महेंद्रगिरि का जलावतरण हमारे सामुद्रिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह परियोजना 17ए के तहत निर्मित नीलगिरि श्रेणी के स्टेल्थ फ्रिगेट के सात युद्धपोतों में से अंतिम है। पिछले महीने, माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने छठे फ्रिगेट और इस जहाज के पूर्ववर्ती 'विंध्यगिरि' का जलावतरण किया, जिसे 'खुशियों का शहर' कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया था।
एक सुखद संयोग के रूप में एक वर्ष पूर्व, हमने एक नया पड़ाव पार किया था। 2 सितंबर, 2022 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस विक्रांत को कमीशन किया था। यह सिर्फ एक वर्ष पहले की बात है। नवीन भारत की आकांक्षाओं को दर्शाते हुए, विक्रांत स्वदेशी क्षमता, स्वदेशी कौशल और विश्व स्तरीय कौशल प्राप्त करने की हमारी महत्वाकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में खड़ा है।
मैं आज एक और उपलब्धि साझा करता हूं जो हम सभी को गौरवान्वित करती है। यह हमारे प्रौद्योगिकीय वायदे और गहरी पैठ को दर्शाती है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई ने 30 अगस्त तक 15 ट्रिलियन रुपये के 10 अरब से अधिक लेनदेन दर्ज किए। साथियों, इससे हम सभी को बहुत गर्व होगा। वास्तव में यह एक अभूतपूर्व उपलब्धि है जो समस्त भारत में होने रहे बड़े रूपांतरण का प्रतीक है।
युद्धपोत महेंद्रगिरि का जलावतरण किया जाना एक प्रकार का कीर्तिमान है। यह देश में हमारी सबसे अच्छी प्रगति का द्योतक है और इसका अर्थ यह है कि लगभग 15 महीनों में एक ही श्रेणी के पांच युद्धपोतों का जलावतरण होगा। यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो हम सभी को गौरवान्वित करती है।
युद्धपोत महेंद्रगिरि का नाम ओडिशा में स्थित पूर्वी घाट में एक पर्वत चोटी के नाम पर रखा गया है जो एक इंजीनियरिंग चमत्कार है और जिसमें अत्याधुनिक विशेषताएं एवं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं। यह भव्य युद्धपोत हमारे देश की शक्ति और समुद्री कौशल का एक उल्लेखनीय प्रतीक है। यह भारतीय नौसेना की अटूट प्रतिबद्धता और अदम्य भावना का प्रतीक है, जिसने हमें सभी प्रकार की स्थितियों में गौरवान्वित किया है।
"एकीकृत निर्माण" की नई पद्धति अपनाए जाने के बाद से युद्धपोतों के विनिर्माण की गति में सुधार हुआ है और इससे राष्ट्र के कल्याण के लिए उत्तरोत्तर वार्धिक परिणाम प्राप्त हुए हैं।
नीलगिरि श्रेणी के युद्धपोतों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो, जो सभी युद्धपोत डिजाइन गतिविधियों का एक अग्रणी संगठन है, द्वारा स्वदेशी तरीके से डिजाइन किया गया है। साथियों, कई लोगों के अतिरिक्त, नौसेना प्रमुख ने भी कहा था कि 'मेड इन इंडिया, मेड फॉर इंडिया, मेड बाय इंडिया, और यह कुछ ऐसा है जिस पर आप कुछ दशक पहले आपत्ति या विचार नहीं कर सकते थे। यह हम सभी के लिए प्रसन्नता का एक महान क्षण है।
'आत्म निर्भरता' के प्रति देश की दृढ़ प्रतिबद्धता के अनुरूप, नीलगिरि श्रेणी के उपकरणों और प्रणालियों के लिए 75 प्रतिशत ऑर्डर स्वदेशी कंपनियों को दिए गए हैं। यह एक महत्वपूर्ण बात है, लेकिन जो बात सबसे अधिक उल्लेखनीय है, जो ज्यादा महत्वपूर्ण है, जो सबसे अधिक प्रभावशाली बात है वह यह कि इसका दायित्व लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों को सौंपा गया है। इस अत्याधुनिक महेंद्रगिरि में उनका योगदान सराहनीय है, जो समावेशी विकास और हमारे लघु उद्यमों की भागीदारी को दर्शाता है।
