Address(Excerpts) by Shri Jagdeep Dhankhar, Honourable Vice President at the Sangeet Natak Akademi Amrit Awards ceremony at Vigyan Bhawan in New Delhi on September 16, 2023.

New Delhi | September 16, 2023

सभी का अभिनंदन! सभी को नमस्कार!

I would like to congratulate Secretary of the Department, Shri Govind Mohan and his entire team for amazing performance on this occasion and on many occasions. I have seen this team working tirelessly with commitment even when I was the Governor, State of West Bengal. Congratulations to this team for doing an excellent work. और यह काम करना आसान नहीं है, टीम ने जो इतना जबरदस्त काम किया है, जमीनी हकीकत की पहचान है, प्रधानमंत्री जी सपने को साकार किया है उनका अभिनंदन!

आज का दिन में कभी नहीं भूलूंगा, इसलिए नहीं भूलूंगा कि इतनी विभूतिओं का आशीर्वाद दिल से, कर्म से, दिमाग से, संस्कृति से.. मुझे आज तक कभी नहीं मिला. एक का आशीर्वाद ही काफी होता है, इतनों का मिला. जब मैंने नीचे जाने का निर्णय किया तो एक बात मेरी नजर से निकल गई की संध्या जी ने व्यवस्था की हुई थी। पर मुझे लगा पिता तुल्य, माता तुल्य महानुभाव जो आए हैं उनका आशीर्वाद मुझे उन्हें बिना कष्ट के लेना चाहिए।

मुझे बहुत अच्छा लगा जब दो अवार्ड दिए गए 'गोरी कुप्पूस्वामी' और 'महाभाश्याम चिट्ठीरंजन जी'  उनकी तरफ से जो लेने आए उनकी आंखों में जो चमक थी, जो धमक थी कि हमारे भारत ने उनके प्रतिभा पहचानी that was a great achievement.

आज के दिन की सबसे बड़ी खास बात है और बहुत महत्वपूर्ण बात है कि किनका सम्मान किया जा रहा है, उनका सम्मान किया जा रहा है जिनके सम्मान की वजह से भारत की संस्कृति सम्मानित होती है, भारत का गौरव बढ़ता है। वर्गीकरण, देखिए हर सम्मानित महापुरुष और महान महिला 75 साल से ऊपर है और उनको आज तक किसी ने नहीं पहचाना। ऐसा क्यों हुआ?

देश में यह संस्कृति तो चालू हो गई थी पद्म अवार्ड से। पहले पद्म अवार्ड किन को दिए जाते थे? किस तरह से दिए जाते थे? रसूख कहां तक काम आता था सबको पता है। मैं अभिवेचन नहीं करना चाहता पर पिछले 10 सालों में पद्म अवार्ड उनको दिए गए जिनको कभी उम्मीद नहीं थी और मिलने के बाद समाज ने कहा कि सही आदमी को दिया, सही महिला को दिया. Never in the history of this country there has been such massive approval of Padma Awards after they have been given. उसी तरीके से आप लोग जो पूरे देश से हैं, क्या वेशभूषा है, हमने देखा सभी का स्वास्थ्य जबरदस्त है, एक बात सामने है हम ऐसे जमाने में रहे हैं जहां सब कुछ मुमकिन है।

1989 में सांसद बना था, केंद्र में मंत्री बनाया था, जिसका सपना नहीं देखा जो दिमाग में नहीं आया वह जमीनी हकीकत आज देख रहा हूं। देश का नेतृत्व ऐसी छलांग लगाकर हर असंभव को मुमकिन कर रहा है और उस उपलब्धि में आज का दिन एक मील का पत्थर है। जिन्होंने हमको तराशा, हमारी संस्कृति को तराशा, हमारी संस्कृति को सींचा और कभी किसी ने उनकी सुध नहीं ली। वह गुदड़ी के लाल हैं, वर्षों पहले पहचाने जाने चाहिए थे। अपना विचित्र देश है, अपने अलंकृत कर देते हैं कुछ लोगों को और जिंदगी भर समझ में नहीं आता ऐसा क्यों किया, आज के दिन मुझे समझ नहीं आता पहले क्यों नहीं हुआ, यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।

