आईआईटी दिल्ली में छात्रों को दिए उपराष्ट्रपति के संबोधन के अंश

नई दिल्ली | अक्टूबर 25, 2023

सभी को अभिवादन!

मुझे अपना हृदय उजागर करने दीजिए। मैंने इस निमंत्रण को स्वीकार किया है क्योंकि मैं दिल्ली स्थित सर्वोत्तम संस्थान के प्राध्यापकों और छात्रों से मिलना चाहता था। जब मैं आईआईटी मद्रास, आईआईटी गुवाहाटी गया तो मुझसे कहा गया कि आप आईआईटी दिल्ली गए होंगे, अब मैं उस से पार पा चुका हूं।

आप सभी के बीच होना अत्यंत प्रसन्नता और सौभाग्य की बात है। 1.4 अरब की आबादी वाले देश में, आपके पास इतने प्रतिभाशाली दिमागों का जमावड़ा है, आप दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक देकर इस स्थान तक पहुंचे हैं, और यह वास्तव में मेरे लिए एक आनंददायक क्षण है।

आईआईटी आपके जीवन में बदलाव लाता है और निश्चित तौर पर ऐसा होगा। बदले में आप लोगों और मानवता के जीवन में एक प्रभावशाली, सकारात्मक, सार्थक बदलाव लाने के लिए बाध्य हैं। आईआईटी के पूर्व छात्रों ने यह बहुत ही सराहनीय कार्य किया है। यह बात दुनिया जानती है और दुनिया ने इसे पहचाना है।

उत्कृष्टता की समृद्ध विरासत वाला यह संस्थान छह दशकों से अधिक समय से भारत के शैक्षिक परिदृश्य में प्रकाश की किरण रहा है। इसने कुछ प्रतिभाशाली दिमागों को जन्म दिया है जिन्होंने न केवल इस देश बल्कि दुनिया की नियति को आकार दिया है। दोस्तों, आप दुनिया की एक उभरती संस्था का हिस्सा हैं और हमें बाहर से किसी अंशांकन या प्रमाणीकरण की आवश्यकता नहीं है। यह संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक है।

आप ऐसे संस्थान में शिक्षा के भाग्यशाली लाभार्थी हैं। मैं ऐसा इसलिए कहता हूं क्योंकि मैं शिक्षा का उत्पाद हूं। मैं एक गाँव के स्कूल में पढ़ता था और कक्षाओं के लिए मुझे दूसरे गाँव में कुछ किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी। मैं भाग्यशाली था कि मुझे छात्रवृत्ति मिली और सैनिक स्कूल में दाखिला मिला, जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई गई थी। मैं व्यक्तिगत अनुभव से जानता हूं कि आपके जीवन में बदलाव तभी आता है जब आपको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है।

उपराष्ट्रपति के रूप में जब मैं अपनी मातृ संस्था सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ गया, तो भावनात्मक रूप से मैंने सोचा। जैविक रूप से मेरा जन्म गांव किठाना में हुआ था, लेकिन मेरा वास्तविक जन्म सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में हुआ और आपका जन्म इसी संस्थान में होगा।

आईआईटी आज पूरे देश में सबसे अधिक स्वीकृत ब्रांड हैं। विदेशी नेताओं के साथ मेरी बातचीत में, मैं उस समय अभिभूत हो गया जब उनमें से एक ने बहुत ही भावुकता से अपने देश में एक आईआईटी कैंपस की मांग की, जो संस्थान की प्रतिष्ठा को दर्शाता है। आईआईटी मद्रास पहले ही इस यात्रा पर निकल चुका है, ज़ांज़ीबार में एक परिसर स्थापित करने के लिए तंजानिया के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। आपके निदेशक ने मुझे बताया है कि आप मध्य पूर्व में ऐसा एक परिसर स्थापित करने की राह पर हैं।

ज्ञान और शिक्षा सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए सबसे अत्यंत आवश्यक प्रभावशाली परिवर्तनकारी तंत्र हैं। जब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो तो बराबरी और समानता सुनिश्चित होती है। सौभाग्य से पिछले कुछ वर्षों में तीन दशकों से अधिक समय के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित करके शिक्षा पर गंभीर प्रयास और ध्यान केंद्रित किया गया है।

अत्याधुनिक अनुसंधान में संलग्न होकर नया ज्ञान उत्पन्न करने से लेकर भारत की विकास गाथा में आईआईटी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसके कई उदाहरण हैं। उन्होंने हमारे देश के तौर-तरीके को बदल दिया है, इन संस्थानों में अनुसंधान को बदल दिया है; शैक्षणिक विकास को बढ़ावा देकर और मानव क्षमता को उसकी पूर्ण सीमा तक विकसित किया है। आईआईटी ऐसा संस्थान रहा है जिसमें दिमागों को बदल दिया गया है, भारत और दुनिया का निर्माण हुआ है, और इसकी संख्या अनंत है। अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई से लेकर इंफोसिस के सह-संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति तक, भारत और दुनिया भर के प्रमुख संगठनों के नेता गर्व से आईआईटी का बैज अपने अल्मा-मेटर के रूप में पहनते हैं। उनकी यात्राएँ यहीं से शुरू हुई हैं जैसे आपकी यात्रा शुरू होती है।

