सिविल सेवा दिवस सिविल सेवकों के लिए नागरिकों के लिए खुद को फिर से समर्पित करने और काम में अपनी प्रतिबद्धताओं और उत्कृष्टता को नवीनीकृत करने का एक अवसर है।
यह राष्ट्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें हमारे देश के प्रशासन और विकास यात्रा में इस वर्ग की आधारभूत भूमिका की याद दिलाता है।
वास्तव में इस महत्वपूर्ण अवसर का हिस्सा बनना सम्मान और सौभाग्य की बात है। केंद्र सरकार के लिए विभिन्न विभागों के कार्यों का मूल्यांकन करने और सिविल सेवा के लिए अपने योगदान को दर्शाने का अवसर है। इस तरह का स्वमूल्यांकन अत्यधिक उत्पादक होता है।
1947 में आज ही के दिन भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने सिविल सेवकों को 'भारत के स्टील फ्रेम' के रूप में निरूपित किया था – यह वर्ग वर्तमान सरकार की नीतियों के निष्पादक है, एक स्तंभ है जिस पर शासन का पहिया देश के लिए नीतियों और कार्यक्रमों का मंथन करता है।
सरदार का विजन- आधुनिक भारत का एकीकरण, सिविल सेवकों के साथ-साथ देश भर में हम सभी को राष्ट्र के लिए अनुकरणीय योगदान देने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करता है। भारत के हित को हमेशा सर्वोपरि रखना हमारा सामूहिक 'धर्म' है।
हम सभी को भारतीय होने पर गर्व है और हमें अपनी आश्चर्यजनक उपलब्धियों और विकास के साथ-साथ हमारी सभ्यतागत लोकाचार पर गर्व करना चाहिए जो हजारों साल पहले का है।
हमारी वैश्विक छवि इस समय अब तक की सबसे उत्तम छवि है। दुनिया आज वैश्विक मुद्दों पर 'भारत की आवाज' का इंतजार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में बयान दिया था कि 'विस्तारवाद का युग खत्म हो गया है, यह विकास का युग है' और 2022 में "आज का युग युद्ध का नहीं है" हमारे वैश्विक रुख को परिभाषित करने वाली दुनिया की आवाज बन गया।
'राष्ट्र हमेशा पहले' हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए। जो लोग इस विचारधारा से बाहर हैं, उन्हें अपनी विचार प्रक्रिया पर चिंतन करने और फिर से विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि अन्यथा कुछ भी हमारे राष्ट्रवाद के खिलाफ होगा।
मित्रो, दुनिया के सबसे शक्तिशाली मानव संसाधन, विशाल प्रतिभा और विशेषज्ञता के भंडार के साथ जुड़ने के इस अवसर का लाभ उठाना सौभाग्य की बात है। आप मानवता के छठे हिस्से के जीवन को बदलने में सराहनीय रूप से लगे हुए हैं । एक वर्ग के रूप में आप परिवर्तन और विकास को प्रभावित करने के लिए लाखों और शक्तिशाली प्रभावशाली लोगों के लिए रोल मॉडल हैं।
आपका पदस्थापन सबसे कठोर चयन प्रक्रिया द्वारा मूल्यांकन की गई योग्यता के आधार पर है। यह किसी भी उदारता या संरक्षण से परे है।
यह सर्वविदित है कि सबसे कठिन परीक्षा में सफल होने के बाद भी सिविल सेवकों के वित्तीय लाभों की उपलब्ध विकल्पों के साथ तुलना नहीं की जा सकती।
हालांकि, सिविल सेवाओं के बारे में कुछ अनूठा और विशेष है जो अन्य विकल्पों वाले आपके साथी आपसे ईर्ष्या करते हैं। यह आपको लोगों की सेवा करने और उनके उत्थान के लिए उदात्त और ईश्वरीय अवसर प्रदान करता है।
आप राष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हितधारक हैं और इसलिए हमारे नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए तैनात हैं। आप परिवर्तन के सबसे अधिक दिखाई देने वाले और प्रभावी एजेंट हैं जो हमारे भू-परिदृश्य को प्रभावित कर रहे हैं।
सिविल सेवा हमारी सरकार की रीढ़ है और राष्ट्र के सुचारू संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अमृत काल में आप 2047 के योद्धा हैं जो इस समय एक ऐसी नींव रख रहे हैं जो भारत को उस समय आकार देगी जब यह अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा।
