श्री जगदीप धनखड़, माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा दिनांक 1 मार्च, 2023 को बेंगलुरु में भारतीय प्रबंध संस्थान बेंगलूर (आईआईएमबी) में प्रबंधन विकास केंद्र के उद्घाटन के दौरान संबोधन।

बैंगलुरू | मार्च 1, 2023

हम भाग्यशाली हैं कि राज्यसभा में हमारे सचिव 1991 बैच के आईएएस और आईआईएम बेंगलुरू के पूर्व छात्र रहे हैं। मुझे यकीन है कि वे झेंप जाएंगे और वे इसके लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन उन्होंने बदलाव लाया है। उन्होंने राज्य सभा के मामलों से निपटने के मेरे दृष्टिकोण में भारी बदलाव लाया है और यह बदलाव गुणात्मक रूप से बहुत उपयोगी है। इसलिए मैंने सोचा कि मैं एक निमंत्रण का अनुरोध करूंगा और इस संस्थान जो उच्च सदन, राज्य सभा को लाभान्वित करता है, के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करूंगा।

मैं आपके साथ कुछ विचार साझा करना चाहूंगा। मैं आप में से एक हूं। क्यों? मैं शिक्षा की एक उत्पत्ति हूं। मैं एक छोटे से गांव में था जहां बिजली नहीं थी, सड़क नहीं थी। मैं भाग्यशाली था कि जब मैं पांचवीं कक्षा में था तब छात्रवृत्ति मिली और सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ गया और इसने मेरा जीवन बदल दिया।

मेरे अनुभवों के आधार पर मेरी एक सलाह है - परेशान न हों, तनाव न लें और गलती करने से कभी न डरें। जिस क्षण आप गलती करने से डरते हैं, आप उद्यमी नहीं रहेंगे। इतिहास गवाह है यदि आप उन सभी विकासों का विश्लेषण करें जिन्होंने समाज और मानवता में अच्छी चीजों को आकार दिया है, तो पाएंगे कि यह पहले प्रयास में कभी नहीं हुआ।

दूसरी बात, मानवता पर हम जो सबसे बड़ा अन्याय कर सकते हैं, वह है एक शानदार विचार रखना, लेकिन उसके बारे में बात न करना। और दूसरा है शानदार विचार रखना, उसके बारे में बोलना लेकिन उस पर अमल नहीं करना।

हमारे प्रधान मंत्री जी को देखिए, दो साल में एक नई संसद होगी। क्या आप कभी कल्पना कर सकते थे कि मौजूदा संसद भवन को बनने में काफी ज्यादा समय लगा। माननीय प्रधान मंत्री जी के मन में आया कि हमें एक नई संसद की आवश्यकता है।?

मैं 1989 में संसद के लिए चुना गया था। मैं 1989 में केंद्रीय मंत्री था। मेरे अधिकार में दो चीजें थीं - 50 गैस कनेक्शन जो मैं किसी को भी दे सकता था। लोकतंत्र की सबसे बड़ी जननी के एक संसद सदस्य की शक्ति की कल्पना कीजिए कि उसने लोगों को एक साल में 50 गैस कनेक्शन देने में अत्यंत गर्व महसूस किया। अब मौजूदा व्यवस्था को देखिए। 170 मिलियन गैस कनेक्शन उन परिवारों को मुफ्त दिए गए जिन्हें इसकी जरूरत है । क्या यह एक विलक्षण बात नहीं है?

कोविड के दौरान प्रधानमंत्री ने तीन कदम उठाए। एक, जनता कर्फ्यू, यह सबसे शुरुआत में सर्वाधिक नवोन्मेषी तंत्र था, राज्यपाल के रूप में मैं इसका हिस्सा था। कुछ लोगों ने इसका मजाक उड़ाया, यह क्या है? उनके मन में यह जुनूनी विचार कहां से आया, लेकिन फिर पीछे मुड़कर देखें तो यह राष्ट्र के विनियामक शासन-व्यवस्था को लागू किए बिना दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण जन जागरूकता कार्यक्रम था। लोग आगे आए। यह बहुत अच्छी बात थी। उन्होंने हमें अवगत कराया कि हमारे सामने एक खतरा आने वाला है। कोविड महामारी ने मानवता को प्रभावित किया। उन्होंने सोचा कि नवोन्मेष ही एकमात्र रास्ता हो सकता है। इसका मज़ाक उड़ाया गया।