महेंद्रगिरि का जलावतरण आत्मनिर्भर नौसेना बल के निर्माण में हमारे राष्ट्र द्वारा की गई अतुल्य प्रगति का एक उपयुक्त प्रमाण है। हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) शक्ति के बदलते समीकरण के बीच, इस जलावतरण ने सामरिक महत्व हासिल कर लिया है। अपनी हालिया अभूतपूर्व आर्थिक वृद्धि और वैश्विक उत्थान, विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूद वर्तमान भू-राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति को देखते हुए भारत को अनिवार्य रूप से अपने समुद्री हितों की रक्षा करने और अतिरिक्त जिम्मेदारियों को निभाने के लिए एक आधुनिक नौसेना की आवश्यकता है। यह देखना सुखद है कि सरकार और नौसेना द्वारा इस मुद्दे पर बहुत अच्छी तरह से ध्यान दिया जा रहा है।
सभी अधिकारियों, अभियंताओं, श्रमिकों और अन्य सभी लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों को बधाई, जिन्होंने आज इस महान अवसर को फलीभूत किया है। यह उचित ही है कि भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति के इस प्रतीक का अनावरण यहां मुंबई में किया जा रहा है।
ये गोदियां जिनका जिसका 250 वर्षों का समृद्ध इतिहास रहा है, विश्व में किसी को भी गौरवान्वित करेगा और 250 वर्षों की यह यात्रा मानव संसाधन और सक्षम नेतृत्व के कौशल, कड़ी मेहनत, समर्पण द्वारा तय की गई है, जिसके परिणामस्वरूप आज यह महान दिन देखने को मिला है। इसलिए, यह बहुत उपयुक्त, यथोचित और अत्यंत ही उचित है कि इसका अनावरण मुंबई में हो रहा है। इन गोदियों का 'डायमंड सिटी' और राष्ट्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ एक समृद्ध इतिहास है।
दुनिया में मुंबई जैसा जीवंत कोई शहर नहीं है। मुंबईवासी कभी किसी बात की शिकायत नहीं करते। वे हमेशा काम करने के लिए तैयार रहते हैं। यह भी इसका एक प्रमाण ही है।
साथियों, बहुत से देशों के पास उस तरह का इतिहास नहीं है जैसा हमारे पास है। हमारी सभ्यता हजारों वर्ष पुरानी है लेकिन जब अतीत में समुद्री-गतिविधियों के क्षेत्र में पैठ की बात आती है, तो महासागरीय क्षेत्र में हमारा प्रभाव 2000 वर्षों पुराना है।
सिंधु घाटी सभ्यता के समय से, हम एक समुद्री और नाविकविद्या में अग्रणी राष्ट्र रहे हैं। विश्व के सबसे शुरुआती गोदियों में से एक लोथल में था - जो शहर को सिंध में हड़प्पा सभ्यता की शहरों और सौराष्ट्र के प्रायद्वीप के बीच व्यापार मार्ग पर साबरमती नदी के एक प्राचीन मार्ग से जोड़ता था। आज, हमारा देश उल्लेखनीय विकास के मुहाने पर खड़ा है।
नौसेना प्रमुख ने रेखांकित किया कि हम तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं। सितंबर, 2022 में हम पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गए और इस प्रक्रिया में हम सभी ने अपने औपनिवेशिक शासकों को पीछे छोड़ दिया, उन्होंने हम पर 200 साल तक शासन किया। उनको पछाड़ कर, पांचवें पायदान पर आना, हर भारतीय के लिए गर्व का मौका है और ये हमने तब हासिल किया जब कुछ दशकों पहले इसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। इसका श्रेय सरकार, नेतृत्व, विजन और प्रत्येक भारतीय को जाता है जिन्होंने इस महान विकास में योगदान दिया है।
