6 जून, 2023 को उपराष्ट्रपति निवास, नई दिल्ली में भारतीय रक्षा संपदा सेवा (आईडीईएस) के अधिकारी प्रशिक्षुओं को माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ का संबोधन।

नई दिल्ली | जून 6, 2023

आप सभी को शुभ संध्या!

आपकी आंखों की चमक, आपकी समग्र शैक्षणिक दस्तावेजों को देखकर इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है कि आप अपनी-अपनी सेवा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे और देश की सेवा करेंगे।


जब मैंने आपमें से प्रत्येक को सुना, तो मुझे अपने सैनिक स्कूल के पांच-छह दशक पीछे के सारे घटनाक्रम स्मरण हो गये। हम सभी सादे और सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं लेकिन अपने जूझारूपन और लगातार प्रयास करते रहने की कार्य-प्रणाली के माध्यम से हमने अपना रास्ता तय किया है।

मैंने देखा कि आपमें से प्रत्येक के पास एक विकल्प मौजूद था। यदि आप सेवा में नहीं आए होते, तो आपकी योग्यता के आधार पर आपमें से प्रत्येक के पास इसी तरह की एक आकर्षक नौकरी होती। इसलिए, इस सेवा में शामिल होना त्याग और बलिदान की भावना को प्रदर्शित करता है। भारत के 1.4 अरब लोगों की सेवा करना का यह एक ईश्वरीय अवसर है, जहां विश्व की संपूर्ण आबादी का छठां हिस्सा निवास करता है।


मैं इस तथ्य को जानता हूं कि भौतिक सुख-सुविधायें महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे आपको जीवित रहने में मदद करती हैं, परंतु इससे परे देखा जाये तो मातृभूमि की सेवा करने की संतुष्टि अपने-आप में अद्वितीय है। भारत माता की सेवा से जुड़े रहना एक उद्दात पारिस्थितिकी तंत्र का सृजन करता है और आप इसका हिस्सा हैं।

आप तेजी से बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य की प्रक्रिया में शामिल होंगे, देश में किसी भी कंपनी/शख्सियत के पास इतना बड़ा भू-भाग नहीं है जबकि आप इसके संरक्षक हैं, लेकिन आपका कार्य यहीं समाप्त नहीं होता है क्योंकि दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। आपके नवीन विचार, दूरदर्शिता और योगदान अपनी छाप छोड़ेगी। आपके द्वारा उठाया गया अति सरलीकृत कदम तो यही होगा कि आप संपदा-प्रबंधन पर ध्यान दें, यह देखें कि किसी तरह का कोई अतिक्रमण न हो और कानूनी मामलों का सुचारू रूप से निपटान किया जा रहा हो। दूसरा कदम यह होगा कि आप इस बात का स्वयं आकलन करें कि इस भू-भाग में आप अपनी सकारात्मक भूमिका किस तरह से निभा सकते हैं। प्रौद्योगिकी और बागवानी का उपयोग करके आप इस भू-भाग में चमत्कार कर सकते हैं।


भूमि प्रकृति का सबसे अनमोल उपहार है जो हमें जमीन से जोड़े रखती है। यदि आप में से प्रत्येक व्यक्ति और आपकी सेवा का प्रत्येक सदस्य यह संकल्प कर ले कि इस रक्षा भूमि की प्रत्येक इंच का उपयोग प्रकृति की बेहतरी के लिए किया जाएगा, तो उससे आप एक ऐसी पारिस्थितिकी का निर्माण कर सकेंगे, जिसका प्रत्येक इंच आने वाली पीढ़ियों के द्वारा याद किया जायेगा।


वृक्षारोपण, औषधीय वृक्षारोपण और जड़ी-बूटी रोपण से वहां रहने वाले लोगों में रुचि पैदा होगी। मुझे यकीन है कि आप में से प्रत्येक को इंजीनियरिंग से लेकर चिकित्सा, प्रबंधन से लेकर कला तक की विशेषज्ञता हासिल है, आप हर तरह से क्षमता-संपन्न हैं और मैं आपसे एक अपील करूंगा कि आप नये-नये विचारों का इज़ाद करें, परंतु उन्हें केवल अपने मस्तिष्क तक सीमित न रखें। यदि आप किसी महान विचार को केवल अपनी मस्तिष्क तक ही सीमित रखते हैं, तो यह मानवता के प्रति अन्याय है। उस विचार को लागू करें और इसका क्रियान्वयन करें, ऐसा करके आप न केवल रक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देंगे, वरन आप 'माँ भारती' की भी सेवा करेंगे। अगर हम अपने सांस्कृतिक लोकाचार, अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर गौर फरमाएं तो पाएंगे कि भारत हमेशा से प्रकृति प्रेमी रहा है।


धन का स्त्रोत प्रकृति है, सब कुछ प्रकृति से निर्मित होता है। अनुसंधान प्रकृति से उत्पन्न होता है। इसलिए आप औरों के लिए व्यापक अवसर पैदा कर सकते हैं।

हमें अपने रक्षा बलों पर गर्व है, यहां सर्वोत्तम मानव संसाधन उपलब्ध हैं। यदि हम रक्षाकर्मियों को प्रकृति संबंधी दिलचस्प गतिविधियों में शामिल करते हैं, तो मुझे यकीन है कि आप मेरी अपेक्षाओं से कहीं अधिक काम करेंगे।


