आप सभी को नमस्कार!
मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं आज जो भी हूं शिक्षा की वजह से हूं। जब मैं गांव में पढ़ता था, पढ़ाई के लिये हर दिन पांच-पांच किलोमीटर जाना-आना होता था, यानि दोनों तरफ 10 किलोमीटर .....यदि मुझे सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ से छात्रवृति नहीं मिली होती ....यह जो छात्रवृति मुझे मिली, उसने मेरा जीवन बदल दिया। इससे मुझे गुणवत्तापूर्वक शिक्षा मिली। मैं बहुत ही आज्ञाकारी छात्र था। गुरुजन मुझे बहुत प्यार करते थे। इसकी कीमत भी मुझे देनी पड़ी। आप भाग्यशाली हैं कि आपको आज भारतीय उत्पाद अमूल उपलब्ध है, लेकिन उन दिनों हमें पॉलसन बटर मिलता था। इसलिए, जब कभी मैं अध्यापक से बात करता, तो पीछे से आवाज आती थी पॉलसन, पॉलसन, पॉलसन। वह मुझे सभी अध्यापकों का चहेता मानते थे। मैं पढ़ाई के दौरान हमेशा स्वर्ण पदक विजेता रहा। मुझे बड़ा डर लगता था अगर टॉपर नहीं होऊंगा तो क्या होगा? बहुत डर लगता था और इस डर के मारे बहुत बड़ी कीमत दी है। बहुत बाद में पता चला कुछ नहीं होने वाला था। यह जरूरी नहीं है कि टॉपर ही रहो। तनाव मत रखो, दबाव में नहीं रहो, कोशिश करने में डरो नहीं, भय से भयभीत होना छोड़ दो - इससे कोई लाभ नहीं होता।
आप दुनिया में देखेंगे कि जिन सभी लोगों ने उद्योग स्थापित किए हैं, मूलभूत सुविधाएं सृजित की हैं, विश्वस्तरीय इमारतें बनाई हैं, वे वास्तविक सृजक नहीं हैं। वास्तिवक सृजक यहां बैठे हैं। वे विचार देते हैं, वे अवधारणा विकसित करते हैं। कार्यान्वयन से ज्यादा आसान कुछ नहीं है और योजना बनाने से ज्यादा कठिन कुछ नहीं है और यही आप सभी करते चले आ रहे हैं।
मुझे यह जानकर खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमल में लाने का काम यहां हो रहा है। सभी हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखते हुये तीन दशकों के बाद यह नीति विकसित हुई। मैं पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहा हूं। मैंने शिक्षाविदों और शिक्षा में रूचि रखने वालों तथा शिक्षा में उद्योग के तौर पर रूचि रखने वालों से विचार लिए हैं।
छात्रों, विचारकों ने हमें यह नीति दी है। अब आपके पास यह सुविधा है जैसा कि आपके निदेशक ने बताया है कि अब आप अपने मुख्य विषय के साथ गौण विषय भी ले सकते हैं। आप अपने जीवन में सीखेंगे कि जो गौण था वह मुख्य बन जाता है। यह बड़ा लाभ है जो आपको मिल रहा है।
मेरे नौजवान मित्रो, मैं यहां अपने विचार साझा करने आया हूं। मैंने आईआईटी मद्रास में भी विचार रखे जहां काफी लंबा सार्थक सत्र चला। मैंने छात्रों, संकाय के साथ बातचीत की, उनकी कार्यशालाओं का दौरा किया और उनकी उपलब्धियों को देखा। मैं आईआईएम, बेंगलुरु में भी जा चुका हूं। आपका यह संस्थान भी बेहतर संस्थानों में से एक है। आपकी आंखों में चमक देख कर मैं यह कह सकता हूं कि आपका भविष्य उज्ज्वल है। यह इससे ज्यादा उज्जवल नहीं हो सकता था और इस दिन इससे अधिक महत्वपूर्ण और कुछ नहीं हो सकता।