साथियों, हर मामले में भारत इस दशक के अंत तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अब, जब अर्थव्यवस्था बढ़ती है, जब व्यापार बढ़ता है, तो आज हम जो कर रहे हैं उसकी बहुत अधिक प्रासंगिकता हो जाती है। एक बढ़ती अर्थव्यवस्था का अर्थ व्यापार की उच्च मात्रा है। वर्तमान में मात्रा के हिसाब से भारत का 90 प्रतिशत से अधिक और मूल्य के हिसाब से 68 प्रतिशत से अधिक व्यापार समुद्री मार्गों से होता है। यह नौसेना के महत्व और हमारे वर्तमान कार्यकरण को और अधिक रेखांकित करता है। हर भारतीय आज एक बात देख रहा है कि दुनिया में जो भारत का नाम है वो परकाष्ठा पर है। भारत के पासपोर्ट की क्या कीमत है, भारतीय होने में क्या अभिमान है, वो हम अपनी आँखों से देख रहे है। ऐसी स्थिति में हमारी दृष्टि 2047 के भारत पर केंद्रित है, जब भारत स्वतंत्रता का शताब्दी समारोह मनाएगा। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम में से कुछ उस समय शायद जिंदा न हों, लेकिन युवा उस समय होंगे, जब भारत निश्चित रूप से एक वैश्विक नेता और एक स्थिरीकरण शक्ति के रूप में उभरेगा।
भारत की समुद्री ताकत हमारे आर्थिक और सामरिक उत्थान के लिए अत्यन्त आवश्यक है। यह प्रसन्नता की बात है कि प्रोजेक्ट 17 अल्फा के स्टील्थ फ्रिगेट में 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मेक इन इंडिया और 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है। ये खोखले नारे भर नहीं हैं, इन नारों के परिणामस्वरूप इस देश में बड़ी-बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं तैयार हुई हैं, हमारे पास जो है वह आज दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के समकक्ष है।
यह हमारे अपने कुशल लोगों के लिए उनकी तकनीक, उनके योगदान, उनके नवोन्मेषण को बढ़ावा देने और उनपर विश्वास करने के लिए हमारे दृढ़ समर्पण को दर्शाता है और यह विभिन्न सेक्टरों में भी हो रहा है। इस श्रृंखला के मल्टी-मिशन फ्रिगेट हमारे समुद्री हितों के लिए सभी प्रकार के खतरों से निपटने में सक्षम होंगे। खतरे बढ़ रहे हैं और भारत की भूमिका बढ़ रही है। विश्व इन क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिए हमारी ओर देख रहा है और यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि भारत ने चुनौती को पूरा किया है, भारतीय नौसेना ने चुनौती को पूरा किया है, मझगांव डॉक बिल्डर्स ने चुनौती को पूरा किया है और यही कारण है कि हमारा देश हमेशा आगे बढ़ेगा। इसकी वृद्धि को रोका नहीं जा सकता।
भारत सरकार ने घरेलू रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक समर्थकारी नीति संरचना बनाई है। आप उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जाइए, आप रक्षा गलियारों को देखेंगे, वे कार्यशील हैं, वे उस समय का संकेत देते हैं जिन्हें हम देख रहे हैं।
वास्तव में यह गर्व की बात है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान पहली बार हमारे घरेलू मोर्चे पर, भारत में रक्षा उत्पादन का मूल्य एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। निश्चित तौर पर इसमें आगे भी तीव्र वृद्धि जारी रहने वाली है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है।
सरकार ने हमारे रक्षा क्षेत्र के लिए नवीन समाधान डिजाइन करने में स्टार्ट-अप, अनुसंधान संस्थानों और शिक्षाविदों को शामिल करने के लिए रक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आई-डेक्स) योजना शुरू की थी। इससे बड़ा प्रभावशाली विकास हुआ है। आई-डेक्स के माध्यम से 300 से अधिक स्टार्टअप जुड़े हुए हैं। उनमें से प्रत्येक एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में गुणात्मक योगदान देगा।
मैं भारतीय नौसेना को बधाई देता हूं कि उनके पास स्वदेशीकरण निदेशालय है - जिसका आदर्श वाक्य 'चिंतन, नवोन्मेष, स्वदेशीकरण' है। यह सही दिशा में एक प्रभावशाली कदम है। यह आदर्श वाक्य बताता है कि भारत आज क्या है।