हाल के वर्षों में सिविल सेवा की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए निम्नलिखित को सुनिश्चित करते हुए श्रृंखलाबद्ध कदम उठाए गए हैं:
• नीतिगत निर्देशों को लागू करने की कार्य-विधि और तौर-तरीकों में बढ़ती नमनीयता;
• जवाबदेही की बहुलता का युक्तिकरण; और
• प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्यों एवं मानकों का सुदृढ़ रूप से निर्धारण जिससे ऐसा स्पष्ट दृष्टिकोण प्रदान किया जाए जो किसी भी विकास के लिए सर्वोत्कृष्ट हो।
2018 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 में धारा 17 क को शामिल करना सही दिशा में एक कदम है। यह अब जांच के लिए संबंधित प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्रदान करके आधिकारिक कार्यों और कर्तव्यों के निर्वहन में लोक सेवक द्वारा की गई सिफारिशों या निर्णय के संबंध में मुद्दों की जांच को नियंत्रित करता है।
यह सिविल सेवा को "मिलकर काम करने" का भी अवसर देता है। निर्णय लेने में वर्धित आश्वासन से पहले से ही नवीन परिणाम मिल रहे हैं।
इस वर्ष के सिविल सेवा दिवस का विषय बहुत उपयुक्त है - 'नागरिकों को सशक्त बनाने और अंतिम चरण तक पहुंचने' के उद्देश्य से विकसित भारत।
यह विषय समावेशी विकास में संलग्न होकर अपने सभी नागरिकों के लिए अधिक न्यायसंगत और समृद्ध भारत प्राप्त करने के लिए सरकार के संकल्प और दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
सिविल सेवा "संकल्प से सिद्धि" प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता के माध्यम से विकसित भारत को प्राप्त करने का आधार है। यह विषय हमारे संविधान की प्रस्तावना का प्रतिबिंब है जो अपने सभी नागरिकों को सुरक्षित करना चाहता है: न्याय; स्वतंत्रता; समानता और बंधुत्व। एक सुखदायक परिदृश्य- राष्ट्र तेजी से इस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।
दो पूर्ण सत्र और चार ब्रेकअवे सत्र निश्चित रूप से सार्थक बातचीत और विचारों के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करेंगे। चर्चाओं और विचार-विमर्श से आप सभी को पर्याप्त उपयोगी जानकारी मिलेगी जिससे विभिन्न मंत्रालयों द्वारा किए जा रहे प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान संभव होगा।
सुविचारित तंत्र यानी चिंतन शिविरों का अनुभव काफी अच्छा रहा है, जहां पूर्ण सरकारी दृष्टिकोण सामने लाने के लिए मंत्रालय/विभाग सभी स्तरों पर शामिल होते हैं। इस तरह के स्व-मूल्यांकन और आत्म निरीक्षण से व्यवस्था-संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है ।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग सराहनीय रूप से शासन में उत्कृष्टता को बढ़ावा दे रहा है। इसके द्वारा प्रशासनिक सुधारों को लागू करने, नवाचार को बढ़ावा देने और नागरिक-केंद्रित सेवा आपूर्ति तंत्र को मजबूती प्रदान करने हेतु किए गए प्रयास सफल रहे हैं और ये सरकारी तंत्र के संचालन के तरीके को बदल रहे हैं।
आज, विभिन्न सरकारी नीतियों और पहलों के कारण भारत पहले से कहीं अधिक तेजी से विकास कर रहा है। इसकी प्रेरणा आकांक्षाओं और नवाचारों के क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व वृद्धि से मिल रही है और हमारे नागरिकों की उपलब्धियों ने इसे संभव बनाया है।
नेतृत्व की दूरदर्शिता, देशवासियों की प्रतिभा और सिविल सेवकों की प्रतिबद्धता के इस संयोजन से भारत अवसरों और निवेश के लिए विश्व का पसंदीदा देश बन गया है। देश को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था होने का सम्मान प्राप्त है।