अमेरिका में भारत के प्रधानमंत्री की मौजूदगी अत्यंत प्रभावपूर्ण है और अब हम वैश्विक नेतृत्व की बराबरी में हैं। आप सौभाग्यशाली है कि आप ऐसे समय में रह रहे हैं जब इंडिया, हमारे भारत का अभूतपूर्व रूप से उत्थान हो रहा है और उसका यह उत्थान अब रूकने वाला नहीं है। यह उत्तरोत्तर विकास पथ बाधित नहीं हो सकता है लेकिन आपके योगदान से उसे उसकी वास्तविक गति मिल जायेगी।
मैं आपको कुछ आंकड़े बताता हूं। मैं आप पर आंकड़ों का ज्यादा बोझ नहीं डालूंगा। 2022 में डिजिटल अंतरण दुनिया में नया मानक है। 2022 में 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डालर का डिजिटल अंतरण हुआ, लेकिन यह महत्वपूर्ण नहीं है। ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारा डिजिटल अंतरण अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के कुल डिजिटल अंतरण के चार गुणे से अधिक रहा है।
आप सोच सकते हैं कि भारत कहां पहुंच चुका है और यह सब उसके 1.3 बिलियन लोगों द्वारा हुआ है। दुनिया सोचेगी कि वे नई प्रौद्योगिकी को कैसे अपनायेंगे। तथापि, ऐसा इस देश में हो चुका है। इन चार बड़े देशों का चार गुणा, मेरा मानना है कि यह एक उपलब्धि है। हम इस पर गर्व कर सकते हैं।
दूसरी उपलब्धि देखिए। एक दशक पहले दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में हमारा दसवां स्थान था। दुनिया की कुल आबादी का छठा हिस्सा हम हैं और हम दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र हैं लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था दसवें स्थान पर थी। सितंबर 2022 में हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गये। यह कोई आसान काम नहीं था और इस आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में हमने अपने पूर्व औपनिवेशक शासक ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया।
पर कुछ लोगों को भारत की महान उपलब्धियों को डाइजेस्ट करने में दर्द होता हैI उनको सोचने की आवश्यकता है, यह वह भारत नहीं है जो पहले था, अब यह वह भारत है जो सदियों पहले था जिसका 5000 साल का इतिहास है। कौन सा देश है जो हमारे जैसी 5000 वर्ष पुरानी सभ्यतागत गहनता रखने का दावा कर सकता है और उस पर गर्व कर सकता है? यह हमारी उपलब्धि है और अगले एक दशक तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा और जब भारत इस पर खुशियां मना रहा होगा, हो सकता है हम वहां नहीं रहें लेकिन आप सब तब 2047 में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे होंगे।
आप सभी मुख्य भूमिका निभाएंगे, आप सभी देश की वृद्वि में सहायक होंगे। भारत जब वर्ष 2047 में पहुंचेगा, अपनी स्वतंत्रता का शताब्दी वर्ष मना रहा होगा, तब हम दुनिया में पहले स्थान पर होंगे। दुनिया इसे जानती है, दुनिया इसे समझती है। यह वह समय नहीं है जब भारत को दुनिया को बताने की जरूरत है। समय बदल गया है। पूरी दुनिया आज भारत की तरफ देख रही है और देख रही है कि भारत के प्रधानमंत्री क्या कह रहे हैं और भारत के प्रधानमंत्री वही कहते हैं जो कि भारत के हित में है। हम भारतवासी वैश्विक शांति, भाईचारा, स्थिरता और विकास चाहते हैं। हम अदभुत देश हैं, हमारे जैसा कोई दूसरा देश नहीं है। हम ज्ञान और मानव संसाधनों पर काम कर रहे हैं।
