आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय और बम्बई उच्च न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय न्यायमूर्ति कोंडा माधव रेड्डी की 100 वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक विशेष भारतीय डाक कवर जारी करने के लिए आमंत्रित किए जाने को मैं गर्व, सौभाग्य और प्रसन्नता की बात मानता हूं।
मैं समयोचित पहल करने और हमेशा की तरह डिजाइन में त्रुटिरहित सौंदर्य सुनिश्चित करने के लिए डाक विभाग, संचार मंत्रालय को बधाई देता हूं । यह प्रशंसनीय है कि डाक विभाग भारत की प्रेरणादायक और प्रेरक किंवदंतियों का एक प्रमुख रिकार्ड कीपर रहा है और वर्तमान पहल इसका एक उदाहरण है।
आज की यह पहल प्रसिद्ध न्यायमूर्ति स्वर्गीय कोंडा माधव रेड्डी के प्रति यथोचित सम्मान और श्रद्धांजलि स्वरूप है।
मुझे प्रसिद्ध न्यायमूर्ति स्वर्गीय कोंडा माधव रेड्डी से कभी मिलने या यहां तक कि उन्हें देखने का सौभाग्य नहीं मिला, लेकिन, मेरा यह दावा है कि मैं उनके बारे में बहुत कुछ जानता हूं।
न्यायमूर्ति रेड्डी का जन्म 15 अगस्त, 1872 को हुआ था, वे एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने भारत की न्याय और शिक्षा प्रणाली में चिरस्थायी योगदान दिया है।
न्यायमूर्ति रेड्डी के साथी उन्हें एक मृदुभाषी, विचारशील, चिंतनशील, तर्कसंगत और निष्पक्ष तथा न्याय की सहज समझ तथा तथ्यों और कानून के बारे में गहन जानकारी रखने वाले व्यक्ति के रूप में याद करते हैं। वे हमेशा अपने से अलग दृष्टिकोण को स्वीकार करने के लिए तैयार रहते थे और यह एक ऐसी बात है जिसे हम सभी को आत्मसात करनी चाहिए।
स्वर्गीय न्यायमूर्ति कोंडा माधव रेड्डी के जीवन का मुख्य संदेश समावेशी समाज बनाना था।
हमें मानव मूल्यों के अनुसार जीवन-यापन करना चाहिए और मानव मूल्यों का सृजन करना चाहिए। उन्होंने अपने विश्वास के अनुसार जीवन जीया और उन्होंने अनेक शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों की स्थापना की।
उन्होंने अपने पूर्ववर्तियों से प्रेरणा लेकर युवा वकीलों को अपनी पूरी क्षमता से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने भारतीय इतिहास और संवाद को आकार देने वाले कई महत्वपूर्ण निर्णयों में योगदान दिया था।
मैं व्यक्तिगत तौर पर न्यायमूर्ति रेड्डी के साथ जुड़ाव महसूस करता हूं और ऐसा केवल इसलिए नहीं कि वे न्यायपालिका के साथ जुडे़ थे बल्कि इसलिए भी कि वे एक ऐसे व्यक्ति थे जो अपनी जड़ों को नहीं भूले।
माटी के सपूत, न्यायमूर्ति रेड्डी अंत तक अपने पैतृक गांव, धर्मसागर में एक कृषक बनकर रहे।
एक किसान पुत्र के रूप में, मैं न्यायमूर्ति रेड्डी के निर्णयों के माध्यम से ग्रामीण संघर्षों का उन्मूलन करने के उनके प्रयासों से प्रेरित हुआ। उन्होंने बेजुबान माने जाने वाले लोगों को आवाज़ दी, उन्होंने भारत के अन्नदाताओं अर्थात् हमारे भारत के किसानों की सहायता की।
जैसे-जैसे भारत अपनी स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष अर्थात् वर्ष 2047 (भारत@2047), की ओर बढ़ रहा है, हमें सेवा, न्याय और करुणा के आदर्शों को याद रखना होगा, जिनकी न्यायमूर्ति रेड्डी ने पैरवी की थी और उनपर बल भी दिया था, क्योंकि इन्हीं से एक समावेशी समाज और जीवंत लोकतंत्र की आधारशिला तैयार करनी होगी। वास्तव में, ये हमारी सभ्यता के नैतिक मूल्यों का सार है। हमें सदैव उन पर विश्वास बनाए रखना चाहिए, उनका पालन करना चाहिए।
हम अमृत काल में रह रहे हैं। विश्व विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रगति का साक्षी है, जिससे प्राप्त परिणाम हमारे भारत, जहां मानव जाति का छठा हिस्सा वास करता है, के लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं।
यह हमारा गौरव काल है - क्योंकि हम एक विकसित भारत की मजबूत नींव रख रहे हैं ताकि हम कई शताब्दियों तक अग्रणी राष्ट्र बने रहने के गौरव को पुन: प्राप्त कर सकें।