अभी चिंतन करें क्योंकि यहां उपस्थित युवा मस्तिष्क ही भविष्य हैं। आप इस देश को अपने कंधों पर ले जाना चाहते हैं। आप वर्ष 2047 के योद्धा हैं। वर्ष 2047 में भारत क्या होगा, यह आपके प्रयासों से तय होगा, इसलिए इस पर ध्यान दें। पहली प्रतिक्रिया थी, कोविड कहां है? यह सब राजनीति है। लेकिन कोविड आया था। आप बाहर से वैक्सीन क्यों नहीं मंगवाते? आप नवोन्मेष में क्यों लगे हैं? अब, अपनी बुद्धिमत्ता, अपनी प्रतिभा पर विश्वास न करना और किसी और की प्रतिभा को स्वीकार करना मूर्खता होगी। उन्होंने कहा नहीं, अगर यह टीका सफल नहीं होता है तो एक और टीका है और वह टीका विश्व स्तर पर काफी सफल होने जा रहा है। अंतत:, हम कहां हैं? दुनिया हमें देख रही है। 1.4 अरब लोग कोविड से कैसे निपट सकते हैं? आप 220 करोड़ खुराक कैसे दे सकते हैं और सभी की डिजिटल रूप से मौपिंग कैसे कर सकते हैं। दुनिया का कोई भी देश ऐसा नहीं कर पाया है।

जब मैंने अपनी पहली विदेश यात्रा की, मज़ाक ही मज़ाक में, मैंने कहा कि हमारे देश में नेतृत्व ने कागज उद्योग की परवाह नहीं की। वह व्यक्ति जो मुझे देख रहा था, थोड़ा हैरान हुआ। इसका क्या मतलब है? मैंने कहा कि अगर हम कागज पर प्रमाणित करते तो कागज उद्योग फल-फूल रहा होता। 220 करोड़ प्रमाणपत्रों का कई बार कागज़ी तौर पर लेन-देन, कागज उद्योग को तो समृद्ध होना ही था। पर हमने उसकी परवाह नहीं की, हमने तकनीक पर ध्यान दिया।

हमारे कोविड प्रबंधन का विश्व स्तर पर सम्मान किया जाता है। और क्यों? कोविड योद्धाओं के कारण।

मैं प्रधानमंत्री के आह्वान पर कोविड के दौरान लोगों को प्रेरित कर रहा था। मैं यह उन लोगों के लिए कर रहा था जो हमारे जीवन की रक्षा के लिए त्याग कर रहे थे, अपनी जान को जोखिम में डाल रहे थे। वह बहुत अच्छा संकेत था। हमने इस देश में जो कुछ हासिल किया है, उसे मैं संक्षेप में बताता हूं। एक तो अर्थव्यवस्था, सितंबर 2022 में हमने विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की थी। हम पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गए। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है: इससे अधिक महत्वपूर्ण बात है कि हमने अपने पूर्व औपनिवेशिक शासकों को पीछे छोड़ दिया।

आप में से अधिकांश इतनी अच्छी जानकारी रखते हैं और मुझसे अधिक अच्छी जानकारी रखते हैं, दशक के अंत तक हम इस ग्रह की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। यह कैसे होगा? यह प्रतिष्ठित उद्योगपतियों द्वारा नहीं लाया गया है, यह इसलिए आया है क्योंकि आप जैसे लोग हैं जिन्होंने स्टार्टअप्स की बड़ी दुनिया में कदम रखा है और उन्होंने विकास को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। और इसीलिए हमारे स्टार्टअप उद्योग के दिग्गजों से निवेश आकर्षित कर रहे हैं और उन्हें प्रसिद्धि मिल रही है कि हां, एक शीर्ष उद्योगपति ने उस स्टार्टअप में निवेश किया है।

सरकार की सकारात्मक नीतियों के कारण हमारे पास एक पारिस्थितिकी तंत्र है कि अब आप अपनी क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने में सक्षम हैं। पैसा एक बाधा नहीं है। और जो आपसे बात कर रहा है उसने एक वकील के रूप में शुरुआत की और उसमें अपना करियर बनाया और लोग कहते हैं कि यह एक सफल करियर था। आपको केवल लीक से हटकर सोचना है और आपके साथ आईआईएम बेंगलुरू की प्रतिष्ठा की मुहर है।