मैं जब इस परिसर में पहुंचा और मैंने अपनी बांई तरफ की दीवार पर विजन और मिशन को देखा, तो यह सामंजस्यपूर्ण और ज्ञान के सम्मिश्रण के तौर पर दिखा।
मानव संसाधनों की समृद्धि और निखार में जो विकास हो रहा है, मैं आपको बता सकता हूं कि आपको नहीं पता, लेकिन आपके संस्थान की बहुत ख्याति है। इसे आपकी सोच से काफी ऊंची रैंकिंग मिली है एवं इसकी रैकिंग में सुधार हुआ है और मुझे विश्वास है कि यह काफी ऊपर जायेगी।
मैं एक और आंकड़ा बताता हूं, हम भारतीयों का मजबूत डीएनए है। हम चीजें तेजी से सीख जाते हैं। और यही तो कारण है कि भारत में 700 मिलियन इंटरनेट प्रयोक्ता हैं।
लोग कहते हैं कि इतनी ज्यादा जनसंख्या है, इसमें क्या महारत है। मैं बताता हूं महारत क्या है। 2022 में हमारा प्रति व्यक्ति डेटा खपत अमेरिका और चीन दोनों को मिला लो तो उससे ज्यादा था। यह अचीवमेंट क्यों है, क्योंकि जो भारत का दिमाग है, समर्पित भाव से काम करने की जो कैपेसिटी है ...... हमारे पास सातों दिन चैबीस घंटे काम करने की क्षमता है। बाहर आपको ऐसी कार्य संस्कृति नहीं मिलेगी। यही वजह है कि पूरी दुनिया में आपको शीर्ष पर भारतीय प्रतिभाओं की उपस्थिति मिल जाएगी। यह देखकर काफी संतोष भी होता है और बधाई की बात है कि इसमें महिलाओं ने ज्यादा बाजी मार रखी है। मेरी यहां भी आपकी उपस्थिति संतुलित है।
मेरा आपसे यह कहना है कि जब हम इतने महान देश में रह रहे हैं, जिसकी इतनी बड़ी सभ्यता है, हमारी वृद्धि की रफ्तार निर्बाध है, हमेशा बढ़ने वाली है, आज हम खुली आंख से वह चीजें देख रहे हैं, जिसका हम सपना भी नहीं ले सकते थे।
1989 में, मैं लोक सभा सदस्य के रूप में संसद के लिए निर्वाचित हुआ। मेरे पास अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को एक वर्ष में 50 गैस कनेक्शन देने का अधिकार था। लोग कहते थे कि एम.पी. की बड़ी शक्ति है। आज प्रधानमंत्री जी ने 17 करोड़ लोगों को गैस-कनेक्शन फ्री दे दिए जिन्हें इसकी आवश्यकता है। यह क्रांति है कि नहीं है? कितनी बड़ी सोच है एक आदमी की, हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास इस समय ऐसा नेतृत्व है जहां विजन है, अमल होता है और वहां परिणाम आपके सामने होता है।
उपराष्ट्रपति होने के नाते मैं राज्य सभा का सभापति भी हूं। आपको लगता है कि नये संसद भवन के रूप में सिर्फ एक बहुत बड़ा भवन आया है? 30 महीने से भी कम समय में और कोविड के बावजूद, वह सिर्फ एक भवन नहीं है, यह अंदर से भी पूरी तरह से तैयार है। सामान्य रूप में केवल भवन की साज-सज्जा में ही 10 साल लगते हैं। कितना तादात्म्य और सोच-विचार इसमें गया होगा। नये संसद भवन में संपूर्ण भारत और भारतीयता की झलक दिखती है। कल्पना कीजिए - यह ढाई वर्ष से भी कम समय में बनकर तैयार हुआ है!