यह जानकर खुशी हुई कि तीनों अंग - न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका सराहनीय प्रदर्शन कर रहे हैं और भारत के अभूतपूर्व उत्थान को प्रेरित कर रहे हैं।
न्यायपालिका:
हाल के महीनों में भारत के कानूनी परिदृश्य में व्यापक सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारत की प्रगति और मानव जाति के छठे हिस्से के कल्याण पर अत्यंत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
पिछले दशक के दौरान, न्यायिक प्रणाली में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, ई-कोर्ट परियोजना और राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के माध्यम से डिजिटलीकरण पर जोर दिया गया है। इनसे न केवल पारदर्शिता और सुलभता बढ़ी है, बल्कि मामलों के लंबित रहने में भी कमी आई है।
प्रमुख कानूनी सुधारों में वाणिज्यिक न्यायालयों की स्थापना और मध्यस्थता कानूनों में संशोधन शामिल हैं, जिनका लक्ष्य विवाद का त्वरित समाधान किया जाना है।
समाज के वंचित वर्गों के लिए विधिक सहायता तंत्र को सुदृढ़ करने, सभी के लिए न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) जैसी पहलें की गई हैं।
दूसरी उल्लेखनीय बात यह है कि भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में उच्चतम न्यायालय ने लोगों को उनकी अपनी भाषा में न्याय दिलाने के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
उच्चतम न्यायालय में कागज का उपयोग बंद हो गया है, और यहां तक कि न्यायालय (अधिवक्ताओं सहित) भी कागज़ का उपयोग किए बिना अपना काम कर रहे हैं। 99 प्रतिशत जिला न्यायालय संबंधित उच्च न्यायालयों से जुड़े हुए हैं, और उच्च न्यायालय कागज-रहित पारितंत्र की ओर बढ़ रहे हैं।
विधानमंडल की उपलब्धियां: कुछ दिन पहले ही तीन नए दंड संहिता विधेयकों पर भारत की माननीय राष्ट्रपति ने सहमति प्रदान की है।
नए कानून - भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम - ने दंड के बजाय न्याय दिलाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारतीय दंड प्रक्रिया की प्रणाली को औपनिवेशिक विरासत से मुक्त कर दिया है। यह एक महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी परिवर्तन है कि भारतीय दंड संहिता अब न्याय संहिता बन गई है।
संसद द्वारा नारी शक्ति वंदन अधिनियम का पारित किया जाना हमारे कानूनी परिदृश्य में एक और मील का पत्थर था। यह कानून लंबे समय से अपेक्षित एक ऐसा कदम है जो महिलाओं को हमारे लोकतंत्र में उनका उचित स्थान प्रदान करेगा और हमारे समाज के आधे हिस्से की आवाज को बुलंद करेगा।
कार्यपालिका:
सरकार द्वारा जन भागीदारी के माध्यम से सबसे बड़े परिवर्तनकारी कदम उठाए गए हैं, जो हमारे लोकतंत्र की शक्ति को उजागर करते हैं।
राष्ट्रव्यापी “स्वच्छ भारत” अभियान शुरू करने से लेकर नवोन्मेषी डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से लगभग एक बिलियन लोगों को ऑनलाइन लाना, जिसकी विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने सराहना की है। वर्ष 2022 में हमारा डिजिटल लेनदेन रूप से अमरीका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और जर्मनी के कुल डिजिटल लेनदेन की तुलना में चार गुना अधिक था। हमारे यूपीआई को सिंगापुर जैसे देश भी अपना रहे हैं।
मित्रों, हम सार्वजनिक अवसंरचना के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति देख रहे हैं। आज हम भारत का जो रूप देख रहे हैं, वह एक दशक पहले के भारत की तुलना में बिल्कुल भिन्न है। मात्र एक दशक पहले हम फ्रैजाइल फाइव (पांच कमजोर अर्थव्यवस्था) में आते थे, अब हम विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं। हम पहले ही कनाडा और युनाइटेड किंगडम से आगे निकल चुके हैं और जल्द ही जापान और जर्मनी से भी आगे निकल जाएंगे।
अगस्त, 2023 में भारत ने चांद के दक्षिणी ध्रुव के निकट अपना मानवरहित यान चंद्रयान-3 उतारा, भारत यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला विश्व का पहला और एकमात्र देश बन गया!
