23 जुलाई, 2023 को नई दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के शताब्दी वर्ष के दीक्षांत समारोह में माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ द्वारा दिया गया संबोधन (अंश)।

नई दिल्ली | जुलाई 23, 2023

आप सभी को नमस्कार और इस महान दिवस पर आप सभी को मेरी शुभकामनाएं।

सर्वप्रथम दो बातें। पहला, मैंने माननीय मंत्री का ध्यान अंतिम पंक्ति की ओर आकर्षित किया है। समय सारणी का पालन करना होगा। जिस प्रक्रिया का मैं संकेत कर रहा था, उसमें राज्यसभा के सभापति के पास इसमें छूट देन का विशेषाधिकार और अधिकार है और यह छूट दिए जाने का उपयुक्त मामला था।

दूसरी बात, जब थिएटर में तालियों की गड़गड़ाहट हुई, तो मैं और माननीय मंत्री जी तल्लीन थे। हम मुद्दे से चूक गए। मुझे अपनी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ की गरिमामयी उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त करना चाहिए, उन्होंने नोट किया और इसे मुझे देकर बताया कि यह सब किस बारे में है। इसलिए, उन्हें अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप आमंत्रित करने के लिए मैं विद्वान कुलपति जी का आभारी हूं। एक प्रतिभाशाली कुलपति और शिक्षाविद की तरह, वह देख सकती हैं कि मैं कुछ अवसरों पर लड़खड़ाता हूं और कोई बैकअप होना चाहिए ।

माननीय श्री धर्मेंद्र प्रधान जी, शिक्षा मंत्री, भारत सरकार एक कर्मठ व्यक्ति हैं। एक दूरदर्शी व्यक्ति हैं। एक ऐसा व्यक्ति जो योजना बनाने और निष्पादित करने दोनों में अच्छा है। मैं उन्हें लंबे समय से जानता हूं। मैं उनकी खाने की उन आदतों का पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं जो उन्हें पूरे दिन सक्रिय रखती हैं।

माननीय कुलपति प्रोफेसर नज़मा अख्तर। लालित्य और भव्यता की एक तस्वीर। जब मुझे पहली बार उनके साथ बातचीत करने का अवसर मिला, तो मैंने पाया कि उनमें कोई पैकेजिंग नहीं है, केवल कार्य-निष्पादन है और वह चारों ओर परिलक्षित होता है।

एक महान संस्थान द्वारा तब तक कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता जब तक कि संकाय योगदान नहीं करता है, संकायों ने जो कुछ भी किया है उसके लिए उन्हें धन्यवाद। हमारे श्रोता में बहुत प्रतिष्ठित सदस्य हैं और क्षमा करें, मैं उनमें से कुछ नाम भूल रहा हूं। यदि मैं कुछ लोगों का नाम लेता हूं और उनका उल्लेख करता हूं, तो इसका कारण यह है कि मैंने कानूनी पेशे में अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए, राज्यपाल रहते हुए और वर्तमान में देश का उपराष्ट्रपति रहते हुए उनसे प्रबुद्ध हुआ हूं। मजबूत इरादों वाले श्री नजीब जंग और उनके सभी पूर्व साथी कुलपति जो यहां मौजूद हैं।

भारत का उपराष्ट्रपति होना एक सुखदायक पहलू है, लेकिन इसके साथ एक और जिम्मेदारी भी आती है, और वह है राज्य सभा का सभापति बनना, जो एक कठिन कार्य है। इसलिए मुझे बेहद प्रतिभाशाली राज्यसभा सदस्य, जावेद अली खान की उपस्थिति को सम्मान देना चाहिए, धर्मेंद्र जी ने अपनी बुद्धिमत्ता से लोकसभा के एक अन्य प्रतिष्ठित माननीय संसद सदस्य, दानिश अली को वरीयता दी है। मित्रो, हमारे श्रोतागण में एक प्रतिष्ठित कानूनी विद्वान मौजूद हैं। इस देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री विक्रम बैनर्जी, जो वर्तमान में अपर सॉलिसिटर जनरल हैं। महानुभाव, विशिष्ट अतिथिगण और मेरे प्रिय विद्यार्थियों।

यह मेरे और मेरी पत्नी के लिए सदैव याद रखने योग्य क्षण है। ऐसा हर दूसरे दिन नहीं होता। दीक्षांत समारोह तो होते रहते हैं, लेकिन इस प्रकृति का दीक्षांत समारोह, शताब्दी दीक्षांत समारोह, किसी के जीवन में बहुत कम आता है, शायद संयोगवश।

देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक जामिया मिलिया इस्लामिया, जे एम आई के शताब्दी वर्ष के दीक्षांत समारोह के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी के बीच आकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। मैं विश्वविद्यालय के लिए विकास की इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए इस विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त करने वाले सभी लोगों, स्नातक छात्रों, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को हार्दिक बधाई देता हूं। प्रिय छात्रों, शिक्षा के इस प्रतिष्ठित संस्थान से उपाधि प्राप्त करने के नाते इसे हमेशा याद रखें और कभी न भूलें। यदि आप इसे भूल जाते हैं, तो आप अपनी प्रगति में बाधा डालेंगे। बेशक, आपकी सफलता का श्रेय आपके परिश्रम, आपकी कड़ी मेहनत को है, लेकिन इसका श्रेय मुख्य रूप से आपके शिक्षकों, आपके माता-पिता और आपके शुभचिंतकों को जाता है। आपने अपनी डिग्रियाँ हासिल कर लीं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सीखने या ज्ञान प्राप्त करने के प्रति शांत हो जाना चाहिए। बुद्धिमत्ता प्राप्त करने के लिए आपको इस ज्ञान को सावधानीपूर्वक विकसित करना होगा। जामिया मिलिया इस्लामिया की उपलब्धियों के बारे में बहुत कुछ कहा जा चुका है। ये असाधारण उपलब्धियाँ हैं।

