5 सितंबर, 2023 को कोटा, राजस्थान में विभिन्न संस्थानों के छात्रों को माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ द्वारा संबोधन (अंश)।

कोटा, राजस्थान | सितम्बर 5, 2023

सभी को नमस्कार!

मैं आपको बताना चाहता हूँ कि यह मेरे लिए उन लोगों से रूबरू होने का एक सुनहरा जीवनकालीन अवसर है, जो आने वाले समय में भारत की छवि बदल देंगे। दुनिया जनसांख्यिकीय लाभांश के बारे में बात कर रही है, आप उस जनसांख्यिकीय लाभांश का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारा भारत इससे समृद्ध है।

कोटा का तो नाम ही अलग है, इसका नाम आते ही कई चीजें एक साथ दिमाग में आ जाती हैं। ज्ञान का शहर, ऐसा शहर जो युवा और प्रतिभाशाली मस्तिष्क से भरा है, जो ज्ञान की खोज में हैं, जो अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सब कुछ बलिदान कर रहे हैं। आप सभी को मेरी शुभेच्छा।

मैं अब अपने उस समय की बात करूंगा, जब मैं भी आपकी तरह एक छात्र था, मेरे साथ क्या बीता, मैंने क्या देखा, कितनी कठिनाइयां थी और अचानक पूरा जीवन बदल गया.. इसका कारक शिक्षा था। गांव के छोटे से स्कूल में पढ़ता था, अंग्रेजी की पढ़ाई वहां थी नहीं.. मैं अंग्रेजी पर ज्यादा ज़ोर नहीं देता.. जो दम हमारी भारतीय भाषाओं में है, वह अंग्रेजी में नहीं है। जब हम सपने अपनी भाषा में देखते हैं तो हमें कोई दूसरी भाषा बोलने की क्या आवश्यकता है? भारतीय संविधान को पढ़िए, संविधान निर्माताओं ने कहा.. कि एक आयोग बनाया है जो तय करेगा.. कि धीरे-धीरे अंग्रेजी कम हो और धीरे-धीरे हिंदी बढ़ाई जाए। कार्य सफल हो गया, अमृतकाल भी आ गया.. जैसा सोचा था वैसा तो नहीं हुआ पर हम सही रास्ते पर हैं।

आप लोग इतने भयानक कंपटीशन में हो, इतनी टेंशन और स्ट्रेस में हो.. इतना जुनून है परिणाम के लिए.. क्या आपका पूरा मानसिक तंत्र प्रभावित है। हमारे जमाने में क्या होता था.. बच्चे का जन्म हुआ नहीं, सभी रिश्तेदारों ने तय कर लिया आई.ए.एस बनेगा, आई.पी.एस बनेगा, डॉक्टर बनेगा, इंजीनियर बनेगा, नहीं पूछा कि साइंटिस्ट और क्रिकेटर कौन बनेगा? फुटबॉलर कौन बनेगा? जो दुनिया का नजारा बदलेगा।

आज मैं देखता हूं कि बहुत से प्रशिक्षु मुझसे मिलने आते हैं, जब उन्हें उनकी सेवा में शामिल किया जाता है तो उन्हें परिवीक्षाधीन अधिकारी कहा जाता है। मैं पूछता हूं पृष्ठभूमि क्या है? कोई डॉक्टर कोई इंजीनियर.. कोई आईआईटी से है.. कोई आईआईएम से है। पर अब भारत बदल गया है। आप भारत के भाग्यशाली बच्चे हैं क्योंकि आप ऐसे समय में रह रहे हैं जब पारितंत्र आपके सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आपकी प्रतिभा, आपकी ऊर्जा या क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने में आपका सहयोग कर रहा है। ऐसा पहले नहीं था। हाथ कंगन को आरसी क्या, और पढ़े लिखे को फारसी क्या.. यही कहते हैं ना.. एक बार आप मौजूदा स्टार्टअप्स की संख्या पर गौर फरमायें, हमारे स्टार्टअप्स का आंकड़ा हजारों में है। वह किनका नज़ारा है? आप लोगों की उम्र के बच्चे बच्चियों का।