दूसरी बात, कृपया अपने देश को हमेशा पहले रखें। हम स्वाभिमानी भारतीयों को अपनी उपलब्धियों और कार्य सिद्धियों पर गर्व है। हमें बैकफुट पर नहीं रहना चाहिए। क्या हम ऐसी स्थिति का सामना कर सकते हैं कि कोई भी बाहर से आकर जिसे समर्थकों, लाभार्थियों, वित्तीय परजीवियों, स्लीपर सेल का समर्थन प्राप्त हो, हमारे देश के बारे में गलत बोलेगा और मैं उसे चुपचाप सुन लूंगा। नहीं।

हमारी लोकतांत्रिक साख पर सवाल उठाने की विश्व में किसी की साख नहीं है। कोई भी देश उतना जीवंत लोकतांत्रिक राष्ट्र नहीं है जितना हम विशेष रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में हैं। दुनिया में आपको ऐसा उच्चतम न्यायालय कहां मिलेगा जो बिजली की गति से काम करता हो? दुनिया में कहां ऐसी सरकार मिलेगी जो बड़े-बड़े काम करती हो और उसे जमीनी स्तर पर कर दिखाती हो।

हमारे पास वंदे भारत है लेकिन हमारे पत्रकार मित्रों की बदौलत हमें केवल एक ही खबर मिलती है, या तो उसके उद्घाटन का या उसपर पथराव किए जाने का है। आप आसपास देखिए कि क्या हो रहा है। लेकिन अगर हम केवल उस होमवर्क की ओर देखना शुरू कर दें जो किया जाना बाकी है, न कि जो होमवर्क किया जा चुका है, तो शायद हम निराशावाद को आमंत्रित कर रहे हैं और यह उन श्रेष्ठ मनोवैज्ञानिक कदमों में से नहीं है जिन्हें उठाए जाने की आवश्यकता है।

ऐसी कई उपलब्धियां हैं जिनसे दुनिया स्तब्ध है। उदाहरण के लिए, वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं, अपने चारों ओर देखें और पिंक पेपर में लगभग हर दिन आंकड़े आते हैं, हमारी तुलना में बहुत कम गति से बढ़ रही हैं। हमें इस तरह की भयावह राजनीति से बेहद सावधान रहने की जरूरत है जो हमारे शासन, लोकतांत्रिक राज्यव्यवस्था और संस्थानों के निष्पक्ष नाम को बदनाम और कलंकित करने के लिए देश के भीतर और बाहर से की जा रही है।

मुझे बताएं कि आपने दुनिया में कब किसी जांच को दो दशकों तक चलते देखा है? देश की उच्चतम न्यायालय द्वारा नियंत्रित एक जांच और मेरे शब्दों को स्मरण रखें, अब सभी स्तरों पर ट्रायल कोर्ट, उच्च न्यायालय, एसआईटी, उच्चतम न्यायालय में 20 साल तक चली यह जांच जो कि 2022 में उच्चतम न्यायालय के एक फैसले में परिणत हुई। और हमारे पास एक डॉक्यूमेन्ट्री है जो उन्हें 20 वर्षों तक प्रासंगिक नहीं लगी थी? नहीं, देश के उच्चतम न्यायालय जो देश का एक स्वतंत्र न्यायालय तंत्र हैं, के 2022 में एक दृढ़ निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद 20 वर्ष उनके लिए प्रासंगिक नहीं थे। 20 साल उनके लिए प्रासंगिक नहीं थे, आप दूसरी तरह से राजनीति करने की योजना बनाते हैं और आप चाहते हैं कि राष्ट्रवाद में विश्वास रखने वाला इस देश का नागरिक चुप रहे?

क्या आप वास्तव में किसी प्रकार से कहानियां गढ़ने में संलिप्त रह सकते हैं? क्या आप इस देश में किसी ऐसी जानकारी का ढेर लगा सकते हैं जो आपके लिए फायदेमंद हो और हम इसे बेअसर करने की स्थिति में नहीं होंगे? मुझे यकीन है कि उद्योग को प्रति-पाटन (एंटी-डंपिंग) के पीछे का कारण पता है? घरेलू उद्योग को बचाने के लिए। प्रति-पाटन अर्थशास्त्र में एक ज्ञात तंत्र है कि दुनिया का कोई बड़ा औद्योगिक घराना किसी विशेष देश में पाटन द्वारा किसी क्षेत्र के विकास को समय से पहले ही रोकना चाहता है। शायद मारुति सफल नहीं होती। अगर उस समय बहुत कम कीमत पर 200,000 कारों का पाटन हो गया होता। इसी तरह, सूचना का ढेर लगाया जाना (डंपिंग)... हम उसकी क्षतिपूर्ति नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, सरल शब्दों में मैं कहूंगा कि एक शैतान को धर्मशास्त्रों का सहारा लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है क्योंकि ऐसा करके आप हमारी बुद्धि को चुनौती दे रहे हैं कि हम आपके कार्य जो कि भयावह है और केवल हमें नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से है, से पूरी तरह से छले जा रहे हैं । मैं चाहता हूं कि युवा मस्तिष्क इसके बारे में सोचें। मैं चाहता हूं कि युवा मस्तिष्क इस पर ध्यान केंद्रित करें।

