14 जुलाई, 2023 को उप-राष्ट्रपति निवास, नई दिल्ली में 2021 और 2022 बैच के भारतीय डाक सेवा परिवीक्षाधीनों को माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ द्वारा संबोधन (अंश)।

नई दिल्ली | जुलाई 14, 2023

सभी को शुभ संध्या!

देश में ऐसा कोई नहीं है जो लोक सेवा का हिस्सा बनने की इच्छा न रखता हो। उसकी पृष्ठभूमि ग्रामीण, अर्ध-शहरी, शहरी कोई भी हो सकती है, क्योंकि इसे एक प्रीमियम सेवा माना जाता है।

हाल के दिनों में एक बड़ा बदलाव यह हुआ है कि अब हर सेवा बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। एक समय था जब लोग सेवाओं की ग्रेडिंग करते थे, दुनिया इतनी तेजी से बदल गई है कि हर सेवा शक्ति, नवोन्मेष, रचनात्मकता और योगदान का केंद्र बन गई है। भारतीय डाक सेवा में भी अपार संभावनाएं हैं।

यह मेरे लिए एक आनंददायक क्षण है कि मैं उन युवा मस्तिष्कों के साथ बातचीत कर रहा हूं जो आत्मविश्वास को प्रेरित करते हैं और जो राष्ट्र के उत्थान में योगदान देंगे।

हमारा भारत पहले से कहीं अधिक उन्नति कर रहा है और यह उन्नति अबाध है। यह वृद्धि वैश्विक क्षितिज पर प्रतिबिंबित होती है और आंकड़ों से यह संकेत मिलता है, आप सभी उस वृद्धि का हिस्सा हैं। यह वृद्धि अभी तेज़ है और आपको इसे और तेज़ करना होगा। इस उत्थान को हमारी सदियों पुरानी स्थिति को पुनः प्राप्त करने के लिए उत्कर्ष पर पहुंचना होगा, हजारों साल पहले हम शिखर पर थे, आप हमें शिखर पर पहुंचने में मदद करेंगे।

आपकी सेवा 1.4 अरब लोगों के सबसे बड़े लोकतंत्र में सबसे प्रभावी परिवर्तनकारी तंत्र है। सूचना के संचार और प्रसार के साधन के रूप में, एक बात निश्चित है, आज इस देश के हर भाग तक डाकिया और पटवारी पहुंच रहे हैं । वे जमीन से जुड़े रहते हैं। यह किसी क्षेत्र के बारे में जानने का सबसे तेज़ तंत्र है। दुनिया में कहीं भी आपके पास इतना मजबूत तंत्र नहीं है जो हमारे यहां भारत में है। इसलिए आपको 1.4 अरब लोगों की सेवा करने का अवसर मिला है।'

ये नेटवर्क हर किसी के मन में है, आपको स्पष्टत: याद होगा, हर गांव में, हर स्थान पर, डाक घर गतिविधि का केंद्र होता है। कोई डाकिए को वैसे ही जानेगा जैसे कोई जनता के प्रतिनिधि को जानता है। एक समय था, जब मैं और मंच पर मौजूद लोग भी छोटे थे, डाकिए को लेकर पिक्चर बनती थी, डाकिए का बहुत बड़ा मतलब था, अब दुनिया बदल गई है तो आपकी सेवा भी बदल गई है।

अब आप समावेशी विकास का सबसे प्रभावी तंत्र हैं। यदि हम वित्तीय समावेशन के संदर्भ में बात करते हैं, तो अंतिम पंक्ति के लोगों तक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए, जैसा कि एक प्रशिक्षण अधिकारी ने बताया था, आपके पास जो अवसरंचना और मानव संसाधन है, उसका दोहन करने के लिए इससे बेहतर कोई तंत्र नहीं हो सकता है।

