आप सभी का अभिनंदन, सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। यह दिवस अपने आप में दिखाता है कि भारत सही रास्ते पर अग्रसर हो रहा है।
I am confident optimal utilisation will take place to promote handlooms, the need of the hour, the need of the country, and the need of the planet if we think in terms of climate change.
जब मैं 1989 में लोक सभा का सदस्य बना और केंद्र में मंत्री भी रहा, तब हमें एक विदेशी डेलिगेशन को कुछ उपहार देने थे। मुझे याद है कि उस समय IAS अधिकारी, जो इस पद पर थे, उन्होंने एक ही सुझाव दिया कि यदि अमिट छाप छोड़नी है तो सिर्फ हमारे विभाग को ही उपयोग कीजिए, और हमने ऐसा ही किया।
महानुभाव, यहां पर तीन सांसद सदस्य हैं और उनकी उपस्थिति से मैं उत्साहित हूं। क्यों? क्योंकि वह तीनों के तीनों बाकी सदस्य गण को और पूर्व सदस्य गण को भी उत्साहित करेंगे, और आपका जो मैसेज है, वह भारत के सदन में भी निश्चित रूप से गूंजेगा और गूंजता रहेगा। भारत के संसद सदस्य को बहुत अधिकार उपलब्ध है, वह पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर सकता है, एक अच्छे मुद्दे को सार्थक रूप से लेकर।
राष्ट्रपति ने पद्म भूषण श्रीमती सुधा मूर्ति को जब राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया, तो पूरे देश में एक प्रशंसा की लहर चली गई। कारण, त्याग, तपस्या और जनकल्याण में लिप्त रहना। पर सबसे महत्वपूर्ण है कि जो उपहार उन्होंने मुझे दिया, वह हैंडलूम का था।
आज के दिन हर व्यक्ति जो यहां उपस्थित है, वह मेरे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है, और मैं यह कह सकता हूं कि आज के दिन कोई प्रथम पंक्ति नहीं है। अंतिम पंक्ति में बैठने वाला व्यक्ति सिर्फ अंतिम पंक्ति में बैठता है; बाकी योगदान सबके बराबर करता है। सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
110 साल बाद, भारत के प्रधानमंत्री ने दूरदर्शिता दिखाते हुए उस दिन को याद किया। 7 अगस्त 1905 कोलकाता के टाउन हॉल में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन का उद्देश्य घरेलू उत्पादों और उत्पादन प्रक्रिया को पुनर्जीवित करना था और यह राष्ट्र भावना से जुड़ा हुआ था। 110 साल के बाद, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूरदर्शिता दिखाते हुए इस दिवस को हैंडलूम दिवस घोषित किया, और आज यह एक milestone development है। We are having 10th celebration of this important event.
स्वदेशी आंदोलन की याद में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस चुना गया। क्यों? इसकी भारी आवश्यकता है। आज के दिन आप देखेंगे कि प्रधानमंत्री जी ने एक नारा भी दिया था: Be Vocal for Local। उसका अहम अंग है हथकरघा और उसके उत्पाद। आर्थिक स्वतंत्रता का यह मूल है, यह अधिकार आधार है। आप अंदाजा लगाइए कि यदि हम आर्थिक स्वतंत्रता पर विश्वास करें, तो हमारे देश के कितने फायदे होंगे। मन को बड़ी पीड़ा होती है कि जो हथकरघा से उत्पादन हो सकता है, उसका आयत करते हैं विदेशों से। हम हमारे घर के बेडशीट, टेबल क्लॉथ और आगे बढ़े तो क्या-क्या नहीं हो रहा है—हमारी मूर्तियां, हमारे दिए—कितना फॉरेन एक्सचेंज इसमें जाता है।
I, therefore, strongly advocate economic nationalism. Economic nationalism is fundamental to our spinal economic growth. Economic nationalism will have three impacts:
I want everyone to respect national interest. Can we sacrifice economic nationalism merely for fiscal gain? I have no doubt; no fiscal gain, irrespective of quantum, can justify engaging in imports that are avoidable.
