सभी को सुप्रभात और नमस्कार।
उद्योग जगत के दिग्गजों के महती सानिध्य में फिक्की के 16वें वार्षिक स्वास्थ्य देखभाल सम्मेलन - फिक्की हील 2022 का उद्घाटन करते हुए वास्तव में सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
एक उपयुक्त थीम - 'हेल्थकेयर ट्रांसफॉर्मेशन: ड्राइविंग इंडियाज इकोनॉमिक ग्रोथ' के साथ, यह सम्मेलन उद्योग के साथ-साथ राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से भी निश्चित रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण विमर्शी मंच बनेगा।
विचारोत्तेजक थीम पर भाषण देने के लिए श्री गौतम खन्ना को बधाई।
मेरे बारे में सुखद विचार प्रस्तुत करने के लिए मैं डॉ. संगीता रेड्डी का आभारी हूं।
स्वास्थ्य देखभाल का क्षेत्र राष्ट्र-निर्माण के सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भों में से एक है जो न केवल अर्थव्यवस्था पर बल्कि नागरिकों की उत्पादकता, कल्याण और सुख-समृद्धि पर भी अपना प्रभाव रखता है।
स्वास्थ्य देखभाल तंत्र राष्ट्र के स्वास्थ्य को दर्शाता है।
स्वास्थ्य और शिक्षा ऐसे युग्म हैं जिन्हें हमारे वर्तमान और भावी जीवन के लिए सम्यक् देखरेख और प्रोत्साहन की आवश्यकता है।
ये स्वाभाविक रूप से नवोन्मेष और उद्यमिता के कारक होते हैं। यदि इन दोनों का समुचित ध्यान रखा जाए तो ये 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में हो माया' की सूक्ति को फलित कर सकते हैं।
पहला सुख निरोगी काया,
दूजा सुख घर में हो माया।
शासन के सकारात्मक कदमों की श्रृंखला ने एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया है जो अब सभी को अपनी प्रतिभा और क्षमता का दोहन करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करने में सक्षम है। इसके सकारात्मक परिणाम एक जमीनी सच्चाई है।
किफ़ायती और गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य देखभाल किसी भी जीवंत समाज के अपरिहार्य पहलु हैं।
आयुष्मान भारत - प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना एक हितकारी विचार है।
यह व्यापक स्वास्थ्य कार्यक्रम 'आयुष्मान भारत' स्वास्थ्य देखभाल के सभी पक्षों को सम्मिलित करता है और यह प्रभावी रूप से हमें सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की ओर ले जा रहा है।
यह देश में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता के मामले में अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटने में सफल रहा है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 में निर्धारित वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत के लक्ष्य की ओर हमारे बजट की प्रगति बहुत ही सराहनीय है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारे सम्मुख अनेक प्रकार की विशिष्ट चुनौतियां और साथ ही अभूतपूर्व अवसर भी हैं।
वर्तमान में शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 30 से कम है।
मुझे याद है कि वर्ष 1990 में शिशु मृत्यु दर इसकी तीन गुनी, यानी प्रति हजार शिशुओं के जन्म पर 88 मृत्यु होती थी।
ये आंकड़े स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत लोगों के व्यापक योगदान का प्रमाण हैं।
भारत स्वास्थ्य के लिए संधारणीय विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर है।
पिछले महीने भारत ब्रिटेन से आगे निकलते हुए पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। इस दशक के अंत तक हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। यह एक ऐसी उपलब्धि है जो कुछ साल पहले तक दूर की कौड़ी लगती थी।
पिछले कुछ दशकों में, भारत ने रिकॉर्ड तोड़ आर्थिक विकास प्राप्त किया है जिसके साथ गरीबी में भारी कमी आई है और स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है।
सड़कों की विश्वस्तरीय अवसंरचना और कनेक्टिविटी स्वास्थ्य क्षेत्र के ज्यामितीय विकास में योगदान करती है।
2021 के संदर्भ में, स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र भारत के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है जिसमें 47 लाख लोग कार्यरत हैं।
एक राष्ट्र के रूप में हमारे पास इस क्षेत्र में भी विश्व की मानव-संसाधन संबंधी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता है।
हाल की, शासन संबंधी कई पहलों के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में कौशल-उन्नयन में काफी सुधार हुआ है।
देश भर में सभी कौशल विकास प्रयासों के समन्वय के लिए 2014 में कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय बनाने के माननीय प्रधानमंत्री के विचार की सराहना की जानी चाहिए।
स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीकी विकास और कौशल उन्नयन के साथ तालमेल बैठाने में उद्योग की भूमिका प्रशंसनीय है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल परिदान में लगातार प्रगति की है और प्रमुख राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में डिजिटल स्वास्थ्य के पूर्ण उपयोग को प्रदर्शित किया है।
मेरा सुझाव है कि हम अपनी स्वास्थ्य देखभाल में सुधार के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) में अपनी ताकत का और अधिक लाभ उठाएं।
देश में स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना के विस्तार के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी भी अत्यावश्यक है। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य में, केवल सरकार द्वारा संचालित सभी की अलग-अलग जरूरतों के लिए एक ही समाधान से सुधार नहीं लाया जा सकता है।
हमारी स्वास्थ्य देखभाल संबंधी जरूरतों की विविधता और मात्रा को देखते हुए, हमें भारत के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करने और उसे मजबूत बनाने के लिए सभी हितधारकों - सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और व्यक्तियों को भागीदार बनाने की आवश्यकता है।
सरकार ने 'हील इन इंडिया' पहल के माध्यम से भारत को चिकित्सा और वेलनेस पर्यटन के एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की भी कल्पना की है।
उत्कृष्ट स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना और ग्रामीण इलाकों की प्राकृतिक सुंदरता को देखते हुए, भारत में एक प्रमुख स्वास्थ्य पर्यटन स्थल बनने की क्षमता है।
मैं देश के अग्रणी उद्योग मंडल के रूप में फिक्की की भूमिका को मह्त्वपूर्ण मानता हूं। फिक्की विभिन्न अधिकारप्राप्त समूहों के निकट समन्वय से कोविड-19 के विरुद्ध प्रतिक्रिया में अत्यधिक योगदान देता रहा है और बहुमूल्य सुझाव प्रदान करता रहा है।
मुझे खुशी है कि फिक्की, अपने 'हील' प्लेटफॉर्म के माध्यम से, सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के लिए नवोन्मेषी विचारों के आदान-प्रदान के माध्यम से इस उद्योग के लिए सही प्रेरणा और प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है।
मैं इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए सभी चैंबरों से एक साथ एक मंच पर आने की भी अपील करता हूं।
आइए, अपने सभी लोगों को किफ़ायती, सुलभ, उन्नत और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराने के अपने सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के सामूहिक सपने को पूरा करने के लिए हम सब - सार्वजनिक और निजी, केंद्र और राज्य, नागरिक और सरकार - मिलकर काम करें।
आइए, हम भारत को स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक पसंदीदा स्थान बनाने के लिए काम करें।
आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं! धन्यवाद।
11 अक्तूबर, 2022 को नई दिल्ली में फिक्की के 16वें वार्षिक स्वास्थ्य देखभाल सम्मेलन - फिक्की हील 2022 में माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ का संबोधन।
नई दिल्ली | अक्टूबर 11, 2022