यह राष्ट्रीय जीवन में इस संस्थान और इसके प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों के योगदान को पहचानने का अवसर है। मैं इस अवसर पर जामिया मिलिया इस्लामिया में उनके योगदान के लिए 2022 में प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार प्राप्त करने वाली कुलपति प्रोफेसर नज़मा अख्तर को बधाई देता हूं। एक तरह से इतिहास बनाते हुए वे जामिया के 100 वर्षों के इतिहास में इसकी पहली महिला कुलपति हैं। वह सभी जगह महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल होंगी।

यह कोई आँकड़ा नहीं है। राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क की रैंकिंग में जामिया को देश के तीन शीर्ष विश्वविद्यालयों में स्थान दिया गया है। इसके पीछे बहुत कुछ हो चुका है। अधिकांश प्रयास पूरे किए जा चुके हैं। यहां तक कि नदी में भी जब आप खड़े होते हैं, तो एक ही जगह पर बने रहने के लिए आपको अपने पैर हिलाते रहना पड़ता है, यह बार-बार किया जाने वाला श्रये है। मैं कुलपति, संकाय और छात्रों को बधाई देता हूं। मित्रों, विश्वविद्यालय ने दुनिया भर के विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के साथ अकादमिक अनुसंधान सहयोग स्थापित किए है। यह वह समय है जब हमें समान संस्थानों के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है। हमें सहक्रियाशील रूप में रहने की आवश्यकता होती है। इससे ज्ञान अर्जन की क्षमताओं में वृद्धि होती है। यहां 25 से अधिक देशों के विदेशी छात्र अध्ययन करते हैं। मित्रों, मैं विश्व मामलों की भारतीय परिषद का अध्यक्ष हूं। विश्व मामलों की भारतीय परिषद के साथ इस प्रतिष्ठित संस्थान को एक समझौता ज्ञापन होगा और मुझे यकीन है कि इससे इन दोनों संस्थानों को मदद मिलेगी। यह हमारे स्वतंत्रता दिवस से पहले फलीभूत हो जायेगा।

जब मैं इस महान संस्थान के पूर्व छात्रों को देखता हूं, तो इतने नाम लेना मुश्किल होता है। शीर्ष संवैधानिक पदों से लेकर नीचे तक हमारे पास शक्ति के स्तंभ रहे हैं। लेकिन मैं यहां सभी के विचारार्थ एक निवेदन प्रस्तुत करूंगा। पूर्व छात्रों का संघ यह सुनिश्चित करने में एक बड़ी ताकत हैं कि प्रत्येक संस्थान वृद्धिशील पथ पर हो। एक बार जब पूर्व छात्र इसकी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेंगे तो गुणोत्तर विकास होगा और इसलिए, संस्थान के पूर्व छात्रों को हमेशा सक्रिय मोड में रहना चाहिए। वास्तव में, किसी संस्थान या राष्ट्र के विकास के लिए विभिन्न संस्थानों के पूर्व छात्रों से अधिक सक्रिय कोई थिंक टैंक नहीं हो सकता है। शिक्षा महत्वपूर्ण है और कुछ तो इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है यानी शिक्षा को व्यापक सामाजिक विकास से जोड़ना।

मानव संसाधन का सशक्तिकरण राष्ट्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण घटक है, युवाओं को स्वयं को सशक्त बनाना होगा और मैं बेहद चिंतित हूं इसलिए मैं आपके विचार के लिए यह रख रहा हूं कि युवाओं को राजनीतिक उन्माद से नहीं, बल्कि एक स्वस्थ वातावरण वाले समाज के पोषण के अंतिम उद्देश्य से क्षमता निर्माण और व्यक्तित्व विकास के तंत्र के माध्यम से स्वयं को सशक्त बनाना होगा।

माननीय मंत्री जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का सही संकेत दिया और यह एक सुखद संयोग था, ऐसा आपके शताब्दी वर्ष पर हुआ परंतु यह एक परिवर्तनकारी कदम रहा है। यह हमारे युवा मस्तिष्क को अधिक लचीलापन प्रदान करता है। नवाचार और कौशल विकास पर जोर देकर सीखने और शिक्षा प्राप्त करने को आनंददायक बनाता है। इसमें से बाद वाले दो भी माननीय मंत्री के अधिकार क्षेत्र में हैं जो इन विभागों को भी संभालते हैं।