आपके पास ऊंचाइयों तक पहुंचने की क्षमता, क्षमता और मार्गदर्शन है; मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप उन ऊंचाइयों तक पहुंचेंगे। आईआईटी ने कई लोगों का जीवन बदल दिया है, लेकिन जिन लोगों का जीवन आईआईटी ने बदला है, उन्होंने लाखों लोगों में बदलाव को प्रेरित किया है, और यह सही मायने में समाज को वापस लौटा रहा है।

यह वास्तव में सराहनीय है कि आईआईटी की पहुंच और प्रभाव पूरे भारत में फैल गया है, ऐसा इसलिए है क्योंकि आईआईटी में प्रवेश शुद्ध योग्यता के आधार पर दिया जाता है। मैं इस बात से पूरी तरह से विरोध, पीड़ा और कष्ट में हूं कि यह बात फैलाई जा रही है कि आईआईटी उन लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं, जो उच्च वर्ग में हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। आप सभी यहां हैं, इस बात के प्रमाण के रूप में, आप में से प्रत्येक यहां केवल और केवल योग्यता के आधार पर है।

यह जानना सुखद है कि पूरे देश में इस तरह के नेटवर्क का विस्तार हो रहा है, जिससे विश्व स्तरीय शिक्षा तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण हो रहा है, लेकिन इसमें एक अतिरिक्त आयाम भी है। जब आप इस प्रकार की शिक्षा उपलब्ध कराते हैं, तो आप लोगों को उनकी प्रतिभा के अनुसार अपने संभावित कार्य को उजागर करने और उनकी आकांक्षाओं और सपनों को साकार करने की सुविधा देते हैं।

जब दुनिया को कोविड महामारी का सामना करना पड़ा तो आईआईटी का योगदान इस देश को मिला। आपका आईआईटी इसके लिए विशिष्ट है। मुझे बताया गया है कि वायरस को रोकने की चुनौती का सामना करते हुए आईआईटी दिल्ली ने महत्वपूर्ण अनुसंधान और विकास परियोजनाएं शुरू कीं। इन गतिविधियों में शामिल होने के लिए आपके निदेशक का जोर मुझे तब दिखाई दिया जब मैंने उनसे बातचीत की। मैं आपको बता सकता हूं कि मैंने संकाय और निदेशक से कहा है कि मैं इस आईआईटी के एक सैनिक और छात्र के रूप में काम करूंगा ताकि मैं किसी भी तरह योगदान दे सकूं। उनके द्वारा सामने लाए गए विषय ध्यान में हैं और वे समयबद्ध तरीके से फलीभूत होंगी।

हालाँकि मुझे आपके अतीत और मौजूदा उपलब्धियों की प्रशंसा करने में गर्व है, मैं आपको आगे आने वाली चुनौतियों का सामना करने और अवसरों का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रेरित करने के अवसर का लाभ उठाना चाहता हूँ। आप, भारत के युवा दिमाग, पुनर्जागृत भारत के अग्रदूत हैं!

आप भाग्यशाली हैं कि आप ऐसे समय में रह रहे हैं जब सरकार और इकोसिस्‍टम की सकारात्मक नीतियों के कारण आप अपने कौशल को बढ़ा सकते हैं और अधिकतम योगदान दे सकते हैं।

दोस्तों, जैसे-जैसे हम 2047 के करीब पहुंच रहे हैं, एक ऐसा साल जो हमारी आजादी की एक सदी का प्रतीक है, हममें से कुछ लोग तब उपस्थित नहीं रहेंगे, आप सभी तब होंगे, आप पथप्रदर्शक हैं जो हमें एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाएंगे जो नवाचार और उद्यम द्वारा परिभाषित है। इस देश में युवा दिमागों की उपलब्धियाँ असाधारण से कम नहीं हैं। कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने से लेकर, दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने तक, आपका योगदान अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में फैला है।

आपने अत्याधुनिक उत्पाद बनाने के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया है जो हमारे जीने, काम करने और एक-दूसरे से जुड़ने के तरीके को बदल रहे हैं। हमारे भारत को आपसे बहुत उम्मीदें हैं, आप इस देश की सबसे मजबूत रीढ़ की हड्डी हैं, आने वाले वर्षों में इस देश का भविष्य कैसा होगा, आप ही उसे आकार देंगे।

आप एक ऐसे युग में रह रहे हैं जहां भारत का प्रभाव उसकी सीमाओं से परे महसूस किया जाता है। मैंने अपनी तीन विदेश यात्राओं, वैश्विक नेताओं के साथ बातचीत के दौरान यह अनुभव किया है कि भारत को बहुत अलग तरीके से देखा जाता है। भारत अपनी नीतियां और अपना हित स्वयं परिभाषित करता है और दुनिया इस बात पर ध्यान देती है कि भारत क्या करता है, भारत कैसे करेगा और भारत की स्थिति क्या है।