भारत में सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न हैं, दुनिया आज चकित हो गई है, उनकी समझ में नहीं आ रहा जो भारत का नज़ारा है आज! हम में से कुछ लोग परेशान है, मजबूत भारत को वह मजबूर क्यों करना चाहते हैं? जब हमारी मानव-साम्य, मानव-पूँजी, सांस्कृतिक गहराई दुनिया में बेमिसाल है, तो फिर हम पीछे क्यों रहें? भारत के पास आप जैसे युवा दिमागों का सबसे गतिशील, सबसे प्रतिभाशाली संसाधन है। लेकिन आपको और मुझे एक चिंता सताती है, जब पढ़ता था तो डर लगता था, क्या होगा मैं दूसरे स्थान आ गया तो? मैं इस डर के साथ जिया, और हमेशा टॉपर रहा। मुझे जिंदगी में बहुत बाद में पता चला, नंबर - 2 आ जाता तो क्या होता- कुछ नहीं होता! जो नंबर - 1 आता उस को खुशी मिल जाती। इसलिए एक मूलभूत बात का ध्यान रखें, आसमान कभी नहीं गिरा है, और मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि वह कभी नहीं गिरेगा। इसलिए यह कभी न सोचें कि सारे अवसर समाप्त हो गये हैं। यह कभी न सोचें कि यह आखिरी अवसर है। असफलता का डर कभी न रखें। असफलता का डर सबसे बुरी बीमारी है, यह कोविड से भी ज्यादा खतरनाक है.. असफलता का मतलब है कि आपमें प्रयास करने का साहस और दृढ़ विश्वास था! आप उनसे तो मजबूत हैं जो इतना डर गए और कोशिश भी नहीं कर रहे। आप कम से कम कोशिश तो कर रहे हैं।

मानव प्रतिभा के लिए एक विचार रखना, उस विचार के बारे में कुछ नया करना और उसे क्रियान्वित करना आवश्यक है। असफलता के बारे में भूल जाइये। दुनिया में कोई भी चमत्कारी काम प्रथम प्रयास में नहीं होता। यह सदैव भयानक असफलताओं के बाद हुआ है। 2019 में, मैं पश्चिमी बंगाल का राज्यपाल था, मैंने आपकी उम्र के लड़कों और लड़कियों को साइंस सिटी, कोलकाता में बहुत बड़ी संख्या में आमंत्रित किया था, वे चंद्रयान-2 को उतरते हुए देखना चाहते थे। मैं अपनी पत्नी के साथ वहां था, रात करीब 1:00 बजे सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हुई, हर कोई हैरान था, वहां एकदम शांति व्याप्त थी। सबको लगा हमारी बहुत बड़ी हार हो गई। निराशा और हताशा का माहौल था। यह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी थे, जो अगली सुबह इसरो गए, वह निदेशक के पीछे चट्टान की तरह खड़े रहे और निदेशक से कहा, हम अगली बार सफल होंगे। देश के प्रधानमंत्री भविष्यवक्ता बने, उनकी भविष्यवाणी सही साबित हुई और चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरा। अगर चंद्रयान -2 नहीं होता तो.. चंद्रयान -3 सफ़ल नहीं होता। ये चंद्रयान 2 की असफलता नहीं थी, चंद्रयान-2 96% से ज्यादा सफल था.. चंद्रयान-3 100% सफल था। इसलिए कभी असफलता से मत डरो, कभी नाकामयाबी से मत डरो।

नदी की तरह बनिये, नहर मत बनिये। नहर पक्की ईंट की बनी होती है, लेकिन नदी का बहाव क्षेत्र टेढ़ा-मेढ़ा होता है, जो बड़े पैमाने पर समाज की सेवा करती है। यह बड़ी मात्रा में भूमि को प्रभावित करती है और सभ्यताओं के विकास की ओर ले जाती है। अपनी योग्यता और दृष्टिकोण के अनुसार कार्य करें। परिवार, दोस्तों, पड़ोसियों से प्रेरित न हों...कि उसने करिश्मा कर लिया तो मैं भी कर लूंगा। नहीं, नियति आपको वहीं ले जाएगी जहां आपको जाना है, लेकिन आपको सही रास्ते पर रहना होगा।