तिरंगा की बात हुई, हर घर तिरंगा, दुनिया ने देखा देश ने देखा, अरे तिरंगा तो चांद पर भी हो गया! कैसे मुमकिन होगा? आपकी सोच होनी चाहिए। मैं दो उदाहरण दूंगा आपको, 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल था। चंद्रयान-2 की लैंडिंग मून पर होनी थी। मैंने कोलकाता में साइंस सिटी में कार्यक्रम रखा। आधी रात के बाद लैंडिंग का समय था 2:00 बजे के आसपास 500 स्कूली बच्चे और बच्चियों को रखा मैंने, आखिर में वह लैंडिंग नहीं हो पाई? सन्नाटा छा गया। उसी समय एक वक्तव्य आया भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का और क्या कहा we are 96% successful, we will succeed next time..और 23 अगस्त  2023 को वह दिन आया जब हम successful हुए।  कहने का तात्पर्य है, कहने का अर्थ है मनोबल ऊंचा रखना नेतृत्व का काम है, सफलता अपने आप आएगी।

 माननीय मंत्री जी अर्जुन राम मेघवाल जी ने कहा कि चांद पर जो हमने हासिल किया है उसमें कुछ पहलू ऐसे हैं जो दुनिया ने पहली बार हुए हैं.. Landing at the south pole of moon. हम कहां से कहां आ गए सोचिए, 60 का दशक था, हमारे पड़ौसी देश ने सैटेलाइट अपनी भूमि से लांच किया और हमने दूसरे की भूमि से लांच किया, हमारी हालत तब यह थी। आज क्या मुमकिन की हमारा ISRO सिंगापुर का सैटेलाइट लॉन्च कर रहा है, यूरोपियन कंट्री का सैटेलाइट लॉन्च कर रहा है, effectively कर रहा है और उनको Good Value for Money दे रहा है, यह छोटा काम नहीं है।

आज हम देखते हैं कि खेल जगत में हमारा डंका बज रहा है! और याद कीजिए टोक्यो का वह दिन हमारी बच्चियों ने बड़ा अच्छा प्रदर्शन किया पर वह critical मैच हार गई. उनकी आंखों में आंसू आ गए। भारत के प्रधानमंत्री ने हर एक बच्ची से फोन पर बात की, हर एक को उत्साहित किया। ऐसी स्थिति में मेरे को पीड़ा होती है, कई बार मेरे को दुख भी होता है कि कुछ लोग, संख्या बहुत कम है, भारत की प्रगति को लेकर उनके हाजमा कमजोर क्यों है? भारत की प्रगति को पचा क्यों नहीं पा रहे हैं? मंत्री जी कुछ ना कुछ इलाज निकालिये, यह आवश्यक है क्योंकि जब विश्व बैंक का अध्यक्ष कहता है कि भारत में digital development में 6 साल में वह काम किया जो 50 साल में नहीं होता, हमें तालियां बजानी चाहिए, हमें सीना ऊपर करना चाहिए, हमें प्रशंसा करनी चाहिए। प्रधानमंत्री जी ने मेरा परिचय कृषक पुत्र के रूप से कराया।

11 करोड़ किसानों को साल में तीन बार और अब तक 2,50,000 करोड़ का फायदा ले चुके हैं। सीधा बिना बिचौलिओं के, बिना कट के, बिना middlemen के। इसको मैं दूसरे तरीके से देखता हूं और क्या देखता हूं कि देने वाले की ताकत तो है सरकार technologically equipped है पर लेने वाले भी Technologically receptive है. यह बदलते हुए भारत की तस्वीर है!