हमने भारत के अजेय उत्थान को देखा है और यह उत्थान एक क्रमिक प्रक्षेपवक्र पर है और ऐसा होना तय है क्योंकि जब आप बड़ी दुनिया में छलांग लगाएंगे, तो आप इसे आगे बढ़ा रहे होंगे। इसने वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और यह एक बड़ी ताकत है।

चाहे संयुक्त राष्ट्र हो, डब्ल्यूटीओ हो या हालिया जी20, हर वैश्विक सम्मेलन से लेकर दुनिया भर के संघर्षों में भारत का रुख मायने रखता है। पूरे देश में जी20 में क्या हुआ, देखिए, लगभग 60 स्थानों, 200 बैठकें और हम दिल्ली घोषणापत्र लेकर आए, जो इस देश की ताकत को दर्शाता है कि कैसे सहयोग और सर्वसम्मति के दृष्टिकोण से वैश्विक सद्भाव पैदा हो सकता है। दुनिया को जी20 में वह देखने को मिला जो उसने पहले कभी नहीं देखा था। दुनिया को अब लगता है कि ये सदी भारत की है।

भारत को हमारे समय की चुनौतियों के समाधानकर्ता के रूप में देखा जा रहा है। हमारी कूटनीति की ताकत की कल्पना करें, हमने वह रुख अपनाया है जो हमारे देश के लिए सबसे उपयुक्त है। कूटनीति संवाद प्रस्ताव द्वारा युद्ध के संबंध में हमने जो रुख अपनाया है वह हमारी सभ्यतागत लोकाचार के अनुरूप है। भारत आज वैश्विक मुद्दों पर एजेंडा तय करने वाला बन गया है।

हमारे पास अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का मुख्यालय है, हमने दुनिया को योग दिया और संयुक्त राष्ट्र से 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स (मोटा अनाज) वर्ष घोषित किया गया। ये ऐतिहासिक मील के पत्थर हैं, युगांतकारी उपलब्धियाँ हैं जिन्हें भारत ने वैश्विक संस्थाओं के हस्तक्षेप से हासिल किया है और पूरी दुनिया हमारे साथ आ गई है। हमारा भारत एक लंबा सफर तय कर चुका है। जब मैं 1989 में संसद सदस्य के रूप में चुना गया था, और एक केंद्रीय मंत्री था, हमारी अर्थव्यवस्था जर्जर थी, और हमारी वित्तीय साख को बचाने के लिए भौतिक सोने को दो बैंकों में हवाई मार्ग से ले जाना पड़ा। एक दशक पहले भारत की गिनती नाजुक पांच देशों में होती थी, जो पांच देश दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं पर बोझ थे, उनमें भारत भी शामिल था। सितंबर 2022 में, यूके और फ्रांस को पछाड़कर भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गया। सभी संकेत मौजूद हैं कि दशक के अंत तक 2030 तक हम जापान और जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं।

ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा मानव संसाधन बहुत कुशल है। एक बात जो मैं कहता हूं, एक समय था जब सत्ता के गलियारे संपर्क एजेंटों, बिचौलियों से भरे हुए थे और भ्रष्टाचार आम बात थी। आप सभी जानते हैं कि सत्ता के गलियारों को साफ-सुथरा कर दिया गया है, सत्ता के दलाल जो निर्णय लेने में अपनी ताकत का इस्तेमाल करते थे, अब नजर नहीं आ रहे हैं और यह हमारी वास्तविक उपलब्धियों में परिलक्षित होता है। लोकतंत्र में भ्रष्टाचार आम आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है। भ्रष्टाचार आम आदमी के लिए अत्यंत हानिकारक है और अब भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान नहीं है। आप कोई भी हो सकते हैं, आपकी कोई भी वंशावली हो, आपको कानून के शासन के प्रति जवाबदेह होना होगा और यह लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है, ऐसा लोकतंत्र कैसे हो सकता है जहां आपके साथ अलग तरह से व्यवहार किया जाएगा और किसी और के साथ अलग तरह से व्यवहार किया जाएगा, ऐसा नहीं हो सकता है और अब ऐसा नहीं हो रहा है।

चिंता की बात यह है कि मित्रों, भारत और उसके संस्थानों की छवि खराब करने के लिए कई ताकतें झूठी बातें फैला रही हैं। वे भी प्रयास कर रहे हैं जैसा कि मुझे कुछ समय पहले बताया गया था कि आईआईटी की प्रतिष्ठा को गलत धारणा के आधार पर प्रसारित किया जा रहा है। अब आईआईटी में, मैं निश्चित रूप से जानता हूं, गांव के लोग आते हैं, साधारण पृष्ठभूमि के लोग आते हैं, वे लोग जिन्होंने बड़ी कठिनाई से यहां पहुंचे हैं, वे लोग जो समाज के ऊपरी तबके से नहीं आते हैं, कुछ लोग योग्यता के आधार पर आ सकते हैं लेकिन बाहरी दुनिया को अलग छवि बेची जाती है। आप इसका वास्तविक प्रमाण हैं और इसलिए यह हम सभी का, विशेष रूप से आप जैसे छात्रों का कर्तव्य है कि हम इस प्रकार की कहानियों को नष्ट करें और बेअसर करें जो हानिकारक हैं और जमीनी हकीकत को प्रतिबिंबित नहीं करती हैं।

