आप सभी को मेरा नमस्कार, मैं अपने दिल की बात बताना चाहता हूं, मैं उत्साहित हूं, मैं ऊर्जावान हूं, मैं प्रेरित हूं और मेरे अंदर एक आशावाद है, जो निश्चित रूप से जमीनी हकीकत में फलीभूत होगा...
भारत के उपराष्ट्रपति का पद संभालने के बाद जम्मू के इस असाधारण क्षेत्र की अपनी पहली यात्रा करके मुझे खुशी हो रही है। मैं इसे अपने जीवन में हमेशा याद रखूंगा। बहती चंद्रभागा नदी, क्षितिज को सुशोभित करने वाली राजसी शिवालिक श्रृंखला और इस शहर में स्थित माता वैष्णो देवी का उत्तुंग पवित्र निवास, एक मनमोहक वातावरण बनाते हैं जो वास्तव में असाधारण और विचारोत्तेजक है। लेकिन मैं कहना चाहता हूं, यहां आना और यहां से प्राप्त उत्कृष्ट ज्ञान का भंडार मुझे सबसे लंबे समय तक आगे बढ़ते रहने की शक्ति प्रदान करता रहेगा।
प्रसिद्ध जम्मू विश्वविद्यालय के इस विशेष दीक्षांत समारोह से जुड़ना सम्मान और सौभाग्य की बात है, जिसने आधी सदी से भी अधिक समय से परिश्रमपूर्वक उत्कृष्टता को बढ़ावा दिया है। "तमसो मा ज्योतिर्गमय" (मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो) के गहन आदर्श वाक्य से प्रेरित, यह न केवल उत्कृष्ट पेशेवर बनने का प्रयास करने के लिए एक मार्मिक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए करुणा और दयालुता का प्रतीक भी है। और माननीय उपराज्यपाल द्वारा आज जो मंत्र दिया गया है वह आंखें खोलने वाला, पथप्रदर्शक और विचारोत्तेजक है।
मुझे वह समय याद है जब मैं 1989 में संसद सदस्य के रूप में चुना गया था। नब्बे के दशक की शुरुआत में, कोई भी शादी वीसीआर या वीसीडी के बिना पूरी नहीं होती थी। कहाँ गये? गायब! 90 के दशक के अंत तक, हमने टेलीफोन बूथों का उपयोग किया । वे अद्भुत काम कर रहे थे। वे कहाँ गये? माननीय उपराज्यपाल सही थे। मैं उस समय पैदा हुआ जब न इंटरनेट था, न मोबाइल, न कंप्यूटर। हमें टाइपराइटर पर निर्भर रहना पड़ता था और कोई शब्द गलत होने पर व्हाइटनर का इस्तेमाल करना पड़ता था। अब हम कहां आ गये?
एक पेशेवर के रूप में, मुझे इस बात पर गर्व था कि मेरे पास एक पुस्तकालय था जिसमें शुरू से ही ढेर सारी किताबें थीं। यह गायब हो गया है। और इसलिए उन्होंने 2047 के योद्धाओं को सही संकेत दिया है कि तैयार रहें, लीक से हटकर सोचें, कुछ भी हो सकता है। आपकी रचनात्मकता, नवोन्मेष और दिशात्मक अनुप्रयोग अपना रास्ता खोज लेगी। माननीय उपराज्यपाल आर्टीफ़िशियल इंटेलीजेंस पर विचार कर रहे थे। मानवता के हाथ में यह महान शक्ति अभी अपनी ऊंचाई तक नहीं पहुंची है। इसका अपनी पूर्ण क्षमता तक पहुंचना अभी बाकी है। लेकिन फिर, चारों ओर आवाजें उठ रही हैं, कि इसे नियंत्रित करना होगा। इसे विनियमित करना होगा। आप नहीं जानते कि इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। और इसलिए उनका संबोधन, जिसे मैं आपके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में लेता हूं, आपको आश्चर्यचकित करता रहेगा, सोचने पर मजबूर करता रहेगा ताकि आप खुली आंखों के साथ, सक्रिय दिमाग के साथ बाहर की दुनिया में प्रवेश करें और बड़े बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहें।
मित्रों, इस विश्वविद्यालय ने तवी नदी के दूसरी ओर कैनाल रोड पर अपने छोटे से तात्कालिक परिसर से लेकर अपने वर्तमान हरे-भरे परिवेश तक एक लंबा सफर तय किया है।
