27 सितम्बर, 2022 को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में वर्ष 2018-19 के लिए राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार प्रदान करने के बाद माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ द्वारा संबोधन।

नई दिल्ली | सितम्बर 27, 2022

"आप सभी को विश्व पर्यटन दिवस की बधाई!

वर्ष 2018-19 के लिए राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कारों के अवसर पर आप सबके के बीच यहां उपस्थित होना सौभाग्य की बात है।

यह इस उद्योग के हितधारकों के प्रयासों को मान्यता प्रदान करने और उनका सम्मान करने का अवसर है। आज से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का प्रतीकात्मक सप्ताह मनाने के लिए पर्यटन मंत्रालय को बधाई।

आजादी का अमृत महोत्सव पहले ही प्रेरक और उत्साहवर्धक परिवेश तैयार कर रहा है। इन प्रयासों ने हमारी संस्कृति से प्रामाणिक रूप से जुड़ने के लिए दुर्लभ और बहुत जरूरी अवसर प्रदान किया है।

राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार समय के साथ, यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य के क्षेत्रों में उपलब्धियों की प्रतिष्ठित मान्यता के रूप में उभरा है। ये पुरस्कार इन क्षेत्रों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं।

यात्रा एवं पर्यटन दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक क्षेत्रों में से एक हैं, जो दुनियाभर में निर्यातों और समृद्धि को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत वास्तव में पर्यटन के लिए स्वर्ग है।

देश की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत, विविधतापूर्ण पारिस्थितिकी, देशभर में फैले प्राकृतिक सुंदरता वाले भू-भागों और स्थानों को देखते हुए भारत के पर्यटन क्षेत्र में आर्थिक विकास और रोजगार के प्रेरक के रूप में अद्भुत संभावना है।

हमारे आस-पास की आकर्षक और नई चीजों का पता लगाने, देखने और अनुभव करने की इच्छा एक सहज मानवीय गुण है। भारत एक ऐसा प्राकृतिक गंतव्य है जिसे प्रकृति ने भरपूर उपहार दिए हैं।

हममें से जो लोग दुनिया के पर्यटन स्थलों को देखने की इच्छा रखते हैं, उन्हें पहले हमारे अपने देश के पर्यटन स्थलों को देखना चाहिए।

हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों से लेकर ओडिशा के रेतीले समुद्र तटों तक, राजस्थान के मरुस्थल से लेकर सुंदरबन के डेल्टा क्षेत्रों तक, असम के चाय बागानों से लेकर केरल के अप्रवाही जल क्षेत्रों तक, सब रोमांचक और शानदार हैं।

भारत संभवतः अकेला ऐसा देश है, जहां एक ही यात्रा में कई जरूरतें पूरी की जा सकती हैं।

हमारे पुरातन सभ्यतागत इतिहास और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के दृष्टिगत अधिकांश पर्यटन स्थलों का पौराणिक अतीत, लोक नृत्य रूपों और प्राचीन ग्रंथों से गहरा नाता है।

रणथम्भौर में बाघ और गिर के जंगलों में शेर देखने के साथ-साथ अब कुछ समय बाद मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीते भी देखे जा सकेंगे।

देश में पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए सरकार समग्र दृष्टिकोण अपना रही है।

पर्यटन अवसंरचना के व्यापक और अभिनव विकास के साथ-साथ रेल, सड़क और हवाई संपर्क बढ़ाने पर सम्यक् ध्यान दिया गया है ताकि देश के हर कोने से पर्यटन स्थलों पर पहुंचना आसान हो।

देश की विविध संस्कृति, विरासत, स्थानों और पर्यटन उत्पादों को प्रदर्शित करने में मंत्रालय की कल्पनाशील पहल 'देखो अपना देश' अत्यधिक सफल रही है।

पर्यटन क्षेत्र में रोजगार का सृजन सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है।

यह प्रशंसनीय है कि पूरे भारत में कार्यक्रमों, त्योहारों और सजीव दर्शन को दिखाने के लिए मंत्रालय द्वारा कुछ डिजिटल पहलों जैसे कि द इनक्रेडिबल इंडिया टूरिस्ट फैसिलिटेटर (आईआईटीएफ)- सर्टिफिकेशन कार्यक्रम और उत्सव पोर्टल का कार्यान्वयन किया जा रहा है।

इंटरनेट कनेक्टिविटी और सोशल मीडिया के इस दौर में, वर्चुअल स्पेस भी पर्यटकों को बेहतरीन अनुभव प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारत में चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में जबर्दस्त संभावनाएं हैं और समग्र स्वास्थ्य की चाह रखने वाले अधिकाधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए हमें आयुर्वेद और योग जैसी अपनी प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों का पूर्ण दोहन करने की आवश्यकता है। इसमें पहले से ही लोग काफी रूचि दर्शा रहे हैं।

पर्यटन उद्योग में सभी हितधारकों के लिए यह उचित होगा कि वे पारिस्थितिकीय रूप से जिम्मेदार और संधारणीय पर्यटन प्रथाओं का पालन करें।/p>

पर्यटकों को भी अपनी ओर से 'स्वच्छ भारत अभियान' को ध्यान में रखना चाहिए और ऐतिहासिक स्मारकों पर लिखने या उन्हें विकृत करने से बचना चाहिए।

मैं पुरस्कार विजेताओं और ऐसे प्रतिष्ठित कार्यक्रम की मेजबानी करने के लिए पर्यटन मंत्रालय को बधाई देता हूं।"