मित्रों मैं आपको बता सकता हूं की इस देश में तीन दशकों के बाद सभी हितधारकों के सुझावों पर विचार करने के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित हुई और यह मानव आबादी के छठे भाग वाले भारत की आवश्यकता थी। इससे एक बड़ा परिवर्तन आएगा। मुझे लगता है कि देश के कुछ भाग में इस नीति को अपनाने की आवश्यकता है। मुझे यकीन है कि वे इस महान नीति को अपनाएंगे, इसका उपयोग करेंगे और लाभ उठाएंगे क्योंकि यह कौशल आधारित पाठ्यक्रमों, व्यावसायिक प्रशिक्षण और हमारी शैक्षिक अधिगम को एक नया आयाम देने पर आधारित है।

मित्रों, विद्यार्थियों के लिए नवप्रवर्तक बनना, उद्यमी बनना, अपना स्टार्टअप स्थापित करना बहुत जरूरी है। जिससे कि इस अमृत काल में हमारे सक्षम छात्र उन युवा उद्यमियों का अनुकरण करें, मैं आपसे उन युवा उद्यमियों की तरह कार्य करने पर जोर दे रहा हूं जो इस देश में नौकरी चाहने वाले नहीं बल्कि नौकरी प्रदाता के रूप में उभरे हैं। इस क्षेत्र में हमारे रिकार्ड, हमारे पास जितने यूनिकॉर्न हैं, हमारे पास जितने स्टार्टअप हैं, वह जमीनी हकीकत है जिसे विश्व ने स्वीकार किया है।

मैं अपने युवा मित्रों से आह्वान करता हूं कि वे अपनी पूरी ऊर्जा और उत्साह के साथ आर्थिक राष्ट्रवाद को अपनाएं और इसमें स्वयं को तल्लीन कर दें। आर्थिक राष्ट्रवाद एक ऐसा मुद्दा है जिस पर वर्तमान समय में हमारा ध्यान अवश्य आकर्षित होना चाहिए। प्रौद्योगिकी और संपर्क के कारण दुनिया हर चीज के लिए बहुत छोटी हो गई है। मित्रो, इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता। राजकोषीय लाभ के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता करना निश्चित रूप से राष्ट्रीय हित में नहीं है। जो लोग व्यवसाय, उद्योग, व्यापार में हैं, उन्हें आर्थिक राष्ट्रवाद के सार में विश्वास करना होगा और इसे केवल इसलिए झुकना या समझौता नहीं करना चाहिए कि केवल राजकोषीय लाभ का अवसर है। हमारा देश इस ग्रह का सबसे प्राचीन और सबसे बड़ा एवं सर्वाधिक कार्यात्मक लोकतंत्र है। हमें इस बात से पूरी तरह अवगत होने की जरूरत है कि राजनीतिक और आर्थिक हिस्सेदारी आर्थिक राष्ट्रवाद की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। हमें अपनी युगांतरकारी, ऐतिहासिक उपलब्धियों, दक्षताओं, अपने उत्थान पर गर्व करना है जिसे विश्व भर ने मान्यता दी है, हमें अपने राष्ट्र को हमेशा पहले रखना है।

मेरे युवा मित्रो जिन्होंने डिग्री प्राप्त कर ली है, आप अपनी पसंद के करियर में कदम रख रहे होंगे। यह आशाओं से भरा समय है। राष्ट्र द्वारा प्राप्त उपलब्धियाँ हम सभी को गौरवान्वित करती हैं। हम गौरवान्वित भारतीय हैं। हमें अपने राष्ट्र और इसकी उपलब्धियों पर गर्व करना है। भारत पहले से अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है और देश का उत्थान अबाध है। मानवजाति के 1/6 भाग का घर, भारत की विकास यात्रा युवा मस्तिष्क और हमारे युवाओं के योगदान के कारण हमेशा उन्नति की ओर अग्रसर रहेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत समष्टिगत आर्थिक आधारतत्वों के कारण चुनौतीपूर्ण वैश्विक स्थिति का सामना करने में उल्लेखनीय रूप से लचीली साबित हुई है जो इसे विश्व की अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं से आगे रखती है।

मित्रों, आपको यह जानकर खुशी होगी कि जहां एक दशक पहले भारत 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, वहीं पिछले साल सितंबर 2020 में, हमने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की थी और हम इस ग्रह की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए और इस प्रक्रिया में हमने औपनिवेशिक मालिकों को पीछे छोड़ दिया।

सभी संकेतों के अनुसार इस दशक के अंत तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी और मेरे मित्रों, आप सभी आज के डिग्री-धारक और अन्य संस्थानों के आप जैसे कई लोग 2047 के योद्धा हैं। आप सभी निर्धारित करेंगे कि 2047 में भारत कैसा होगा और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपकी प्रतिबद्धता, नेतृत्व और समर्पण से भारत 2047 में शिखर पर होगा।