जब किसी से चर्चा की, विदेशी प्रोफेशनल से, और कहा कि मैं ऐसे कार्यक्रम में जा रहा हूं जहां हर व्यक्ति जिसको सम्मानित किया जा रहा है 75 साल से बड़ा है, और इस 75 साल के लंबे कालखंड में उसका कभी अभिनंदन नहीं हुआ, यह देश में मुमकिन हो रहा है तो पता है उसका जवाब क्या था वह एक English Man है। Your Excellency, in your country everything is possible. A tribal lady of great virtue, is the President of this country. यह पहली बार हुआ है ।

यह सब जो डेवलपमेंट हो रहा है, यह हमारे लिए अजीब नहीं होना चाहिए, 5000 साल की हमारी संस्कृति है, हमारी विरासत है और अब हम उसी रास्ते पर चल पड़े हैं। 2047 में भारत दुनिया की peak पर होगा। अर्जुन जी और मीनाक्षी जी ने वे दिन नहीं देखे जो मैंने देखे हैं .. इनका सौभाग्य है की ये भारत के संसद में तब आये जब देश एक नयी करवट ले रहा था। पर मैं भारत की संसद में 1989 में आया और मंत्री बना। हमारा foreign-exchange एक और दो बिलियन के बीच में झूल रहा था और 15 दिन से ज्यादा आर्थिक oxygen नहीं थी। साख बचाने के लिए हवाई जहाज में देश का सोना विदेश में गिरवी रखना पड़ा। आज के दिन उससे 600 गुना ज्यादा foreign-exchange भारत में है।

हमने वह सपना नहीं देखा 50 गैस कनेक्शन मिलते थे एक एमपी को और वह हमारी ताकत थी कि किसी को भी दे देंगे गैस कनेक्शन। आजकल हर घर में हो गया है, करोड़ों में दिए जा रहे हैं, उन परिवारों को दिए जा रहे हैं जिनको आवश्यकता है।पहले विदेश में जाते थे कोई हिम्मत नहीं करता था केले का छिलका गाड़ी से बाहर विदेश में कोई नहीं फेकता था, अपने लोग नहीं फेंकते थे पर हिंदुस्तान में आते ही भारत में आते ही अपना अधिकार समझते थे केला खाया, शीशा नीचे किया और छिलका फेंक दिया, अब होता है क्या? नहीं.

कहते हैं भारत के प्रधानमंत्री के साथ एक विदेशी मेहमान आए थे और सब लोग रेलवे पटरी के आसपास शौच कर रहे थे। पूछा उसने यह कौन लोग है, पर किसी ने सोचा नहीं की समस्या का निदान क्या होगा। Open Defecation Free कितने लाखों में हमारे गांव हो गए हैं सोचना मुश्किल था यहां तो execute हो गया है। जहां सोचना मुश्किल था वहां execute हो गया है.

जो मैंने मेरी आंखों से देखा और उसके लिए मैं बहुत अभिभूत हूं कि हमारी सांस्कृतिक झलक जो G-20 में देखने को मिली,हर कोई दंग रह गया!

दुनिया भर के नेता थे, उन्होंने क्या देखा? उन्होंने देखा कि क्या नजारा है... तीन भागों में बांटा हुआ है, हल्की शुरुआत है, फिर मध्य में है, फिर अंत में है..कितने instruments हैं, कितनों का participation है, कोने-कोने से लोग आए हुए हैं. That reach they could not imagine, this happened in our country. 

भारत की प्रगति के लिए जरूरी है। दो तरह की Diplomacy होती है,एक तो साधारण तरीके से करते है, दूसरी है इसको Soft-Diplomacy कहते हैं, इसके कहीं आयाम है, पर एक culture है, और culture इसमें सबसे आगे है। 

I congratulate the team of Ministers led by Reddy ji, and the team of bureaucrats led by Shri Govind Mohan ji. They have exemplified in the best traditions and accomplished by making this an important instrument of our diplomacy.