जयपुर से दिल्ली जाना भी अब आसान हो गया और आपको अलग-अलग विकल्प भी मिलते हैं। भारत का विकास एक उच्च समभूमि की तरह है, यह सभी मानदंडों में आगे बढ़ रहा है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि आज के दिन जो दिल्ली से आता है उसमें आप 1 % की भी कैंची नहीं मार सकते, यह बिना किसी मध्यस्थ, बिचौलिए और संपर्क एजेंट के सीधे आपके पास पहुंचता है। मैं आपको सबसे मुश्किल हस्तांतरण का उदाहरण दूंगा जो कि एक गांव में किसान का है। 11 करोड़ किसानों को 2.25 लाख करोड़ रूपये सीधे उनके बैंक खाते में प्राप्त हुये हैं।
भारत बदल चुका है और बदलते भारत में कुछ लोगों को चुनौतियां आ गईं हैं, बेतुकी बातें करते हैं, कहते हैं कि भारत जीवंत लोकतंत्र नहीं है। मुझे इससे पीड़ा होती है। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि उसी के मुताबिक विश्लेषण कीजिए और प्रतिक्रिया दीजिए क्योंकि भारत दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जहां गांव के स्तर पर, पंचायत के स्तर पर, जिला परिषद के स्तर पर, राज्य विधानमंडल और निस्संदेह, संसद के स्तर पर संवैधानिक लोकतंत्र है। ऐसी परिस्थिति में यदि लोग बाहर जाकर यह कहें कि भारत में जीवंत लोकतंत्र नहीं है, भारत के राष्ट्रवाद के साथ बदसलूकी है, बदसलूकी आपके भविष्य के साथ है। वह बदसलूकी हमारे भविष्य के विकास के ऊपर अंकुश लगाने का कुप्रयास है। हम ऐसे अनर्थकारियों द्वारा ऐसे हानिकारक आख्यानों से हमारे संस्थानों और विकास की निंदा और अपमान नहीं करने दे सकते हैं।
इसमें युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका है, क्योंकि आप विचारशील और बुद्धिशील व्यक्ति हैं। यदि मैं आपको कुछ बताऊं, तो आप तथ्यात्मक विश्लेषण करेंगे कि क्या उपराष्ट्रपति ने तथ्यात्मक रूप से कुछ सही बात कही है। इस सभागार में और बाहर जो भी हैं उन्हें यह विश्लेषण करना होगा कि यदि विचारशील बुद्धिजीवी व्यक्ति इन ताकतों को नहीं रोकेंगे अथवा निष्प्रभावी नहीं करेंगे, तो हम अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे हैं।
मित्रों, हमें सदैव अपने राष्ट्र पर विश्वास रखना चाहिए, इसका कोई विकल्प नहीं है। हमें भारतीय होने पर गर्व क्यों नहीं होना चाहिए? हमें अपनी उपलब्धियों पर गर्व क्यों नहीं होना चाहिए। मुझे प्रिंस चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक के दौरान लंदन में होने का सुअवसर मिला, मैंने वहां छात्रों से बातचीत की, वे सभी भारत को लेकर काफी उत्साहित थे। मैं यह कहता रहा हूं कि जो भारतीय छात्र बाहर जाते हैं वह काफी प्रतिभाशाली होते हैं, लेकिन वह आपको प्रतिभा में नहीं हरा सकते हैं और इसलिए वह यहां समायोजित नहीं हो पाते हैं और इस प्रकार, वे वहां निकल जाते हैं।