कुछ अजीब कारणों से जिन्हें मैं तर्कसंगत नहीं ठहरा सकता, विकास कुछ लोगों से पच नहीं पा रहा है। कुछ लोग तो यहां तक ​​कह सकते हैं कि पाकिस्तान का भूख सूचकांक भारत से बेहतर है। कल्पना कीजिए कि वे कितनी दूर तक जा सकते हैं। उनकी कुछ समस्याएं हैं जिन्हें आईआईटी जैसे संस्थानों को हल करना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि पाचन तंत्र इस देश के विकास के लिए इतना प्रतिकूल क्यों है, कुछ करना होगा।

मेरे सामने के सभी छात्र, आप पैदल सैनिक हैं, आप 2047 के भारत के योद्धा हैं। आप 2047 तक पहुंचते-पहुंचते भारत की नियति को आकार दे देंगे। सभी भारत विरोधी आख्यानों को बेअसर करना आपकी जिम्मेदारी है और सतर्क तरीके से ऐसा करना आवश्यक है।

अग्रणी संगठनों में प्रौद्योगिकी और प्रबंधकीय मामलों के शीर्ष पर रहने वाले पूर्व छात्रों से मेरी अपील है, यह सुनिश्चित करना आपकी ज़िम्मेदारी है कि किसी को भी इस देश में लोकतांत्रिक संस्थानों को बदनाम करने और उनका तिरस्कार करने का अधिकार नहीं हो सकता है। मुझे बताएं कि दुनिया का कौन सा देश गांव से केंद्र तक संवैधानिक लोकतंत्र होने का दावा कर सकता है? पहले केंद्र में, राज्य स्तर पर, अब हमारे पास ग्राम स्तर पर, जिला स्तर पर लोकतंत्र है, यह विशिष्टता हासिल करने वाला दुनिया का एकमात्र देश है और अपने पड़ोसियों के चारों ओर देखें और वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालें, हमारा लोकतंत्र फल-फूल और पनप रहा है। सब इसलिए क्योंकि इस देश में कोई भी आवश्यक लोकतांत्रिक मूल्यों से दूर नहीं जा सकता। इस देश के लोग की रीढ़ की हड्डी बहुत मजबूत है, वे लोकतांत्रिक मूल्यों के अलावा किसी भी चीज़ से समझौता कर सकते हैं। मेरी अपील है और मुझे यकीन है कि पूर्व छात्र इसे गंभीरता से लेंगे। मैं लंबे समय से एक विचार के साथ आगे बढ़ रहा हूं और कई अन्य संस्थानों को इसका संकेत दे रहा हूं। मैं इसे यहां भी करूंगा।

हमारे देश में आईआईटी, आईआईएम और उत्कृष्टता के अग्रणी संस्थानों के पूर्व छात्र, शक्ति, प्रतिभा, ज्ञान, अनुभव का एक वास्तविक भंडार हैं। उन्हें एक महासंघ के रूप में एकजुट होना होगा। आईआईटी, आईआईएम के पूर्व छात्र संघों का संघ होना चाहिए ताकि वे मार्गदर्शन दे सकें और लोगों को जागरूक कर सकें और नीति निर्माताओं को बता सकें कि सांसदों को किस रास्ते पर जाना है। जब हमारे पास समृद्ध प्रतिभाशाली मानव संसाधनों के माध्यम से ऐसा भंडार उपलब्ध है तो हमें इस अवसर का लाभ क्यों नहीं उठाना चाहिए। यही मेरी अपील है। मेरे प्रिय युवा मित्रों, विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा कई सकारात्मक पथप्रदर्शक और भविष्योन्मुखी कदम उठाए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश प्रौद्योगिकी और अनुसंधान साक्षरता में सबसे आगे रहे। इन दिनों हमारे बीच वैसी बहसें नहीं होतीं। बहस साक्षरता बनाम असाक्षरता है। आज उपलब्ध है मानव बुद्धि, आज आप हमारे सर्वोत्तम लाभ के लिए आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर रहे हैं।

सीनेट और कांग्रेस के सदस्यों को माननीय प्रधानमंत्री के संबोधन को याद करें। यदि आपने वह देखा है तो आपको अच्छी तरह याद होगा। उन्होंने कहा कि आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, हर कोई एआई को 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' समझता है, उन्होंने कहा अमेरिका-भारत जिसका अर्थ है लोकतंत्र की सबसे पुरानी जननी और एक विकसित लोकतंत्र। प्रतिक्रिया सकारात्मक थी क्योंकि वह उस चीज के बारे में बात कर रहे थे जो दीवार पर लिखी जा रही है। वे दिन गए जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री को अलग तरह से लिया जाता था। वह अब विश्व नेता हैं। वे केवल व्यक्ति नहीं हैं, वे एक प्रधानमंत्री हैं जो भारत और इसके 1.4 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी आवाज़ सुनी जाती है और निर्णय लेने में उनकी सलाह बार-बार ली जाती है। यह एक बड़ा बदलाव है जो हम सभी इस समय महसूस कर रहे हैं।

