दिनांक 05 मई, 2023 को यूनाइटेड किंगडम में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत के दौरान माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ द्वारा संबोधन (अंश)

यूनाइटेड किंगडम | मई 5, 2023

मित्रों, यह यात्रा मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगी, मैं इसे संजो कर रखूंगा। माननीय संसद सदस्यों के साथ मेरी उल्लेखनीय प्रबुद्ध बातचीत हुई है। यह मेरे लिए लंबा भाषण देने का अवसर नहीं है, लेकिन मैं एक बात कहूंगा- भारत को अपने प्रवासी भारतीयों पर गर्व है। वे भारत के 24 x 7 एंबेसडर हैं। इनकी संख्या यहां 1.7 मिलियन और पूरी दुनिया में 32 मिलियन है। मिसाल कायम करने के लिए उनकी प्रशंसा की जा सकती है, और इस मिसाल को हर पक्ष द्वारा स्वीकार किया गया है कि वे कर्मभूमि के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और जन्मभूमि के लिए भी; वे अद्भुत सामर्थ्य के साथ इस स्वस्थ संतुलन को बनाए रखते हैं।

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इस समय भारत एक ऐसा लोकतंत्र है जो सभी वैश्विक मापदंडों पर सबसे अधिक कार्यात्मक है। यदि आप राज्य के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को देखें:, तो आप पाएंगे कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कार्यपालिका ने मानवता के 1/6 हिस्से को एक अकल्पनीय स्तर पर परिवर्तित कर दिया है।

लोगों की पीड़ा को कम करने, आम आदमी को सशक्त बनाने वाले सभी सामाजिक मानदंड और तत्व अपना काम कर रहे हैं। अवसंरचनात्मक विकास, जिसके बारे में पहले कभी सपने में भी नहीं सोचा जा सकता था, अब जमीनी हकीकत है। आप इसे सड़क, रेल, वायु या तकनीकी संपर्क में देखते हैं। मैंने संसद के माननीय सदस्यों को इसके बारे में बताया था और भारत में 2022 में डिजिटल भुगतान लेनदेन की राशि का 1.5 ट्रिलियन होना इसका केवल एक दृष्टांत है। यदि मैं अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के सम्मिलित आंकड़ों को भी ले लूं तो भी यह उसका चार गुना है।

 

हमारे पास 700 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और केवल उपयोगकर्ता ही नहीं, उन्होंने भारत की सेवा प्रदायगी प्रणाली को बदलकर एक ऐसे स्तर पर ला दिया है जिसकी पहले कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रदायगी प्रणाली की भावना आज का नया मंत्र है। देखिए 110 मिलियन किसानों को सीधे उनके खाते में, बिना किसी बिचौलिए के साल में तीन बार इतनी राशि मिल रही है जो अब तक 2.2 लाख करोड़ रुपये के बराबर पहुंच गई है। देखिए कैसा परिवर्तन हुआ है। सत्ता के गलियारों से सत्ता के दलालों को साफ कर दिया गया है और संपर्क एजेंटों का एक समय का फलता-फूलता उद्योग अब अस्तित्व में नहीं है। इतना सब कुछ करवाया गया है।

एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का विकास हुआ है जो प्रत्येक युवा को अपनी ऊर्जा और क्षमता को पूरी तरह से उजागर करने में सक्षम बनाता है, और इसमें कोई वित्तीय बाधा नहीं है। यदि मैं मुद्रा ऋणों को देखता हूं, तो देखिए कितनी राशि वितरित की गई है और प्रत्येक ऋण लेने वाला, जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं, नौकरी देने वाला निकला है। हर स्तर पर कौशल विकास और क्षमता निर्माण नया मानदंड है।

34 साल बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है। मैं शिक्षा का उत्पाद हूं। अगर मुझे छात्रवृत्ति नहीं मिली होती तो मैं वह नहीं होता जो मैं आज हूं। शिक्षा सबसे प्रभावी, शक्तिशाली, परिवर्तनकारी तंत्र है। केवल शिक्षा ही है, जो समाज में असमानताओं को दूर करती है, वंचित लोगों को मुक्ति दिलाती है और युवाओं को सशक्त बनाती है। इस देश में यही सब कुछ तो हो रहा है।