मेरी बातों को याद रखिये, यहां हमारे संस्थानों में सबसे बेहतर प्रतिभाएं हैं, आपको अपने आपको नहीं बल्कि दुनिया को बदलना है। आप जब बाहर जाते हैं वहां आपको अलग परिवेश मिलेगा, एक के बाद एक सकारात्मक कदमों से आप अपने सपने साकार कर सकते हैं।
जब मैं 1979 में वकील था, तो एक पुस्तकालय बनाना चाहता था और मुझे 6000 रूपये की जरूरत थी। उस बैंक मैनेजर का चेहरा आज भी मुझे याद है जिसने बिना गारंटी के मुझे पैसा दिया था। अब आपको केवल एक विचार चाहिये और आपके लिये पूरा जहां खुला है, आप कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं।
हमारे स्टार्टअप्स और यूनिकार्न युवाओं ने शुरू किये हैं। वास्तव में, मैं आप सभी युवकों और युवतियों को यह बताना चाहता हूं कि आप आज बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लिए चुनौती खड़ी कर रहे हैं, अब वह लोग सचेत हो गए हैं कि आज का पढ़ा हुआ युवा क्या करिश्मा दिखा सकता है और धन अर्जन करने में भी हमसे आगे जा सकते हैं और ऐसा देखने को मिल रहा है।
मैं छात्रों के साथ वार्तालाप करके न केवल अपने आप को अभिप्रेरित, ऊर्जावान और प्रेरित महसूस करता हूं, बल्कि मैं उनसे भी मिलता हूं जो सिविल सेवाओं में आते हैं। मैं अब एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात कह रहा हूं, मैंने सिविल सेवा दिवस पर भी यह कहा था: जब आप सिविल सेवाओं में आते हैं और देश की सेवा करने का निर्णय लेते हैं, तो आपको ज्यादा पैसा नहीं मिलता है। लोगों को बाहर काफी अधिक मिलता है। लेकिन जो संतुष्टि और चेहरे पर चमक अपने देश की सेवा करने में आती है, वह आपको कहीं नहीं आएगी।
अपने चारों ओर के परिवेश में कुछ अलग कीजिये, इसके लिये मेरे कुछ सुझाव हैं:-
● तनाव और दबाव को बिल्कुल त्याग दीजिये, इससे कुछ नहीं होने वाला है, इसे नजरअंदाज करें।
● अपने दिमाग में कई तरह के विचारों को पड़ा मत रहने दें, जैसे ही कोई विचार आता है उस पर अमल करें।
● असफलताओं से मत डरिए, यह बुराई नहीं है, कोई भी पहले ही प्रयास में चांद पर नहीं पहुंचा, उसके बाद प्रयास करना पड़ता है लेकिन यदि आपके प्रतिभाशाली दिमाग में कोई विचार आता है और आप उस पर अमल नहीं करते हैं, तो आप मानवता के साथ बड़ा अन्याय कर रहे हैं।
● प्रतिस्पर्धा में मत पड़िए, दूसरों से नहीं बल्कि खुद से प्रतिस्पर्धा करें, आपको जो ठीक लगता है वह कीजिये।
● दूसरों के प्रभाव और सोच पर मत चलिये। दूसरों को आप अपना मूल्यांकन करने का मौका न दें, मैं इस विचार का पूरी तरह से विरोध करता हूं कि बाहर के निकाय भारत का आकलन करें। वे हमें मापते हैं। वे हमारी खाद्य सुरक्षा पर सवाल उठातें हैं। शायद उन्हें यह पता नहीं है कि एक अप्रैल 2020 से भारत में 80 करोड़ लोगों को नि:शुल्क अनाज दिया जा रहा है। ऐसे देश में खाद्य सुरक्षा कैसे नहीं हो सकती है?