भारत सरकार इस तेजी से बदलते परिदृश्य को पहचानती है और मुझे अपने संक्षिप्त परिचय से यह जानकर खुशी हुई कि यह आईआईटी दिल्ली का भी फोकस क्षेत्र है। आईआईटी दिल्ली ने इस क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स की स्थापना की है। मैं आपको बता दूं, मेरे युवा मित्र प्रौद्योगिकी विकास के साथ खुद को जोड़ने के लिए हम कई वर्षों और दशकों तक इंतजार करते थे। अब हम सबसे आगे हैं और पीछे भी नहीं हैं। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा जो आपके लिए गंभीर रूप से चिंता का विषय हैं क्योंकि आप एक प्रीमियम संस्थान में हैं, आपके पास आकर्षक और प्रीमियम अध्ययन जो दूसरों के पास नहीं है। भारतीय प्रगति ने उन्नत देशों संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, जापान, इज़राइल, फ्रांस से सहयोग आकर्षित किया है, यहां तक ​​कि एनसीईआरटी एआई में एक बुनियादी पाठ्यक्रम शुरू कर रहा है और एक नया राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा तैयार कर रहा है और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संबंध में यह एक बड़ी संपत्ति है लेकिन आपने अभी सोचना शुरू किया है और खतरों को भी जानते हैं। आप जानते हैं कि उद्योग जगत के शीर्ष नेताओं ने इसे कैसे खतरे में डाल दिया है। वे नियामक व्यवस्था के लिए कितने उत्सुक हैं? आपको कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संबंध में भी वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालने के लिए अपनी ऊर्जा का उपयोग करना होगा। इसकी बड़ी उपयोगिता है, बड़ी उपयोगिता है लेकिन आपका योगदान तब मायने रखेगा जब आप विश्व स्तर पर क्वांटम कंप्यूटरों की कार्य प्रक्रिया के गहन विश्लेषण में शामिल होंगे। मुझे क्वांटम कंप्यूटरों के बारे में भी बात करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यह मेरे लिए शासन की सराहना करने का सही स्थान है कि इसने क्वांटम कंप्यूटरों पर सार्थक तरीके से ध्यान केंद्रित किया है। वे कंप्यूटरों का एक पुनरुद्धार वर्ग हैं जो सबसे तेज मशीनों की तुलना में कई गुना तेजी से काम करते हैं। आज का और व्यापक अनुप्रयोग के साथ तेजी से सुरक्षित संचार नेटवर्क की सुविधा भी प्रदान की गई है।

आपको यह जानकर खुशी होगी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 अप्रैल 2023 को राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के लिए 6000 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी दी, जो क्वांटम कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी और संबंधित अनुप्रयोगों के अनुसंधान और विकास को वित्त पोषित करेगा। यह आवश्यक हो जाएगा, अगर मैं इस पर कहीं और विचार करता तो वे सोचते कि मैं कुछ ऐसी बात कर रहा हूं जिसे समझना मुश्किल है लेकिन आप असली लोग हैं जिन्हें इसमें शामिल होना है और यह मिशन भारत के लिए एक क्वांटम जंप (बड़ी छलांग) है और यह तब बनाया गया था जब हमने क्वांटम प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक विकास में तेजी लाने और भारत को नवीनतम इकोसिस्‍टम में अग्रणी राष्ट्र बनाने के लिए राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को मंजूरी दी।

आप मुझसे ज्यादा जानते होंगे कि देश का नेतृत्व कौन कर रहा है, संख्या दोहरे अंक में नहीं है। इससे क्वांटम कंप्यूटिंग, क्रिप्टोग्राफी संचार और सामग्री विज्ञान में विकास को बढ़ावा मिलेगा, यह उपग्रह आधारित संचार और लंबी दूरी की सुरक्षित क्वांटम संचार का विकास होगा। मेरे जैसे व्यक्ति के लिए जो उस विशेष क्षेत्र से नहीं है, यहां तक ​​कि मैं अभिभूत, प्रेरित और गौरवान्वित हूं लेकिन आप इस पर काम करना होगा और यह अवसर आपके लिए है और मुझे यकीन है कि आप इसका अच्छे से उपयोग करेंगे।

मित्रों, दुनिया के सबसे कनेक्टेड लोकतंत्र में हमारे पास 120 करोड़ से अधिक मोबाइल कनेक्शन हैं। जब मैं कुछ देशों के प्रमुखों से मिलता हूं और उनकी जनसंख्या के बारे में पूछता हूं; जनसंख्या 10 लाख से कम है या किसी की जनसंख्या 1 लाख से कम है और हमारी सबसे बड़ी ताकत देखिए। ये हमारी जनसांख्यिकी है- हमारा युवा जनसांख्यिकीय घटक, दुनिया इससे ईर्ष्या कर रही है। यह हमारे विकास को तेजी से ऊंचाइयों पर ले जा रहा है।

