“23वें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार, जिसका नाम भारत के एक महान सपूत के नाम पर रखा गया है, से जुड़ना वास्तव में सम्मान की बात है।
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार, शास्त्री जी के विजन को कायम रखता है। यह संतुष्टि की बात है कि यह उन लोगों को महत्व और सम्मान देता है, जो अपने-अपने क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन लाए हैं।
शास्त्रीजी का नारा ‘जय जवान, जय किसान’ करोड़ों देशवासियों को प्रोत्साहित और प्रेरित करता है। उनके जीवन से जुड़ी कहानियां इतिहास और सभी की स्मृति में अंकित हैं।
उत्कृष्ट और अत्यन्त योग्य डॉ. बकुल ढोलकिया, जो पद्मश्री पुरस्कार विजेता, एक उत्कृष्ट शिक्षाविद् और अर्थशास्त्री के रूप में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले बहुमुखी व्यक्तित्व हैं, को 23वां लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करते हुए मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद के निदेशक के रूप में उनका कार्यकाल अत्यंत प्रभावशाली रहा।
डॉ. ढोलकिया और उन जैसी अन्य विभूतियों के अथक प्रयासों से निर्मित भारतीय प्रबंधन पेशेवरों की टीम उन महत्वपूर्ण कारकों में से एक होगी जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत को दुनिया में जल्द ही अपना यथोचित स्थान दिलाने में बड़ा योगदान देगा।
लाल बहादुर शास्त्री प्रबंध संस्थान मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करने और उत्कृष्टता के वैश्विक मानकों को प्राप्त करने के अपने उद्देश्यों को भली-भांति पूरा कर रहा है।
अपनी स्थापना के बाद से ही यह संस्थान निरंतर प्रगति कर रहा है। इसके चेयरमैन श्री अनिल शास्त्री मर्यादा का कड़ाई से अनुपालन करने और अपने सतर्क दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।
शास्त्री जी की सादगी और फौलादी संकल्प ने उन्हें इतिहास में एक विशेष स्थान दिलाया। भले ही वे कम समय के लिए प्रधानमंत्री रहे, लेकिन उनका कार्यकाल काफी प्रभावशाली रहा। आज जब राष्ट्र हमारी अर्थव्यवस्था के ऐतिहासिक विकास का रसास्वादन कर रहा है, शास्त्री जी का जीवन हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखने की प्रेरणा देता है ।
शास्त्री जी ने उच्चतम मूल्यों के पालन का दृष्टांत प्रस्तुत किया। अनुचित लाभ उठाने का विचार उनके मन में कभी नहीं आया।
मैं एक घटना का उल्लेख करूंगा। उनके एक कारावास के दौरान, उनकी बेटी बीमार हो गई थी। उसे देखने के लिए उन्हें 15 दिन की पैरोल मिली। जब वे पैरोल पर थे तब दुर्भाग्य से उनकी बेटी का निधन हो गया। शास्त्री जी, अपनी पैरोल की अवधि पूरी तरह समाप्त होने की प्रतीक्षा किए बिना, तुरंत जेल में अपनी सज़ा काटने के लिए वापस चले आए। उन्होंने कभी भी अनुचित रूप से रियायतों का लाभ नहीं उठाया। यह एक दुर्लभ घटना है।
शास्त्रीजी ने इतिहास के सर्वाधिक निर्णायक चरणों में से एक के दौरान भारत का नेतृत्व किया। उनका ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता रहता है।
शास्त्रीजी का हरित क्रांति कार्यक्रम के माध्यम से आत्म-निर्भरता का आह्वान आत्म-निर्भर भारत के शुरुआती अवतारों में से एक था।
भारत-पाक युद्ध के दौरान खाद्य संकट से उबरने हेतु उनका “अन्न का त्याग”, सप्ताह में एक दिन में एक बार उपवास - के आह्वान को जनता की तरफ से असाधारण समर्थन मिला। वे कथनी के बजाय करनी में विश्वास करते थे। इस ‘अन्न का त्याग’ की शुरुआत उन्होंने अपने परिवार से की थी और देश के करोड़ों लोगों ने उनका अनुसरण किया। इस घटना ने सभी को राष्ट्र को सर्वोपरि रखने के लिए प्रेरित किया।
भारत को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत देखने के गांधीजी और शास्त्रीजी के विजन को पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदमों के जरिये साकार किया जा रहा है। उद्योग और व्यवसाय जगत के सराहनीय योगदान ने इसे हासिल करने में सहायता की है।
इस बात पर अचरज होता है कि क्यों एक बहुत ही छोटे वर्ग को भारत की विकास गाथा और भारत के प्रगति पथ को लेकर खुश होने में तकलीफ होती है, जबकि इसे वैश्विक मान्यता भी प्राप्त है । हमारे पास गर्वित होने और खुशी मनाने के लिए काफी कुछ है।
हमें अबाध गति से अग्रसर होना होगा क्योंकि विश्व गुरु बनना हमारी नियति है और हो भी क्यों नहीं- हम वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास रखते हैं और उसका पालन जो करते हैं।
वैश्विक पारितंत्र में भारत की आवाज सुनी जा रही है, जिसका अभूतपूर्व प्रभाव पड़ रहा है। यह दौर बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में उच्चतम वैश्विक मानदंड के समकक्ष विकास का गवाह बन रहा है।
देवियो और सज्ज़नो, आज इतने दशकों के प्रयास के बाद, उसी उल्लासपूर्ण भावना के साथ, भारत एक वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने के कगार पर है। पिछले महीने भारत, ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इस दशक के अंत तक यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।
ये उपलब्धियां हाल के वर्षों में सरकार की कई सकारात्मक पहलों के माध्यम से युवाओं के आर्थिक और प्रबंधकीय कौशल को बढ़ावा दिए जाने के परिणाम हैं। हमें एक प्रतिस्पर्धी वैश्विक बाजार में बढ़त हासिल करने के लिए इनमें और तेजी लानी होगी, जिसके लिए उभरती हुई तकनीकों का लाभ उठाने की आवश्यकता है।
एक पुन: उभरते 'नए भारत' में, जहां युवाओं के पास अपनी क्षमता और प्रतिभा का दोहन करने के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं, आपके संस्थान जैसे शैक्षणिक संस्थानों को इस उत्कृष्टता और नवोन्मेष संबंधी मिशन को आगे ले जाने में एक अग्रणी भूमिका निभानी होगी।
यह देखकर खुशी होती है कि समावेशी विकास पर सरकार द्वारा बल दिए जाने के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। बैंकिंग प्रणाली में लाखों लोगों को शामिल करना इसी का एक उदाहरण है। इससे लाभ के प्रत्यक्ष हस्तांतरण में बहुत सुधार हुआ है। पारदर्शिता और जवाबदेही अब हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के पहलू बन गए हैं।
लाल बहादुर शास्त्री प्रबंध संस्थान के अधिकारियों-कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं को उनके सभी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।
नमस्कार। जय हिंद।”