क्या आपने स्टीव जॉब्स का नाम सुना है? कॉलेज में उनके साथ क्या हुआ? पहले सेमेस्टर के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। अपने यहां यह नहीं जानते कि जो ड्रॉपआउट कर रहा है वह सोच समझकर अपना निर्णय ले रहा है। यदि अगर स्टीव जॉब्स उस समय प्रेशर में होता कि मन है या बे-मन है, परिवार क्या सोचेगा, टीचर क्या सोचेंगे, दोस्त क्या सोचेंगे समाज क्या सोचेगा, तो यह एप्पल अपने से दूर हो जाता। उन्होंने यह पहल इसलिए की क्योंकि वह अपने झुकाव, अपनी योग्यता के अनुसार चले। दूसरों को अपनी कार्यप्रणाली निर्धारित करने की अनुमति न दें। क्या आपने बिल गेट्स का नाम सुना है? वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ड्रॉप-आउट हैं। वह आवश्यक सीमा तक पाठ्यक्रम के तनाव का सामना नहीं कर सके और हमें माइक्रोसॉफ्ट मिल गया। माइक्रोसॉफ्ट एक संयुक्त उद्यम था, उनका साथ दिया था पॉल एलन ने। वह भी वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी से ड्रॉप आउट हैं।

कहने का मतलब यह है कि आपकी प्रतिभा, आपका दृढ़ विश्वास, आपकी दिशात्मक-दृष्टिकोण आपकी डिग्री में नियत नहीं है। मैं किसी भी डिग्री का उपहास नहीं करना चाहता। पर आपका मन क्या कहता है? यदि आपका मन कहता है चेस खेलने को और मैं चली जाऊं क्रिकेट खेलने तो क्या होगा?

डेल कंप्यूटर्स की स्थापना माइकल डेल ने की थी, वह टेक्सास विश्वविद्यालय के ड्रॉपआउट थे। फ़ेसबुक देख लो, व्हाट्सएप को देख लो, उबर को देख लो, क्या कमाल का काम किया है इनके निर्माताओं ने। आज के दिन में आपको कह दूं, आपके पास पूरी दुनिया है। लीक से हटकर सोचें। भारत 1.4 अरब लोगों का घर है, वे आपके उपभोक्ता हैं, आपके ग्राहक हैं। हमारी जनसंख्या हमारी संपत्ति है न कि चुनौती। आपको इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि उनके जीवन को कैसे आसान बनाया जा सकता है।

मैं आपके साथ दो उदाहरण साझा करना चाहूंगा, आप बेहतर जान पाएंगे क्योंकि यह एक जागरूक दर्शक वर्ग है। एक भारतीय की प्रति व्यक्ति डेटा खपत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन की तुलना में अधिक है। यह हमारी उपलब्धि है। जब कौशल की बात आती है, जब सीखने की बात आती है, तो हर भारतीय युवक और युवती एकलव्य के रूप में पैदा हुए हैं। उसको कोई सिखाएं या ना सिखाएं वह अपने आप ही सीख जाते हैं। और यह करिश्मा अब जमीन पर नजर आने लग गया है।

आप में से कितने लोग गांव से हैं ? देखिए पहले बिजली के बिल की लंबी कतार लगती थी, और आधे दिन की छुट्टी लेनी पड़ती थी बिल जमा कराने के लिए, पानी की दिक्कत थी, यही हाल रेलवे टिकट का था, पासपोर्ट अप्लाई करने का तो पता ही नहीं होता था कैसे करें।

आज किसी भी गांव में चले जाइए- कोई ना कोई रेलवे टिकट करा देगा, रोडवेज और रेलवे दोनों की, पासपोर्ट का मामला भी आराम से हो जाएगा। सर्विस डिलीवरी अब प्रौद्योगिकी संचालित हो गई है। अब सब कुछ आपके हाथ में सीमट गया है; यह विकास भारत में हुआ है। यह डेवलपमेंट जो आप कहते हो आपके स्मार्ट फोन से नहीं हुआ है, इसका एक व्यापक ढांचा सरकार ने तैयार किया है ताकि आपका उपकरण काम करता रहे।

जब मैं 1989 में लोक सभा का सदस्य बना, आप में से ज्यादातर लोगों का जन्म भी नहीं हुआ था… भारत सबसे निचले पायदान पर था। हमारी वित्तीय स्थिरता और विश्वसनीयता दांव पर थी। विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 2 अरब डॉलर से भी कम हो गया था। अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए हमारे सोने को एक विमान में रखकर भौतिक रूप में विदेश भेजना पड़ा। आज विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर है। ऐसा मौका भी आता है कि हम 15 दिन में चार पांच बिलियन डॉलर जोड़ देते हैं। यही भारतीय अर्थव्यवस्था की मेरूदंडीय ताकत है।