आप भाग्यशाली हैं कि आप ऐसे समय में रह रहे हैं जब विश्व स्तर पर भारत की छवि बेहतर होती जा रही है। हमारी गिनती दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में की जाती है। सितंबर 2022 में हम ग्रेट ब्रिटेन से आगे निकल गए और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए। दशक के अंत तक हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। 2047 में, जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मना रहा होगा, तब आपको भारत को शीर्ष पर देखने की संतुष्टि मिलेगी।


दुनिया भर में आपको एक बात मिलेगी कि भारतीय प्रतिभा उत्कृष्ट है, भारतीय प्रतिभा न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक विकास के मामले में अग्रणी भूमिका निभा रही है। इसलिए, मैं बिना किसी संदेह के कह सकता हूं कि 2047 तक भारत नंबर एक होगा।

 
वर्तमान परिदृश्य को देखें, हममें से कुछ लोग इस देश की क्षमता और वर्तमान उपलब्धियों पर गर्व नहीं करते हैं। 2022 में, यदि आप अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी द्वारा धन के डिजिटल अंतरण को देखें और उस संख्या को चार से गुणा करें, तो वह भारत में हुआ डिजिटल अंतरण है। यह आप जैसी प्रतिभाओं के कारण ही संभव हो सका है, जो इसे ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर महानगरों तक आगे ले जा रहे हैं।


हम भारतीय खुद को बहुत जल्दी कुशल बना लेते हैं। यहां औपचारिक रूप से कौशल प्रदान किया जाता है इसलिए विकास ज्यामितीय होता है। हमारे अंदर कुछ तो है, हम स्वयं को कुशल बनाने और स्वयं को शिक्षित करने में विश्वास करते हैं, इसीलिए हमने ऐसी उपलब्धि हासिल की है। आज हमारे पास 700 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और पिछले वर्ष प्रति व्यक्ति डेटा खपत अमरीका और चीन की तुलना में अधिक थी। हम इन उपलब्धियों पर गर्व क्यों न करें? कोविड महामारी के दौरान भारत अप्रैल 2020 से 800 मिलियन लोगों को भोजन उपलब्ध करा रहा था।


हमारा राष्ट्र एक ऐसा राष्ट्र है जो आगे की ओर देखता है, केवल पीछे की ओर देखते रहना, जमीनी हकीकत को देखने का एकतरफा और अदूरदर्शी दृष्टिकोण है। यह कहना कि भारत का उत्थान नहीं हो रहा है, शुतुरमुर्ग की भांति हकीकत से मुँह मोड़ लेने की प्रवृति जैसी है। उपलब्ध आंकड़े और आम आदमी को प्राप्त संतुष्टि हमारे उत्थान के गवाह हैं।

जब आप आगे बढ़ रहे हों तो कभी भी बीते हुए कल का बोझ अपने कंधों पर न रखें। यदि आप ऐसा करते हैं, तो संभावना है कि आपकी प्रगति बाधित होगी। आपको पीछे की ओर देखना होगा क्योंकि तभी आप जान पाते हैं कि कौन हमारे देश के हितैषी नहीं हैं तथा ऐसे कौन लोग हैं जो हमारी संस्थाओं को कलंकित करने, उसकी छवि धूमिल करने और नष्ट करने पर तुले हैं। हम उन पर ध्यान देते हैं। आप पीछे की ओर केवल ऐसे लोगों से बचने के लिए देखते हैं जो दुर्घटना घटाने पर आमादा हों। लेकिन हम मानवता के दृष्टिकोण, आकांक्षाओं, कल्याण और भलाई को साकार करने के लिए आगे की ओर देखते हैं। और इस वक्त भारत में यही हो रहा है ।


आप देश के अंदर और बाहर ऐसे लोगों को पाएंगे जो हममें फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं, हम दूसरों को हममें फूट डालने की अनुमति नहीं दे सकते। कुछ हलकों के लिए भारत के उत्थान को पचा पाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि यह देश सभी देशों में शांति और सद्भाव में विश्वास करता है। भारतीय नीतियां बहुत स्पष्ट हैं, हमारे दूरदर्शी प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है"। उन्होंने यह भी कहा, 'हम विस्तारवादी युग में नहीं जी रहे हैं।


क्या आप कभी कल्पना भी कर सकते हैं कि नई संसद जैसी इतने बड़े आकार और आयाम वाली इमारत ढाई साल में बनकर तैयार हो सकती है? नए भवन में देश की पूरी संस्कृति की झलक दिखती है। यह सिर्फ ढाई साल से कम समय में बनी एक संरचना मात्र नहीं है। जो हुआ है, वह वास्तव में इससे कहीं अधिक बड़ा है।

यह सेवा कई अन्य लोगों के लिए ईर्ष्या का विषय है क्योंकि आप अपने पूरे जीवन में बहुत ही अनुशासित वातावरण में रहेंगे, प्रकृति के करीब रहेंगे और मानव संसाधन से मुखा़तिब होते रहेंगे।


मैं कामना करता हूं कि आप में से प्रत्येक को अपने करियर में बड़ी सफलता मिले और मैं एक अपील करूंगा कि चाहे कोई भी चुनौती हो, आप हमेशा अपने राष्ट्रहित को पहले रखें। यह वैकल्पिक नहीं है, वरन यही एकमात्र रास्ता है।

धन्यवाद, जय हिन्द!