मैं बड़े बदलाव लाने के लिए कुलाधिपति और माननीय उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और कुलपति प्रोफेसर उमेश राय को भी बधाई देता हूं, मुझे यहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सबसे प्रामाणिक कार्यान्वयन का उदाहरण मिलता है। यह जमीनी हकीकत है। विद्वान कुलाधिपति ने उठाए गए विभिन्न कदमों पर विचार किया। समय की कमी के कारण वे संपूर्ण बात नहीं कर पाए। मैं कुछ ऐसी बातें बताऊंगा जिन्होंने मुझे बहुत प्रभावित किया है और जिन्हें राष्ट्रीय महत्व की आवश्यकता है। मैं स्थानीय भाषा और संस्कृति पर जम्मू विश्वविद्यालय द्वारा ध्यान केंद्रित किए जाने की बहुत सराहना करता हूं। डोगरी को बढ़ावा देने की इसकी पहल दूरदर्शी और दूसरों के लिए अनुकरणीय है।
हम अपनी सांस्कृतिक भाषाओं के कारण एक समृद्ध देश हैं। हमें अपनी भाषाओं को पोषित करना होगा। हमें न केवल उनका संरक्षण करना है; बल्कि हमें उन्हें कार्यात्मक बनाना होगा। इसलिए मैं बहुत प्रसन्न और खुश हूं कि इस विश्वविद्यालय से निकलने वाली हमारी स्थानीय भाषाओं और संस्कृति के संरक्षण और प्रसार का यह कदम दूसरों के लिए एक रास्ता तय करेगा। एक और महत्वपूर्ण बात जिसने मुझे छुआ है वह यह है कि भारतीय संविधान एक ऐसा दस्तावेज है जो हमें चलाता है, जो हमें नियंत्रित करता है। भारतीय संविधान एक ऐसा दस्तावेज है जो विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को ध्यान में रखता है। इस दस्तावेज़ को कई भाषाओं से दूर नहीं रखा जा सकता। इसलिए मैं भारत के संविधान का डोगरी में अनुवाद करने के प्रयासों और दस दिवसीय बहु-कला महोत्सव "दुग्गर दर्पण" के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय को बधाई देता हूं। ये सार्थक और उचित पहलें है।
पश्चिमी बंगाल के राज्यपाल के रूप में, मुझे नौ राज्यों को कवर करने वाले पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र का अध्यक्ष बनने का अवसर मिला है। मैं इसका महत्व जानता हूं। यह दिलों को जोड़ता है, इसके परिणामस्वरूप वास्तविक प्रतिभा का दोहन होता है। मैं इन कार्यक्रमों की अपार सफलता की कामना करता हूं। मैं कुलपति द्वारा कही गई बात को दोहराता हूं कि माननीय प्रधान मंत्री दूरदर्शी हैं। वे निष्पादन में विश्वास रखते हैं। यह "लैंड टू लैब" और "लैब टू लैंड" का आह्वान और उस पर विचार है, मुझे खुशी है कि विश्वविद्यालय ने इसका उपयोग किया है और अन्य लोग भी इसका अनुसरण करेंगे। राज्यसभा के सभापति के रूप में भी, मैं अपने लोगों के बीच एक जुड़ाव पैदा करने के बेहद चिंतित रहता हूं। हमारा देश जीवंत देश है। यहां के लोगों, संस्कृति, भाषाओं और दृष्टिकोण की समृद्धि के कारण इसमें विविधता में एकता है। इसलिए आपका कार्यक्रम 'कॉलेज ऑन व्हील्स' चमत्कार करेगा और परिणाम ज्यामितीय होंगे। यह छात्रों को जीवन भर का अनुभव और नए आयाम प्रदान करेगा।
कहते हैं ना भगवान पूछे आपसे, आपकी मर्ज़ी क्या है? उचित रूप से कार्यान्वयन इस विश्वविद्यालय ने 'अपनी डिग्री डिज़ाइन' करने का उचित रूप से कार्यान्वयन किया है। यह आपका जीवन है, आपकी जीवन यात्रा है और आप इसे दिशा देने में सक्षम हैं। यह लीक से हटकर सोचना है, यह सकारात्मक अर्थों में जंगल की आग की तरह फैल जाएगी जिससे कोई विनाश नहीं होगा बल्कि केवल निर्माण और पुनर्निर्माण होगा। यह पथप्रदर्शक है और बहुत प्रभावशाली होगा। विश्वविद्यालय