जी20: इसके कुछ ही दिनों बाद, हमने नई दिल्ली में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं की मेजबानी की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ के प्रवेश की वकालत की और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ग्लोबल साउथ की आवाज़ को इस प्रकार बुलंद किया जैसा पहले कभी नहीं किया गया था। ये दोनों ऐतिहासिक घटनाक्रम विश्व में भारत के उत्थान का संकेत देते हैं। यूरोपीय संघ पहले से ही जी20 का हिस्सा था। भारत ग्लोबल साउथ की एक अत्यंत सशक्त आवाज बन गया।
जी20 के अध्यक्ष के रूप में, भारत ने विश्व को यथास्थिति का एक विकल्प प्रदान करने का प्रयास किया है, और यह है सकल घरेलू उत्पाद-केंद्रित प्रगति से मानव-केंद्रित प्रगति की ओर बदलाव । हमें मनुष्य को संतुष्ट एवं खुश रखने वाले मानदंडों का विश्लेषण करना होगा ताकि लोग अपनी-अपनी क्षमता का उपयोग कर सके और विश्व ने इसे स्वीकार किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व को उन बातों का स्मरण कराया जो हमें जोड़ के रखती हैं न कि जो हमें बांटती हैं । समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्योन्मुख और निर्णायक -जी20 अध्यक्ष के रूप में ये चार शब्द हमारे दृष्टिकोण को परिभाषित करते हैं। इन कार्यों के परिणामस्वरूप विश्व बैंक के अनुसार आज हम सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और निवेश और अवसर के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य के रूप में पहचाने जाते हैं।
प्रौद्योगिकी:
प्रगतिगामी नवाचारी प्रौद्योगिकियों के आगमन से नई चुनौतियों के साथ-साथ नए अवसर भी सामने आ रहे हैं। एक समय था जब हम प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहते थे, फिर हम प्रतीक्षा करते थे कि वे हमें प्रौद्योगिकी देंगे, तब वे हमें सीमित अर्थों में प्रौद्योगिकी प्रदान करते थे, इसलिए हम बहुत पीछे रह गए थे।
भारत पहले से ही स्वयं को विश्व के उन कुछ देशों में से एक के रूप में स्थापित कर चुका है जो इस प्रकार की प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान करने और उनका उपयोग करने के संबंध में अपनी राह खुद तैयार कर रहा है।
हमने पहले से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 6जी और ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों हेतु अपने प्रयासों को दिशा दी है, ताकि भारत@ 2047 केवल एक विज़न न रहकर ऐसी वास्तविकता बन जाए जो हमारी सपनों की दुनिया से भी बढ़कर हो!