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आपके पास भारत की तरह समर्पित न्यायपालिका कहां है? इस समय हमारे पास जो भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं उन्हें सबसे प्रबुद्ध आत्माओं में से एक गिना जाता है, वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पास विशाल अनुभव, प्रतिबद्धता, जुनून है और जो अत्यधिक प्रतिभाशाली है। उनके आदेश देखिए- साधारण आदमी को राहत देने में उन्हें जरा भी देर नहीं लगती। शासन के डायनामिक्स में हमेशा समस्याएं रहेंगी; ऐसा कोई दिन नहीं होगा जब कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन जब हम अपनी न्यायपालिका की जांच करते हैं, तो यह अंदर से मजबूत है। उच्चतम न्यायालय से नीचे तक, जहां भी देखें: आम आदमी के लिए भारतीय न्यायपालिका की पहुंच का कोई मुकाबला नहीं है। कल्पना कीजिए कि यह कितनी उत्कृष्ट उपलब्धि है!

हमारे संसद सदस्यों को देखिए, जो लोक सभा के लिए चुने जाते हैं। यह सबसे कठिन परीक्षा होती है। जो उच्च सदन में हैं वे बहुत प्रतिभाशाली हैं। हमें अपने संसद सदस्यों पर गर्व है। इस प्रक्रिया में यदि हम एक संक्षिप्त सीमित क्षेत्र की जांच करते हैं और उसकी आलोचना करने लगते हैं, तो यह उचित नहीं होगा। इसलिए, मुझे यह कहने में कोई कठिनाई नहीं है कि भारतीय लोकतंत्र इस समय उस स्तर पर काम कर रहा है जो दुनिया में बेजोड़ है।

क्या आप पृथ्वी पर किसी अन्य लोकतंत्र का नाम बता सकते हैं जहां संविधान ग्रामीण स्तर पर, नगरपालिका स्तर पर, राज्य स्तर पर, केंद्रीय स्तर पर, सहकारी स्तर पर संवैधानिक तंत्र प्रदान करता हो? भारत में यह सब संरचित है। हमारे संस्थान पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। भारत निर्वाचन आयोग- वे अद्भुत काम करते हैं। माननीय संसद सदस्यों ने एक विचार रखा था कि भारत निर्वाचन आयोग कम से कम समय में निष्पक्ष रूप से, कुशलतापूर्वक चुनाव किस तरह से कराएं, इस संबंध में विश्व के शेष हिस्सों के लिए एक मार्गदर्शक कारक, एक प्रकाशस्तंभ हो सकता है।

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भारत में अब हमारे पास एक पारिस्थितिकी तंत्र है- आप कोई भी हो सकते हैं लेकिन आप कानून के प्रति जवाबदेह हैं। कोई भी कानून की पहुंच से बाहर नहीं है। किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं किया जा सकता है क्योंकि हमारे पास एक मजबूत न्यायिक प्रणाली है। और इस समय न्यायिक प्रणाली का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है जो मज़बूती के साथ नैतिक रूप से या औचित्य के लिहाज से इसके योग्य हैं।

इसलिए मैं आपसे आग्रह करूंगा कि यह सही समय है कि हम आत्ममंथन करें और राष्ट्र को हमेशा पहले रखें। हम सभी को जन्म से भारतीय होने पर और अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए। विश्व का कौन सा देश कोविड महामारी से इतनी सफलतापूर्वक निपटने का दावा कर सकता है? ध्यान रहे, प्रत्येक भारतीय को, जिसे वैक्सीन की खुराक की आवश्यकता थी, उसे मुफ्त में, समय पर, सुव्यवस्थित रूप से वैक्सीन उपलब्ध कराया गया और उसका प्रमाणपत्र स्मार्टफोन पर उपलब्ध है। यहां तक कि सर्वाधिक विकसित देश भी इसका मुकाबला नहीं कर पाए हैं। लोग खाद्य सुरक्षा की बात कर रहे हैं- भारत के 80 करोड़ लोगों को अप्रैल 2020 से आज तक गुणवत्तापूर्ण चावल, अनाज, दाल मिल रही है।