ने हाल ही में एक बहुत ही प्रतिष्ठित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें आपदा प्रबंधन के विषय में गुलमर्ग में सेना के हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) उल्लेखनीय है। हमारा देश दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसने आपदा प्रबंधन की कला में महारत हासिल है। आपने पूर्वी और पश्चिमी तट पर अक्सर देखा होगा, हमारे यहां चक्रवात तो आते हैं लेकिन समुद्री तट पर मृत्यु दर न के बराबर होती है। मौसम विभाग का तकनीकी सहयोग दुनिया के लिए ईर्ष्या का विषय है। और यह समझौता ज्ञापन एक मानव संसाधन तैयार करेगा जो हमें बहुत आगे तक ले जाएगा। इसलिए मैं कुलाधिपति, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की अनुमति से यह घोषणा करने के लिए थोड़ा उत्साहित और प्रेरित हूं कि विश्व मामलों की भारतीय परिषद जुलाई के अंत तक जम्मू विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन को अमल में लाएगी। विश्व मामलों की भारतीय परिषद के निदेशक, एक बहुत ही वरिष्ठ विदेश सेवा अधिकारी, तब उत्साहित हो गए जब मैंने उनके साथ यह विचार साझा किया कि इससे विश्वविद्यालय को वैश्विक स्तर पर संस्कृति शिक्षा और विदेशी मामलों में एक अन्य स्तर का ही अनुभव मिलेगा।
दीक्षांत समारोह किसी के जीवन में एक जादुई और महत्वपूर्ण क्षण होता है, जो आपमें से प्रत्येक को छात्र से जम्मू विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित पूर्व छात्र में बदल देता है। मैं पुरस्कार विजेताओं, उनके परिवारों और दोस्तों को बधाई देता हूं। जैसे ही आप दुनिया में कदम रखोगे, आपको एक छाप छोड़नी होगी, और एक संकल्प लेना होगा, आप जो भी दे सकते हैं वह समाज को लौटाएंगे, अपने शिक्षकों को लौटाएंगे, और आप अपने अल्मा मेटर के विकास पथ में योगदान देना जारी रखेंगे। इससे आपको अपने सपनों को साकार करने और अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।
मित्रों, सौभाग्य से आपके लिए, पिछले कुछ वर्षों में एक ऐसे पारि-तंत्र का उदय हुआ है जो युवाओं को अपनी क्षमता और प्रतिभा का दोहन करने के लिए अपनी ऊर्जा को पूरी तरह से उजागर करने में सक्षम बनाता है। यह कई सरकारी कदमों द्वारा किया गया है। मैं आपसे अपील करूंगा कि कभी तनाव या चिंता में न रहें, अपने मन को अपने विचारों को जमा करने की जगह न बनने दें और केवल असफल होने के डर से किसी विचार को क्रियान्वित करने में कभी संकोच न करें। असफलता का डर सिर्फ आपके मन में होता है दूसरों में नहीं । यदि एक बार किया गया प्रयास पहली बार में सफल नहीं होता है तो यह असफलता नहीं बल्कि एक प्रयास है। पहले प्रयास में कोई ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल नहीं हुई है, प्रयास करते रहें और मुझे यकीन है कि आपका भविष्य असीमित वृद्धि और स्थायी उपलब्धि से भरा होगा।
भारत का भविष्य आपके हाथों में है। अब आप सबसे महत्वपूर्ण हितधारक हैं। आप बहुत महत्वपूर्ण रचनाकार हैं, योगदान में प्रभावशाली होने के लिए आपको इन दिनों किसी परिवार या वंश से संबंधित होने या उत्तराधिकार तंत्र का हिस्सा होने की आवश्यकता नहीं है और यही कारण है कि आपने देखा होगा कि जब स्टार्टअप, यूनिकॉर्न की बात आती है, तो आपने आपकी प्रतिभा और प्रतिबद्धता के कारण चीन और अमरीका दोनों को पीछे छोड़ दिया है, इसे जारी रखें!