मित्रों, जब क्षमता बढ़ती है, जब विकास होता है, जब दुनिया आपकी ओर देखती है, जब आप एक वास्तविक वैश्विक शक्ति बन जाते हैं, तो चुनौतियां भी कम नहीं होती। चुनौतियां आपका पीछा करती हैं, वे आपसे उस स्थान को बनाए रखने और अपनी स्थिति को आगे बढ़ाने के लिए सदैव तैयार रहने का आह्वान करती हैं।
भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक नेट सुरक्षा प्रदाता के रूप में उभरा है। इसका श्रेय हमारे नौसैनिक बल की क्षमता और उसके बुनियादी ढांचे को जाता है। आज, हम सभी देशों में शांतिपूर्ण, नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को सुरक्षित और सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण वैश्विक भूमिका निभाते हैं। जब समुद्र में कुछ घटनायें घटित होती हैं, तो यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी हो जाता है कि नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था हो, जो इस समय तनाव में है, जो इस समय चुनौतीपूर्ण है। इसलिए, आज हम जो कर रहे हैं वह नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था की एक संपूर्ण प्रणाली को बनाए रखने, तैयार करने और उसे विकसित करने के लिए सही दिशा में उठाया गया एक कदम है।
हिंद महासागर क्षेत्र और व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर अनेक प्रकार की चुनौतियां हैं। क्षेत्र की भू-राजनीति से परिचित सभी लोग इस बात से अवगत हैं। इसने पूरे विश्व का ध्यान भी अपनी ओर खींचा है, क्योंकि इसमें सामरिक और आर्थिक पहलुओं का भी समावेश है। इनमें समुद्री डकैती, नशीले पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, अवैध प्रवासन और प्राकृतिक आपदाएं जैसी चिंताएं शामिल हैं। ये सभी कार्य नौसेना पर निर्भर हैं, और अच्छी बात यह है कि हमारी नौसेना ने मानव संसाधन की प्रतिबद्धता की बदौलत एक अनुकरणीय तरीके से खुद को साबित किया है।
भारतीय नौसेना द्वारा भारत के समुद्री हितों की रक्षा, संरक्षण और संवर्धन के अधिदेश का निर्वहन इससे अधिक सक्षम नहीं हो सकता था। यह सर्वोच्च शिखर पर है। मैं अपनी नौसेना को बधाई देता हूं, मुझे पूरा विश्वास है कि वे पूरी दुनिया की सुरक्षा के लिए खुद को बेहतर बनाते रहेंगे।
मित्रों, हमारे देश की तरह, हमारे सभ्यतागत लोकाचार की तरह, हमारी इस सोच की तरह कि पूरा विश्व एक परिवार है, हम शांति, सद्भाव और वैश्विक विकास के पक्ष में खड़े हैं। हमारी नौसेना संकट के दौरान शांति और सद्भावना का वाहक रही है। पश्चिमी बंगाल राज्य के राज्यपाल के रूप में, मैं आपको बता सकता हूं, मुझे हमारी नौसेना और तटरक्षक बल के प्रदर्शन को देखने का प्रत्यक्ष अनुभव मिला है। जब हमारे यहां अनेक चक्रवात आये, तब भी समुद्र में मौत की एक भी घटना सामने नहीं आई। संपत्ति का नुकसान भी बिल्कुल सीमित था।
‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के व्यापक विजन के तहत, भारत खतरों से निपटने के साथ-साथ क्षेत्र में आर्थिक विकास और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
देवियों और सज्जनों, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से परे, वह प्रमुख संपत्ति जो भारतीय नौसेना को दूसरों पर बढ़त दिलाती है वह है हमारा समृद्ध मानव संसाधन। उनके साहस, उनकी योग्यता और प्रतिबद्धता से ही नौसेना की असली शक्ति बढ़ती है। अन्य घटक भी हो सकते हैं, किंतु अगर मानव संसाधन की मज़बूत ताकत नहीं है, तो स्थितियां लाभदायक नहीं हो सकतीं। एक राष्ट्र के रूप में हम भाग्यशाली हैं कि हमारे मानव संसाधन समर्पित, सक्षम, कुशल और सीखने में तेज़ हैं, हमें इस पर गर्व है।
