30 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में संकल्प फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित "नवम संकल्प व्याख्यान माला" में माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ का संबोधन (अंश)

नई दिल्ली | सितम्बर 30, 2023

परम सम्माननीय श्री मधु भाई कुलकर्णी जी, न्यायमूर्ति आदर्श गोयल जी संकल्प फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री संतोष तनेजा जी, उपस्थित महानुभव, मेरे प्यारे बालकों एवं बालिकाओं संकल्प फाउंडेशन पूर्व सिविल सेवा अधिकारी द्वारा आयोजित इस आयोजन में आप सभी सुधि जनों के बीच आकर अभिभूत हूं। संकल्प अपने संकल्प पर खरा उतरा है| संकल्प को मैं बधाई देता हूं|

वरिष्ठ समाजसेवी श्री माधव विनायक कुलकर्णी “मधु भाई” को ऋषि सम्मान से सम्मानित करने का संयोग मिला। ऐसा मैंने कभी नहीं सोचा था। “मधु भाई” का जीवन वंदनीय और अनुकरणीय है। पूर्ण रूप से राष्ट्र को समर्पित। वे उदात्तता और मर्मज्ञता की प्रतिमूर्ति हैं।

आदर्श गोयल जी ने कहा प्रचारक के बारे में। प्रचारक का मूल्य अद्वितीय और बेजोड़ है , विश्व में इससे अधिक शक्तिशाली ब्रांडिंग नहीं हुई है, प्रचारक राष्ट्रवाद और वैश्विक कल्याण के सबसे प्रभावशाली राजदूत हैं। इस अवसर और आयोजन की गरिमा से मैं अभिभूत हूं,यह पल मुझे सदैव याद रहेगा |

आज जब देश अपनी आजादी के अमृत काल में है, ऐसी विभूतियां हमारे लिए प्रेरणा का मानदंड हैं।

उनकी उपस्थिति हमें ऊर्जावान बनाती है। हम राष्ट्र सेवा के प्रति प्रेरित, उत्साहित होते हैं।

ऐसी महान विभूतियों का सम्मान सर्वश्रेष्ठ मानदंडों का सम्मान है। समाज जिस अच्छाई पर टिका है उसका सम्मान है|

मधु भाई का जीवन सादगी, त्याग और सदाचार का उदाहरण है इस पुरस्कार के लिए हर मापदंड पर वह योग्य हैं। आपके साथ मैं भी उनके लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं ताकि हमें मार्गदर्शन मिलता रहे|

इस संगोष्ठी को आयोजित करने के लिए मैं संकल्प फाउंडेशन और पूर्व सिविल सेवा अधिकारी संघ का आभारी हूं कि आपने मुझे, “भारत के युवा: आकांक्षाएं और अवसर" महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार उन लोगों से साझा करने का अवसर दिया जो मेरे ज़्यादा कार्यशील हैं और ज्ञानी हैं ।

अगले 25 वर्ष जब देश अपनी आजादी की शताब्दी मनाएगा 2047 में, यह अवधि आज के युवाओं की नई आकांक्षाओं और उन्हें हासिल करने के लिए नए अवसरों से भरी होगी।

मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमृत काल से भारत @2047 की यात्रा हमें शिखर तक पहुंचने में मदद करेगी। जो हमारा दुनिया में वर्चस्व था वह वापस लौटेगा| हमारे युवा भारत @2047 के सैनिक सिपहसलार हैं|