अवसंरचनात्मक विकास को देखें जो किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए मूलभूत है। जहाँ हमें सड़क मार्ग से जाने में घंटों लग जाते थे, आज हमारे पास विश्व स्तरीय एक्सप्रेसवेज, मोटरवेज, एयरवेज और गाँव स्तर तक तकनीक का प्रसार है। जब रेल की बात आती है, तो हमारे पास राजधानी और अन्य ट्रेनें हुआ करती थीं, लेकिन अब हमारे पास वंदे भारत है।

जब हम हवाईअड्डों को देखते हैं, विकास अब अंकगणितीय नहीं रह गया है। विकास ज्यामितीय है और इस सब एक कारण है, भारत का समृद्ध मानव संसाधन, इसके लोगों का डीएनए, जो कौशल हासिल करने में देर नहीं करते।

आज भारत के किसी भी गांव में चले जाइए, आपको तकनीक का प्रसार दिखेगा। उन्हें पासपोर्ट के लिए आवेदन करने हेतु कहीं और नहीं जाना पड़ता, गांव में ही कोई उनके लिए यह काम कर देगा। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कोई न कोई कर देगा। आधार कार्ड के लिए आवेदन भी कोई कर देगा। टिकट बुक करने के लिए या कोई सेवा सुपुर्दगी, चाहे वह पानी या बिजली के बिल का भुगतान ही हो कोई न कोई कर देगा।

भारत में इस समय कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे रोजगार की आवश्यकता हो और उसे रोजगार न मिल रहा हो। इस फलते-फूलते लोकतंत्र में, जहां केंद्र बिंदु आम आदमी का सशक्तिकरण है, वहां कुछ प्रतिकूल आवाजें हैं जो एक उच्च स्तर क पहुंच जाते हैं। आपको चिंतन करना चाहिए।

मैं यहां पक्षपातपूर्ण टिप्पणी करने नहीं आया हूं। लेकिन मैं इतना ही कह सकता हूं कि यह भारत की संस्कृति रही है कि जब हम अपने देश की सीमाओं से बाहर कदम रखते हैं, तो हम उसके राजदूत के रूप में बाहर निकलते हैं और इसका सबसे बड़ा दृष्टांत 1992 से पांच साल तक हमारे प्रधान मंत्री रहे पी.वी. नरसिम्हा राव के शासन के दौरान दिखा जब डॉ. मनमोहन सिंह उनके वित्त मंत्री थे। विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी जी, जो बाद में देश के प्रधान मंत्री बने, ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। यही हमारी संस्कृति है और यह हमारी सभ्यतागत लोकाचार में गहराई से अंतर्निहित है।

दुनिया का कोई भी देश यह दावा नहीं कर सकता कि उसके पास हमारे जैसा सभ्यतागत इतिहास है। हमारे उपनिषदों, वेदों, भगवद् गीता के प्रबुद्ध प्रवचनों को देखें और वर्तमान भारत को देखें, विविधता में एकता है।

मैंने स्वयं इसे दो पदों पर रहते हुए देखा है; एक तीन साल के लिए पश्चिमी बंगाल के राज्यपाल के रूप में और अब देश के उपराष्ट्रपति के रूप में। मैं यहां उपस्थित आप सभी से आग्रह करूंगा, और यह कोई सांख्यिकीय आंकड़ा नहीं है, जैसा कि मैंने माननीय संसद सदस्यों को बताया- क्योंकि उनमें से प्रत्येक जनसंख्या के एक विशाल हिस्से और एक विचार प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व करता है, और आप सभी भी ऐसा करते हैं।

