3 मई, 2023 को धनमंजुरी विश्वविद्यालय, इंफाल, मणिपुर में एक संवाद कार्यक्रम के दौरान माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ द्वारा संबोधन।

मणिपुर | मई 3, 2023

खुरुमजारी,

शिक्षकगण, विशिष्ट अतिथिगण और सबसे महत्वपूर्ण मेरे प्रिय छात्रों, मैं यहां आपसे जुड़ने के लिए उपस्थित हूं। मणिपुर नाम ही सब कुछ बता देता है। मणि 'रत्न' है और पुर 'भूमि' है।

मैं स्वयं को छात्रों और पूर्वोत्तर से जुड़े मुद्दों तक ही सीमित रखूंगा। पहले पूर्वोत्तर की बात, माननीय मुख्यमंत्री ने सही कहा कि वर्ष 1991 में भारत सरकार ने एक नीति तैयार की थी और वह थी 'लुक ईस्ट' की नीति।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वोत्तर के विकास के अपने विचार के साथ इसे एक नया आयाम दिया- 'लुक ईस्ट, एक्ट ईस्ट'। अब यह 'लुक ईस्ट, एक्ट ईस्ट' की नीति इसी देश तक सीमित नहीं है। यह इस देश की सीमाओं से बाहर भी जाती है, जैसाकि माननीय मुख्यमंत्री ने ठीक ही कहा है।

मुझे इसका अहसास तब हुआ जब मैंने कंबोडिया का दौरा किया, वह आसियान बैठक थी जिसमें इस जुड़ाव के बारे में बात की गई थी।

मणिपुर रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण अवस्थिति में है। भले ही इसकी जनसंख्या कम हो, यह राज्य समृद्ध है और राज्य की समृद्धि इसकी संस्कृति में झलकती है। पूर्वोत्तर बड़ी तेजी से बदल रहा है। पूर्वोत्तर के रेल संपर्क को देखिए, हवाई संपर्क को देखिए 9 एयरपोर्ट से 17 एयरपोर्ट हो गए। इस एयरपोर्ट को ही देख लीजिए, इसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संपर्क की सुविधा है; विकास की एक प्रक्रिया चल रही है।

वर्ष के अंत तक देश का यह हिस्सा पूरी तरह से डिजिटलीकृत हो जाएगा।

मणिपुर को विशेष रूप से औषधीय पौधों का ऐसा उपहार मिला है जो हममें से बहुत से लोगों की स्थिति को बदल सकता है और इस क्षेत्र में औद्योगिक विकास का सृजन कर सकता है।

दुनिया के किसी भी हिस्से में चले जाइए, जो आप पूर्वोत्तर में देखते हैं, वह कहीं और उपलब्ध नहीं होगा। आपके पास विभिन्नता, विविधता, गहरी संस्कृति, आपकी कला, नृत्य विधाएं हैं लेकिन यह कभी न भूलें कि मणिपुर पोलो का घर रहा है। पोलो, जो दुनिया भर के अनेक लोगों को जोड़ता है, की शुरुआत मणिपुर से ही हुई है।

खेलकूद और एथलेटिक्स के क्षेत्र में अपनी युवा शक्ति, मारक-क्षमता के कारण पूर्वोत्तर ने उल्लेखनीय प्रभाव डाला है। यह दुनिया के इस हिस्से में मानव संसाधन की एक बड़ी सफलता है।

यहां के लोगों की गर्मजोशी के कारण मुझे एक जुड़ाव, एक फील गुड फैक्टर का अहसास हुआ है।

पूर्वोत्तर नई जगह बनने जा रहा है। यह पहले से ही पर्यटन के लिए एक गंतव्य के रूप में उभर रहा है। देश में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, संपर्क और रेल अवसंरचना के क्षेत्र में जो कुछ हो रहा है, वह सब जमीन पर दिख रहा है।