देश के इस हिस्से में, मैं उपराज्यपाल को उनके अथक प्रयासों, न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी सफल प्रयासों के लिए प्रणाम करता हूं। अब हमारे यहां सौहार्दपूर्ण वातावरण की प्रधानता है जो पहले कभी नहीं था। यह सबसे महान मिशनरी, सबसे कम उम्र के कुलपति डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है, जिन्होंने एक मजबूत एकजुट भारत के निर्माण के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। कल 23 जून को डॉ. श्यामा प्रसाद जी का बलिदान दिवस है। इस दिन 23 जून 1953 को श्रीनगर जेल में एक बंदी के रूप में उनकी मृत्यु हो गई थी। वह एक महत्वपूर्ण त्रासदी थी। लखनपुर में गिरफ्तार होने के कुछ दिनों के भीतर ही उनकी मृत्यु हो गई। क्यों? उन्होंने चुनौती दी कि भारत एक देश है और मैं अपने देश में प्रतिबंध क्यों झेलूंगा? उन्होंने संविधानवाद की सच्ची भावना का पालन करने का साहस किया और उन्हें हिरासत में ले लिया गया। यह हमारे लिए संतुष्टिदायक है। देर से ही सही, हमने उनका सपना साकार किया है। अब भारतीय अपने देश और इस हिस्से में भी स्वच्छन्द यात्रा कर सकते हैं। यह उपराज्यपाल की कार्यप्रणाली के प्रति सम्मान ही है कि पूरी दुनिया उनकी उपलब्धियों को देख रही है। जब जी-20 नेता यहां आए तो उन्होंने एक-एक पल का लुत्फ उठाया। दुनिया ने इसका भरपूर आनंद लिया, यह हम सभी के लिए गर्व का क्षण था।
अनुच्छेद 35ए और 370 को हटाने की मैं व्यक्तिगत रूप से बीस वर्षों से वकालत कर रहा था। यह एक विपथन था। मित्रों, संवैधानिक पाठ को पढ़ें, यह अनुच्छेद एक अस्थायी अनुच्छेद के रूप में रखा गया था लेकिन यह 70 वर्षों तक चला। हमें खुशी है कि अब वह वहां नहीं रही, और जो नारा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिया था,"एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान नहीं चलेंगे I" आज नहीं चल रहे हैं।
अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के बाद जम्मू और कश्मीर ने उल्लेखनीय वृद्धि और विकास के जिस पथ पर चलना शुरू किया है, वह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की दूरदर्शिता का प्रमाण है, जिन्होंने इसके लिए अपना जीवन दान दिया। इस क्षेत्र के राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल होने से निवेश, विकास और बेहतर प्रशासन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि जम्मू शिक्षा का केंद्र बनेगा। जो परिवर्तन हुए हैं, उन्हें देखिए, हमारे देश में सभी पेशेवर संस्थान जो पहले से ही यहां मौजूद हैं, जिनमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान शामिल हैं, उन्हें देखिए और कुछ ही महीनों में सांबा जिले में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पूरी तरह कार्यात्मक हो जाएंगे।