मित्रों

दुनिया रोमांचक है। इस देश में जिस प्रकार की डिजिटल क्रांति दुनिया देख रही है, इसकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी और सच कहूं तो मेरी पीढ़ी ने कभी सपने में भी यह नहीं सोचा होगा। सबसे बड़ा लोकतंत्र जो इतना विविधतापूर्ण है और इसका प्रभाव क्या है? अक्षमता और भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर दिया गया है, शासन ने एक नया रूप लिया है, नया मानक पारदर्शिता और जवाबदेही है। आपको ऐसे कई दृष्टांतों में से एक उदाहरण देता हूं कि 2022 में भारत में 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि के डिजिटल भुगतान का लेनदेन दर्ज किया गया जो एक आंकड़ा है लेकिन अगर हम इसे तुलनात्मक रूप से देखें, तो यह लेनदेन यूएस, यूके, जर्मनी और फ्रांस में हुए संयुक्त कार्य के चार गुने से अधिक है। जरा कल्पना करें कि इस प्रक्रिया में किस प्रकार की उपलब्धि हासिल हुई है। मैं आप सभी से चिंतन और आत्मनिरीक्षण करने का आह्वान करूंगा। यह एक अत्यंत कठिन कार्य है। यह एकतरफ़ा कार्य नहीं है। यह दोनों ओर से होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि ग्रामीण अर्ध-शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक भारतीय ने प्राप्तकर्ता बनने और ऐसे लेनदेन में शामिल होने के लिए खुद को तकनीकी रूप से सुसज्जित कर लिया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है जिसकी मेरी पीढ़ी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था और दुनिया इसे पहचान रही है। एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि दुनिया में हुए ऐसे सैकड़ों लेनदेन में से 46 हमारे देश में हुईं।

जो वरिष्ठ लोग मेरे सामने बैठे हैं, वे जानते हैं कि सत्ता के गलियारे किस तरह से प्रभावित हुआ करते थे, काम कराने का फायदा कैसे उठाया जाता था और बिचौलियों की भूमिका क्या थी। अब शासन की नीतियों और पहलों के लिए धन्यवाद पारदर्शिता और जवाबदेही पर बल देने के लिए आभार क्योंकि हमारी सत्ता का गलियारा उन दलालों से मुक्त हो गया है जो निर्णयों और फैसलों को अपने अनुकूल कराने के लिए विधियेत्तर रूप से शासन का लाभ उठाते हैं। वास्तव में वे दिन अब गए, उन्हें इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया गया है जिनके पुनरुद्धार की कोई उम्मीद नहीं है। आईएमएफ, एक मान्यता प्राप्त संस्था ने हमारे डिजिटल विकास को मान्यता दी है, इसने जो कहा उसमें उद्धृत करता हूं "विश्व स्तरीय डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना , डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुजर रहे अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य कर रहा है"। एक और उदाहरण जो हम सभी को बहुत गौरवान्वित करेगा और वह समाज के सभी वर्गों के योगदान और प्रभावी शासन नीतियों और माननीय प्रधान मंत्री की पहल और दूरदृष्टि का परिणाम है, भारत में 850 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, भारतीयों में एकलव्य बनने और औपचारिक शिक्षण के बिना कौशल सीखने की अद्भुत क्षमता है और इसका परिणाम यह है कि पिछले साल प्रति व्यक्ति मोबाइल डेटा खपत चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों की कुल खपत से अधिक हो गई।

मित्रों, मैं 1989 में पहली बार संसद के लिए चुना गया था और मैं केंद्रीय मंत्री था। मैं उस वक्त की स्थिति से पूरी तरह अवगत हूं। दुनिया की पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में शमिल देश ने खुद को शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में बदल लिया है। कमजोर पांच से शीर्ष पांच तक पहुंचना माननीय प्रधान मंत्री की दूरदृष्टि का परिणाम है जो सभी के प्रयासों से कार्यान्वित किया जा रहा है। यह हम सभी के लिए साझा तौर पर गर्व का क्षण है।

दुनिया भर में देखें, तो आप पाएंगे कि भारत एक पसंदीदा गंतव्य और अवसर है, हर कोई इस बात से सहमत है। आप दुनिया में जहां भी जाएं, आप पाएंगे कि भारतीय होना, भारतीय पासपोर्ट धारक होना, अब एक अलग अर्थ रखता है। इसका एक जादुई अर्थ है, लोग आपसे बातचीत करना पसंद करेंगे, यह बड़ा ऐतिहासिक बदलाव इसलिए आया है क्योंकि भारत का विकास अंतिम पंक्ति में लगे लोगों की चिंता से प्रेरित है। यह सुनिश्चित करने के लिए सफल प्रयास किए गए हैं कि गांव का भी शहरों जैसा ही तकनीकी सशक्तिकरण हो और यह जमीनी हकीकत है। भारत इतिहास के गौरवशाली क्षण में है। हमारा विकास अभूतपूर्व है और यह उत्थान सदी का एक निर्णायक क्षण है। यह सदी भारत की है एवं इसका एहसास पहले से हो भी रहा है और जब भारत का उदय होगा, तो वैश्विक सद्भाव, वैश्विक शांति एवं वैश्विक स्थिरता होगी। कोई भी देश हजारों वर्षों के सभ्यतागत लोकाचार का दावा नहीं कर सकता, हमारी सांस्कृतिक विविधता, हमारी सांस्कृतिक संपदा वैश्विक क्षितिज पर बेजोड़ है। हाल ही में, पिछले दशक में, अवसंरचना में तेजी से वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए प्रणालीगत सुधारों और सकारात्मक शासन उपायों की एक श्रृंखला शुरू की गई है। मैं श्रोताओं को नहीं बता रहा, आपने इसे ज़मीनी स्तर पर स्वयं देखा है। हम किसी देश, देश के विकास में राजमार्गों को देखा करते थे। अब हम अपने देश में देखते हैं। दूसरे हमारी ओर देखते हैं। जो लोग एक समय हमें विकास के बारे में सलाह देते थे, वे आज हमारी सलाह ले रहे हैं। यह एक स्वागतयोग्य परिवर्तन है। ऐसे नेतृत्व और हमारे लोगों को धन्यवाद।