सिविल सेवा द्वारा कार्यप्रणाली में इस सहज तालमेल के कारण, नेतृत्व के विजन को जमीनी स्तर पर वास्तविकता में बदलने के लिए काम किया जा रहा है। फलस्वरूप डिजिटल प्लेटफॉर्म, आर्टिफ़िसियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा साइंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाया जा रहा है।
अभिनव और समावेशी उपाय वंचित समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों का शमन और समाधान कर रहे हैं। इससे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच से जुड़ी जन- आकांक्षाएं पूरी हो रही हैं। सिविल सेवकों के दृढ़ संकल्प और दृढ़ निश्चय से यह संभव हो पाया है।
सिविल सेवा द्वारा सरकारी पहलों और नीतियों के विश्वसनीय कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखला का केंद्र बन गया है जिससे उद्यमशीलता की नई संस्कृति को बढ़ावा मिला है और नवप्रवर्तक स्टार्टअप उद्यमों की राह आसान हुई है।
ये सभी अब लोक प्रशासन का अनिवार्य हिस्सा हैं ताकि हमारे नए मंत्र- आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की मांगों को पूरा किया जा सके।
विभिन्न समाधानों, यथा, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण; नियम आधारित कार्यप्रणाली से भूमिका आधारित कार्यप्रणाली की दिशा में बदलाव; नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण; सार्वजनिक सेवा वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने वाले इको सिस्टम ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम प्रशासन’, से बड़े पैमाने पर लोग लाभान्वित हुए हैं।
हमारी राजनीतिक व्यवस्था की भांति ही, सिविल सेवा संरचना भी निरंतर अधिक प्रतिनिधिक बन रही है जिसमें समाज के सभी वर्ग शामिल हैं। ऐसे कई अन्य देश हैं जो अभी तक आपसे प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाए हैं और वे सोचते हैं कि ऐसा नहीं है, लेकिन परिवर्तन इतना नाटकीय और विकासपरक है कि इसे महसूस किया जा सकता है। अब दूर-दराज के गांवों, साधारण परिवारों और वंचित समुदायों से युवा प्रतिभाएं सिविल सेवाओं में शामिल हो रही हैं। इन युवाओं ने गरीबी उन्मूलन और उनकी पूर्ण क्षमता को साकार करने के अवसरों में सुधार लाने में लोक प्रशासन की सकारात्मक भूमिका को करीब से देखा है।
यह देखकर भी प्रसन्नता होती है कि अधिक से अधिक प्रतिभाशाली युवा महिलाएं सिविल सेवाओं में शामिल हो रही हैं जो लोक प्रशासन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं। उनकी उपस्थिति से नौकरशाही अधिक संवेदनशील और सर्वांगीण बनेगी।
राजनीतिक कार्यपालिका की दृष्टि और नीतियां आपके सर्वोच्च प्रदर्शन के लिए और आपकी प्रतिभा और क्षमता के दोहन के लिए अत्यावश्यक हैं। सौभाग्य से, इष्टतम उत्पादन के लिए वातावरण मौजूद होने के कारण आज यह एक जमीनी हकीकत है।
दृढ़ और दूरदर्शी नेतृत्व और केंद्र में स्थिर शासन होने से, हाल के वर्षों में एक संपुष्ट पारिस्थितिकी तंत्र का उदय हुआ है, जो नीतियों के त्वरित निष्पादन में नौकरशाही के कौशल को उजागर करने में सक्षम है।
समावेशी विकास जो सिर्फ एक अवधारणा थी, अब जमीनी वास्तविकता है और एक नया प्रतिमानक है जिसके लाभ उन लोगों तक पहुंच रहे हैं, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। इसके सभी स्तरों पर, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों के शासन में क्रांति ला दी है।
व्यापक रूप से प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना शासन में एक बड़ा गेम चेंजर रहा है। टीकाकरण की सफलता के लिए कोविन (CoWIN) पोर्टल को विश्व स्तर पर मान्यता प्रदान की गई है और मैने अपनी विदेश यात्राओं में इस उत्साह को महसूस किया है।
कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में सिविल सेवकों ने देश में सभी स्तरों पर सराहनीय भूमिका निभाई और एक नया वैश्विक मानदंड स्थापित किया। आपने बड़ी सफलता हासिल की और राष्ट्र को गौरवान्वित किया।
सिविल सेवकों की सोच अब आम आदमी को सेवा प्रदान करने पर केंद्रित है। तकनीकी भागीदारी ने सेवा प्रदायगी को गति दी है और इस प्रक्रिया में, 'बिचौलियों' के लंबे समय से चले आ रहे खतरे को समाप्त कर दिया है। सिविल सेवाओं ने कभी भी बिचौलियां का निर्माण नहीं किया है, वे दशकों से बिचौलियों की मौजूदगी से निरपवाद रूप से प्रभावित हुए हैं। उपलब्धियां आश्चर्यजनक रूप से प्रभावशाली हैं- चाहे वह ग्रामीण आवास, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली आपूर्ति, बैंक खातों के क्षेत्र में हो या भुगतानों के डिजिटलीकरण के क्षेत्र में।
पारदर्शिता और जवाबदेही अब एक सुसंबद्ध व्यवस्था के अपरिहार्य अंग हैं। प्रौद्योगिकी की शुरुआत के द्वारा प्रणाली के सशक्तिकरण के कारण भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। यह प्रौद्योगिकी गांवों तक पहुंच चुकी है, लोग इसका व्यापक रूप से लाभ उठा रहे हैं जो उन लोगों के लिए बड़ी राहत है जिन्होंने इसके बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा था।
आकांक्षी जिले और स्मार्ट शहर संबंधी कल्पनाशील विचार परिदृश्य को परिवर्तित कर रहे हैं। मुझे यह जानकर खुशी और अत्यधिक प्रफुल्लता हुई कि एक जिला जहां पहले कोई जिलाधिकारी नहीं जाना चाहता था, अब एक बहुत अधिक पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है, क्योंकि यह एक आकांक्षी जिला है, जो इसे उच्च स्तर पर ले जाने का अवसर पैदा करता है। यह बड़ा बदलाव सुविचारित है और आकांक्षी जिलों और स्मार्ट शहरों के संबंध में प्रभावी निष्पादन यह साबित करता है कि नियमित संकेतक-आधारित निगरानी क्या-क्या हासिल कर सकती है। आम आदमी के लिए स्मार्ट सिटी से यह आशय उस सिटी के स्मार्ट होने से था, लेकिन क्या आप इस बात को स्वीकार करेंगे कि इसे प्रामाणिक आधारभूत तरीके से स्मार्ट होना चाहिए, यानी वहां रहने वाले लोगों की उन प्रौद्योगिकी और सुविधाओं तक पहुंच होनी चाहिए, जिन्हें कभी अनन्य और संरक्षित माना जाता था।
परिपूर्णता का दृष्टिकोण विकास के लिए एक गांधीवादी तरीका है जिसने कतार में अंतिम व्यक्ति तक इन लाभों की प्राप्ति सुनिश्चित की है। यह आपके जुनून, मिशन, प्रतिबद्धता और दिशा के बिना संभव नहीं हो सकता था।
विकास को प्रभावी बनाने के लिए स्थिर सरकार के महत्व को कभी कम करके नहीं आंका जा सकता। मैं 1989 में लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुआ और उस अवधि के दौरान मुझे केंद्रीय मंत्री बनने का भी अवसर प्राप्त हुआ। हम एक दर्जन से अधिक दलों के गठबंधन वाली सरकार चला रहे थे; मैं ऐसे कुछ लोगों में से एक हूं जो गठबंधन सरकार की बाध्यताओं को जानते हैं। इस पृष्ठभूमि में 2014 और 2019 के राजनीतिक घटनाक्रम ऐतिहासिक क्षण हैं। यह शासन के लिए प्रभावशाली साबित हुआ है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे हमारी वैश्विक प्रतिष्ठा में भी वृद्धि हुई है।
सत्ता के गलियारों में गहराई तक अपनी जड़ें जमा चुके ऐसे अवांछनीय तत्वों को समाप्त किया जाना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो लंबे समय तक शासन का गैर-कानूनी रूप से लाभ उठाते आ रहे हैं और इसकी व्यापक रूप से प्रशंसा की गई है। इन अवांछनीय तत्वों की मौजूदगी सिविल सेवा के कारण कभी नहीं रही। इनका खामियाजा सिविल सेवा को भुगतना पड़ा और अब यह स्थिति नहीं है।