युवा प्रजातांत्रिक शासन और विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक तथा शासन और लोकतांत्रिक मूल्यों में सबसे बड़े हितधारक हैं। आने वाला समय आज के नवयुवकों का होगा। आज का परिदृश्य ऐसा है जो सोचा नहीं था, जिसकी कल्पना नहीं की थी। 1989 में लोक सभा का सदस्य बनने का मौका मिला। देश की सेवा करते हुए देश के हालात देखे। सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश, हवाई जहाज में अपना सोना भेजा, विदेशी बैंकों के अंदर गिरवी रखा ताकि हमारी आर्थिक साख बची रहे। फॉरेन एक्सचेंज रिज़र्व तब 15 से ज़्यादा का नहीं था। परंतु, आज देखिये और आज की सत्ता के हालात समझिए। भारत कहाँ पहुंच गया, सपनों के परे पहुँच गया , दुनिया मानती है भारत की प्रगति। जी20 का सफल और प्रभावशाली आयोजन पूरी दुनिया ने सराहा और देश का कोई प्रांत नहीं बचा, कोई यूनियन टेरिटरी नहीं बची जहां पर जी20 की बैठकें ना हुई हों। 58 स्थान और 200 बैठकें दुनिया ने भारत को देखा, दुनिया ने भारत का लोहा माना, दुनिया ने भारत की संस्कृति को दिखा, गदगद होकर और विभूत हो कर देखा, मेरे सामने उन्होंने अपने विचार साझा किए|

देखिए तो सत्ता में क्या हुआ है, 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चाँद पर चला गया, वह वहां गया जहां दुनिया का कोई भी देश नहीं जा सका, यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गए।

पूछा जाएगा तिरंगा प्वाइंट कहां है - चंद्रयान 2 जहां गया वहां है; शिव शक्ति प्वाइंट कहां है - लोगों को अंदाजा हो रहा है की हमारा इसरो कहां है। कहां हमने शुरुआत करी थी, हमारा सैटेलाइट दूसरे देश से लांच होगा और अब हम दुनिया के विकसित देशों की सेटेलाइट लांच कर रहे हैं |अमेरिका से लेकर सिंगापुर तक की कर रहे हैं, तीन दिन पहले मैंने इसरो के अध्यक्ष से चर्चा की थी मुझे वह दिन याद आता है जब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की हैसियत से मैं और मेरी धर्मपत्नी कोलकाता की साइंस सिटी में गए थे , 2:00 बजे के आसपास चंद्रयान-2 को लैंड करना था, मैंने आमंत्रित किया था पांच सौ बॉयज एंड गर्ल्स को| उस वक्त हमारी सांस रुकी हुई थी| चंद्रयान तो वहां पहुंच गया पर कुछ मीटर के अंदर वह सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया और सन्नाटा छा गया। जब मैंने बॉयज एंड गर्ल्स को कहा हम 96% सफ़ल हुए। तब सब एक्साइट हो गए|

और उससे भी ज्यादा देखिए, भारत के प्रधानमंत्री ने इसरो के अध्यक्ष को क्या कहा, उन्होंने उन्हें बधाई दी कि हम अगली बार सफल होंगे पर इस बार भी हमारी सफलता शानदार रही है। यह हमारी सभ्यता के लोकाचार का प्रतिबिंब है, हम कभी भी पीछे नहीं रहते हैं। हर कदम सफलता की सीढ़ी है।

भारतीय संसद की नई बिल्डिंग का उद्घाटन हो गया और क्या शानदार है कोविड के होने के बावजूद 30 महीने के अंदर मात्र बिल्डिंग नहीं बनी है, अंदर की साज-सज्जा और टेक्नोलॉजिकल इंटीग्रेशन हुआ है। भारत मंडपम दुनिया की 10 कन्वेंशन सेंटर में से एक है| दुनिया का हर बड़ा नेता आश्चर्यचकित हो गया, और एक महीने में भारत मंडपम से ज्यादा यशोभूमि का उद्घाटन हुआ है। कहने का मतलब है भारत प्रगति पर है। भारत की प्रगति अभूतपूर्व है, भारत का उत्थान रूकनेवाला नहीं है। यह दुनिया मान चुकी है।

2030 तक भारत में काम काजी वर्ग की आबादी एक बिलियन के आसपास होगी। इतनी बड़ी पूंजी दुनिया की किसी भी देश के पास उपलब्ध नहीं है। हमारा जनसांख्यिकीय लाभांश, हमारी इच्छा शक्ति भारत को हमारी उम्मीदों के अनुरूप विकसित करेगी और उन्हें अपनी स्थिति का एहसास होगा। दुनिया में नजर डालिये, कौन सा देश कह सकता है कि उसकी 5000 साल की सभ्यता है, संस्कृति है, कोई नहीं कह सकता।