ऐसे कई उत्पाद हैं जिन्हें आप पूरे विश्वास के साथ आसानी से जोड़ सकते हैं क्योंकि जब कोई व्यक्ति किसी और स्थान या प्रतिष्ठान में जाता है, उसे संकोच होता है क्योंकि उसमें आत्मीयता की भावना नहीं होती, कोई पारस्परिक जवाबदेही या पारदर्शिता उत्पन्न नहीं होती है, लेकिन उसी सेवा के लिए जब व्यक्ति डाकघर में जाता है, चाहे वह धन जमा करने के लिए हो या कोई बीमा प्राप्त करने के लिए हो उसे अधिक विश्वास होता कि यह मेरा डाकघर है, मैं डाकघर का मालिक हूं, मैं कभी भी जा सकता हूं और किसी भी आदमी से बात कर सकता हूं और लीक का कोई सवाल ही नहीं है। कुछ भी कष्ट नहीं होना है।

यह एक ऐसा केंद्र है जहां आप लीक से हटकर सोच सकते हैं क्योंकि कई सरकारी सेवाएं हैं जिन्हें बड़े पैमाने पर लोगों को उपलब्ध कराने की आवश्यकता है, यदि आप एक अभिनव दृष्टिकोण अपनाते हैं तो डाकघर सूचना का केंद्र हो सकता है जो सबसे अधिक प्रभावी होगा, सोशल मीडिया इसे मात नहीं दे सकता क्योंकि इसकी सहजता और सहक्रियात्मक दृष्टिकोण के कारण, दोनों साथ कार्य कर रहे हैं। डाकघर में प्रवेश करना भारत को बदलने का एक तरीका हो सकता है। लोगों को उन सेवाओं के बारे में जागरूक करना जिनके वे हकदार हैं, यह बड़े पैमाने पर हो रहा है। यह सेवा की प्रदायगी है जो महत्वपूर्ण है, एक प्रदायगी यह है कि लोगों को पैसा सीधे मिलता है, इस क्षेत्र में डिजिटल तंत्र बेहद सकारात्मक रहा है।

मैं आपके साथ आंकड़े साझा कर सकता हूं, 2022 में हमारे देश में डिजिटल ट्रांसफर 1.5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर था। यह पूरी दुनिया का 46% हिस्सा है। यदि आप संयुक्त राज्य अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी को एक साथ लें और चार से गुणा करें, तब भी हम आगे हैं, यह एक डिजिटल क्रांति है जो सभी को प्रभावित कर रही है।

अब, मैं एक अलग बात कहता हूं, इसके लिए दोतरफा यातायात की जरूरत है, यह डिजिटल उपलब्धि जिसकी दुनिया सराहना कर रही है, जो इस देश की रूपरेखा बदल रही है और देश को विकास के निर्णायक क्षण में ला रही है, वह एकतरफा नहीं है। इसे करना अत्यावश्यक है, लेकिन लोगों को इसके प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण भी अपनाना होता है। तो, हमारे डीएनए को देखें, देखें कि हम कितनी जल्दी कौशल सीख लेते हैं। देखिए, समावेशी बैंकिंग ने हमारी कितनी मदद की है, आपको बहुत बड़ी भूमिका निभानी है।

हम भारतीयों को विश्व स्तर पर प्रतिभाशाली वर्ग के रूप में देखा जाता है। हम जहां भी जाते हैं हम उस व्यवस्था या क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं। हम चीजें सीखने में बहुत तेज हैं। इंटरनेट का उपयोग, हमारे पास 700 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, और 2022 में प्रति व्यक्ति डेटा खपत संयुक्त राज्य अमरीका और चीन दोनों की संयुक्त खपत से अधिक थी।

यह सब एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र के उद्भव से सुगम हुआ है जो प्रत्येक युवा मस्तिष्क को अपनी प्रतिभा और क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने की अनुमति देता है ताकि वे जो करना चाहते हैं उसे पूरा कर सकें। इसलिए मैं आपसे एक ऐसा तंत्र बनाने का आग्रह करूंगा जिससे आप लोगों के जीवन को बदलने के लिए जुनून, मिशन और करुणा दिखा सकें।