सत्ता के दलालों के विगत में फलते-फूलते आकर्षक उद्योग पर ग्रहण विशेष रूप से सिविल सेवा के लिए एक वरदान है, जो इसे अपनी ऊर्जा का भरपूर उपयोग करने और बिना किसी भय या पक्षपात के काम करने में सक्षम बनाता है।
भारत इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा है जितना पहले कभी नहीं था और यह निर्बाध वृद्धि है। इसका श्रेय सकारात्मक पहल और नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन को जाता है। भारत आज अवसरों और निवेश का वैश्विक गंतव्य है।
भारत को हाल के वर्षों में कुछ शानदार सफलताएँ मिली हैं जिन्होंने बाकी दुनिया के लिए एक मिसाल कायम करते हुए देश को बदल दिया है। उदाहरण के लिए एक साधारण सी बात को लें। जिन 220 करोड़ लोगों ने टीकाकरण करवाया, उनका प्रमाणन मोबाइल पर उपलब्ध है। दुनिया का कोई भी देश इन अद्भुत कार्यों की बराबरी नहीं कर सकता। यह सब नेतृत्व की दूरदर्शिता और आपके द्वारा इसके प्रभावी क्रियान्वयन के कारण हो पाया है।
हमारे लोगों की प्रतिभा और सिविल सेवा की प्रतिबद्धता ने हमें सितंबर 2022 में हमारे पूर्व औपनिवेशिक शासकों को पीछे छोड़ते हुए पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल करने में मदद की है। सभी मान्यता-प्राप्त संकेतों से, भारत दशक के अंत में तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
बड़े पैमाने पर वित्तीय लाभों के प्रत्यक्ष अंतरण ने सार्वजनिक सेवा वितरण में हानिकारक लीकेज को बंद कर दिया है। इस लीकेज की भयावहता का अंदाज़ा एक पूर्व प्रधानमंत्री के विक्षुब्धकारी बयान से लगाया जा सकता है कि लाभार्थी तक वास्तव में केवल एक छोटा सा अंश ही पहुंच रहा है। इस लीकेज को अब अपरिवर्तनीय रूप से बंद कर दिया गया है।
भारत के विकास का ब्लूप्रिंट अब हकीकत है, इसे अंजाम दिया जा रहा है। अगर हम ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स की बात करें, तो हम 40 पायदान ऊपर आ गए हैं और यह अनुसंधान और पेटेंट दाखिल करने से पता चलता है।
भारत 80,000 से अधिक स्टार्टअप वाला और दुनिया में यूनिकॉर्न की तीसरी सबसे बड़ी संख्या वाला तीसरा सबसे बड़ा पारितंत्र है।
ऐसा अभूतपूर्व वृद्धिशील विकास-पथ विभिन्न सकारात्मक कदमों और पहलों की श्रृंखला तथा साथ-ही हमारे नागरिकों को उनकी प्रतिभा और क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने में सक्षम बनाने वाले पारितंत्र के विकास का परिणाम है। यह सिर्फ कागज पर नहीं है, अब हर युवा-प्रतिभा इस पारिस्थितिकी तंत्र के परिणामस्वरूप ही इतना सक्षम हो पाया है कि वह अपनी प्रतिभा का सर्वोत्तम उपयोग कर सकता है।
संवैधानिक रूप से यह अनिवार्य है कि संघ और राज्यों में प्रशासन में एकरूपता होनी चाहिए ताकि हमारा संघवाद एक सहकारी संघवाद के रूप में विकसित हो, जैसाकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पना की गई है। यह सुनिश्चित करने में सिविल सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका है।
सिविल सेवा के सम्मुख पेश आ रही चुनौतियों का समाधान किया जा रहा है। अखिल भारतीय सेवाएं संघ और राज्यों के लिए एकसमान रूप में विनिमेयता के साथ कार्य करती हैं जो कि संघवाद का एक महत्वपूर्ण पहलू है। हालांकि, इस विषय में कुछ राज्यों का रुख चिंता का विषय है। यह परिदृश्य संघीय व्यवस्था को हानि पहुंचाने के साथ-साथ सिविल सेवा की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रहा है। इन मुद्दों को सहज बनाने की तत्काल आवश्यकता है ताकि सिविल सेवा की प्रभाविता और महत्ता को बनाए रखा जा सके।