पूरी दुनिया भारत के साथ साझेदारी के लिए उत्सुक है। क्या आप कभी कल्पना कर सकते हैं थे जिस प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका में माननीय प्रधान मंत्री की यात्रा सफल रही? फ्रांस में? संयुक्त अरब अमीरात में ? पिछले दो सप्ताह में, यह कितना प्रभावशाली था और अमेरिका में कांग्रेस और सीनेट में उनका संबोधन एक वैश्विक राजनेता का था। हमारे प्रधान मंत्री की गिनती एक वैश्विक राजनेता के रूप में की जाती है, जिनकी आवाज हमेशा बुद्धिमता और मानवता के कल्याण के लिए होती है। उन्होंने ही कहा था कि हम विस्तारवाद के युग में नहीं रह रहे हैं जो भारत के प्रधान मंत्री की एक ऐतिहासिक घोषणा थी और हाल ही में, एक या दो साल से चल रहे मुद्दे के संबंध में था। उन्होंने कोई घोषणा नहीं की।सिवाय इसके कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है, बातचीत और कूटनीति से ही इसका समाधान निकल सकता है। मुद्दों के वैश्विक समाधान में भारत की प्रासंगिकता कभी इतनी प्रमुख नहीं थी जितनी आज है। लेकिन मित्रों, जब भारत आगे बढ़ता है, जब आप अवसरों का लाभ उठाते हैं, जब आप प्रभाव डालते हैं तो चुनौतियाँ भी आती हैं। आपकी प्रगति हर किसी को प्रसन्न नहीं कर सकती।

भयावह योजना वाली खतरनाक ताकतें जो आपके संस्थानों के विकास को धूमिल और प्रतिष्ठा को कम करती हैं। दुर्भाग्य से, उनमें से कुछ हमारे बीच हैं। मैं युवाओं से पहल करने और अपने कार्यों से इन ताकतों को बेअसर करने की अपील करता हूं, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप सभी ऐसा करेंगे। जब वर्तमान मानदंड और शासन तंत्र पारदर्शिता और जवाबदेही का है, जहां भ्रष्टाचार का कोई स्थान नहीं है, तो भ्रष्टाचार में शामिल लोग एक समूह में एकत्रित हो गए हैं, वे बचाव ढूंढने और भागने के लिए सभी ताकतों का सहारा ले रहे हैं। हम राष्ट्र के प्रति ऋणी हैं। हम सभी, हममें से प्रत्येक, विशेष रूप से युवा के लिए भ्रष्टाचार का अर्थ है आपके विकास में बाधा, भ्रष्टाचार का अर्थ है आपके अवसरों में कटौती, भ्रष्टाचार का अर्थ है प्रश्रय को मुख्य स्थान देना, यह सब समतामूलक विकास और समान अवसरों के विपरीत है। हमारा राष्ट्र के प्रति कर्तव्य है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि भ्रष्टाचार के प्रति कोई कोताही नहीं बरती जाए या इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाए। यह जानना सुखद है कि कानून का उल्लंघन करने वालों के बचने के सभी रास्ते बंद हैं, चाहे वे कोई भी हो। कोई भी कमतर होने का दावा नहीं कर सकता। चाहे आप किसी भी वंश-परंपरा से हों, चाहे आप किसी भी पद पर आसीन हों, आप कानून के प्रति जवाबदेह हैं क्योंकि हमारा लोकतंत्र कानून द्वारा शासित है। सभी रास्ते बड़े पैमाने पर बंद कर दिए गए हैं। लेकिन यह तब चिंता का विषय है, जब न्यायिक प्रक्रियाएं गति पकड़ रही हैं, जब कानून अपना काम कर रहा है, तो कानून की तपिश महसूस करने वालों को सड़कों पर क्यों उतरना चाहिए? यह आप सभी को सोचना चाहिए कि हमारे पास न्यायिक प्रणाली में शिकायत निवारण का एक मजबूत तंत्र है। यदि किसी को अदालत से तत्काल नोटिस मिलता है, तो नया लोकतंत्र चलाने का एक मात्र तरीका विधिपूर्ण साधनों का सहारा लेना है। निश्चित रूप से इसे सड़कों पर नहीं ले जाना चाहिए। विधि द्वारा स्थापित शासन को चुनौती देने के लिए सड़क पर प्रदर्शन सुशासन या स्वाभाविक लोकतंत्र की पहचान नहीं है। मुझे यकीन है कि युवा दिमाग इस पर ध्यान केंद्रित करेगा। इन ताकतों को हतोत्साहित करने के लिए वह सब करें जो आप कर सकते हैं और जो आपके मन में हो।

