4 सितंबर, 2023 को राजस्थान की यूनिवर्सिटी महारानी कॉलेज, जयपुर में माननीय उपाध्यक्ष श्री जगदीप धनखड़ द्वारा संबोधन (अंश)।

Jaipur | सितम्बर 4, 2023

नमस्कार!

महिला शक्ति को मैंने नजदीक से देखा है। मैं 45 वर्ष से विवाहित व्यक्ति हूं, नजदीकी से परखा है, उनकी ताकत महसूस की है। इसमें पश्चिमी बंगाल का राज्यपाल 3 साल तक रहा, वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी थी।

महिला शक्ति के बारे में इतना कह सकता हूं कि मेरी एक ही ताकत है, मेरी नानी, मेरी दादी, मेरी मां, मेरी धर्मपत्नी। चारों अत्यंत प्रतिभाशाली और कठोर.. बहुत कठोर। पर जब मुझे आवश्यकता पड़ी, वे मेरे पीछे चट्टान की तरह खड़ी रहीं। इस पांच दशक की यात्रा के दौरान बड़े उतार-चढ़ाव आए, बड़े संकट आए, मैं खुशनसीब और भाग्यशाली रहा कि इन चार महिलाओं की मुझ पर कृपा रही। अब उनमें से केवल एक ही जीवित हैI

मेरे लिए आज का दिन बहुत शुभ है, मेरी एक ही बेटी है, वो यहां एमसीडी में पढ़ी थी, फिर मायो गर्ल्स में, फिर वह यू.एस. में जाकर पढ़ी, तब से मेरा झुकाव आपके स्त्रीत्व की तरफ़ है।

कानून की दृष्टि से देखोगे तो एक जमाना था, जब कहा जाता था कि अगर मेल जेंडर आ गया तो उसमें फीमेल जेंडर शामिल हो गया। यह कितना गलत था। साधारण खण्ड अधिनियम उल्लेख करता है कि पुरुष और स्त्री समान हैं। यह विपरीत है, पुरुष (मेल) स्त्री (फीमेल) में है। जब हमारे संविधान का निर्माण हुआ था तब शब्द लिखा जाता था सभापति, देश के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति की हैसियत से, इस पद पर कोई महिला भी हो सकती है। पर संविधान कहता है सभापति।

1990 के दशक में बदलाव आया, और क्रांतिकारी बदलाव आया.. भारत के संविधान में जब पंचायत और म्युनिसिपैलिटी की व्यवस्था की गई.. संवैधानिक रूप से संरचित लोकतंत्र, उसमें चेयरपर्सन शब्द का इस्तेमाल किया गया।

मैंने राज्य सभा में यह बदल कर दिया, अब राज्य सभा में जब हम किसी पुरुष या महिला को पैनल के अंदर लेते हैं, जो मेरी कुर्सी पर बैठकर हाउस का संचालन करते हैं, उनको हम चेयरमैन नहीं कहते, हम कहते हैं : उपसभाध्यक्ष का पैनल।

आपको यह जानकर ख़ुशी होगी कि मैंने पहली बार इस पैनल में 50 प्रतिशत प्लेसमेंट महिला संसद सदस्यों को दिया है। मैं आपको बता सकता हूं कि उनका प्रदर्शन अद्भुत रहा है। पद्मश्री से पुरस्कृत, पी.टी. उषा जब कुर्सी पर बैठकर संचालन करती है, तो मैंने सिर्फ वाह-वाही ही सुनी है। नागालैंड से पहली महिला राज्य सभा में आई पी. कोन्याक्, उड़ीसा से सुलता देव, और महाराष्ट्र से फौजिया खान.. अब जो टेबल (सभा पटल) पर भी बैठते हैं, उस टेबल ऑफिस को मैंने अधिकांश दिनों में 100 प्रतिशत महिला जेंडर द्वारा प्रबंधित कर दिया। राज्य सभा में केवल लड़कियां और महिलाएं ही सभा पटल को संभाल रही हैं।

जब तक आपका योगदान नहीं होगा दुनिया तरक्की नहीं कर सकती। यह विश्व प्रसन्नता, संतोष और विकास का स्थान नहीं बन सकता जब तक कि आप योगदान न करें।