साथियों, मैं आपको बता दूं कि धारा 370 और 35ए हटने का असर हुआ है। भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने सभी अनुच्छेदों का मसौदा तैयार किया लेकिन उन्होंने अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार करने से मना कर दिया था। 890 केंद्रीय कानून लागू किए गए, राज्य को इनका लाभ नहीं मिल रहा था, 200 से अधिक राज्य कानूनों को निरस्त कर दिया गया है, 100 से अधिक राज्य कानूनों को संविधान के अनुरूप बनाने के लिए संशोधित किया गया है और जमीनी हकीकत को सड़क, रेल और वायु के माध्यम से कनेक्टिविटी ने उत्तरोत्तर वृद्धि दिखाई है। बनिहाल सुरंग और चेनानी-नाशरी सुरंग पूरी हो चुकी हैं और यातायात के लिए खुल गई हैं। इस क्षेत्र को इस बात पर गर्व है कि चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा 1315 मीटर लंबा रेलवे पुल बनकर तैयार हो गया है।
मैं यह बताना चाहूंगा कि हमारे देश में जो कुछ हो रहा है उस पर हमें गर्व है, लेकिन यह आश्चर्यजनक है और हमने इसके बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा था। एक दशक पहले हम 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थे। सितंबर 2022 में हमारे देश भारत को पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस प्रक्रिया में हम अपने पूर्व औपनिवेशिक शासकों, ब्रिटेन से भी आगे निकल गये।
मैं लोगों से कहता रहता हूं कि तथ्यों पर भरोसा करें, क्योंकि वे झूठ नहीं बोलते। इस देश में डिजिटल लेनदेन साल 2022 में 1.3 ट्रिलियन था। ऐसा तब तक नहीं हो सकता, जब तक प्राप्तकर्ता तकनीकी रूप से ग्रहणशील न हो। इस उपलब्धि में एक और मील का पत्थर है और मील का पत्थर यह था कि पूरी दुनिया में डिजिटल ट्रांसफर हुए। हमारी उपलब्धि का अर्थ है यूके, यूएसए, जर्मनी और फ्रांस के डिजिटल ट्रांसफर को 4 से गुणा करें और यह हमारा डिजिटल ट्रांसफर है, हमने इसके बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा था। 2022 में हमारे 700 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की, प्रति व्यक्ति डेटा खपत अमरीका और चीन की कुल खपत की तुलना में अधिक थी, ये उपलब्धियां हैं। जब लोकतंत्र की जननी और सबसे पुराना लोकतंत्र उत्थान पर है, तो उत्थान अबाध है।
मैं आप सभी से आग्रह और आह्वान करता हूं कि आप गौरवान्वित भारतीय बनें और हमारी ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करें। जब सब कुछ ठीक चल रहा है और दुनिया हम से ईष्या कर रही है और भारत का इतना सम्मान कर रही है, जितना पहले कभी नहीं हुआ। ये वो दिन नहीं हैं जब हमें दुनिया के सामने अपनी आवाज स्पष्ट करनी होती थी। अब दुनिया को इसका इंतजार रहता है कि सबसे बड़े लोकतंत्र का नेता किसी खास समय पर क्या कहेगा।
उस स्थिति में, यह चिंता का कारण है कि हममें से कुछ, एक बहुत ही छोटी श्रेणी, हमारे संस्थानों को कलंकित करने, धूमिल करने, अपमानित करने और इनकी निंदा करने का प्रयास करते हैं। हम इसका सामना कैसे कर सकते हैं? वे इस तथ्य को नजरअंदाज करते हुए खाद्य सुरक्षा की बात करते हैं कि 1 अप्रैल 2020 से यह देश 800 मिलियन से अधिक लोगों को भोजन प्रदान कर रहा है और यह अब तक जारी है, दुनिया का कोई भी देश इसके बारे में कभी सोच भी नहीं सकता है।