मैं 6जी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा लेकिन हम इस पर ध्यान केंद्रित करने वाले शुरुआती देश हैं और आप जानते हैं कि इसका प्रभाव क्या होगा, और इसका महत्व और इसके सकारात्मक परिणाम क्या होंगे। जब आप सभी गांवों में जाते हैं तो आप इसके प्रभाव को जानते हैं। इसने गाँव में रहने वाले एक सामान्य भारतीय के जीवन को बदल दिया है। आज वह सब अपने मोबाइल से करता है बिजली का बिल हो पाने का बीईएल हो पासपोर्ट का काम हो सरकारी डिलीवरी कोई लेनी हो। वह यह सब करता है। हम एक ऐसा देश हैं जिसे प्रधानमंत्री ने एक बहुत ही उपयुक्त अभिव्यक्ति का उपयोग करके परिभाषित किया है, उन्होंने कहा कि भारत में इस दशक को ‘टे-केड’ के रूप में लिया जाएगा, जिसका अर्थ है कि प्रौद्योगिकी को अधिक प्रमुखता से लक्ष्य बनाया जाएगा और यह एक महान काम कर रहा है और हमारे देश में बदलाव ला रहा है।

मैं दूसरे क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं, जिसके लिए यह उपयुक्त मंच है। यह सबसे उपयुक्त मंच है जो अवसरों और चुनौतियों के द्वार खोलता है जहां आपको दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनना है और वह है राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन। इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में हरित हाइड्रोजन की तैनाती में तेजी लाना है और आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकास का समर्थन करना है जो कुशलतापूर्वक हाइड्रोजन का परिवहन और वितरण कर सकें। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और 19000 करोड़ के प्रारंभिक परिव्यय को जनवरी 2023 में मंजूरी दी गई थी और इसका उद्देश्य भारत को दुनिया में हरित हाइड्रोजन का अग्रणी उत्पादक और आपूर्तिकर्ता बनाना, हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के लिए निर्यात के अवसरों का निर्माण करना था। मैं आगे जो कह रहा हूं वह आपके प्रयासों से फलीभूत होना है। आपका मन भी उस क्षेत्र की ओर लगाना चाहिए।

अब जो मैं आगे कह रहा हूं वह आपके प्रयासों से फलीभूत होना चाहिए, आपका मन उस क्षेत्र में भी जाना चाहिए, संकेत यह है कि लक्ष्य 2030 है, लगभग 8 लाख करोड़ का निवेश आने की संभावना है और 6 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होंगी। यह आपकी जिम्मेदारी है, आप समझते हैं यह विषय दूसरों के लिए कहीं बेहतर है, यह एक अमूर्त विचार हो सकता है लेकिन आपके लिए यह जमीनी हकीकत है।

2030 तक लगभग 50 एमएमटी प्रति वर्ष कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने की उम्मीद है। यह केवल जुमला नहीं है। पृथ्वी के सामने एक चुनौती है कि इसका मुकाबला इस तंत्र द्वारा किया जाना चाहिए। यह मिशन हरित हाइड्रोजन की मांग, निर्माण, उत्पादन, उपयोग और निर्यात को सुविधाजनक बनाएगा। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब आप विशाल दुनिया में निकलेंगे तो आप में से कुछ लोग इस गतिविधि में गंभीरता से शामिल होंगे।

यह महत्वपूर्ण मिशन भारत को 2030 तक हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाने में सक्षम करेगा। हम 1 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन आयात को घरेलू स्तर पर उत्पादित हरित हाइड्रोजन से बदलना चाहेंगे। अब, यह कोई साधारण प्रतिस्थापन नहीं है, हम विदेशी मुद्रा के लिए भारी भुगतान कर रहे हैं। मैंने आपके सामने भी एक विचार रखा। आर्थिक राष्ट्रवाद हमारे देश के विकास के लिए मौलिक आवश्यकता है, आप वह मस्तिष्क हैं जो इसे सुरक्षित रखेंगे, मेरा दिल दुखता है जब हम अन्य देशों से कुछ वस्तुएं मोमबत्तियाँ, दीया, पतंग, खिलौने, पर्दे आयात करते हैं इस प्रक्रिया में हम क्या कर रहे हैं? हम न केवल विदेशी मुद्रा ख़त्म कर रहे हैं बल्कि अपने देश को काम से भी वंचित कर रहे हैं। आपको यह सुनिश्चित करना है कि कच्चा माल हमारा स्रोत न छोड़े। हमें अपने कच्चे माल का मूल्य क्यों नहीं बढ़ाना चाहिए? यदि हमारा कच्चा माल दूसरे देश में जाता है तो यह एक प्रकार की विफलता की पहचान है कि हम वह नहीं कर पाते जो दूसरे उसे प्राप्त करने के बाद करेंगे। यदि हमारे पास स्टील या एल्यूमीनियम जैसे उद्योगों के लिए कुछ वस्तुएं हैं, तो मुझे यकीन है कि आप में से कुछ लोग गंभीरता से उस पर ध्यान केंद्रित करेंगे और उन जरूरतों को देखेंगे जो घरेलू स्तर पर बनाई जाती हैं। हमारे पास तकनीकी उन्नयन है, और यह निश्चित रूप से होगा।