हमारी सांस्कृतिक विचार धारा में ज्ञान का भंडार है चाहे वेद हो या उपनिषद या और कोई विषय ले लीजिए ऐसा ज्ञान मिलेगा जिससे दुनिया अचंभित हो जाएगी। 5000 साल की संस्कृति वाला युवा राष्ट्र दुनिया में डंका बजाएगा। भारत के विकास के मायने हैं, भारत के विकास का मतलब सिर्फ भारत का विकास नहीं है, दुनिया का विकास है। जी-20 को हमने क्या मोटो दिया? एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य - यह हमारे वसुधैव कुटुंबकम का प्रतीक है।

दुनिया जब कोविड की स्थिति से जूझ रही थी, तो 140 करोड़ का देश भी परेशान था। उस समय भी भारत ने 100 से ज्यादा देशों की सहायता की उनको कोविड वैक्सीन देकर। यह हमारी संस्कृति है। हम अभ्यास से और मदद करके एक उदाहरण स्थापित करते हैं। देश में भी अमीर और गरीब सबने एक दूसरे की सहायता की। हमारी विरासत का तो मुकाबला किसी देश में है ही नहीं। संकल्प फाउंडेशन इस बहुत बड़े यज्ञ में अपनी आहुति दे रहा है। यह काम आसान नहीं है। मैं तनेजा जी को कह रहा था शुरुआत में जो सोचा था वो आज ज़मीनी हक़ीक़त है। मैं कहना चाहूंगा ये साधुवाद के पात्र हैं।

विषय को देखें तो जितना कुछ आजकल हो रहा है, इसका सीधा असर आज के नवयुवक पर पड़ रहा है। यह उनकी आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है और उन्हें उनके अवसर उपलब्ध कराता है। मैं आगे कुछ कहूँ, आज सुबह मुझे बड़ी पीड़ा हुई, हमने महिला आरक्षण विधेयक को कानून बनाया। पूरी संसद एक मत थी। हर्ष और उल्लास का वातावरण था। उस दिन राज्य सभा में 17 महिला सांसदों ने पीठासीन अधिकारियों का काम किया। आज मैंने देखा, राज्य सभा के वरिष्ठ सांसद, केंद्र में मंत्री रह चुके हैं, जो विदेश में पड़े हैं, वह क्या कहते हैं?

"ऐसे कानून का क्या फायदा जो कई वर्षों तक लागू ही न हो। 2029 के लोक सभा चुनाव से पहले तो बिल्कुल भी नहीं।" वह कहते हैं, ''कानून एक चिढ़ाने वाला भ्रम है, पानी के कटोरे में चंद्रमा का प्रतिबिंब या वास्तविकता में परिवर्तित नहीं होने वाली उम्मीद (पाई इन द स्काई) है।'' कितनी विकृत सोच है, मेरे पास शब्द नहीं है की मैं पीड़ा व्यक्त करूं। आज पेड़ लगाएंगे तो क्या आज ही फल देगा? आज किसी इंस्टीट्यूट में प्रवेश लेंगे तो क्या आज ही डिग्री मिल जाएगी? मैं आप सब के सामने कहना चाहता हूं कि मानवता के साथ दुष्कर्म है जहाँ एक जानकार दिमाग दूसरे की कमजोरी को अपने फायदे में बदलना चाहता है।

लोगों की अज्ञानता का राजनीतिक लाभ उठाना शर्मनाक है। यह स्वीकार्य नहीं है। आज के युवा को इससे लड़ना होगा, आज का युवा समझदार है, वे कोई भी सूचना आसानी से प्राप्त कर सकते हैं, वे सोशल मीडिया के प्रभावशाली मंच का लाभ उठा सकते हैं। मैं यहां देख रहा था कि इस कार्यक्रम में आऊंगा, कितना सकारात्मक वातावरण होगा, उज्जवल भारत की तस्वीर हमारे सामने होगी। प्रगति का रास्ता हमें दिख रहा है। लोगों की अज्ञानता से राजनीतिक समानता बनाना खतरनाक है। जो लोग भी ऐसा करते हैं, वह लोकतंत्र के मित्र नहीं है। वे लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं रखते।