खुशी देने के तंत्र के रूप में ऐसा तंत्र, जो उन लोगों को खुशी दे सके जिन्होंने अन्यथा आशा खो दी है, से अधिक लाभप्रद, आध्यात्मिक या प्रभावी कुछ नहीं हो सकता है।

संस्कृति और विरासत में आपकी सेवा की बहुत बड़ी भूमिका है, इसे निभाएं। ऐसी स्थितियाँ थीं जब मैं पश्चिमी बंगाल राज्य में राज्यपाल.. के रूप में था और मैं पोस्टमास्टर जनरल के सभी समारोहों में शामिल होता था। पोस्टमास्टर जनरल का कार्यक्षेत्र सभी उत्तर-पूर्वी राज्य थे लेकिन हर कार्यक्रम इतना ज्ञानवर्धक था कि उन्होंने देश के हर विकास, ऐतिहासिक, संस्कृति पर ध्यान दिया और यह वह चीज़ है जिससे आपको जुड़ना है।

सितंबर 2022, वह समय था जब यह घोषणा की गई कि भारत पूर्ववर्ती औपनिवेशिक शासकों, ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गया है। इस दशक के अंत तक हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। यह जमीनी स्तर पर उठाए गए कदमों के कारण हुआ है। आपकी सेवा सीधे उन लोगों से जुड़ी है जो पहले पहुंच से बाहर थे, लेकिन वे केवल आपकी पहुंच में थे। जब भारत में कई सेवाओं की कमी थी, तब डाक सेवा में कमी नहीं थी। देश के कोने-कोने तक एक पोस्टकार्ड पहुंच जाता था।

मुझे अपने वे दिन याद हैं जब मुझे छात्रवृत्ति पर सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ में दाखिला मिला था। मेरी माँ बहुत चिंतित थी और उन्हें एक चिकित्सीय समस्या भी थी, इसलिए जब भी हम छुट्टियों के बाद स्कूल आते थे, तो वे मुझे पोस्टकार्ड का एक बंडल देती थीं और यह मेरा कर्तव्य था कि मैं हर दिन एक पोस्टकार्ड पोस्ट करूँ ताकि मेरी मां को हर रोज एक पोस्टकार्ड मिल सके ..यह डाक विभाग का गहन संचार दृष्टिकोण है।

मित्रों, अगर आप बेहतर प्रदर्शन करना चाहते हैं तो आपको लीक से हटकर सोचना होगा, हर दिन को सीखने का एक नया दिन बनाना होगा। आप विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएफटी, इंजीनियरिंग कॉलेजों, कानूनी पृष्ठभूमि से आये हैं। इसलिए आपमें लीक से हटकर सोचने की क्षमता है। नवोन्मेष करने, अपने आस-पास के लोगों की मदद करने के नए तरीकों में संलग्न होने की आपकी क्षमता। इस प्रक्रिया में आप हमारे लोगों में राष्ट्रवाद में विश्वास करने की आदत डालने के लिए सबसे अच्छे और सबसे प्रभावी व्यक्ति हैं।

मैं एक छोटा सा उदाहरण दूंगा, हर डाकघर में मौलिक कर्तव्य होंगे, अब यह आश्चर्यजनक है, हमारे संविधान में संशोधन किया गया और एक नया भाग जोड़ा गया, भाग IV (क), मौलिक कर्तव्य, शुरू में दस मौलिक कर्तव्य थे, अब ग्यारह हैं । अब, अगर कोई उन्हें पढ़ रहा है या कोई उनके बारे में बात कर रहा है, तो किसी तर्क की जरूरत नहीं है। आप संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को बदल सकते हैं।

इसी तरह, वृक्षारोपण से आप पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बदल सकते हैं। हमें मर्यादा और अनुशासन कैसे बनाए रखना है, प्लास्टिक से बचना है, इसलिए मेरा आग्रह है कि कृपया, लीक से हटकर सोचें।

