आप सभी को सादर नमस्कार!
मैं जागरूक तो था, लेकिन उतना नहीं, मैं जानकार तो था लेकिन उतना नहीं, परंतु यहां आकर मुझे लगा कि मैं बहुत लाभान्वित हुआ हूं। जब मैं यहां उतरा और आशीर्वाद प्राप्त किया तब से ये पल मेरी यादों और दिल में हमेशा के लिए बस गए हैं। गुरुदेव श्री राकेश जी के हाथ जब मेरे सर पर आए, तो मैंने स्वयं को ऊर्जावान, प्रोत्साहित और प्रेरित महसूस किया। मैं इस जगह से अच्छा गृह-कार्य लेकर जा रहा हूं और मैं आभारी हूं कि मेरे गृह जिले झुंझुनू में एक शिविर आयोजित किया जाएगा, गुरुदेव जी राकेश जी, मैं उनके बारे में जानता था लेकिन अब मुझे थोड़ा-थोड़ा पता लगा है। वे उदात्तता से परिपूर्ण हैं, जीवन में प्रकाश फैलाते हैं और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे लोगों के जीवन को बेहतरी के लिए बदल रहे हैं।
मित्रो, भारत संस्कृति का केंद्र है, यह संस्कृति का तंत्रिका केंद्र है। हमारे पास 5000 वर्षों से भी अधिक पुराना सभ्यतागत लोकाचार है। जी20 के दौरान, एक पृथ्वी, एक ग्रह, एक परिवार-वसुधैव कुटुंबकम का आदर्श वाक्य दिया गया, लेकिन ऐसे महापुरुष के कारण ही हम इसे कायम रख रहे हैं। जो कुछ आज मैंने किया, वह मेरे लिए सम्मान की बात है। मेरा स्तर उतना उंचा नहीं है, मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे उस व्यक्ति के सम्मान में कुछ करने का अवसर मिला जिनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ है। ये स्मारक, भित्ति चित्र और निशान अपने आप में लोगों के लिए ज्ञान के स्रोत होंगे। आज के दिन की खासियत अधिक है कि श्रीमद् राजचंद्र जी की जयंती है, कार्तिक पूर्णिमा है और अभी बताया गया कि प्रकाश पर्व भी है। इन तीनों का सम्मिलन हमारी सांस्कृतिक गहराई को दर्शाता है, पर मैं आपको एक बात कहना चाहता हूं पिछली शताब्दी के महापुरुष महात्मा गांधी थे, इस शताब्दी के युग पुरुष नरेंद्र मोदी हैं, महात्मा गांधी जी ने सत्याग्रह और अहिंसा से हमें अंग्रेजों की गुलामी से छुटकारा दिलाया, भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश को उस रास्ते पर ला दिया जिसको हम सदा देखना चाहते थे इन दोनों महानुभावों में फादर ऑफ द नेशन महात्मा गांधी और हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी में, श्रीमद राजचंद्रजी के संबंध में, एक बात सामान्य है कि उन्होंने उनका अत्यंत सम्मान के साथ चिंतन-मनन किया है।
आपको इतिहास में कभी कोई ऐसी समानता नहीं मिलेगी कि विश्व स्तरीय मान्यता प्राप्त दो महापुरुषों ने राजचंद्रजी के मूल्य, महत्वपूर्ण भूमिका और प्रेरक शक्ति को समझा हो। जिस छोटे वीडियो में हमारे प्रधानमंत्री इस बारे में विचार कर रहे थे, मैं उनके शब्दों पर ध्यान नहीं दे रहा था। मैं उनकी भाव भंगिमा देख रहा था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिनके बारे में आइंस्टीन ने कहा था कि आने वाली पीढ़ियों को इस पर विश्वास करना बहुत मुश्किल होगा कि ऐसा आदमी इस प्लेनेट पर था। महात्मा गांधी जी ने राजचंद्र जी के बारे में जो कहा कि उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया, मुझे अध्यात्म में एक दिशात्मक दृष्टिकोण दिया जो अब मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
आज के दिन भारत की दुनिया में जो पहचान है और जो किसी और देश की पहचान नहीं है वह हमारी सांस्कृतिक विरासत है। हर कालखंड में कुछ लोगों ने इस धरती को पवित्र किया है उनमें से एक है श्रीमद् राजचंद्र जी दोनों महानुभाव महात्मा गांधी जी ने और नरेंद्र मोदी जी ने उनके बारे में अपना अनुमोदन दिया है और नरेंद्र मोदी जी ने एक बहुत महारथ का काम किया है अमृत काल में उन सब लोगों को ढूंढा है, निकला है जिन्होंने आजादी के यज्ञ में अपनी आहुति दी थी जिनको लोग भूल गए थे। मित्रों, हमारी मुख्य ताकत हमेशा हमारी आध्यात्मिकता रहेगी।