मित्रों, अवसंरचना का क्षेत्र हो या प्रौद्योगिकी का क्षेत्र, प्रधानमंत्री का विजन और कार्यान्वयन अभूतपूर्व गति से और बड़े पैमाने पर रहा है। मैं आपको बताना चाहूंगा नया संसद भवन ढाई साल से भी कम समय में बन गया है, लोग सोचेंगे कि भवन बन गया है,मैं आपको बता सकता हूं कि जो कुछ भी बना है उससे कहीं अधिक नवनिर्मित संसद भवन के अंदर है, इसके निर्माण में बहुत सारे कारकों तथा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को ध्यान में रखा गया, आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि जब दुनिया के साथ-साथ हम भी महामारी कोविड का सामना कर रहे थे, तो इतने कम समय में यह सब हासिल किया जा सकता है। मित्रों, आप सभी सरकारी नीतियों और पहलों की श्रृंखला के परिणामस्वरूप इसके सकारात्मक प्रभाव को महसूस कर रहे हैं। अब, हमारे पास एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र है जो प्रत्येक युवा दिमाग को अपनी क्षमता और प्रतिभा का अधिकतम उपयोग करने और अपने सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने के लिए अपनी ऊर्जा को उजागर करने की अनुमति देता है। हमारे समय में हमारे पास वह पारिस्थितिकी तंत्र नहीं था। हमें बड़े पैमाने पर संघर्ष करना पड़ा। लेकिन अब यदि आपके पास कोई विचार है, तो यह तंत्र आपकी बहुत अधिक मदद करता है, जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते। वर्ष 2047 के योद्धाओं के रूप में, मैं आप सभी युवाओं से आग्रह करता हूं कि हमारे देश के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए स्वयं को समर्पित करें। आपको अपने मातृ संस्था से प्राप्त अंतर्दृष्टि का लाभ उठाना चाहिए और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए उनका उपयोग करना चाहिए। माननीय कुलपति द्वारा शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया था, मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उस कथन पर विचार करना चाहूंगा जो उन्होंने कहा था "शिक्षा में इतनी क्रांति आनी चाहिए कि वह सबसे गरीब ग्रामीणों की जरूरतों को पूरा कर सके" मुझे लगता है कि यह अंतिम परीक्षा है और वास्तव में वही हो रहा है। जब प्रत्येक घर में बिजली है, प्रत्येक घर में गैस कनेक्शन है, प्रत्येक घर में नल कनेक्शन है, तो उसे पूरा किया जा रहा है। महात्मा गांधी का सपना तब साकार हुआ है जब भारत अपने वर्तमान काल में है।

सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिक के रूप में मानव जाति का 1/6 भाग यहां निवास करता है। यह सुनिश्चित करना प्रत्येक नागरिक विशेषकर युवाओं का कर्तव्य है कि हमारे देश के प्राकृतिक संसाधनों, चाहे जल हो, पेट्रोलियम खनिज हों, का विकास और आर्थिक गतिविधियों के लिए इष्टतम उपयोग किया जाए। अब, मैं स्वयं आश्चर्यचकित हूं और मुझे यकीन है कि आप मेरी चिंता साझा करेंगे। इन संसाधनों का उपयोग आपकी जेब से कैसे निर्धारित किया जा सकता है? आपकी जेब यह तय कर सकती है कि आपके पास कैसा घर हो, किस तरह का फर्नीचर हो। किन्तु जब इन संसाधनों, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग की बात आती है, तो हम सभी उन संसाधनों के ट्रस्टी हैं, उनका न्यायसंगत वितरण होना चाहिए और इसलिए, हम ऐसी संस्कृति अपनाएं कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग आपकी आवश्यकता के अनुसार इष्टतम होगा, निश्चित रूप से आपकी वित्तीय क्षमता के अनुसार नहीं।

मित्रों, यह एक महान विश्वविद्यालय है, यह तरक्की कर रहा है, अतः, मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि इस देश के बाहर इसी तरह के थिएटरों में वे भारत-विरोधी कहानी गढ़ने वाले शिक्षण-संस्थान बन गए हैं।

इस प्रक्रिया में, वे हमारे छात्रों, हमारे संकाय सदस्यों का उपयोग करते हैं, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप प्रत्येक सरकारी कार्रवाई का आंख बंदकर समर्थन करेंगे, विवेकशील बनिए, निर्णयात्मक रूख रखिए, जिज्ञासु बनिए, निष्पक्षता पर ध्यान केंद्रित करिए और फिर ऐसी स्थितियों से निपटें । यह आश्चर्य की बात है कि जिन लोगों को किसी न किसी पद पर रहते हुए इस देश की सेवा करने का अवसर मिला है, जैसे ही वे अपने पद से हटते हैं, वे हमारे देश में हो रही चतुर्दिक शानदार प्रगति के प्रति जानबूझकर आंख बंद लेते हैं। मुझे यकीन है कि युवा इस पर ध्यान देंगे, सक्रिय कदम उठाएंगे और जामिया एकदम सही जगह है, बहुत से प्रभावशाली युवा एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र को उत्प्रेरित करेंगे जहां देश या विदेश में इस तरह के राष्ट्र-विरोधी आख्यानों को न केवल निष्प्रभावी किया जाएगा बल्कि नष्ट कर दिया जाएगा, ऐसी गलत सूचनाओं के प्रचलन की अनुमति नहीं दी जा सकती।