हमारे रक्षा बलों में जो महिलाएं महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय भूमिका निभा रही हैं, हमें उस पर भी गर्व है। कुछ दशक पहले, जब मैं 1989 में संसद के लिए चुना गया था, यह अकल्पनीय था, मैं सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ का एक छात्र हूं, लेकिन यह हमारे चिंतन से परे था कि महिलाएं इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। गौर करिये, अब हम कहां से कहां पहुंच गए हैं। सेना, नौसेना और वायु सेना में दस हजार से अधिक महिलाओं की मजबूत उपस्थिति के साथ, भारतीय सशस्त्र बलों ने महिला-पुरुष समानता में काफी प्रगति की है।
जिस तरह की जिम्मेदारी महिलाएं संभाल रही हैं, उससे हम विकसित दुनिया के लिए एक उदाहरण बन गए हैं। विशेष रूप से, महिलाएं अब सेना के सभी क्षेत्रों में लड़ाकू भूमिकाओं के साथ सक्रिय रूप से सेवा कर रही हैं, जो राष्ट्र की सेवा के लिए उनकी क्षमताओं और प्रतिबद्धता को चित्रित करती है। भारतीय नौसेना में महिलाओं की स्थिति को मजबूत करना एक उल्लेखनीय घटनाक्रम को दर्शाता है: 1992 में शॉर्ट सर्विस कमीशन की स्थापना से लेकर जून 2023 तक, जिसमें नौसेना और अन्य रक्षा बलों की सभी शाखाओं, संवर्गों और विशेषज्ञताओं में महिलाओं का समाकलन देखा गया। आज, महिलाएं युद्धपोतों पर अपनी भूमिकाएं बखूबी निभा रही हैं। यह एक गुणात्मक परिवर्तन है, क्योंकि इसमें 50 प्रतिशत मानवता की भागीदारी है। यह एक निर्णायक मोड़ है।
आज युद्धपोत का जलावतरण यह स्पष्ट संदेश देता है कि भारत अपनी समुद्री शक्ति में निवेश करना जारी रखेगा। राज्यसभा के सभापति के रूप में यह मेरे लिए गर्व का क्षण था, जब माननीय रक्षा मंत्री ने जवाब दिया, "जब रक्षा बजट की बात आती है, तो हम बजट खर्च के प्रतिशत के अनुसार नहीं चलते हैं, जो आवश्यक है हम उनके अनुसार चलते हैं और उसे पूरा करते हैं।" वह एक नीतिगत वक्तव्य था, जो हमारी सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि हमेशा रक्षा संबंधी पहलुओं को प्राथमिकता दी जाएगी और उनसे कभी समझौता नहीं किया जाएगा।
यह सभी के लिए सुरक्षित और समृद्ध समुद्री व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए देश की सामरिक पहुंच का और विस्तार करेगा। मुझे विश्वास है कि एक बार जलावतरण के बाद महेंद्रगिरि भारत की समुद्री ताकत के दूत के रूप में सभी महासागरों में गर्व से तिरंगा फहराएगा। जब तिरंगे की बात आती है, जब शिव शक्ति बिंदु की बात आती है, तो आप जानते हैं कि हमने हाल ही में क्या देखा, हमने चंद्रमा पर भी इन दो बहुत महत्वपूर्ण पहलुओं की मुहर लगाई, सचमुच यह कुछ ऐसा है जिसे दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा है।
एक बार फिर, भारतीय नौसेना, एमडीएल, डिजाइनरों, इंजीनियरों, श्रमिकों और इस शानदार युद्धपोत के निर्माण में शामिल सभी लोगों को बधाई। भारत को वास्तव में उन सभी पर गर्व है जिन्होंने इस जहाज को मूर्तरूप देने में कड़ी मेहनत की है।
मेरी मनोकामना है कि महेंद्रगिरि यह साबित करे कि - 'जलमेव यस्य बलमेव तस्य!' यानी, जिसका समन्दर पर कब्जा है वही सबसे बलवान है!
मेरे मन में कोई शंका नहीं है, हजारों साल पहले जहां भारत था, विश्व की पराकाष्ठा पर था, आर्थिक दृष्टि से विश्व में शीर्ष पर था, ज्ञान का भंडार था, दुनिया हमारी तरफ देखती थी। अब बदलाव आ गया है, जो लोग हमको राय दिया करते थे, वह हमसे आज राय लेते हैं, वह दिन दूर नहीं है... हम पहले पायदान पर होंगे, और ऐसा होना इस धरती के लिए सर्वोत्तम होगा, क्योंकि हम सभी के लिए, समृद्धि, सद्भाव और विकास तथा विश्व को एक परिवार के रूप में मानने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जय हिन्द!