दोस्तों, हम भाग्यशाली हैं और आप भी भाग्यशाली हैं जो ऐसे समय में रह रहे हैं जहां अवसरों की कोई कमी नहीं है, हमारी विविधता, हमारा लोकतंत्र, हमारी जनसांख्यिकी हमारी ताकत के स्तंभ हैं। हमारे जैसे गहराई से जुड़े देश में प्रौद्योगिकी एक गेम चेंजर है। यह राष्ट्रीय परिदृश्य को बदलना है।

मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा जो आपको बताएंगे कि हम आज कहां हैं, दुनिया हमारी दीवानी क्यों है, दुनिया भारत को गंभीरता से क्यों ले रही है। भारतीय प्रधानमंत्री की आवाज़ इतनी गंभीरता से क्यों सुनी जाती है जितनी पहले कभी नहीं सुनी गई? वह वैश्विक नेता क्यों बन गए हैं?

2022 में पूरी दुनिया में 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के लेनदेन डिजिटल हुए और उनमें से 46 प्रतिशत हिस्सा हमारे भारत का था। डिजिटल लेनदेन का मतलब है कि लोग प्रौद्योगिकी प्रेमी हैं। उनके पास प्रौद्योगिकी तक पहुंच है, वे 46 प्रतिशत प्रौद्योगिकी का लाभ उठा सकते हैं और ये लेनदेन संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की तुलना में 4 गुना अधिक है। इसलिए आप एक बड़ी छलांग लगाने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं क्योंकि लोग प्रौद्योगिकी प्रेमी बन गए हैं और ये विश्व स्तर पर निर्विवाद आंकड़े हैं। जब इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की बात आती है, तो हमारे पास 700 मिलियन से अधिक हैं। हमारी पूंजीगत डेटा खपत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन की तुलना में अधिक है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे लोग प्रतिभाशाली हैं।

हम भारतीय तो मोर की तरह हैं सब कुछ ठीक है तो पांव की तरफ देखते हैं तो मोड़ को भी थोड़ा झटका लगता है।

हमें खुद पर विश्वास करना होगा, हमें अपनी ऐतिहासिक युगांतरकारी उपलब्धियों पर गर्व करना होगा, हमें अपने राष्ट्र को पहले रखना होगा और युवा दिमाग ऐसा करेंगे, इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है। जून 2023 में कुल यूपीआई लेनदेन 9.3 बिलियन तक पहुंच गया। यूपीआई अब सिंगापुर, मलेशिया, नेपाल, यहां तक ​​कि फ्रांस और यूके में भी काम कर रहा है। मैं विषय से थोड़ा अलग हो जाऊं, हमारा इसरो - हम पश्चिमी देशों सहित इन देशों के उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित कर रहे हैं। हम ऐसा कर रहे हैं और हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले दुनिया के पहला देश बन गये हैं।

और कहते हैं ना तिरंगा वाहन गढ़ दिया और शिव शक्ति पॉइंट को चिन्हित कर दिया यह छोटा अचीवमेंट नहीं है।

लेकिन यह सब आप जैसे प्रतिभाशाली दिमागों की विचार प्रक्रिया से प्रेरित है।

हमारे समय में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी तीन दशक पहले जब मैं सरकार में मंत्री था, कहते थे हालत खराब है कैसे सुधरेगी? आईएमएफ अब कहता है, ‘भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक उज्ज्वल स्थान है, यह निवेश और अवसर का एक पसंदीदा स्थान है।’

यह मेरे लिए एक सुखद क्षण था जब मैंने इन लोगों के साथ बातचीत की, मैंने आईएमएफ की महिला अध्यक्ष के साथ चार बार बातचीत की, लेकिन जी20 के दौरान विश्व बैंक अध्यक्ष ने प्रतिबिंबित किया कि भारत ने छह वर्षों में डिजिटल दुनिया में जो हासिल किया है, वह सैंतालीस सालों में हासिल करना संभव नहीं है।

इसलिए मैं कहता हूं कुछ लोगों का हाजमा खराब क्यों है, वह राइटिंग ऑन द वॉल को क्यों नहीं देखते यह हकीकत है यह ग्राउंड रियलिटी है आज का युद्ध आज का नवयुग विशेष करवा है जो आप जैसे संस्थानों में अध्ययन कर रहा है कुछ भी कर गुजरने के लिए काबिल है। इस देश को किसी भी ऊंचाई पर ले जा सकते हैं। और हमारा ऑब्जेक्ट तो क्लियर है विश्व गुरु को नंबर वन रहना है। हम उस राह पर हैं। हम उस मंजिल की ओर बढ़ रहे हैं, आपको इसमें और गति जोड़ने की जरूरत है, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है।

ग्लोबल रिकॉग्निशन एंड अकांप्लिशमेंट यह क्यों हो रहा है हमारी ब्यूरोक्रेसी काम करती है सरकार काम करती है मगर अल्टीमेटम थे क्रेडिट गोज टू द लीडरशिप। नेतृत्व को दूरदर्शी होना होगा, उसे अधिक कल्पना करनी होगी, उसे क्रियान्वित करना होगा और प्रसारित करना होगा और हम जो देख रहे हैं वह हो रहा है।

क्या आपने कभी सोचा था कि अनुच्छेद 370 संविधान में नहीं रहेगा, ऐसा नहीं है। एक अस्थायी अनुच्छेद सत्तर साल तक संविधान में कैसे रह सकता है?