मुझे याद है 2013 में दुनिया के पांच देशों ब्राजील, तुर्की, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और भारत को फ्रैजाइल फाइव कहा जाता था, कि छू दोगे तो बिखर जाएंगे। इन पांच में भारत भी एक था। आज जब आप अमृत काल में हैं, भारत दुनिया की शीर्ष पांच वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इस अभूतपूर्व वृद्धि को प्राप्त करने में, हमने उन अंग्रेजों को पछाड़ा जिन्होंने सदियों तक हम पर राज किया। युवकों और युवतियों मेरी बात सुनिए, मैं जिम्मेदारी की पूरी भावना से कह रहा हूं, आईएमएफ बहुत सही है जब वह कहता है कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक चमकता सितारा है। भारत अवसर और निवेश के लिए पसंदीदा स्थान है। दशक के अंत तक, भारत तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था होगी। आपको शायद पता न हो, भ्रष्टाचार ने हमारे तंत्र को दीमक की तरह खोखला कर दिया था। सत्ता के गलियारों में सत्ता के दलाल थे, दलालों का राज था। भ्रष्टाचार चरम सीमा पर था। अब सत्ता के गलियारों को सत्ता के दलालों से मुक्त कर दिया गया है। अब आपको भ्रष्टाचार का दंश नहीं झेलना पड़ेगा। एक ऐसी प्रणाली थी जहां निर्णय लेने में अतिरिक्त-कानूनी लाभ उठाना आम बात थी। अब ऐसा नहीं है।

पारदर्शिता एवं जवाबदेही- इस सरकार ने एक अच्छा काम किया है सत्ता के दलालों को जड़ से खत्म कर दिया है, यह इंडस्ट्री खत्म हो चुकी है। आज सत्ता के गलियारों में सत्ता के दलाल नहीं है क्योंकि प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। इससे पारदर्शिता आती है, शासन में कार्य करने में सुगमता आती है और जवाबदेही आती है। मैं किसान परिवार से आता हूं; हर साल 3 बार 11 करोड़ से अधिक किसानों को, उनके बैंक में सीधे पैसा डाला जाता है। मेरी बात 11 करोड़ किसानों के बारे में नहीं है, मेरी बात उन्हें 2.5 लाख करोड़ से ज्यादा मिलने को लेकर नहीं है.. बड़ा बदलाव देखिए कि सरकार डिजिटल तरीके से पैसा भेजने के लिए तैयार है और लोग डिजिटल तरीके से पैसा लेने के लिए तैयार हैं। हमारा तंत्र सशक्त हुआ है, यही विकास है।

2022 में वैश्विक डिजिटल लेनदेन में भारत की हिस्सेदारी 46% थी, जो संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी के कुल डिजिटल लेनदेन का चार गुना है। मुद्रा योजना के बारे में जानें, यह आपको रोजगार देने वाले उद्यमी बनने के लिए धन प्रदान करती है। इस पूरे मामले में, मुझे आप जैसे युवा मस्तिष्कों से, युवा पेशेवरों से कुछ उम्मीदें हैं। आप भविष्य हैं, आप भारत के सैनिक हैं जो भारत को 2047 के शिखर पर ले जायेंगे। कृपया भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान न रखें। आपको कैसा लगता है कि जब किसी आदमी को नोटिस मिलता है, वह सड़क पर आ जाता है? यह कोई तरीका है। राहत पाने के लिए आप न्यायालय जाइए, अपने सोशल मीडिया का उपयोग कीजिये। कोई भी आदमी अगर तंत्र से पीड़ित है उसे नोटिस मिल गया, ईडी, सीबीआई, आयकर। किसी भी संस्था का मिल गया... तो आप सड़क पर आ गए?