आज हमारे सामने क्या है? सुखद विषय है की सरकारी पहल और सकारात्मक नीतियों के कारण एक ऐसे इकोसिस्टम का निर्माण हुआ है कि हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं। बच्चों, आज हमारे पास एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र है जो युवाओं को अपनी ऊर्जा और प्रतिभा को पूरी तरह से उजागर करने, अपनी क्षमता का दोहन करने, अपने सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने का अवसर प्रदान करता है। ऐसा पहले कभी नहीं होता था।

भ्रष्टाचार सभी को समान अवसर से वंचित करता है। भ्रष्टाचार सबसे पहले किस पर असर करता है? उस पर करता है जो मेधावी है, उस पर करता है जो राष्ट्रभक्ति में लिप्त है, उस पर करता है जो सही रास्ते चलता है, हाल के वर्षों में सत्ता के गलियारों को, सत्ता के दलालों से मुक्त कर दिया गया है। सत्ता के गलियारों को उन भयावह तत्वों से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है, जो निर्णय लेने में गैर-कानूनी तौर पर अतिरिक्त लाभ उठाते थे। भ्रष्टाचार के लिए आज कोई जगह नहीं है। पारदर्शिता और जवाबदेही शासन के नए मानक हैं। पारदर्शिता और जवाबदेही आज हर ओर दिखती है। कोई कुछ भी कहे आज इस सरकार के ऊपर एक भी लाँछन नहीं है।

आज सरकार कम और शासन अधिक है। इसमें पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही है। यही कारण है कि भारत आज इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्रेस देख रहा है, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। ऐसा वातावरण फायदेमंद हमारे युवा के लिए है। वह अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगा सकते हैं। हमारे समय छोटा सा काम करना पहाड़ जैसा मुश्किल था। पुस्तकालय के लिए ₹6000 का लोन लेना, मुश्किल था। आज की दुनिया कुछ भी नहीं। युवा कहीं भी पहुंच सकता है, सरकारी तंत्र मददगार है, समाज के जो शीर्ष पर स्थापित लोग हैं वह भी भागीदारी में जा रहे हैं।

कुछ चुनौतियां आ रही हैं। कहते हैं ना सोते हुए को जगा सकते हैं, पर जो जागते हुए सो रहा है उसको जगाना मुश्किल है। हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, वे बहुत खतरनाक हैं। हमें सजग रहने की आवश्यकता है और इसका समाधान हमारा युवा दे सकता है। हमारे संवैधानिक संस्थानों को कलंकित करने, धूमिल करने और अपमानित करने के लिए राष्ट्र विरोधी कथाएं फैलाई जाती हैं। देश विरोधी बातें फैलाई जा रही हैं। देखिए कितना दिमाग कितना विकृत होगा, देश के प्रगति के लिए पाचन व्यवस्था कितना कमजोर होगा जो हमारी संवैधानिक संस्थाओं को कलंकित करने, उन्हें नीचा दिखाने की गतिविधियों में लगे हुए हैं।

मैं युवाओं से आग्रह करूंगा कि इस कोशिश को बेअसर करें। आपमें योग्यता है, इंटेल्लेक्ट है और आपके पास इन नापाक प्रवृत्तियों को जड़ से ख़त्म करने की ऊर्जा है। हाथ कंगन को आरसी क्या, जो वातावरण बना है उसका नतीजा जमीन पर है। 10 वर्षों में भारत में स्टार्टअप की संख्या 225 गुना बड़ी है। यह अपने आप में यह संकेत देता है, युवा के लिए कितने अवसर है। कोई देश हमारा मुकाबला नहीं कर पा रहा है। हाल के दिनों में आपने 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न देखे होंगे। इन सब में युवाओं की बहुत बड़ी भागीदारी है।