इसके फलस्वरूप, हमारी एक वैश्विक छवि बनी है; भारत अभूतपूर्व रूप से आगे बढ़ रहा है, यह उत्थान अविरल है और यह मेरे सम्मुख उपस्थित युवाओं के कारण है।

हम अमृतकाल में, यानी अपनी आजादी के 75वें वर्ष में हैं लेकिन हमारी निगाहें वर्ष 2047 पर टिकी हैं। भारत उस समय अपनी आजादी का शताब्दी महोत्सव मना रहा होगा। आप सब आसपास होंगे; आप अपने दम पर प्रगति कर रहे होंगे। आप वो सिपाही हैं; आप वो योद्धा हैं जो वर्ष 2047 में भारत को विश्व में उच्चतम स्तर पर ले जाएंगे। ऐसा क्यों? क्योंकि अब उन्हें कोई भी उद्यम शुरू करने का कौशल प्राप्त करने के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे सुविधाएं उपलब्ध हैं जो वे चाहते हैं; सभी परेशानियों को दूर कर दिया गया है।

इसलिए, छात्रों से मेरी अपील है कि वे सपना देखें लेकिन उस सपने को बस एक सपना ही न रहने दें। आपका सपना कुछ वास्तविकता में अवश्य परिणत होना चाहिए।

कभी भयभीत न हों। डर सबसे बड़ा शत्रु है, कभी तनाव न लें, कभी दबाव न महसूस करें, कभी भी दूसरों की इच्छाओं के अनुसार कुछ हासिल करने का ज़ुनून न पालें।

हमेशा अपने दृष्टिकोण, अपनी अभिरूचि और आप जो बनना चाहते हैं उसमें विश्वास करें।

अवसर बहुत हैं, इन दिनों कई और अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। हमने जिस तरह का विकास देखा है वह अकल्पनीय है। विश्वस्तर पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ रही है। इसलिए योगदान देने के लिए पूरा विश्व आपके लिए खुला है।

अपने विश्वविद्यालय को गौरवान्वित करें, अपने शिक्षकों को गौरवान्वित करें, अपने राज्य को गौरवान्वित करें, अपने राष्ट्र को गौरवान्वित करें और एक अवधारणा विकसित करें कि राष्ट्र हमेशा पहले, राष्ट्र सबसे ऊपर, हमारा राष्ट्रवाद समझौते से परे है।

हमें गर्वित भारतीय होना सीखना चाहिए और अपनी उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए। जैसाकि माननीय राज्यपाल ने बताया, 34 वर्षों के बाद सभी हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद आप सबके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई ताकि शिक्षा उद्देश्यपूर्ण हो, शिक्षा डिग्री उन्मुख न हो, शिक्षा आपके कौशल-विकास में परिणत हो और वैसा बड़ा परिवर्तन ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विषय रहा है।

मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक बड़ा गेमचेंजर साबित होने जा रही है। इसने उन सब चीजों को बदल दिया है जिनकी एक ऐसी प्रणाली बन रही थी जहां हमारे युवा बालक-बालिकाएं अपनी प्रतिभा का पूरी तरह से उपयोग नहीं कर पा रहे थे। यह एक बड़ा बदलाव है और यह शिक्षा नीति कोई राजनीतिक नीति नहीं है। यह राज्य की कोई नीति नहीं है; यह एक राष्ट्रीय नीति है। इस नीति के विकास का केवल एक ही विषय है और वह है, छात्रों को उनकी उस क्षमता और प्रतिभा का पूरी तरह से दोहन करने का अवसर देना जो उनके पास उपलब्ध है।

मेरी आप सबसे अपील है कि आप अपने आस-पास देखें, आपको एक विचार मिलेगा। जब आपके पास कोई विचार आ जाए तो रोजगार सृजक बनने की कोशिश करें न कि रोजगार की तलाश करने वाला।

यदि आप अपने आस-पास देखें तो तकनीकी विकास के कारण आपको ऐसे कई क्षेत्र मिलेंगे जहाँ आप अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं और लोगों का ज्ञानवर्धन कर सकते हैं और यही एक ऐसा पहलु है जिसे आपको अपने मन में रखना होगा।