मैं पत्रकार बंधुओं से आग्रह करूंगा कि बहुत कम देश दुनिया में है, डबल डिजिट में नहीं है, जिनकी संस्कृति 500- 700 साल पुरानी हो। हमारी तो 5000 साल पुरानी है। इसलिए हमारे लिए आवश्यक है कि हम हमारे Artists की कद्र करें, उनका ध्यान रखें, उनका संरक्षण करें, उनको सींचे और एक structured-manner में उनकी सहायता करें। मेरे को व्यक्तिगत ध्यान है,क्योंकि तीन साल तक मैं पूर्वी जोन कल्चरल सेंटर का प्रेसिडेंट रहा। मुझे बताया गया कि भारत सरकार की बहुत innovative schemes है। उन्ही schemes के आधार पर मदद की जा रही है।

मैं आग्रह करूंगा सभी अधिकारियों से और मंत्रीगण से की एक नई सोच कि इसमें शुरुआत हो सकती है क्योंकि हम उस भारत में हैं जहां सब कुछ मुमकिन है, और जहां मुमकिन ही नहीं है.. मुमकिन किया जा रहा है।

आज मैं बहुत ऋणी होकर जा रहा हूं, बड़ा कर्ज़ लेकर जा रहा हूं कि मुझे ऐसे महानुभावों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। I am going fully motivated, fully surcharged and fully energized. आप में से एक ने मुझे कहा कि 70 साल की तपस्या के बाद यह दिन देखने को मिला, सपने में नहीं सोचा था।

हमारी सांस्कृतिक विरासत कहती है इतिहास में एक पल आता है कोई व्यक्ति प्रकट होता है और वह 140 करोड़ लोगों के भाग्य को एक direction देता है, निस्वार्थ रूप से, और सिद्धांत क्या है? 10 साल पहले, भारत और चार और देश दुनिया पर बोझ बन पड़े थे। उनको कहा जाता था Fragile-Five, ब्राज़ील, तुर्की, इंडोनेशिया, साउथ अफ्रीका और भारत। हम कहां से कहां आ गए। कहां Fragile-Five थे, और कहां आज भारत दुनिया की पांचवी बड़ी आर्थिक महाशक्ति है। यह हमारा achievement है। इसी दशक के अंत में, हम तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेंगे और 2047 में जब भारत आजादी के 100 साल मना रहा होगा तब हम दुनिया में सर्वोपरि होंगे।

मेरी बात को समाप्त करने से पहले, विधि मंत्री के सामने, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में जो कहा गया वह बताना चाहता हूं। वह judgement संस्कृति को लेकर है, उसका पहला paragraph क्या है? कि Cambridge University का एक प्रोफेसर अपने AC चेंबर में अध्ययन कर रहा थे, Second World War के दौरान, उस समय एक अंग्रेजी सैनिक उनके कमरे में आया और उसने अपना गुस्सा दिखाया और कहा कि आप आराम से से बैठे हो और हम लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रोफ़ेसर ने शालीनता से पूछा किसकी लड़ाई लड़ रहे हो? क्यों लड़ रहे हो? इस पर सैनिक का गुस्सा बढ़ गया, सैनिक ने कहा देश के लिए लड़ रहा हूं। इस मिट्टी और कल्चर के लिए लड़ रहा हूं। तो प्रोफेसर ने कहा कि आप मुझे विस्तार से बताओ कि आखिर में आप किस चीज के लिए लड़ रहे हो? I am quoting from the judgement of Justice Ansaria, the Professor quietly states, "मैं भी तो कल्चर का ही कम कर रहा हूं", सैनिक ने उसको salute किया। 

हमने आज जिनको सम्मानित किया है, वह भारत के कल्चर का सृजन कर रहे हैं। इनका salutation करना हमारा धर्म है। इन्होंने उसे कल को जीवित रखा है, जिस पर सदियों तक आक्रमण होता रहा. My salutations to them, my greetings to them. May they be ever happy and blessed. मैं आप सबका सदा आभारी रहूंगा। ध्यान रखिए भारतीयता से ऊपर कुछ नहीं है। देश का interest सर्वोपरि है. We are proud citizens of this country and we must always be proud of our historic and phenomenal achievements.

Jai Hind!