आज भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है, स्टार्टअप इकोसिस्टम में। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे युवाओं के पास अवसर है और युवा अपनी आकांक्षाओं को साकार कर सकते हैं। आज के दिन दुनिया के किसी भी कोने को देखिए, जो युवक को ऑपच्यरुनिटीज यहां मिलती हैं, उनकी आकांक्षाओं और सपनों को साकार करने के लिए, नवीन विचार लाने के लिए, वह दुनिया में कहीं नहीं है। भारत का युवा आज नौकरी ले नहीं बल्कि दे रहा है। और सही तरीके से दे रहा है। स्टार्टअप के बारे में देखो छोटे शहरों में ज्यादा है, महिलाओं की भागीदारी ज्यादा है, जिसका अर्थ है सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक रूप से, यह पारिस्थितिकी तंत्र बदलाव लाने वाला है और बेहतरी के लिए बदलाव लाने वाला है। सरकार की जो नीतियां है वे कागज़ी नहीं ज़मीनी हक़ीक़त हैं।

स्टार्टअप इंडिया स्टैंड अप इंडिया, मुद्रा योजना के बारे में जानकर मैं आश्चर्यचकित रह गया। कितना धन उसमें गया है, कितना सार्थक उपयोग किया गया है, और कैसे उसने रोजगार दिया है। कभी सोचा नहीं था। माननीय प्रधानमंत्री जी ने मेरा परिचय कृषक पुत्र के रूप में किया था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि साल में तीन बार 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को सीधा पैसा दिया जाएगा।

यह 225000 करोड़ से ज्यादा हो चुका है। इसका असर किसान परिवार के नवयुवक पर पड़ता है। सरकार सक्षम हो सकती है, सरकार दे सकती है, पर किसान लेने को तैयार है, टेक्नोलॉजिकल इक्विप्ड है, टेक्नोलॉजिकल पेनिट्रेशन, सार्थक रूप से गांव तक पहुंच रहा है। गांव का व्यक्ति इसका फायदा लेने लगा है। इसीलिए वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष ने कहा, कि भारत ने डिजिटाइजेशन में जो 6 साल में किया, वह 47 साल में भी संभव नहीं था।

मुझे नहीं लगता कि कोई भी राष्ट्र इस प्रकार के युगांतकारी, ऐतिहासिक विकास का दावा कर सकता है। मैं युवाओं से अनुरोध करता हूं कि वे नवोन्मेषी बनें, लीक से हटकर सोचें, नवोन्वेषी विचार रखें। असफलता का डर विकास का हत्यारा है। विफलता का डर विकास के विरुद्ध है। पहली बार सफलता हासिल करना, चांस की बात है। लगातार प्रयास करते रहने से सफलता को हासिल करना बहुत बड़ा सकारात्मक रवैया है।

युवा साथियों से मेरा विशेष आग्रह है कि आपका मन मस्तिष्क में कोई विचार आए, अपने दिमाग को विचारों के ठहरने का स्थान मत बनाओ, यदि अच्छा विचार आ गया और उसे एग्जीक्यूट नहीं करेंगे, क्योंकि फेल होने का डर है, तो वह आइडिया आपके दिमाग में ही रह जाता है। आपका दिमाग विचारों के निष्पादन की जगह है, ठहरने की जगह नहीं। आप आगे बढ़ेंगे, आपसे प्रेरणा लेकर कोई दूसरा सफल होगा। मैंने उपराष्ट्रपति रहते हुए बहुत से भारतीय और केंद्रीय सेवाओं के प्रशिक्षुओं से भेंट की। उनसे लंबी चर्चा की। मुझे बहुत अच्छा लगा। उनके अंदर एक भावना है देश के प्रति कुछ कर गुजरने की इच्छा है। सिविल सर्विसेज में सब आना चाहते हैं ऐसा कोई नहीं जो इसमें नहीं आना चाहता, यह धरती पर सबसे कठिन प्रतिस्पर्धा है। आपको दूसरी जगह 10 गुना पैसा मिल सकता है। भारत मां की सेवा करने का जो अच्छा अवसर आपको सिविल सर्विस में मिलता है वह कहीं नहीं मिलता।