पर जो आप को रोकने में कोई कसर नहीं रखते थे, सिस्टम ऐसा बना रखा था, प्राथमिकता दी जाती थी और आपको द्वितीय श्रेणी में रखा जाता था। इसमें कुछ सालों में यह बड़ा बदलाव आया है। 2019 का लोक सभा चुनाव अपने आप में एक कीर्तिमान बताता है पहली बार लोक सभा में 78 महिलाएं चुनकर आई। जिसका नतीजा हमारे देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी, अद्भुत फाइनेंस मिनिस्टर, यह बदलते हुए भारत की तस्वीर नहीं है, यह वो भारत है, जो इस ताकत के आधार पर दुनिया को बदलेगा। जब यह बात करते हैं: चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 आदित्य-एल1 की, मैं मीडिया से कहना चाहता हूं, इन तीनों प्रयासों में जिन्होंने भारत का नाम ऊंचा किया है, दुनिया भारत की ओर देख रही है, इन तीनों की रीढ़ की हड्डी महिलाएं हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे जो महत्वपूर्ण हैं वह महिला है, दूरदृष्टि और वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली मजबूत महिलाएं। जब आदित्य-एल1 की बात करते हैं, सफलता और विफलता की जिम्मेदारी जिस पर है, वह भी एक महिला हैं। थोड़ा जोर आता है यह कहते हुए कि महिला प्रतिभाशाली है। मुझे एक किस्सा याद आता है, कोई लड़का लाइब्रेरी में गया वहां एक लड़की थी, लड़के ने एक किताब मांगी: मैन इज पावरफुल दैन वुमन। लड़की ने जवाब दिया - गो टु द फिक्शन सेक्शन।

आज के दिन आपको कुछ देखना पड़ेगा, हमारे जमाने में जो कल्पना नहीं की जा सकती थी.. जो सपने नहीं देखे जा सकते थे.. आज जमीनी हकीकत है- भारत का डंका आज पूरे विश्व में बज रहा है, जो आप लोग देख रहे हो।

आज से 10 साल पहले दुनिया में एक शब्द आया फ्रेज़ाइल फाइव (पांच कमजोर देश), जो दुनिया के लिए बोझ हैं। और फ्रेज़ाइल फाइव कौन थे? तुर्की, ब्राजील, इंडिया, साउथ अफ्रीका और इंडोनेशिया। 10 साल में हम कहां से कहां आ गए! आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था है। सितंबर 2022 में, जिन्होंने सदियों तक हम पर राज किया, उनको पछाड़कर भारत दुनिया की पांचवीं सबसे महाशक्ति बना है। कहां हम फ्रेज़ाइल फाइव में थे, कहां हम आर्थिक फाइव में हैं। इस दशक के अंत तक, हम तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था होंगे। दुनिया इतनी बदल जाएगी सोचा नहीं था।

मैं 1989 में लोक सभा के लिए चुना गया, मैं मंत्री भी बना। उस समय के हालात, और आज के हालात देखकर, मैं दंग रह जाता हूं। उस समय भारत को अपनी साख बचाने के लिए, हवाई जहाज से सोना बाहर भेजना पड़ा, ताकि हमारी आर्थिक विश्वसनीयता कायम रहे। हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 1 या 2 बिलियन रह गया था.. आज के हालात हैं विदेशी मुद्रा भंडार, 600 बिलियन से ज्यादा है। 1 महीने में 6 बिलियन तक बढ़ जाता है। यह भारत के लोगों का करिश्मा है। यह भारत के लोगों का योगदान है कि हम इतना कुछ कर पा रहे हैं।

मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं जिसको आप कभी नजर अंदाज मत करना, आपको राष्ट्र के विकास के लिए योगदान करना होगा, आप इसका 50 प्रतिशत हैं। आपके अधिकार मिलने में कोई ज़्यादा देरी नहीं है, जब वह होगा तो भारत विश्व में पहले पायदान पर होगा। वो हालात बनते जा रहे हैं।

दुनिया में बदलाव तकनीकी पैठ से आता है। जब हमारे लोग जो गांव या शहरों में रहते हैं, क्या वह टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर पाते हैं? कितना पैसा सीधा अकाउंट में जाता है? आज, कुल वैश्विक डिजिटल लेनदेन में भारत का हिस्सा 46 प्रतिशत है। हमारा कुल लेनदेन संयुक्त राज्य अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के समग्र लेनदेन से भी ज्यादा है और उसका चार गुना है। सेवा देने और प्राप्त करने वाले दोनों ही सक्षम होने चाहिएं। आज देश के 11 करोड़ किसान साल में तीन बार सीधा बैंक खातों में पैसे को प्राप्त करते हैं। आप सब लोग इंटरनेट को समझते हो, आपको यह जानकर गर्व होगा कि इंटरनेट के उपयोग में, आप बाकी देशों से काफी आगे हैं। 2022 में, भारत की प्रति व्यक्ति डेटा खपत संयुक्त राज्य अमरीका और चीन की समग्र खपत की तुलना में अधिक थी। इसलिए, हम भारतीयों को गर्व करना चाहिए, हमारे लिए भारतीयता सर्वोपरि है, इसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है, इसका कोई विकल्प नहीं है। हमें अपने राष्ट्रीय हित को सबसे ऊपर रखना होगा। हमें अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करना होगा।