कुछ ऐसे चिंता के क्षेत्र हैं जो व्यक्तिगत रूप से भी और संघों के माध्यम से भी आपकी ओर से विचार किए जाने की अपेक्षा रखते हैं। कुछ हिस्सों में राजनीतिक आकाओं की मिलीभगत से 'स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया' को कमजोर किया जा रहा है जिसके कारण संघीय ढांचा विकृत हो रहा है तथा पारदर्शिता और जवाबदेही कम हो रही है।
राज्य स्तर पर कुछ नौकरशाह राजनेताओं के लिए एक वास्तविक चुनौती बन रहे हैं। उनके पास अधिक शक्ति है जिससे कोई भी राजनेता ईर्ष्या कर सकता है। इस पर आत्मनिरीक्षण और परामर्श की आवश्यकता है ताकि यह सिविल सेवा की मेरूदंडीय स्थिति के उस विश्वास और प्रतिष्ठा के अनुरूप हो, जिसे इसने दशकों से पोषित की है।
अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 और संबंधित कानूनी व्यवस्था का ईमानदारी से अनुपालन वैकल्पिक नहीं है। दृष्टांत के रूप में, इन नियमों में विहित निदेश, 'सेवा का सदस्य जिसने अपने शासकीय वरिष्ठ से मौखिक निदेश प्राप्त किया है, यथाशीघ्र, लिखित रूप में इसकी पुष्टि की मांग करेगा' का कुछ हिस्सों में उल्लंघन देखा जाता है। मौखिक निदेशों द्वारा शासन चलाना दुर्भाग्य से शासन की स्वीकार्य परिपाटी में बदल गया है, जिसे केवल तभी समाप्त किया जा सकता है जब या तो सहयोग के माध्यम से या अन्य माध्यमों से आपके शक्तिशाली सेवा वर्ग की ओर से परामर्श और मार्गदर्शन मिले।
केंद्र और राज्यों के बीच सौहार्द और एकजुटता से कार्यसंचालन करना एक संवैधानिक अनिवार्यता है और इसके अंतर्गत सिविल सेवा कानूनी व्यवस्था के संचालन में ईमानदारी से अनुपालन का प्रदर्शन करके अनुकरणीय भूमिका निभाती है।
इन महत्वपूर्ण मुद्दों के मूलभूत आधार को क्षति पहुंचाए बिना समाधान किए जाने की आवश्यकता है ताकि संघीय प्रणाली को सुदृढ़ किया जा सके। मेरे जैसे वरिष्ठ जनों को कुछ हिस्सों में सूक्ष्म रूप में मौजूद इन गड़बड़ियों की रोकने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे।
1980 के दशक में जब मैं एक अधिवक्ता था, तो जब तक मेरा नाम प्रेस में नहीं आया, मुझे चैन की नींद नहीं आ पाई। एक वर्ष में, मैं एक वरिष्ठ अधिवक्ता बन गया और मुझे पता चला कि यह सही बात नहीं है। आप मानव संसाधन की सबसे प्रतिष्ठित श्रेणी से संबंधित हैं और देश में ऐसा कोई नहीं है जो यह कह सके कि मैं आपका पद पाने की इच्छा कभी नहीं रखता। इसलिए मैं कहूंगा कि मीडिया की बग ने सिविल सेवा में कुछ लोगों को प्रभावित किया है और आपके संरचित संघों द्वारा व्यवस्थित मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
नौकरशाही स्वाभाविक रूप से विधायिका, न्यायपालिका और राजनीतिक कार्यपालिका के हस्तक्षेप को झेलती है। राज्य सभा के सभापति के रूप में मैंने इसकी संरचना की है। हमें अपने सिविल सेवकों के लिए सर्वोच्च सम्मान और आदर रखने की आवश्यकता है। हम किसी भी प्रक्रिया को बिना सोच-समझे अचानक से शुरू नहीं कर सकते। मेरे स्तर पर इस पर सर्वाधिक ध्यान दिया जाता है।
इन संस्थानों से अपेक्षा की जाती है कि वे टकराव से नहीं, बल्कि सहयोग की भावना से कार्य करें। यदि हमारे लोकतंत्र को समृद्ध और बनाए रखना है, तो शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का पालन करना होगा।
सितंबर 2020 में शुरू किया गया सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम - मिशन कर्मयोगी - सही दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान से परिपूर्ण, भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार सिविल सेवा को नया आकार देकर नए भारत की दृष्टि से परिवर्तनकारी साबित हो रहा है। यह सरकार में निचले स्तर पर काम करने वाले लोगों के लिए भी काम कर रहा है।