और आप जो काम कर रहे हैं, उस पर ध्यान ज्यादा जाएगा, तो लोग इसे ग्रहण करेंगे। क्यों? शरीर को ठीक लगता है, वातावरण को ठीक लगता है, आंखों को ठीक लगता है, हमारे culture को आगे दिखता है। जो मैंने आज देखा, मैं आश्चर्यचकित रह गया। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की हैसियत से मैं गया हूं इन इलाको में, और मुझे खुशी भी हुई और थोड़ी दिक्कत भी हुई।
खुशी इस बात की हुई कि वे क्या नायाब चीज़ बना रहे थे, किन कठिन परिस्थितियों में बना रहे थे। उनका जो तरीका था, जमीन के नीचे गड्ढा करके व्यवस्था करते थे और फिर जमीन के लेवल पर लेकर करते थे। पर मार्केट उनके हाथ में नहीं था। मुझे कोई शंका नहीं है कि रचना जी इस मामले में रुचि ले रही हैं, और वह हथकरघा उत्पादनो के व्यवसाय को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी।
आज भी यदि अगर यह सही तरीके से पनपे और जो पनप रहा है गत दशक से हमारे रोजगार का प्रमुख आधार हो सकता है। बिजली का पहले उपयोग नहीं होता था, अब हो रहा है, लेकिन कम हो रहा है। इसके लिए बहुत दूर जाने की आवश्यकता नहीं है, और इसका मार्केट भी आपके आसपास ही मिल जाता है। मैं मानता हूं कि यह सबसे बड़ा कुटीर उद्योग इसके सर्जन की आवश्यकता है और रोजगार देने में जो यह कर सकता है।
We should fully exploit it. This is an area of employment that will generate incremental situations. और महिलाओं के लिए विशेषकर, यह एक नया आयाम है, और ग्रामीण महिलाओं के लिए खास तौर से। एक ही दिक्कत आती है: हम कर देंगे, बिकेगा कैसे? और बिकेगा तो हमें उसका उचित दाम मिलेगा या नहीं मिलेगा? मेरा आग्रह रहेगा देश के कॉर्पोरेट घरानो से और व्यापक उपयोग करते हैं, होटल इंडस्ट्री में करते हैं, यदि वह संकल्प लें तो भारतीयता को भी बड़ा बढ़ावा होगा और देश की अर्थव्यवस्था के अंदर रोजगार की बढ़ोतरी के अंदर वह एक ऐसा गुणात्मक योगदान देंगे जो सर्वोत्तर सराहनीय होगा।
कम पूंजी में अपने विचारों को दृष्टिगत करना इसकी एक खास बात है, और आजकल तो ऐसा हो गया है कि हमें इसको डिजाइनर कर देना चाहिए, फैशन कर देना चाहिए। जो मैं देख कर आया हूं, मेरे मन में कोई शंका नहीं है| यदि ऐसा करें, तो एक नई क्रांति आएगी। हमारी जनसंख्या की वजह से इसमें बहुत अवसर हैं।
It has immeasurable potential because of our use of our demography. हम दुनिया के most populous nation है, और आज का भारत कोई यह नहीं कह सकता we are a nation with potential. No, we are a nation on the rise. The rise is unstoppable, the rise is incremental. और मुझे वह दिन याद आता है जब पहली बार लोकसभा में आया, आज से करीब 34 साल पहले, जब हमारी इकोनॉमी का साइज लंदन और पेरिस शहर से भी कम था। और आज हम दुनिया की पांचवी आर्थिक महाशक्ति हैं। हम 2 वर्ष और इससे पहले भी दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेंगे।
कोई भी उत्पाद इस बात पर निर्भर करता है कि उत्पादन कितना बिकेगा की उस देश के अंदर purchasing power क्या है। आपको जानकर प्रसन्नता होगी भारत, home to one-sixth of humanity is the world’s third largest purchasing power.
आइए संकल्प लें, आदत डालें, हथकरघा के साड़ी, कुर्ते, सोल, घाघरा, चोली, लुंगी —यह फैशन बने, ब्रांड बने, और खपत में गुणात्मक सुधार आए। इसको स्वदेशी आंदोलन की तरह आगे बढ़ाएं। मैं सिर्फ इतना ही आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि आज के दिन हथकरघा व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए यदि आपके मन में कोई भी विचार आए, तो उसे मन में मत रखिए, उसे ध्यानवत कीजिये|
कई बार हमारे लोगों को सरकारी योजनाओं का पता नहीं लग पाता है। सहकारिता इस मामले में बहुत बड़ा योगदान कर सकती है। माननीय मंत्री जी से मैं इस बारे में विशेस चर्चा करूंगा कि आने वाले कुछ सप्ताहो में भी एक ऐसी योजना बने, जहां अर्थ की कमी ना रहे, जहां मार्केट की कमी ना रहे, और ज्यादा से ज्यादा लोग आत्मबल के साथ इस मामले में जुड़े।
मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप सब की उपस्थिति बहुत ही प्रेरणादायक है, और जो भी व्यक्ति यहां पर आया है, वह इस बात का एक संकेत देता है कि जो बदलता हुआ भारत है, जिस भारत की पूरी सराहना दुनिया में हो रही है, दुनिया की संस्थाएं जो हमें सीख देती थीं, आज हमसे सीख ले रही हैं। हमने जो प्रगति की है, वह अकल्पनीय है सपनों से परे है, दुनिया को अचंभित करने वाली है, और हम उसको देख रहे हैं। हथकरघा व्यवसाय भी इसमें एक मजबूत कड़ी के रूप में उभरेगा।
आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।