इसलिए मैं एक अपील करता हूं, 32 मिलियन प्रवासी भारतीय एक दुर्जेय जनसांख्यिकीय घटक है और यह जनसांख्यिकीय घटक अत्यधिक योग्य, सशक्त और सतर्क है, जो देश को हर तरह से गौरवान्वित करता है। इसे कई मुद्दों पर चिंतनशील होना चाहिए; कोई भी आलोचना, छानबीन और जांच से ऊपर नहीं है। हर कोई इन तत्वों के अधीन है, अगर हमें प्रगति दर्ज करनी है, लेकिन तब हम इससे प्रभावित नहीं हो सकते।

भारत के लिए गौरव का क्षण आ गया है; गौरव का यह क्षण जमीनी हकीकत से झलक रहा है। दुनिया इसे पहचान रही है। सभी मानकों के अनुसार, भारत अवसरों की भूमि है, निवेश के लिए एक पसंदीदा गंतव्य है और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में, यहां तक कि तनावपूर्ण अवधियों में भी, यह सबसे तेजी से बढ़ रहा है। इसका कारण सकारात्मक शासन है। एक नया मंत्र दिया गया, "न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन"।

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आज हम भारत में ऐसे समय में हैं जहां किसी विचार को रोक कर नहीं रखा जाता है यहां किसी विचार को रोककर रखने का कोई स्थान नहीं है अगर विचार अच्छा है तो उसे तेजी से क्रियान्वित करना होगा और वह क्रियान्वयन अवसंरचना (हवाई अड्डे, बंदरगाह) और गांव के विकास में बड़े निवेश के साथ हो रहा है। इसलिए, आप में से प्रत्येक को 24 x 7, भारत का राजदूत होना चाहिए।

एक विचार प्रस्तुत किया गया था: क्या हम सभी बातों को मान लेते हैं? हम अपने परिवार में अपनी संतान और अपने बच्चों की सभी बातों को मान नहीं लेते हैं लेकिन यह सहयोग की भावना और सहकारी मानसिकता के साथ होना चाहिए ताकि चीजों में सुधार हो।

यदि मानवता को एक शांतिपूर्ण माहौल में विकसित होना है और एक वैश्विक व्यवस्था स्थापित करनी है तो ऐसा संघर्ष की स्थिति में नहीं हो सकता क्योंकि संघर्ष की स्थिति में इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। दुनिया इस समय भारत के उदय को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाए हुए है। यह विश्व की स्थिरता के लिए एक सकारात्मक कारक होगा।

भारत की आजादी के 75वें वर्ष में "अमृत काल" का पूरा उपयोग किया गया है, देश के हर कोने को संवेदनशील बनाया गया है। स्वतंत्रता संग्राम के नायकों और गुमनाम नायकों की पहचान की गई है और उन्हें सम्मानित किया गया है। भारत का एक प्रामाणिक तरीके से पुन:प्रादुर्भाव हुआ है। 2047 में, जब भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी मनाई जाएगी, तब भारत का स्वरूप क्या होगा, इसकी पक्की नींव रखी जा चुकी है।

हम इस समय पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। दशक के अंत तक, हम तीसरे स्थान पर होंगे। यह उपलब्धि कुछ वर्ष पहले भी हमारे सपनों से परे थी। इसका श्रेय प्रत्येक मेहनती भारतीय, श्रमिक, किसान, प्रभावी सरकारी नीतियों और पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से और ईमानदारी से नीतियों के क्रियान्वयन को जाता है।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को देखें। वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक समय ऐसा था, जब भारत का हिस्सा विश्व के किसी भी देश से ज्यादा था और यह बहुत लंबे समय तक रहा था। अब हम इसे पुनः प्राप्त करने की राह पर हैं; हमारा विकास पथ ज्यामितीय और अबाध है। सभी कारक आपको बताएंगे कि भारत किस ओर जा रहा है।