समाज में परिवर्तन कब आएगा जब हम सांस्कृतिक मूल्यों को नजरअंदाज नहीं करेंगे। हमारे माता-पिता, हमारे वरिष्ठ गुरुजन उनका आदर करना, हमारा दायित्व नहीं है बल्कि उससे काफी बढ़कर है। इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। इसी कड़ी में, मैं आज के युवा को कहूंगा भारतीयता और भारत हमारे लिए सर्वोपरि है। हम भारतीय हैं, यह हमारे लिए बहुत प्रतिष्ठा का विषय है। हमें सदैव भारत का गौरवान्वित नागरिक बने रहना चाहिए।

2022 में हमने क्या कीर्तिमान स्थापित किया, हमारी डिजिटल ट्रांजैक्शंस 46% थे, ग्लोबल ट्रांजैक्शंस के। यदि अगर अमेरिका यूके फ्रांस और जर्मनी, चारों को इकट्ठा कर ले, और चार से गुना कर ले तो भी हमारे ट्रांजैक्शंस उनसे ज्यादा है। इसका मतलब क्या है सरकारी तंत्र तो ठीक है और हमारा आम नागरिक भी बहुत सजक है। जहां स्किल और लर्निंग की बात आती है, हमारा आम नागरिक एकलव्य है। कोई सिखाया ना सिखाएं वह अपने आप सीख जाते हैं।

जब 2022 में मुद्दा आया कि पर कैपिटा डाटा कंजप्शन में भारत कहां है? हमारे पास 70 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट यूजर्स है। अमेरिका और चीन दोनों का, पर कैपिटा डाटा कंजप्शन जोड़ दो, तो भी हमारा ज्यादा है। यह कभी सोचा था किसी ने? आज के समय अमृत काल में जहां वह लोग जो हमको राय देते थे, और दशकों से दे रहे थे, आज हमारी राय का इंतजार करते हैं।

आईएमएफ़ की महिला प्रेसिडेंट क्या कहती हैं, वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत चमकता सितारा है, निवेश के लिए भारत चौथा पसंदीदा स्थान है। यह अपने आप में दर्शाता है कि आपके सामने अवसरों का असीमित भण्डार है, मुझे कोई शक नहीं है कि आप तैयार हों। आप निश्चित रूप से इसमें सफल होंगे।

अगर बहुत ज्यादा तेजी से प्रगति होती है तो जो साइंस के विद्यार्थी है वह जानते हैं न्यूटन का थर्ड नियम - अगर एक्शन सकारात्मक है, प्रभावी है , प्रभावकारी है जनमानुष के जीवन को कल्याणकारी तरीके से बदल रहा है तो कुछ ताकतें कुछ भी कहेंगी, किसी भी हद तक जाएगी। मैं राजनीति में हितधारक नहीं हूं। कौन राजनीति किस तरीके से करता है इससे मेरा कोई सरोकार नहीं है| लोग राजनीति अपनी मर्जी से करते हैं, अपनी विचारधारा से करते हैं पर जिसको जो काम दिया गया है संवैधानिक व्यवस्था के तहत, उस काम से मन नहीं मोड़ सकते, वे कैन नॉट एस्केप आईटी।

मैं आपसे अपनी पीड़ा शेयर करूंगा। उपराष्ट्रपति होने के नाते मैं राज्य सभा का सभापति हूं। आपकी क्या उम्मीद है सांसदो से कि वे बहस, संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श करेंगे। आप कभी नहीं चाहोगे कि व्यवधान हो। हमें दुनिया का सबसे अच्छा संविधान मिला। 3 साल में कई सेशन के अंदर चर्चा हुई एक बार भी डिस्टरबेंस नहीं हुआ, एक बार भी व्यवधान नहीं हुआ, किसी ने नारे नहीं लगाए, किसी ने बॉयकॉट नहीं करा और उनका काम आसान नहीं था उनका काम कठिन था|