किसी भी विचार को अपने दिमाग आकर वहीं ठहरने न दें। उस विचार को दूसरों के साथ साझा करें, हम ऐसे समय में रह रहे हैं जहां आप अपने दरवाजे पर सेवाएं उपलब्ध कराने में सक्षम हैं। आपके पास जिस तरह का बुनियादी ढांचा है, उसे तैयार करना बहुत मुश्किल है।

इस तरह की अवसरंचना का पूरी तरह से दोहन किया जाना चाहिए, बड़े पैमाने पर कल्याण के लिए इसका इष्टतम उपयोग किया जाना चाहिए।

मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप में से प्रत्येक परिवर्तन का प्रतिनिधि होगा। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप में से प्रत्येक विकास का दूत होगा। मुझे यकीन है कि आप में से प्रत्येक अमृत काल में हमारे देश को आगे ले जाने के लिए, एक योद्धा होगा जब वह स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा।

मैं भी एक विचार साझा करूंगा, चारों ओर देखिए, महान विचारक नेता, जिन लोगों ने इतिहास रचा है, वे बहुत जल्दी चले गए, फिर भी उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी, हम उन्हें आज याद करते हैं।

मैं स्वामी विवेकानन्द जी को उद्धृत करते हुए अपनी बात समाप्त करूंगा

एक विचार लो, उस एक विचार को अपना जीवन बनाओ, उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो, उस विचार को जीयो। मस्तिष्क, मांसपेशियों, तंत्रिकाओं और आपके शरीर के हर हिस्से को उस विचार से भर जाने दो और बाकी सभी विचार छोड़ दो बस, यही सफलता का रास्ता है"।

मैंने तुम्हें यह क्यों बताया? मुझे विभिन्न सेवाओं आईएएस, आईपीएस, आईआईएस, आईएफएस इत्यादि के परिवीक्षा पर अधिकारियों को संबोधित करने का सौभाग्य और अवसर मिला है। प्रत्येक सेवा की एक भूमिका होती है, जिसे अन्य नहीं निभा सकते हैं और यह अन्यों की ईर्ष्या का कारण होती है। क्या आपने दुनिया में महान हस्तियों को बदलाव लाने के लिए महानगरों, शहरी केंद्रों, महान आर्थिक विकास के केंद्रों से गांवों की ओर जाते नहीं देखा है? आपके लिए यह स्वाभाविक है। जिस क्षेत्र में आप कार्यरत होंगे, वहां आपका काम बहुत मायने रखेगा, इसलिए कभी भी निराश न हों, कभी भी इस सेवा के लिए यह न सोचें.. शायद यह कोई अन्य सेवा भी हो सकती थी।

इसलिए, युवक और युवतियों, मेरे लिए यह एक यादगार पल है। जिस चीज़ ने मुझे वास्तव में अचम्भित किया है वह है आपकी साख, जो त्रुटिहीन हैं, ऐसी साख जो दूसरों के लिए ईर्ष्या का विषय है, ऐसी साख जो आपको किसी अन्य क्षेत्र में प्रवेश दिला सकती है, ऐसी साख जो आपको विदेश ले जा सकती है, ऐसी साख जो आपको थोड़ा और पैसा दिला सकती है, लेकिन आपको जो मिला है वह अद्वितीय है और आप यह जानते हैं। क्योंकि जिस प्रतियोगिता में आप सफल हुए हैं, उसमें प्रतिभागियों की संख्या इतनी अधिक थी कि आपको उस प्रतियोगिता में से चुना गया है जो इस दुनिया की कठिनतम प्रतियोगिता है। इसलिए आप सभी को मेरी ओर से बधाई।

हमेशा खुश रहें, कोई तनाव न लें, कोई चिंता न करें, एक महत्वाकांक्षा रखें जो आपके परिवार के लिए अच्छी हो, समाज के लिए अच्छी हो और राष्ट्रीय विकास में योगदान दे।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद, ईश्वर की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।