जिन लोगों को हमारी यंग जनरेशन पूजती है, मैं स्टीव जॉब्स या ऐसे सभी अन्य लोगों की बात कर रहा हूँ। वे यहां शांति की तलाश में आए थे, यहां आने के बाद उन्होंने वैश्विक ऊंचाइयों को प्राप्त किया। मुझे यह देखकर बहुत सुकून मिलता है कि यहां पर हर व्यक्ति को आज कितना आनंद मिल रहा है। यह कोई सामान्य सराहना नहीं है। यह दिल और दिमाग से निकलने वाली एक प्रतिवर्ती क्रिया है। आज के दिन दुनिया कहां जा रही है पूरी दुनिया चिंतित है हम तीन काम कर रहे हैं जो राजचन्द्र जी कहते हैं मत करो । यह ग्रह सिर्फ मनुष्य मात्र के लिए नहीं है यह प्लेनेट हर जीवित प्राणी के लिए है। आपका पशु चिकित्सालय मानवता के लिए एक ऐतिहासिक योगदान है। आज के दिन हर व्यक्ति परेशान है और कुछ इसलिए परेशान है कि मैं दूसरे को ज्यादा परेशान क्यों नहीं कर पा रहा।
इसका उत्तर कोई भी चिकित्सा विज्ञान नहीं ढूंढ सकता। इसका उत्तर ऐसे लोगों की मनीषी सलाह से मिलता है। अंदाजा लगाइए 30 साल से कुछ ज्यादा उम्र नहीं भगवान ने उनको बुला लिया पर कितनी अमिट छाप छोड़ गए। आज के दिन भारत प्रतिभाशाली देश है, 140 करोड़ की जनता है पर मुझे अब यहां आने के बाद यह लग रहा है कि राजचंद्र जी अगर यहां पर साक्षात रूप से होते तो मुझे कहते बालक 21 सितंबर को राज्य सभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण लोक सभा और विधान सभा में देकर बहुत अच्छा कार्य किया है। आज के दिन अगर महात्मा गांधी जिंदा होते तो कहते कि नरेंद्र मोदी जी मैंने तो प्रयास करा पर आपने उसको सिरे पर चढ़ा दिया, स्वच्छता का। मेरे कहने का मतलब यह है कि आज आम आदमी परेशान है, दबाव में है, तनाव में है, भौतिकवाद की अंधाधुंध खोज में है, भौतिकवाद अपने आप में बुरा नहीं है, यदि व्यक्ति भौतिकवाद में नहीं पड़ेगा, तो हमारे पास बुनियादी ढांचे का विकास नहीं होगा। लेकिन दोनों का संतुलित मिश्रण होना चाहिए।
देश का बदलाव शिक्षा, समानता और अच्छे व्यवहार से आता है। आज के दिन में मैं देखता हूं कि हमारे देश में यदि लोग ठान लें कि सड़क पर हमारा आचरण कानून के अनुरूप होगा, तो दुनिया देखेगी भारत बदल गया। मैं आपके शहर को सलाम करता हूं, आपका शहर सड़क पर अनुशासन के लिए जाना जाता है। कोई दूसरा आपका आकलन करता है तो आप तर्क दे सकते हो। पर जब खुद आकलन करना पड़ता है तब आपको बहुत कठोर होना होगा, आपका निर्णय बिल्कुल सही होना चाहिए।
मैं गुरुदेव श्री राकेश जी से भी कहूंगा कि हमारे संसद सदस्य यदि आपका प्रवचन सुनेंगे तो मेरे मुकाबले उन पर ज्यादा असर होगा। आज के दिन हम क्या देखते हैं? लोकतंत्र के मंदिर जिसे वाद-विवाद, संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श से फलने-फूलने चाहिए। वहां हम क्या देख रहे हैं हम देख रहे हैं हंगामा और व्यवधान।
जब भारत के संविधान का निर्माण हुआ, निर्माण तीन साल तक चला, तीन वर्षों तक संविधान सभा में संविधान निर्माण पर वाद-विवाद हुआ। कई विभाजनकारी मुद्दे थे, विवादास्पद मुद्दे थे, ऐसे भी मुद्दे थे जिन पर एक मत होना मुश्किल था लेकिन कोई व्यवधान नहीं हुआ, कोई हंगामा नहीं हुआ। कोई भी आसन के समक्ष नहीं आया, किसी ने तख्तियां प्रदर्शित नहीं की। देश में आज एक वातावरण बनाने की दरकार है कि जब देश दुनिया में इतनी गति से आगे बढ़ रहा है, हमने ग्लोबल इकोनामी साइज के अंदर पांचवा स्थान प्राप्त किया और यूके और फ्रांस को पछाड़ा और 2030 तक जापान और जर्मनी भी पीछे रह जाएंगे। जब देश का व्यक्ति बहुत आगे जाता है तो थर्ड प्रिंसिपल है न्यूटन का, वह काम करने लगता है, लोग खिलाफत में उतर जाते हैं। जल, ज़मीन, हवा और अंतरिक्ष सभी क्षेत्र में भारत गति से ऊपर जा रहा है।