यहां इस बात का उल्लेख करना समीचीन है कि रचनात्मक प्रतिस्पर्धा, नवाचार, प्रतिकृति और सर्वोत्तम परिपाटियों के संस्थानीकरण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कारों को 2021 में एक नए दृष्टिकोण के साथ नया रूप दिया गया है। ये पुरस्कार लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए देश भर के सिविल सेवकों के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य करते हैं।
परिणामस्वरूप उत्साह के साथ नीतियों के क्रियान्वयन में आपका जुनून लोगों के अधिकतम कल्याण के रूप में उतरोत्तर परिलक्षित हो रहा है।
इसके परिणामस्वरूप भारत का अभूतपूर्व रूप से उत्थान हुआ है। हम सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफार्मों का लाभ उठाकर नागरिकों को सशक्त बनाना, एक टिकाऊ अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के माध्यम से सभी के लिए नल से जल, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के माध्यम से सभी के लिए समग्र स्वास्थ्य, समीक्षा केंद्रों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना तथा इसी तरह से अन्य कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
अर्थव्यवस्था कैसे रूपांतरित होती है, इसका एक सरल उदाहरण लें। 'आयुष्मान भारत', यह सिर्फ व्यक्ति को लाभ नहीं दे रहा है, इसके परिणामस्वरूप चिकित्सा शिक्षा, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, पराचिकित्सा पाठ्यक्रम, अस्पताल, नर्सिंग होम का भी विकास हुआ है।
प्रधानमंत्री पुरस्कार हमारे सिविल सेवकों की कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए एक उपयुक्त सम्मान है और हमारे देश की प्रगति में लोक सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका का स्मरण करवाते हैं।
सभी पुरस्कार विजेता, जो लब्धप्रतिष्ठ मान्यता के हकदार हैं, को बहुत बहुत बधाई। उनकी सफलता की कहानियां निश्चित रूप से अनेक सिविल सेवकों को अपनी उत्पादक क्षमता और कार्य निष्पादनशीलता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए और प्रेरित करेंगी।
यह जानकर प्रसन्नता होती है कि अमृत काल में जहां उम्मीदें जगजाहिर हैं, सरकार की नीतियों को साकार करने की दिशा में प्रशासन द्वारा किया जाने वाला कार्य सराहनीय है।
लोकतंत्र की जननी हमारा लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हमारा लोकतंत्र सभी स्तरों यथा गांव, नगरपालिकाओं, राज्यों और केंद्र आदि में सर्वाधिक कार्यात्मक और जीवंत है। किसी अन्य देश के संविधान में आपको पंचायतों, नगरपालिकाओं के लिए प्रावधान नहीं मिलेगा। यह हमारे संविधान के भाग IX में वर्णित है। इस तरह का पदानुक्रमित लोकतांत्रिक तंत्र दुनिया में और कहीं नहीं है।
हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्तर किसी से भी कम नहीं है और हमारे यहाँ वाक् स्वतंत्रता पर किसी भी तरह की पाबंदी नहीं है।
यह वास्तव में पीड़ादायक हो जाता है, जब कोई हमारे अभूतपूर्व विकास और जीवंत लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति नकारात्मक रूख अख्तियार करता है। देश के भीतर और बाहर वे हमारे लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थानों को नीचा दिखाने, निंदा करने, बदनाम करने और कलंकित करने के दुस्साहस में लगे रहते हैं।
यह आश्चर्यजनक है कि जब आर्थिक विकास, नीति-निर्माण और कार्यान्वयन की बात आती है तो हममें से कुछ लोग स्वयंपोषित-लक्ष्यों का सहारा क्यों लेने लगते हैं! इस अहितकारी रुख के प्रतिकार की आवश्यकता है।
लोक सेवक इसमें पथप्रदर्शक के रूप में और साथ ही आर्थिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने और मौलिक कर्त्तव्यों के पालनार्थ विशेष रूप से उपयुक्त हैं।