आज भारत में दुनिया भर से लोग आते हैं।

यहां इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं इंडस्ट्री लगाना चाहते हैं अपनी एंटरप्रेन्योर स्किल दिखाना चाहते हैं और उसका कारण है। भारत के पास जिस प्रकार का समृद्ध मानव संसाधन है, वह बेजोड़ है, विकास के पिरामिड में आमतौर पर शीर्ष पर रहने से पहले तकनीकी पहुंच बहुत महत्वपूर्ण है। थोड़ी आ गई तो नीचे आ गई बट टियर 2 एंड टियर 3 गांव इससे वंचित रहते थे अब ऐसा नहीं है। जिन सुविधाओं का आपने यहां आनंद लिया, वे आपके गांव में भी उपलब्ध हैं और कोविड ने ये साबित किया, जब हमें घर से काम करने की अनुमति दी गई। गांव का आदमी गांव से कम कर सकता था और किया है। यह बड़ा बदलाव है जो भारत की विकास गाथा को परिभाषित करता है।

दोस्तों कभी टेंशन मत लो, कभी तनाव मत लो, आसमान कभी टूट नहीं पड़ता, असफलता से मत डरो, विचार को आजमाओ, पहली बार में सफलता जरूरी नहीं है, लेकिन अगर आप एक विचार को अपने दिमाग में रखते हैं और आप उस पर काम नहीं करते हैं आप स्वयं के साथ नहीं बल्कि पूरे समाज के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं। साहसी बनें, लीक से हटकर सोचें और अब लीक से हटकर सोचने के कई अवसर उपलब्ध हैं, मुझे यकीन है कि आप सभी उनका लाभ उठाएंगे।

स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था, “अपने जीवन में जोखिम उठाओ, यदि तुम जीतोगे तो नेतृत्व कर सकते हो, यदि हारोगे तो मार्गदर्शन कर सकते हो।” उन्होंने यह भी कहा, “उठो, जागो, तब तक चलते रहो जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए”।

2047 में जब आप अपने जीवन के चरम पर होंगे तो आप भारत को एक अत्यंत विकसित राष्ट्र की श्रेणी में ले जाने के लिए ऊर्जा और प्रतिभा से भरपूर होंगे।

प्रिय छात्रों, आपको ध्यान में रखते हुए, मेरा दिल आशा और आशावाद से भर जाएगा और ये केवल शब्द नहीं हैं। मेरी आशा अच्छी तरह से स्थापित है और मेरा आशावाद व्यावहारिक है। ये तो होना ही है। हमारे राष्ट्र का भविष्य आपके सक्षम हाथों में सुरक्षित है, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि बड़े सपने देखें, निर्णायक रूप से सोचें और कभी भी अस्थायी न रहें।

दोस्तों, आइए मिलकर भारत 2047 की दिशा में काम करें जो सिर्फ एक सपना नहीं है बल्कि एक वास्तविकता है जो हमारे सपनों की दुनिया से भी आगे है। मेरी ओर से आपका धन्यवाद, आप चमकें और भारत को प्रथम रखें।

मैं प्रतिभाशाली दिमागों के साथ बातचीत करने का यह महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध कराने के लिए निदेशक और संकाय का आभारी हूं, जबकि मैंने संकाय को हमारी संसद और उप-राष्ट्रपति निवास में मेरे साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया है, मैं आईआईटी के छात्रों को समूहों में आमंत्रित करूंगा - नए संसद भवन, भारत मंडपम, यशोभूमि, प्रधानमंत्री संग्रहालय और युद्ध स्मारक पर एक नज़र डालने के लिए। मेरा कार्यालय बैचों में संबंधित डीन के साथ समन्वय करेगा। संसद में जिस तरह की टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराई गई है उसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे। यदि आप किसी पेंटिंग को देखेंगे तो आपको बस स्कैन करना होगा और पूरा इतिहास प्राप्त करना होगा। आपको यह देखकर खुशी होगी कि ऐसी उपलब्धियाँ इस देश में कोविड के दौरान भी हो सकती हैं। दुनिया के शीर्ष 10 कन्वेंशन सेंटरों में से एक भारत मंडपम प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता और कार्यान्वयन के साथ संभव हुआ, जो इस देश के युवाओं पर बहुत अधिक निर्भर है, उन्होंने दुनिया के सभी मंचों पर कहा है कि भारत पूरी तरह से आभारी है और यह राष्ट्र युवा जनसांख्यिकी का लाभ उठाने के लिए तैयार है।