हमारे युवाओं को कैसे तैयार किया जा रहा है इस बारे में मेरी एक सोच है। अगर आपके मन में कोई विचार है तो पैसे की कमी कोई समस्या नहीं है।

उदाहरण के लिए मुद्रा ऋण को ही लें। हमारे पास अनेक उद्यमी हैं। मुद्रा योजना में जितने ऋण का वितरण किया गया है, वह आश्चर्यचकित करने वाला है। हमने साधारण लोगों, पुरुषों और महिलाओं को उस ऋण को छोटे-छोटे कार्य के लिए इस्तेमाल करते देखा है और फिर उन्हें न केवल अपने लिए बल्कि औरों के लिए भी रोजगार सृजन करते हुए देखा है। यह एक बेहतरीन अवसर है।

थोड़ा और आगे बढ़ें तो किसानों को मजबूत करने की भारत सरकार की योजना ने गति पकड़ी है और अब तक जो राशि वितरित की गई है, वह कम नहीं है। भारतीय किसानों को 2.25 लाख करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।

जब मैंने मुख्यमंत्री को पहली बार हवाई अड्डे पर देखा तो मैंने उनसे कहा कि आप एक फुटबॉलर हैं जो कॉर्नर किक या पेनल्टी स्ट्राइक लेने में विश्वास नहीं करते बल्कि गोल करने में विश्वास रखते हैं और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है क्योंकि वह एक फुटबॉलर हैं, वह टीम लीडर के महत्व को जानते हैं और वह टीम के लीडर हैं।

अब अवसर है एक गोल करने का, स्वयं द्वारा नहीं बल्कि किसी और के माध्यम से, और वह इसके लिए पास देंगे और इसलिए नतीजे आएंगे। यह मेरा पहला दौरा है और यह शुरुआत है लेकिन अंत नहीं है। मैं इस जगह पर आना जारी रखूंगा। मैं इसे महसूस करने के लिए रात भर विश्राम करूंगा।

मैं लोगों की गर्मजोशी से प्रभावित हुआ हूं। सड़कों के दोनों ओर लड़कों और लड़कियों दोनों को देखना कितना सुखद क्षण था, मैं उनमें से कुछ से मुख़ातिब भी हुआ और मैंने उनकी आँखों में एक चमक देखी। मुझे कोई संदेह नहीं है कि राज्य का हैप्पीनेस इंडेक्स बहुत ऊपर है।

मैं आपकी भलाई की कामना करता हूं। यह मेरे और मेरी पत्नी के लिए सम्मान और सौभाग्य का क्षण है। मैं यहां आना जारी रखूंगा और मणिपुर के युवा छात्रों का संसद भवन में स्वागत करना चाहूंगा। यह मुझे उस गर्मजोशी और आतिथ्य का प्रतिदान करने का अवसर देगा जो मुख्यमंत्री ने और सभी ने दिखाया है।

पूर्वोत्तर के युवाओं को देश के दूसरे हिस्सों का भ्रमण करना चाहिए और वहां अपने समकक्षों को आमंत्रित करना चाहिए मैं इसका पुरजोर समर्थन करता हूं; ऐसी योजना अमल में लाई जानी चाहिए। मुझे यकीन है कि माननीय मुख्यमंत्री इसे आगे बढ़ाएंगे और मेरा इसमें सहयोग रहेगा।

एक बार पुन:, धन्यवाद, आप पर ईश्वर की कृपा रहे। कभी न भूलें: कोई तनाव नहीं और कोई दबाव नहीं लें; कभी न डरें और छलांग लगाएं। इतिहास उन्होंने ही बनाया है जो इतिहास रचने से पहले कई बार गिरे हैं। आप सब ऐसा करेंगे और आपमें ऐसा करने की क्षमता है।

शुभकामनाएं, धन्यवाद!