उन्होंने अधिकांश विभाजनकारी मुद्दों पर बहस की, चर्चा की, बातचीत की। आज वह ऐसा नहीं कर रहे हैं अगर सबसे ज्यादा डेमोक्रेसी में किसी का हित है तो वह मेरे युवा साथियों का। आप लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण हितधारक हैं। आप अगर ठान लेंगे की चुना हुआ सांसद संविधान के अनुसार अपने कर्तव्य का निर्वहन करेगा तो निश्चित रूप से ऐसा होगा। आपके ठानने की आवश्यकता है| आपके पास तकनीक ने बहुत बड़ा हथियार दे रखा है, सोशल मीडिया!

आपके पास ताकत है गलत को सही करने का और सही को सही मनवाने का। किसी भी देश की सबसे बड़ी पूंजी फैक्ट्री नहीं है इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, हुमन रिसोर्स है। सरकार ने हुमन रिसोर्स को पोषित करने का काम किया है| नई शिक्षा नीति बदलाव का मुख्य कारण है, क्रांतिकारी कदम है , यह नवयुवकों को मौका देता है कि आप डिग्री ओरिएंटेशन से आप एक साथ कई प्रोग्राम करें/कर सकते हैं, ये बड़ा बदलाव है और मेरे मन में कोई शंका नहीं की शिक्षा, समाज में बेहतरी के लिए क्रांति लाने के लिए शिक्षा एकमात्र सबसे प्रभावशाली परिवर्तन तंत्र है।

हमारी संस्कृति की बात करना इसलिए आवश्यक है, कि दुनिया मैं आपकी ताकत, आर्थिक मजबूती, डिफेंस में स्ट्रांग होना, पर कल्चरल ताकत भी बहुत बड़ी है। यह एक महान साफ़्ट पावर है। भारत अब इसको बखूबी आगे बढ़ा रहा है।

जी20 ने तो दिखा दिया कि 58 जगहों पर, 200 मीटिंग हुई जो भी विदेशी आया अपने मन एक ही बात लेके आया की डेस्टिनी ने उस पर कृपा की की उसने भारत को देखा। मैंने इसरो चेयरमैन से पूछा की आपको कैसा लग रहा है, उन्होंने कहा की आज लाखों नवयुवक विज्ञान में दिलचस्पी ले रहे हैं। उनको अब पता लग रहा है की साइंस का मतलब क्या है।

ये आकर्षण अपने आप में एक बहुत बड़े बदलाव का केंद्र है युवाओं के लिए। यह आपको अपनी आकांक्षाओं को साकार करने के अवसर उपलब्ध कराता है। स्वामी विवेकानंद जी ने क्या कहा था, युवा के बारे में कहा था, एक व्यक्ति जिसने शिकागो में पूरी दुनिया को भारत की संस्कृति समझाई, एकदम सटीक छोटा भाषण। वो क्या कहते हैं उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये। आज के नवयुवकों के सामने इसे पालन करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। क्योंकि सरकारी तंत्र और नीतियों से जो सकारात्मक वायुमंडल बन गया है वह आपके लिए लाभकारी है।

आप अपनी आकांक्षाओं को साकार करने में सक्षम होंगे और गांधीजी ने नवयुवकों से एक बात कही “आप वह परिवर्तन बनें जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं” गांधीजी की एक बात याद रखें, “धैर्य खोने का अर्थ लड़ाई हारना है" जब हमने विपरीत परिस्थितियों में जब कुछ नहीं था, च।रों और संकट था, हार नहीं मानी तो आप आज क्यों धैर्य खोएंगे। अंत में, मैं उद्धृत करना चाहता हूं - "गर्व किसी के लक्ष्य तक पहुंचने के प्रयास में है न कि उसे प्राप्त करने में। बच्चों, कई बार कई लोग हमें आगाह करते हैं आसमान टूट जायेगा, इतिहास में कभी भी आस्मान नहीं टूटा है और ना ही आप पर टूटेगा।

धन्यवाद!