इस दुनिया में कोई भी देश ग्राम स्तर, पंचायत स्तर, पंचायत समिति स्तर, जिला परिषद स्तर, राज्य स्तर और केंद्रीय स्तर पर संवैधानिक रूप से सर्वाधिक कार्यात्मक लोकतंत्र होने पर गर्व नहीं कर सकता है। यह अविश्वसनीय राजनीतिक पारिस्थितिकी तंत्र हमारी मानवीय प्रतिभा के कारण है। हम भारतीयों का डीएनए मजबूत है, हम दुनिया में सबसे तेजी से कौशल सीखते हैं और यही कारण है कि, दुनिया के हर हिस्से में आपको एक भारतीय प्रतिभा मिलेगी जो कॉर्पोरेट और संस्थानों का नेतृत्व करते हुए भारत को गौरवान्वित कर रही होगी और वे देश हमारी प्रतिभा का सम्मान कर रहे होंगे। यह एक तरह से विडंबनापूर्ण और हास्यास्पद है कि इस देश के प्रति शत्रुता की भावना रखने वाली ताकतों द्वारा सुनियोजित तरीके से झूठी कहानियां फैलाई जाती हैं। त्रासदी यह है कि हममें से कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते।
मित्रो, मैं टाइम मैगज़ीन द्वारा ध्यान में लाए गए एक अन्य प्रकरण पर विचार करूँगा, जिस पर लगभग तीन दशक पहले विचार करने का अवसर आया था। यदि मूक बहुमत चुप रहने का फैसला करता है, तो उसे हमेशा के लिए मूक ही करा दिया जाएगा। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि अपने राष्ट्रवाद की रक्षा के लिए अपने दिमाग का इस्तेमाल करें और हमारी विकास गाथा को विफल करने के लिए भयावह तरीके से संप्रेषित की गई हानिकारक इच्छाओं को हल्के में न लें। एक बात जो मैं आपको बता सकता हूं, केवल पिछले कुछ वर्षों में परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं, कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। कानून के लंबे हाथ आप तक पहुंच जाएंगे। देश में कुछ लोगों ने यह मान लिया है कि वे कानून से ऊपर हैं। यदि किसी को किसी नियामक या एजेंसी द्वारा तलब किया गया है, तो वह एक ऐसे देश से बच निकलने के बारे में सोचने की हिम्मत भी कैसे कर सकता है जिसकी न्यायपालिका तक पहुंच है। मुझे आपके साथ साझा करते हुए बहुत खुशी हो रही है, और आप जानते हैं कि भ्रष्टाचार के हितधारक बचने का रास्ता पाने के लिए इन सभी ताकतों को एकजुट करेंगे। अच्छी बात यह है कि अब उनके भागने के सारे रास्ते बंद हो गए हैं। भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता है, यह संदेश अब और स्पष्ट है। आप किसी भी पहचान या किसी भी वंश के हो सकते हैं, आप कानून के प्रति जवाबदेह हैं। यह तंत्र पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी है।
मित्रों, श्रीनगर में जी-20 पर्यटन कार्य समूह को शानदार सफलता दिलाकर जिसे प्रभावशाली मीडिया द्वारा सभी स्तरों तक पहुंचाया गया, वैश्विक स्तर पर हमें काफी लाभ देने के लिए उपराज्यपाल को बधाई देने में मेरा साथ दें। और मेरे युवा मित्रों, सपने देखना कभी बंद न करें, आपकी विचारशील प्रक्रिया से हर सपना पूरा होगा और अगला कदम उठाने में कभी संकोच न करें।
मित्रों, अंत में, मैं उपराज्यपाल के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं कि जहां उनके प्रति मेरा सम्मान पहले से ही बहुत था, वहीं आज उनके वक्तव्य के व्यापक प्रसार की आवश्यकता है। मैं आप सभी की बड़ी सफलता की कामना करता हूं। आपका मार्ग सफलता, विकास और उल्लेखनीय उपलब्धियों से सुशोभित हो।
जय हिंद!