीजा भी बड़ा सार्थक आया है। दूसरा जन आंदोलन देखिए, हमारे कोविड योद्धाओं को प्रेरित करने के लिए, हमारे कोविड योद्धाओं की प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित करने और उन्हें सलाम करने के लिए प्रधानमंत्री ने मोमबत्तियां जलाईं, थाली बजवाई जो हमारी संस्कृति में खुशी के मौके पर होता है।

यह अनोखा क्यों है? यह हमारे लोगों की आकांक्षाओं के अनुसार कार्य करता है, इसने उन्हें प्रेरित किया है और उन्हें ऊपर की ओर देखने के लिए प्रेरित किया है और यह बदलता नजारा मैं देख रहा हूं।तब आर्थिक योजनाओं की तरफ मेरी नजर पड़ती है। हमारे यहां 80,000 से अधिक स्टार्टअप हैं जो दुनिया के लिए ईर्ष्या की बात है। राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत भू-राजनीतिक हैं जहां अपने लोगों का मनोबल बनाए रखते हुए, रणनीतिक स्थिति अधिक महत्वपूर्ण है । हमारे लोगों का मनोबल अपने अब तक के सबसे उच्च स्तर पर है और हमने राष्ट्र को हमेशा पहले रखना सीखा है। इसकी शुरुआत तो पहले ही हो चुकी थी विवेकानंद जी ने कहा था, उन्होंने इस पर ध्यान केंद्रित किया था लेकिन मोदी जी ने इसका कार्यान्वयन किया है, मन की बात के माध्यम से स्वच्छता अभियान को कहां से कहां बढ़ा दिया, लेकिन हमारी मीडिया और इंटेलिजेंसिया उन लोगों पर अंकुश क्यों नहीं लगाते जो छोटे मन से राष्ट्रीय हित को अनदेखा कर देते हैं, ऐसे लोगों ने कोविड के दौरान में कहा कि भारत वैक्सीन बना ही नहीं पाएगा, बनाएगा तो प्रभावी नहीं होगी इसीलिए हमें तो बाहर से लेना चाहिए, जहां भी मैं गया लोगों ने कहा कि आपकी वैक्सीन बहुत प्रभावी हैं।

देवियों और सज्जनों, समय आ गया है जब हमें गर्वित भारतीय होना सीखना चाहिए और अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए। उदात्तता भी कुछ होती है आमिर जी जो आपने अपनी मूवीज में रखा है शुरू में लोगों ने कहा होगा कि मूवी तो फ्लॉप होगी, लेकिन वह आश्चर्यजनक रूप से सफल साबित हुई, कभी-कभी यह आपको भी आश्चर्य में डाल देती है। सही मन से प्रतिभा के दोहन से सामान्यत: नतीजा सही होता है।

प्रधानमंत्री जी की जो मन की बात है वह अपने दिल तक है उनके मन से, यह जुड़ाव मन की बात का हमारे दिल से हो चुका है मन की बात सबके मन को छूने वाली है जो असरदार और कारगर भी हुई है।

मैं चाहता हूं कि आर्थिक पंडित “न हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा होए” की जांच करे। मन की बात ने क्रांति कर दी और सकारात्मक बदलाव ला दिया, लोगों के जीवन को बदल दिया और वह मुमकिन कर दिया जिसकी कभी कल्पना नहीं करी थी, इसमें खर्चा कितना आया ? इस योजना के आर्थिक विवेक का अध्ययन उन लोगों को करना चाहिए जो आर्थिक समझ से सम्पन्न है।

मैं अपने इतिहास में इस अवसर का हिस्सा बनकर खुश हूं, जहां भारत बेहतरी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ ले रहा है, जहां उपलब्धि 2047 में नियत है। मैं सभी को सलाह देता हूं कि मन की बात के पिछले एपिसोड आपको प्रोत्साहित और प्रेरित करेंगे और हमारे सांस्कृतिक इतिहास से हमें परिचित कराएंगे ।

रांची कितनी बार गया, बिरसा मुंडा एयरपोर्ट लेकिन उसके आगे कुछ नहीं, आज भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजाति दिवस मनाया जा रहा है, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिन्होंने पहली बार 1945 में पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा लहराया था, आज महाद्वीप के नाम बदल दिए गए और वे इंडिया गेट पर विराजमान है और उनकी जन्म जयंती पराक्रम दिवस है। हम डॉक्टर अंबेडकर को भूल गए थे लेकिन उनके हर स्थान पर जहां उन्होंने कुछ भी काम किया है उसे आज गौरव दिया गया है।

पद्म पुरस्कार पहले दो श्रेणियों में दिए जाते थे, बहुत योग्य और जिन्हें संरक्षण मिल सकता था। मोदी जी ने संरक्षण खत्म कर दिया। प्रधानमंत्री ने कुछ उद्योगों को, बिचौलियों के उद्योग को खत्म कर दिया है, मैं अभी भी अपने एक अच्छे दोस्त श्री राजीव गांधी की पीड़ा को जानता हूं, उन्होंने कहा था “15 पैसे ही पहुंचता है”, आज 15 पैसे का भी गबन नहीं है। अब आयकर मूल्यांकन फेसलेस है, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) है, एक आंकड़ा दिया गया कि इस डीबीटी का आयतन हैरतअंगेज़ है।

देवियों और सज्जनों, हम ऐसे समय में रह रहे हैं, जहां सत्ता के गलियारों को बिचौलियों, संपर्क एजेंटों से पूरी तरह से मुक्त कर दिया गया है, जो हमारी सरकारों की निगरानी कर रहे हैं। पहली बार हमारी सिविल सर्विस सक्षम है और उनके हाथ बंधे नहीं हैं और वे पूरी ताकत का प्रयोग कर रहे हैं।

एक बार फिर पूरे देश को बधाई, मन की बात के शिल्पकार को नमन, मन की बात @100 के पड़ाव पर पहुंचने पर उन्हें बधाई, भारत@100 पर भारत की तकदीर को आकार देने के लिए उन्हें शुभकामनाएं।