हमें लोगों में अनुशासन की भावना पैदा करनी चाहिए। हमेशा स्मरण रखिए "आप कितने ही ऊँचे क्यों न हों, कानून सदा आपके ऊपर है!"। कानून की पहुंच से बाहर और उससे ऊपर कोई नहीं है।
एक सुखद पहलू यह है कि कुल मिलाकर हमारे लोक सेवक अपनी ऊर्जा को राष्ट्र की सेवा में लगा रहे हैं, जिससे हम सभी को यह एहसास हो रहा है कि राष्ट्रधर्म एक अनिवार्य तत्त्व है, यह कोई विकल्प नहीं है।
मुझे विश्वास है कि 2047 में हमारी स्वतंत्रता की शताब्दी की प्राप्ति के शिखर पर, राष्ट्र के अभूतपूर्व विकास पथ में वैश्विक स्थान की प्राप्ति के मार्ग में लोक सेवा आधारभूत रूप में सहायक रहेगी ।
अभूतपूर्व विकास और गौरव के पथ पर अग्रसर हमारे लोकतंत्र के लिए आवश्यक है कि आगे की निर्विघ्न यात्रा के लिए इसके सभी अंग विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका मिलकर काम करें। हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए।
ये संवैधानिक संस्थाएं अन्य संस्थाओं के कार्यक्षेत्र में अतिक्रमण कर सत्ता को जंग का मैदान नहीं बना सकती हैं। विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका अपने-अपने कार्यक्षेत्र में कार्य करते हुए सर्वोत्तम सेवा प्रदान करती है।
हमारी सभ्यता के लोकाचार को ध्वस्त करने और हमारे विकास पर दाग लगाने तथा इसे धूमिल करने के लिए कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों सहित भीतर और बाहर के कुछ संस्थान भारत विरोधी विध्वंसक गतिविधियों के केंद्र के रूप में उभरकर खतरा पैदा कर रहे हैं। भारत के तथाकथित संभ्रांत वर्ग के गुप्त एजेंडे में शांति भंग करने वाली अंतर्दृष्टि खतरनाक है और दुर्भाग्य से हमारे संवैधानिक संस्थान के कामकाज में परिलक्षित हो रही है। भारत की राष्ट्रीय संप्रभुता और सांस्कृतिक अखंडता को आंतरिक या बाहरी किसी भी प्रकार के खतरों से सुरक्षित रखने का उत्तरदायित्व संसद का है।
मेरा आश्वासन है - विधान बनाने का दायित्व केवल और केवल संसद के पास है और वह इसे लागू करने में सक्षम है। एकमात्र संसद को कानून की संरक्षा का अधिकार है, जो बड़े पैमाने पर लोगों की इच्छा का सबसे प्रामाणिक प्रतिबिम्ब है।
हमारी संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत न तो विधानमंडल और न ही न्यायपालिका एक शक्तिशाली राजनीतिक शक्ति बन कर उभर सकती है-बेहतर यही है कि यह कार्य राजनीतिक वर्ग पर छोड़ दिया जाए।
मुझे भारत-विरोधी विमर्शों को बेअसर करने और सरकार की नीतियों के क्रियान्वयन तथा दूरदर्शी नेतृत्व को फलीभूत करने में प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में आपकी बुद्धिमत्ता और क्षमता पर पूरा भरोसा और विश्वास है।
मैं आप सभी को संविधान सभा में डा. बी. आर. अम्बेडकर के अंतिम भाषण का स्मरण कराते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा। उन्होंने कहा था कि "जो तथ्य मुझे बहुत परेशान करता है वह यह है कि भारत ने पहले एक बार अपनी स्वाधीनता खोई ही नहीं वरन अपने ही कुछ लोगों की कृतघ्नता तथा फूट के कारण वह स्वाधीनता आई गई हुई .... पर यह सत्य है कि यदि ये पक्ष मत-मतान्तरों को देश से श्रेष्ठ मानते हैं तो हमारी स्वाधीनात फिर संकट में पड़ जायेगी और संभवत: सदैव के लिए हाथ से जाती रहेगी। इस संकट से हम सबको दृढ़ होकर रक्षा करनी चाहिए। अपने खून की अंतिम बूदों से अपनी स्वाधीनता की रखा करने के लिए हमें दृढ़ प्रतिज्ञ होना चाहिए।"
मैं चाहता हूं कि आप सभी डा. बी आर अंबेडकर की इन अत्यंत महत्वपूर्ण टिप्पणियों को ध्यान में रखें और इस पथ पर आगे बढ़ते रहें, जब भारत को दूरदर्शी नेतृत्व और शक्तिशाली नौकरशाही का उपहार मिला है, तो कुछ भी हमारी पहुंच से परे नहीं है और हाल की उपलब्धियों ने ऐसा प्रदर्शित किया है।
जय हिंद, जय भारत !