गांव के अंदर आज वातावरण बदल गया है, रेल की टिकट, हवाई जहाज की टिकट, गैस बुकिंग, पासपोर्ट के लिये अब किसी को कहना नहीं पड़ता, यह सब हो गया है, तभी तो प्रति व्यक्ति डेटा खपत अमेरिका और चीन से ज्यादा है।
अब अच्छी बात यह है जो हमारे समय नहीं थी कि हमारी वृद्धि सीजेरियन थी, धरती फाड़ कर ऊपर आना पड़ता था। वंशवाद और उत्तराधिकार चलता था। कुछ लोगों के बच्चे हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड में एडमिशन लेते थे। अब हालात बदल गए हैं सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध है। आप सौभाग्यशाली हैं कि इस समय के भारत में हैं जहां ऐसा परिवेश है जिसमें आपकी प्रतिभा और क्षमता का पूर्ण इस्तेमाल हो सकता है। अवसर को हाथ से निकलने मत दीजिए। मुझे इसमें कोई शंका नहीं है कि आप आगे बढ़ेगे।
एक नई समस्या है, आज के समय क्या कोई कानून से ऊपर है? नहीं है ना। यदि कोई कानून से उपर है अथवा किसी को कानून से छूट है, तो हम विधि सम्मत शासन वाला समाज होने का दावा नहीं कर सकते हैं। कुछ लोगों का भ्रम अब टूट रहा है, और चकनाचूर हो रहा है लेकिन फिर भी कुछ बाकी है, कि हमें कानून का नोटिस क्यों मिल गया? और लोग सड़कों पर आ जाते हैं। युवाओं को सवाल करना चाहिये; जब आपको नोटिस मिला है तो आप कानून का रास्ता क्यों नहीं अपनाते हैं? न्याय का सहारा लीजिए लेकिन लोग सड़कों पर उतर जाते हैं। क्यों? आज कोई भी कानून से उपर नहीं है। मैं राजनीति में नहीं हूं लेकिन मुझे विधि सम्मत शासन और सामाजिक विकास से सरोकार है।
अगर पब्लिक प्रॉपर्टी को कोई हानि पहुंचाता है, या जला देता है और वीडियो ऑडियो पर वह दिखता है, लेकिन उस पर कोई एक्शन नहीं होता, क्यों? युवाओं को इस पर प्रश्न उठाना चाहिये और सोशल मीडिया पर सकारात्मक और विकासोन्मुख विचारों के साथ हावी हो जाना चाहिए।
मुझे यह जानकार प्रसन्नता है कि आपने अनेक समझौता ज्ञापन किये हैं। भारतीय वैश्विक परिषद बहुत महत्वपूर्ण निकाय है जो कि भारत के मानव संसाधन को दुनिया के साथ जोड़ता है। उप-राष्ट्रपति होने के नाते मैं उस निकाय का अध्यक्ष हूं। मैं घोषणा करता हूं कि भारतीय वैश्विक परिषद का आपके संस्थान के साथ अगले 30 दिन के भीतर समझौता ज्ञापन होगा और भारतीय विदेश सेवा की एक बहुत वरिष्ठ अधिकारी, मैडम ठाकुर निदेशक तथा छात्रों के साथ विचार विमर्श करने इस संस्थान में आएंगी और आपको उन अवसरों के बारे में बताएंगी जो वहां हो सकते हैं। मैं माननीय निदेशक से अपील करूंगा कि जब हम नये संसद भवन में प्रवेश करेंगे, तो नई संसद को देखने के लिए इस संस्थान के प्रतिनिधिमंडल का मैं स्वागत करूंगा।
माननीय प्रधानमंत्री ने आज अपने भाषण में कहा, ‘‘पूरा विश्व आज कृत्रिम बुद्धिमता को लेकर उत्साहित है’’ और कहा ‘‘अमेरिका- भारत: दो समकक्ष’’ एवं उनकी यह बात मायने रखती है। इस देश की वृद्धि इतिहास के निर्णायक क्षण में है। यह भारत की पुन: खोज नहीं है, हमने इसे पुन: खोज निकाला है: यह भारत को पाना है और हम इसे पा लेंगे।
मेरी टीम यहां कार्य करेगी और आपके सभी प्रश्नों पर विचार करेगी, जिनका उत्तर मैं वीडियो के माध्यम से दूंगा। व्यापक क्षेत्र और कतिपय चिंताओं को समाविष्ट करते हुए अत्यंत सुविचारित प्रश्न होने चाहिएं। उनमें ऐसी कई बातें हों जो कि देश में हुई हैं। मैं आपके सभी संदेहों को स्पष्ट करूंगा और यदि कुछ चीजों को क्रियान्वित किया जाना है, तो मैं उसके लिये अपनी तरफ से प्रयास करूंगा।
मैं आप सभी को जीवन में अपार सफलता के लिये बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।