23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का नाम दिया गया क्योंकि चंद्रयान-3 चांद के उस कोने पर पहुंचा जहां दुनिया का कोई देश नहीं पहुंच पाया, चन्द्रयान पर हमने तिरंगा प्वाइंट और शिव शक्ति प्वाइंट किया। लेकिन मैं अपनी चिंता आपके साथ साझा करना चाहता हूं। इस राष्ट्र के विकास का विरोध करने वाली ताकतें, जो ताकतें इस देश के उत्थान को पचा नहीं पाती हैं, वे एक साथ आ रही हैं। यहाँ तक कि हममें से कुछ, उनका हाजमा भी खराब है। जब भी देश में कुछ अच्छा काम होता है, वे एक अलग रूप में आ जाते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए। ऐसी स्थिति में आप जैसे महानुभाव चुप नहीं रह सकते। खतरा बहुत बड़ा है, खतरा छोटा नहीं है क्योंकि जो भी देश आसपास देख रहे हैं, किसी का इतिहास 300 साल पुराना है, किसी का 500 साल किसी का हज़ार, हमारा 5000 साल से ज़्यादा पुराना है। हमारे लोगों की प्रतिभा इतनी जबरदस्त है कि आज के दिन दुनिया की 20 बड़ी कॉर्पोरेट है, उसमें भारत का व्यक्ति है। भारत मूल का होगा या तो उसके पेरेंट्स भारतीय होंगे।
इसलिए, एक ओर जहां मैं यहां से अच्छा गृह-कार्य ले रहा हूं, वहीं मैं इस बात के लिए गहरी कृतज्ञता की भावना व्यक्त कर रहा हूं कि झुंझुनू में एक शिविर आयोजित किया जाएगा। मैं आपसे चाहता हूं कि आप अपने राष्ट्र को सदैव सर्वोपरि रखने की संस्कृति विकसित करें। हमें भारतीयता में विश्वास करना चाहिए, हमें गर्वित भारतीय होना चाहिए और ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए। हमने जिस चीज़ का सपना नहीं देखा, कल्पना नहीं की और वह दिन देखा 1990 में मंत्री की हैसियत से की भारत का सोना हवाई जहाज़ से विदेश भेजना पड़ा ताकि हमारी फाइनेंशियल क्रेडिबिलिटी रहे। हमारा फॉरेन एक्सचेंज एक और दो बिलियन के बीच में झूल रहा था, अब यह छह सौ बिलियन से अधिक है।
मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि आप एक ऐसी संस्था से जुड़े हुए हो, आप एक संगठन के सिपहसालार हो, यू आर द फुट सोल्जर, उस व्यक्ति के कदम पर चलने के लिए जिस व्यक्ति को पूरी तरह से प्रशंसा में मढ़ दिया महात्मा गांधी जी ने और श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने। दोनों भारत के लिए हैं, ईश्वर की संतान हैं, वे भारत के भाग्य को आकार देते हैं, पिछली सदी में गांधीजी, इस सदी में मोदी जी और दोनों में एक समान्य सूत्र है, उन्हें प्रेरणा एवं प्रोत्साहन राजचंद्र जी से मिली। मैं आश्चर्यचकित था, मैंने पहले कभी नहीं सोचा था, मैंने देखा कि अपनी गतिविधि के स्तर को देखो, अपनी गतिविधि के इस पैमाने को देखो और एक बात सामान्य सूत्र है। आप लोगों की तकलीफें कम करने में लगे हुए हैं, उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखने में लगे हुए हैं। यह उस शक्तिशाली परमशक्ति की सबसे बड़ी सेवा है जो हम सभी को नियंत्रित करती है।
मित्रो, यह दिन मेरी यादों में हमेशा बसा रहेगा। मैं इस दिन को कभी नहीं भूलूंगा। एक बार फिर मैं अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। जो आकलन किया था, यहां का वातावरण उससे कई गुना ज़यादा है। मै आनंदित हूँ।
धन्यवाद!
27 नवंबर, 2023 को मुंबई, महाराष्ट्र में श्रीमद राजचंद्रजी की जयंती पर 'आत्मकल्याण दिवस' समारोह में माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ का संबोधन।
मुंबई, महाराष्ट्र | नवम्बर 27, 2023