आज सोशल मीडिया का जमाना है, इतना मजबूत भारत है.. इसको क्यों कुछ लोग मजबूर दिखाना चाहते हैं? जब भारत इतना मजबूत है तो मजबूरी की बात करने वालों को जवाब देना आप सबका कार्य है। इस पर एक नज़र डालें, आलोचनात्मक बनें और एक दृष्टिकोण अपनाएं। पर निर्णय देश के पक्ष में होना चाहिए। हमारे देश की गरिमा को, हमारी संस्थाओं को कोई कालक लगाए इसे हम बर्दाश्त करेंगे, यह हमारी संस्कृति नहीं है।

हमें आगे चलकर फ्रंट फुट पर खेलना है, ऐसी ताकतों को नकारना है। समाज में कुछ लोग अपना अधिकार समझते है, मेरी मर्जी मेरा पैसा है, चाहे जितना पेट्रोल लूंगा, चाहे जितनी बिजली काम में लूंगा। आप ऐसा नहीं कर सकते। पैसा है, आप अच्छे कपड़े पहने, मकान बनाएं लेकिन आपकी मर्जी वहां नहीं चल सकती जब प्राकृतिक संसाधनों का मामला हो, ऊर्जा का मामला हो, हमें सोचना पड़ेगा..

आपके पैसे से यह निर्धारित नहीं होता कि आप कितना पेट्रोल उपयोग करेंगे, या कितनी बिजली का उपयोग करेंगे। ऊर्जा, जल और पेट्रोलियम का इष्टतम उपयोग करना प्रत्येक भारतीय का कर्त्तव्य है। हमारी वित्तीय क्षमता हमें उनका उपयोग करने का अधिकार नहीं देती, आवश्यकता देती है। आवश्यकता पूरी होगी, उनका सही इस्तेमाल करने से।

आपसे एक विनम्र आग्रह करूंगा कि आप व्यापार, उद्योग में पैसे को ध्यान में रखकर क्या आर्थिक राष्ट्रवाद को तिलांजलि दे सकते है? क्या हम राजकोषीय लाभ के लिए अपने आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता कर सकते हैं? दिवाली के दीये विदेश से आएंगे? कैंडल विदेश से आएगी? फर्नीचर विदेश से आएगा? बच्चों के खिलौने विदेश से आएंगे?

हमें सशक्त भारत चाहिए, जिसके लिए दुनिया हमारी ओर देख रही है। उपराष्ट्रपति की हैसियत से मुझे तीन बार विदेश जाने का मौका मिला और मैंने पाया कि भारत का प्रतिनिधित्व करने का अर्थ है, कि दुनिया आपको दूसरी दृष्टि से देखती है। दुनिया आपको मजबूत मानती है। मैं आप सबको एक संदेश देना चाहता हूं कि हमें महिला संसाधन को सशक्त करना है, हमें सुनिश्चित करना है कि आदमी और औरत अपनी प्रतिभा का सही उपयोग करें।

हमारे पास भारत में एक नया पारिस्थितिकी तंत्र है, जो आपको अपनी ऊर्जा को पूरी तरह से उजागर करने, अपनी प्रतिभा का दोहन करने की अनुमति देता है। यह आप सब कर सकती हैं और आपको करना चाहिए। आज के समय में जितना कुछ हो रहा है, लोगों को आसान लगता है, 140 करोड़ आबादी है हमारी, हर घर में टॉयलेट होना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह विशेष रूप से आपके महिला होने की गरिमा से जुड़ा है।

शिक्षा के क्षेत्र में, नई शिक्षा नीति, एक महत्वपूर्ण मोड़ है, एक बड़ा मील का पत्थर है, जो तीन दशकों के बाद विकसित हुई है, सभी हितधारकों को एकजुट होना पड़ा। इसीलिए हमारे पास नए अवसर हैं।

आपको दो-तीन गुरुमंत्र दूंगा, टेंशन मत रखो, इससे कुछ नहीं होता। कभी भी तनाव में न रहें। लोग कहते हैं आसमान गिर जाएगा, हजारों साल में एक बार तो गिरा नहीं, ऐसा कभी नहीं होगा। अपनी प्रतिभा का उपयोग अपनी इच्छानुसार करें लेकिन परिणाम प्राप्त करने का प्रयास करें।

अच्छा विचार या ख़याल आए तो उसे दिमाग में स्थिर मत कीजिए, उसे इंप्लीमेंट कीजिए, फेल होने से मत डरिए, बिना फेल हुए दुनिया में कोई विकास आज तक नहीं हुआ है। चांद पर भी पहली बार कोई नहीं पहुंचा है, उसके पहले थोड़ा झटका सभी को लगा है।

अंत में, मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं। जय हिंद।