दोस्तों, आज का दीक्षांत समारोह वास्तव में आपके, आपके परिवारों और उस संस्थान जामिया मिलिया इस्लामिया के लिए बहुत गर्व और संतुष्टि का क्षण है जिसने आपकी शैक्षणिक यात्रा के दौरान आपको शिक्षित किया। आज, आप प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों का हिस्सा बनेंगे, जिनमें से कुछ यहां प्रतिनिधित्व करते हैं। जब आप दुनिया में कदम रखते हैं तो इसके साथ एक जबरदस्त जिम्मेदारी भी आती है, अपनी पहचान बनाने के लिए, आप एक टैग लेकर चलते हैं और आप एक सदी से भी अधिक पुराने संस्थान से डिग्री धारक होने का टैग लेकर चलते हैं। आपके पास एक आशाजनक कैरियर है, आशाजनक भविष्य है लेकिन नहर की तरह लीक पर न चलें। मैं अक्सर कहता हूं कि नहर कागज पर खींची जाती है, अतः नदी की तरह बनो जो घुमावदार हो, अपना रास्ता खुद चुनो, लगन और योग्यता के अनुसार कार्य करो। जब बात आपके विचार की हो तो उसे कभी भी अपने ऊपर हावी न होने दें। कभी भी असफलता से डरें नहीं, जिस क्षण आपको असफलता का डर होगा, आप निडर या उद्यमशील नहीं बन पाएंगे और एक राष्ट्र के रूप में उचित नहीं हो सकता कि हमारे युवा अपनी कार्यशैली में साहसिक न हों। यदि आपके पास कोई विचार है, तो मैं आपसे विनती करता हूं, आपका आह्वान करता हूं कि कृपया उस पर कार्य करें और मुझ पर विश्वास करें कि कोई भी पहली बार में किसी विचार के साथ सफल नहीं हुआ है। चंद्रमा पर उतरने का प्रयास किया गया था लेकिन क्या यह पहली बार में सफल रहा और ऐसा कई उन ऐतिहासिक विकासों के साथ होता है जो वास्तव में मानवता की जरूरतों को पूरा करते हैं जैसा पहले कभी नहीं हुआ।

आपके मिशन को सफल बनाने के लिए मैं आपका ध्यान अब्दुल कलाम आज़ाद और जो उन्होंने कहा था उसकी ओर आकर्षित करना चाहूंगा और आपको याद दिला दूं कि वह एक कर्मठ व्यक्ति थे। वह इसरो से जुड़े थे। उनकी अपनी असफलताएं थीं, उन्होंने उन पर विचार किया है, यदि युवा इसरो में उनकी असफलताओं को देखें, तो असफलताएं ही भविष्य में सफलताएं थीं...सफलता की सीढ़ी जो उन्होंने बनाया उसके लिए उन्हें याद किया जाता है। “अपने मिशन में सफल होने के लिए आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठ समर्पण रखना होगा।” जैसा कि उन्होंने एक अन्य अवसर पर उल्लेख किया था, मैं फिर से उद्धृत करता हूं "महान स्वप्न देखने वालों के महान सपने हमेशा सफल होते हैं", लेकिन जो लोग केवल सपने देखते हैं, उनके दिमाग में एक अच्छा विचार तो होता है, वे अपने दिमाग को सपनों, विचारों के लिए पार्किंग की जगह बना देते हैं, और वे विचार इतिहास में प्रभावशाली नहीं होते हैं। आपको अंत तक प्रभावशाली बने रहना होगा और सभी को आपके जैसा बनना होगा। हमें हमेशा उस अंतर को याद रखना चाहिए जो हमारे लिए अद्वितीय है। हम विश्व के सबसे बड़े एवं सबसे पुराने लोकतंत्र हैं जो सभी स्तरों पर कार्यशील है। मैं आपको बताना चाहूंगा, विश्व में कोई भी देश यह गर्व नहीं कर सकता कि हमारे जैसा संरचित संवैधानिक लोकतंत्र नहीं है। हमारा संविधान ग्राम स्तर पर, पंचायत स्तर पर, पंचायत समिति स्तर पर, जिला परिषद स्तर पर और निश्चित रूप से, राज्य स्तर और केंद्रीय स्तर पर लोकतंत्र का प्रावधान करता है।

बुनियादी लोकतांत्रिक मूल्य हमारे सभ्यतागत लोकाचार में गहराई से अंतर्निहित हैं, वे हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते हैं और यही कारण है कि भारत की अध्यक्षता में जी 20 का आयोजन हो रहा है, जिसका आदर्श वाक्य 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' है और हम इसे प्रदर्शित भी करते हैं, जब दुनिया महामारी का सामना कर रही थी, तो हमारे पास हमारे 1.3 अरब लोगों की देखभाल करने वाली कोविड मैत्री थी। हम कोवैक्सिन के साथ कई अन्य देशों की भी मदद कर रहे थे जो अन्ततोगत्वा इसके आदर्श वाक्य को उचित ठहराता है और न्यायसंगत सिद्ध करता है। मित्रों, एक चिंता जो मुझे आपके साथ साझा करनी चाहिए। विशिष्ट बुद्धिजीवी वर्ग यहां मौजूद है, युवा यहां मौजूद हैं, संसद के कुछ लोग भी यहां मौजूद हैं। लोकतंत्र क्या होता है? लोकतंत्र पूरी तरह संवाद पर आधारित है। अपने सार्वजनिक हित को सुरक्षित करने के लिए चर्चा, विचार-विमर्श और बहस होनी चाहिए। निश्चय ही, लोकतंत्र में अशांति नहीं हो सकती। इसमें व्यवधान नहीं हो सकता। व्यवधान और अशांति लोकतांत्रिक मूल्यों के सार के विपरीत हैं। मुझे आप सभी को यह बताते हुए दुख हो रहा है कि लोकतंत्र के मंदिरों को कलंकित करने के लिए अशांति और व्यवधान को एक रणनीतिक साधन के रूप में हथियार बनाया गया है, जिन्हें बड़े पैमाने पर लोगों के लिए न्याय सुरक्षित करने के लिए चौबीसों घंटे क्रियाशील रहना चाहिए।