हम इसे कैसे सहन कर सकते हैं? हमारे पास एक मजबूत न्यायिक प्रणाली है। मैं देश का उपराष्ट्रपति होने के नाते राज्यसभा का सभापति हूं। आप क्या चाहते हो राज्य सभा में? संवाद, वाद-विवाद, चर्चा और विचार-विमर्श, यह तो हम करते ही नहीं। जिनको आप चुनकर भेजते हो, जो देश के भाग्य विधाता हैं, जो कानून बनाते हैं, यदि वे वाद-विवाद, विचार-विमर्श, संवाद और चर्चा में शामिल नहीं होते हैं, आपको बुरा लगता होगा कि यह हमारा काम ही नहीं कर रहे।

हमारी संविधान सभा ने संविधान बनाने के लिए तीन साल तक बैठक की। एक भी बार व्यवधान नहीं हुआ। एक बार भी वेल में नहीं आए, एक बार भी स्लोगन शाउटिंग नहीं हुई, एक बार भी प्लेकार्ड नहीं दिखाया। हम उनका अनुकरण क्यों नहीं करते? आप में से प्रत्येक एक तंत्रिका केंद्र और एक उपरिकेंद्र है, आप मांग कर सकते हैं। आपके प्रतिनिधि चर्चा और वाद-विवाद में कैसे शामिल नहीं हो सकते?

मैं आप सभी से यही कहूंगा कि दूसरों की बातों को अस्वीकार न करें, आप उसे सुनें, समझें, आपके लिए उसे स्वीकार करना आवश्यक नहीं है। एक मुद्दा आया, एक राष्ट्र एक चुनाव। कहते हम लोग चर्चा ही नहीं करेंगे! चर्चा करना आपका काम है। सहमत या असहमत होना आपका विवेक है।

लोकतंत्र में चर्चा नहीं होगी तो लोकतंत्र कहां है? लोकतांत्रिक मूल्यों, लोकतांत्रिक सार के लिए विचार-विमर्श और चर्चा की आवश्यकता है, वह नहीं करेंगे तो आपका करियर कैसे सुधरेगा? हमें इस तरीके से काम करना होगा कि आप लोगों का भविष्य और उज्ज्वल हो।

अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि हमें अपने देश पर सदैव गर्व करना चाहिए। हमें भारतीय होने पर गर्व है और हमें अपनी अभूतपूर्व वृद्धि पर गर्व होना चाहिए। हमारी वृद्धि दुनिया को आश्चर्यचकित करती है। आज के दिन दुनिया में भारतीय होना आपके लिए सम्मान की बात है, यह आप के लिए अवसर है। अंत में, हमारे पास हमारे मौलिक अधिकार हैं, वे अनमोल अधिकार हैं। हमारे भी मौलिक कर्तव्य हैं, आप कर्तव्यों पर ध्यान दीजिए और ऐसा कीजिए कि इन के बारे में बताना शुरू कीजिए.. जबरदस्त बदलाव आएगा.. बड़े बदलाव हमेशा छोटे काम से आते हैं। जब प्रधानमंत्रीजी ने झाड़ू लेकर कहा स्वच्छ भारत.. तो अपने करिश्मा देख लिया, हर घर टॉयलेट, हर घर नल..उसमें जल!

लोकतंत्र आपकी जेब में या आपके बैंक खाते में पैसा डालने के लिए नहीं है और आप मेरे अनुयायी, मेरे प्रशंसक बन जाएं। मैं आपके साथ बड़ा अन्याय कर रहा हूं। मुझे आपकी जेब को सशक्त नहीं करना चाहिए; बल्कि, मुझे आपके मस्तिष्क को सशक्त बनाना चाहिए, मुझे आपमें खुद की मदद करने की इच्छा पैदा करनी चाहिए। यह जो सिस्टम चल रहा है, यह खतरनाक है, दुनिया के कई देशों ने इसे आजमाकर बड़ी कीमत दी है। यदि कोई पूंजीगत व्यय नहीं है,तो क्या विकास हो सकता है? संभव ही नहीं है। पूंजीगत व्यय संपत्ति और अवसरंचना का निर्माण करता है। वो करने के बजाए यदि कोई सरकार या सरकारी तंत्र लोगों की जेब गर्म करता है, उनको प्रभावित करता है, अल्पकालिक लाभ के लिए, उनको आकर्षित करता है और यह अल्पकालिक लाभ राष्ट्र के लिए दीर्घकालिक क्षति है।

आप सभी को मेरी शुभकामनाएं।