एक सज्जन हैं जिनकी प्रसिद्धि का दावा केवल पैसे के आधार पर है; प्रसिद्धि का उनका दूसरा दावा है कि वह उस पैसे का उपयोग करते हैं। उनकी प्रसिद्धि का तीसरा दावा यह है कि वे इस धन का उपयोग बैंकिंग जैसे केंद्रीय संस्थानों को अपने अधिकार में लेने के लिए सफलतापूर्वक करते हैं। वे भूल जाते हैं कि भारत लोकतंत्र की जननी है; सबसे बड़ा लोकतंत्र है। उनकी हिम्मत कैसे हुई इसके बारे में सोचने की। उनके समर्थक, उनके लाभार्थी, उनके वित्तीय परजीवी जैसा कि मैंने पहले कहा या उनके स्लीपर सेल; हमें इसका पर्दाफाश करने के लिए पूर्ण समर्थन की आवश्यकता है।

कोई भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में मुझसे अधिक विश्वास नहीं करता क्योंकि इसका सीधा कारण है कि मैं राज्यसभा का सभापति हूं; यह सुनिश्चित करना मेरा प्रमुख दायित्व है कि राज्यसभा के प्रत्येक सदस्य को अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता मिले, हमारा संविधान इसकी गारंटी देता है। अनुच्छेद 105 में कहा गया है कि एक संसद सदस्य सभा पटल पर चाहे कुछ भी कहे, उसके विरूद्ध कोई सिविल कार्रवाई या आपराधिक कार्रवाई नहीं हो सकती है। उसके पास पूरी उन्मुक्ति है और यह एक बड़ा विशेषाधिकार है। 140 करोड़ लोगों, भले ही उनमें से किसी एक या उनमें से कई लोगों ,ने सभा पटल पर दिए गए संसद सदस्य के बयान के बारे में सुना हो। वे असहाय हैं। वे अदालत नहीं जा सकते, क्योंकि उन्हें संवैधानिक छूट मिली हुई है।

अब क्या मैं उस संरक्षण के तहत किसी को भी आपके बारे में, आपके संस्थान के बारे में, किसी व्यक्ति के बारे में, उद्योग के बारे में कोई असत्यापित और अपुष्ट बयान देने की अनुमति दे सकता हूं।

किसी अभियान का हिस्सा बनना या अन्यथा, एक गलतबयानी करना? नहीं। यह उन्मुक्ति एक बड़ी जिम्मेदारी और जवाबदेही की गहरी भावना के साथ आती है। मैं राज्य सभा को किसी के खिलाफ आरोप लगाने वाली सूचनाओं के मुक्त प्रवाह का अखाड़ा नहीं बनने दे सकता। आप कोई भी बयान देने के हकदार हैं, लेकिन उसे प्रमाणित करें, उसके लिए जिम्मेदार बनें।

अब अगर मैं ऐसा करता हूं तो कुछ प्रतिष्ठित समाचार पत्र भी हैं जिनके संपादकीय में कहा जाता है कि उपराष्ट्रपति अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। मैं चाहता हूं कि आप इसके बारे में सोचें। क्या मुझे ऐसे किसी भी अपुष्ट आरोप द्वारा देश/व्यक्ति/क्षेत्र या आपके जैसे संस्थान की प्रतिष्ठा को बर्बाद करने की अनुमति देनी चाहिए? अगर कोई कहे कि इस संस्थान का इसलिए पतन हो रहा है क्योंकि निदेशक किसी और के इशारे पर काम कर रहा है, और कोई अन्य एजेंसी ऐसा कर रही है, तो क्या मैं इसकी अनुमति दूंगा? मैं कहूंगा कि हां, प्रमाणित करें। और अगर यह प्रमाणित नहीं होता है, तो यह विशेषाधिकार का हनन है, इसका मतलब है कि वह सज्जन अपनी सदस्यता खो सकते हैं।