मैं 1989 में एक संसद सदस्य और केंद्र सरकार में मंत्री था और एक समय था जब सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश को अपनी वित्तीय विश्वसनीयता और व्यवहार्यता बनाए रखने के लिए स्विस बैंक को अपना सोना भौतिक रूप में भेजना पड़ा था। अब हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक है।
मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंन्द्र मोदी के महत्वपूर्ण नेतृत्व में यह बड़ा परिर्वतन आया है कि हमारे पासपोर्ट अब एक अलग अर्थ रखते हैं और हमारी आवाज़ विश्व पटल पर इस स्तर पर सुनी जाती है कि हम अपना दृष्टिकोण रखते हैं और हम किसी और के दृष्टिकोण का अनुसरण नहीं करते हैं।
आज, देश में एक ऐसा समर्थकारी पारितंत्र है जो समाज के प्रत्येक सदस्य को विशिष्टता की महत्वकांक्षा करने, प्रतिभा को उजागर करने और अपने सपनों को कार्यान्वित कर उन्हें साकार कर पाएंगे। स्टार्टअप और यूनिकॉर्न कंपनियों को ही देख लीजिए।
मुझे इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि वर्ष 2047 तक, जब हम अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएंगे, तब हमारे यहां पुन: नालंदा, विक्रमशिला, तक्षशिला जैसे संस्थान बनेंगे जो न केवल भारत के लिए, बल्कि बड़े पैमाने पर पूरे विश्व के लिए अमूल्य विचार और शिक्षा के केंद्र बनेंगे।
यह हमारे कॉरपोरेट्स और विश्वविद्यालयों के लिए अवसर का लाभ उठाने और प्रगतिगामी नवाचारी प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास से जुड़े रहने का समय है ताकि हम वास्तव में एक विश्व नेता बन सकें क्योंकि प्रौद्योगिकी ही यह परिभाषित करती है कि हम कितने सुरक्षित हैं। यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
आयुर्वेदिक ज्ञान की दौलत, इसकी आध्यात्मिकता और इसके द्वारा विश्व को दिया गया योग का उपहार , अर्थात् भारत के सॉफ्ट पावर को पहले से ही दुनिया भर में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है और आने वाले दशकों में यह मानव जाति के लिए एक और भी बड़ी मार्गदर्शक शक्ति बन जाएगी।
यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण अवसर है कि मुझे एक दूसरे किसान का सम्मान करने का मौका प्राप्त हुआ है: एक ऐसा व्यक्ति जिसने वास्तव में भारत की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
एक किसानपुत्र के रूप में मैं अपने लिए एक महान संदेश लेकर चलता हूं। मैं राष्ट्र के समग्र विकास में अपने विश्वास की पुनःपुष्टि करता हूं। दिवंगत न्यायमूर्ति कोंडा माधव रेड्डी एक आदर्श व्यक्ति, एक सच्चे आदर्श पुरूष हैं।
मित्रों, हमारे समाज के लिए इससे अधिक खतरनाक कुछ नहीं हो सकता कि एक जागरूक व्यक्ति, एक जानकार व्यक्ति राजनीतिक और आर्थिक समानता का राजनीतिकरण करने के लिए दूसरों की अज्ञानता का फायदा उठाता है। न्यायमूर्ति कोंडा माधव रेड्डी इससे भिन्न थे। उन्होंने एक संदेश दिया और हमें उस संदेश को आगे बढ़ाना चाहिए। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपना जीवन भारत की सेवा में समर्पित कर दिया। एक ऐसे व्यक्ति जिन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदर्श वाक्य अर्थात्, यतो धर्मस्ततो जय: को बनाए रखा, जिसका अर्थ है कि जहां धर्म (नेकी) और नैतिक कर्तव्य है वहीं विजय है।
जबकि हम वर्ष 2047 में अपने सपनों का राष्ट्र बनाने के लिए एकजुट हो रहे हैं मुझे विश्वास है कि न्यायमूर्ति कोंडा माधव रेड्डी का जीवन और उनके कार्य आज के युवाओं को एक बेहतर और सुदृढ़ राष्ट्र बनाने के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा देते रहेंगे ।
धन्यवाद। जय हिन्द।
27 दिसंबर, 2023 को हैदराबाद, तेलंगाना के एवी कॉलेज में स्वर्गीय न्यायमूर्ति कोंडा माधव रेड्डी की 100 वीं जयंती के अवसर पर माननीय उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ का भाषण।
हैदराबाद, तेलंगाना | दिसम्बर 27, 2023