मैं आपको एक छोटा सा उदाहरण देता हूं, अंतरिक्ष के क्षेत्र में, इसरो को देखें; पिछले 12 महीनों में इसने कितनी बड़ी-बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की हैं। यहां तक कि विश्व के सबसे विकसित देशों ने भी इसरो का उपयोग उन चीजों को कक्षा में स्थापित करने के लिए किया है जिसे वे आवश्यक समझते थे।

भारत अब विश्व के लिए विनिर्माण गतिविधि का केंद्र है। इसलिए मैं आप सभी से अपील करता हूं कि आप राष्ट्र के विकास के लिए, उसकी प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए जिस भी तरह से योगदान कर सकते हैं करें और यह सुनिश्चित करें कि अपुष्ट, दुर्भावनापूर्ण, निराधार कहानियों का जनता के बीच प्रसार न हो। कोई भी ईमानदार मूल्यांकन या आलोचना के खिलाफ नहीं है। यह हमें हमेशा आगे बढ़ने और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा। लेकिन अनुचित, दुर्भावनापूर्ण, हानिकारक बातें अच्छे विवेक की विरोधी हैं और हमें इनका प्रतिकार करना चाहिए।

मैं इस बातचीत को सुकर बनाने के लिए विशेष रूप से विक्रम पर प्रसन्न हूं। यह बातचीत एकतरफा हो गयी है, लेकिन मैं थोड़ी देर पहले उसके द्वारा और विद्वान संसद सदस्यों द्वारा इंगित किए गए अवसर का लाभ उठाऊंगा कि वे मुझे फिर से आमंत्रित करने के बारे में सोच रहे हैं।

मुझे निमंत्रण स्वीकार करने की आदत है। मैं इस देश में पहली बार 1988 में आया था जब मेरे पिता का ऑपरेशन हुआ था। प्रिंसेस ग्रेस अस्पताल में डॉ. जॉन राइट द्वारा उनकी बाइपास सर्जरी की गई थी। फिर मैं 1989 में यहां आया जब मैं संघीय मंत्री के रूप में संसद सदस्य निर्वाचित हुआ। तब भी मैं अधिकांश पेशेवरों और संसद सदस्यों से मिला। अब मैं भारतीय मूल के लोगों और अन्य लोगों की मानसिकता में एक बड़ा बदलाव देखता हूं। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है और यह केवल इसी देश तक सीमित नहीं है। बाई डिफ़ॉल्ट मैंने यूरोपीय संसद में एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। बाई डिफ़ॉल्ट क्यों? एक कनिष्ठ मंत्री के रूप में मैं एक उपनेता था, लेकिन हमारे नेता एक ज़बरदस्त फुटबॉल प्रेमी थे, इसलिए मैंने प्रतिनिधिमंडल के नेतृतव का भार संभाला।

मैं हमेशा लोगों से कहता रहा हूं कि डर सबसे बड़ा हत्यारा है। इसलिए कभी भी डरें नहीं क्योंकि यह तनाव और दबाव को जन्म देता है। यदि आपको सपने देखने हैं, तो कृपया इसे अपने दिल या दिमाग में संजोकर न रखें । आपका शरीर सपनों के संग्रहण का स्थान नहीं है। सपने को जमीन पर क्रियान्वित करने की आवश्यकता होती है। ऐसा कोई भी इंसान नहीं है जो बिना गिरे जीवन में आगे बढ़ पाया हो।

देवियो और सज्‍जनो, मैं आपसे वादा करता हूं और मैं अपने वादों को पूरा करने के लिए जाना जाता हूं क्‍योंकि यह आदत मैंने भारत के प्रधान मंत्री से सीखी है, जो अपने वादों को सबसे जल्दी से पूरा करने के लिए जाने जाते हैं। जरूरतमंद घरों को 170 मिलियन मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जाना इसका एक उदाहरण है। कम से कम समय में गरीबों को लाखों घर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, पब्लिक डोमेन में लाखों नौकरियां दी जा रही हैं और बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है। इसलिए मैं अपना वादा निभाऊंगा, परंतु किसी को इसकी पहल करनी होगी ताकि मैं आ सकूं।