आप सभी के साथ यहां उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
वास्तव में यह विशेष अवसर है क्योंकि भारत और कंबोडिया राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं।
यह वर्ष भारत-आसियान मित्रता वर्ष के साथ भारत-आसियान संबंधों की 30वीं वर्षगांठ भी है।
दोनों देश समृद्ध परंपराओं और संस्कृति को साझा करते हैं और दोनों के बीच सदियों पुराना सभ्यतागत संबंध हैं।
अंगकोर वाट, ता-प्रोह्म, प्रिह विहार के शानदार और विस्मयकारी मंदिर, ऐसे कुछ नाम हैं जो दोनों देशों के बीच संबंधों के उत्कृष्ट प्रतिबिंब हैं।
हम हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और पाली-संस्कृत भाषा की सांस्कृतिक विरासत को साझा करते हैं।
कंबोडियाई भारत को भगवान बुद्ध की श्रद्धेय भूमि के रूप में देखते हैं, जिस प्रकार हम कंबोडिया की सभ्यता को हमारे सभ्यतागत सहोदर और विस्तारित परिवार का हिस्सा के रूप में देखते हैं।
हमारे कंबोडियाई मित्रों द्वारा सजीव रूप से संजोए जा रहे प्राचीन संबंध को महसूस करना सुखद और संतोषजनक है।
मुझे बहुत प्रसन्नता है कि हमारे बीच भारत के मित्र उपस्थित हैं।
साथ ही भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के प्रतिष्ठित पूर्व छात्र भी हैं।
विकास संबंधी साझेदारी और क्षमता निर्माण हमारे मित्रों के साथ हमारे संबंधों के प्रमुख घटक रहे हैं।
भारत का सहयोग हमारे मित्रों की जरूरतों से प्रेरित है।
यह बहुत संतोष की बात है कि 2,000 से अधिक कंबोडियाई अधिकारियों ने आईटीईसी कार्यक्रम के तहत हमारे प्रमुख रक्षा संस्थानों में प्रशिक्षण सहित विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
हमें खुशी है कि ये प्रशिक्षित पेशेवर विभिन्न क्षेत्रों में कंबोडिया के राष्ट्रीय विकास और आधुनिकीकरण में अपना योगदान दे रहे हैं।
कंबोडिया में शानदार वास्तुशिल्प स्मारकों के जीर्णोद्धार और संरक्षण कार्यों के साथ हमारा एक मजबूत संबंध है।
भारत ने 1986-1993 की कठिन अवधि के दौरान विश्व प्रसिद्ध अंगकोर वाट मंदिर में जीर्णोद्धार और संरक्षण कार्य किया।
यह गर्व की बात है कि अंगकोर पुरातत्व परिसर में ता प्रोह्म मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य के साथ इस क्षेत्र में हमारा योगदान जारी है।
प्रिह विहार में भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का भी जीर्णोद्धार भी जारी है ।
आज कंबोडिया हमारी 'एक्ट ईस्ट' नीति और आसियान में एक महत्वपूर्ण वार्ताकार और भागीदार है।
प्रिय मित्रों
भारत को इस बात पर बेहद गर्व है कि आप कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ अपनी अंगीकृत भूमि के लिए योगदान दे रहे हैं।
हमें बहुत खुशी है कि भारतीय प्रवासियों ने कंबोडिया में अपना नाम कमाया है।
मुझे यह जानकर भी खुशी हुई कि कंबोडिया में भारतीय समुदाय आजादी का अमृत महोत्सव (भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष) मनाने में घनिष्ठ रूप से शामिल है।
हमारे विभिन्न भारतीय त्योहारों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
भारत सरकार के लिए, भारत के बाहर हमारे नागरिकों और प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़ना और उनका कल्याण सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
विदेश में अपने साथी भारतीयों को हर संभव मदद देने का हमारा प्रयास जारी है।
प्रिय मित्रों
मैं इस अवसर पर आपको भारत में हो रहे जबरदस्त विकास और परिवर्तन के बारे में सूचित करता हूं।
सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के मंत्र पर चलते हुए हम आर्थिक वृद्धि और विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं।
भारत आगे बढ़ रहा है। भारत ने आज दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का मुकाम हासिल कर लिया है।
32 मिलियन प्रवासियों के साथ, हम वास्तव में वैश्विक हो रहे हैं।
कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत ने वैक्सीन-मैत्री कार्यक्रम के तहत दवाओं और वैक्सीन की आपूर्ति करके दुनिया के लिए मदद का हाथ बढ़ाया।
भारत ने :
कंबोडिया को 325,000 कोविशील्ड वैक्सीन की खुराक,
थाईलैंड को 200,000 कॉर्बोवैक्स वैक्सीन की खुराक दान की ।
क्वाड-वैक्सीन पहल के अंतर्गत
सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस और लाओस को भी कोविड से संबंधित दवाएं/सामग्री प्रदान की।
विशाल विनिर्माण क्षमता के साथ, भारत "दुनिया की फार्मेसी" के रूप में अपनी भूमिका निभाता रहेगा।
भारत में आज अवसरों की भरमार है।
प्रवासी भारतीय एक जीवंत सेतु हैं और अपनी अंगीकृत भूमि को अपनी मातृभूमि से जोड़ने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
मैं आप सभी को भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूं।
आज यहां हमारे साथ जुड़ने के लिए मैं आप सभी का आभारी हूं।
जय हिन्द!
धन्यवाद