संसद की कार्यवाही को नहीं चलने देने का कोई बहाना नहीं हो सकता, प्रत्येक सेकेंड इस देश के लोगों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। लेकिन मैं इसके वित्तीय निहितार्थ पर जोर नहीं दे रहा हूं। मैं बड़े मुद्दों पर बात करना चाहता हूं , जब संसद या किसी विशेष दिन में व्यवधान होता है, प्रश्नकाल नहीं हो सकता, प्रश्नकाल शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए एक तंत्र है। सरकार प्रत्येक प्रश्न और उठाए गए पूरक प्रश्नों का उत्तर देने के लिए बाध्य है। इससे शासन को अत्यधिक लाभ होता है। सभी लोग ठीक ढ़ंग से काम कर रहे हैं। प्रश्नकाल न होने को कभी भी तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता।

जब आप लोकतांत्रिक मूल्यों और सुशासन के संदर्भ में सोचते हैं।

दोस्तों आज के हालात कितने विचित्र हो गए हैं, असहमति तो स्वाभाविक है, यह आवश्यक नहीं है कि हम हर बात पर सहमत हों, अलग-अलग विचार हो सकते हैं, पर असहमति को विरोध में बदलना जनतंत्र के लिये अभिशाप से कम नहीं है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता की मूल भावना से मेल नहीं खाता यह। असहमति को विरोध मत मानो, संवाद की डोर मानवता और प्रजातंत्र की जीवन डोर है।

यदि वे परिवार या समाज में संवाद करना बंद कर देते हैं और यदि लोकतंत्र के मंदिरों में ऐसा अलगाव है, तो निश्चित रूप से इसके गंभीर परिणाम होंगे।

इसमें खिंचाव और गाँठ जन कल्याण के लिए हितकारी नहीं हो सकते हैं, एक छत के नीचे विरोध और असहमति स्वाभाविक है। विरोध का प्रतिशोध में बदलना प्रजातंत्र के लिए हितकारी नहीं है।
इसका एक ही निदान है - संवाद और विचार-विमर्श

मुझे यकीन है कि एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना बड़े लोकतंत्र के प्रत्येक नागरिक का दायित्व है।

आपकी आवाज़ किसी भी अन्य चीज़ से अधिक मायने रखती है। आप इस देश के विकास और लोकतंत्र के फलने-फूलने में सबसे बड़े हितधारक हैं।

प्रजातंत्र में प्रतिघात का कोई स्थान नहीं है - यही हमारी हज़ारों साल की संस्कृति का अमृत है।

मित्रों, मैं अपनी बात समाप्त करते हुए आपको एक विचार के साथ छोड़ता हूं और यह विचार भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. अंबेडकर ने अंतिम दिन संविधान सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्र को दिया था। उन्होंने संविधान सभा में समापन भाषण 25 नवंबर 1949 को दिया था और उन्होंने जो कहा, वह मैं कभी नहीं भूलता। मैं इससे अधिक कुछ नहीं कहूंगा। मैं केवल उसे उद्धृत करूंगा -

“यह बात नहीं है कि भारत कभी स्वाधीन न रहा हो। बात यह है कि एक बार वह पाई हुई स्वाधीनता को खो चुका है। क्या वह दुबारा भी उसे खो देगा? जो तथ्य मुझे बहुत परेशान करता है वह यह है कि भारत ने पहले एक बार अपनी स्वाधीनता खोई ही नहीं वर्न अपने ही कुछ लोगों की कृतध्नता तथा फूट के कारण वह स्वाधीनता आई गई हुई।"

हम ऐसा नहीं होने दे सकते । हमें अपने संस्थापकों के प्रति सत्यनिष्ठ रहना होगा। हमें राष्ट्र पर विश्वास करना होगा। राष्ट्र को हमेशा किसी भी चीज़ से आगे रखने के अलावा हमारी कोई अन्य संस्कृति नहीं हो सकती और यह वैकल्पिक नहीं है। यह आदेशात्मक नहीं है। हमारे लोकतंत्र के फलने-फूलने और समृद्ध होने को सुनिश्चित करने का यही एकमात्र तरीका है।

मित्रों, मैं सभी स्नातक छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को बधाई देता हूं, और आने वाले वर्षों में जामिया मिलिया इस्लामिया नई बुलंदियों पर पहुंचे। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह नित नई ऊंचाईयों को छुएगा और चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल निश्चित रूप से वैश्विक क्षितिज पर उच्चतम मानक के अनुरूप होंगे।

जय हिन्द!