मुझे उम्मीद थी कि मीडिया और बुद्धिजीवी मेरा दृष्टिकोण समझेंगे। मुझे सभापति के रूप में 140 करोड़ लोगों के हित और सभा में अपनी बात रखने के लिए उक्त सदस्य को दी गई बड़ी संवैधानिक शक्ति के बीच संतुलन बनाए रखना है। मुझे इसे अब फिर से आपके युवा प्रतिभाशाली मस्तिष्क के समक्ष रखना होगा, क्योंकि हम 2047 में नहीं होंगे। लेकिन मुझे आपकी बुद्धि, प्रतिबद्धता और दिशा पर कोई संदेह नहीं है, भारत शिखर पर होगा। इसलिए मैं चाहता हूं कि आप अपने मस्तिष्क को एक बिंदु पर सक्रिय करें।

हमारे पास एक महान संविधान है। संविधान सभा ने तीन साल तक विभाजनकारी मुद्दों, विवादास्पद मुद्दों को निपटाया। लेकिन एक भी विघ्न या व्यवधान नहीं हुआ; किसी ने शोर नहीं मचाया, कोई तख्तियां नहीं थीं; कोई भी सभापीठ के समक्ष नहीं आया। अब अगर मैं राज्य सभा के सभापति के रूप में संसद सदस्य से कहता हूं कि श्रीमान, आइए हम लोकतंत्र की महत्ता और भावना का अपमान न करें। यह लोकतंत्र का मंदिर है। यह वाद-विवाद, संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श के लिए है। क्या मैं इसे व्यवधान या विघ्न का अखाड़ा बना सकता हूं? नहीं। राज्यसभा में प्रत्येक मिनट का खर्चा करोड़ों में होता है। आपकी संस्था में खर्च होने वाला एक-एक पैसा राष्ट्र कल्याण के लिए जाता है, वैसे ही राज्य सभा पर खर्च होने वाला एक-एक पैसा राष्ट्र कल्याण के लिए जाना चाहिए। लेकिन मैंने पाया है कि लोग इसे दिनचर्या की तरह लेते हैं “आज सदन नहीं चला, व्यवधान हो गया, नारेबाजी हो गई।”

लोकतंत्र के हमारे मंदिरों को प्रदूषित करने वाले ऐसा निराशाजनक परिदृश्य लाने वालों को सार्वजनिक रूप से नाम लेकर लज्जित क्यों नहीं किया जाए। और अगर आपको, आप सभी को लगता है कि मुझे हर किसी को सदन में व्यवधान डालने की अनुमति देनी चाहिए, तो मैं आपको और आपकी आज्ञा को सलाम करता हूं, लेकिन अगर हम अन्यथा सोचते हैं, तो यह विशाल लोकतंत्र उत्पादक समय में संसदीय मामलों को और अधिक शालीनता से संभाले जाने का अधिकारी है।

मैं एक राज आपसे साझा करता हूं, मैं 1989 में संसदीय कार्य मंत्री था। सदन में कोई व्यवधान हो, तो सरकारें बहुत खुश होती है जैसे कि पढ़ाई में विश्वास न रखने वाले छात्र हड़ताल होने पर बहुत खुश होते हैं, क्योंकि उन्हें सवालों का जवाब नहीं देना होगा, उन्हें उस बहस का जवाब नहीं देना होगा। लेकिन मैं किसी सरकार या किसी विपक्ष का हितधारक नहीं हूं, मैं वहां आपका प्रतिनिधित्व करता हूं। मैं आपके भविष्य का हितधारक हूं। मैं अपने जीवन को देखता हूं कि कैसे मैं स्कूल जाने के लिए पैदल या छह-सात किलोमीटर दूर किसी दूसरी जगह जाता था।

इसलिए, मैं कुछ ऐसे लोगों के नाम पर अपने संवैधानिक कर्तव्यों का परित्याग नहीं कर सकता, जो यह कह रहे हैं कि सभापति इस तरह से कार्य इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे होमवर्क की सम्यक् तत्परता नहीं करते। लेकिन अब मेरा काम आसान है। अगर मैं आपको विश्वास दिला सकूं, तो अब आपके हाथों में शक्ति है कि आप सभी से जुड़ सकें और जानकारी साझा करने के लिए एक पारितंत्र तैयार कर सकें।

हम ऐसे लोग नहीं चाहते जो सदन को बाधित करते हैं। हमें ऐसे लोग नहीं चाहिए जो लोकतंत्र के मंदिरों में वाद-विवाद, संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श में शामिल न होते हों। इसलिए मेरी आपसे अपील है कि एक पारितंत्र बनाएं। ताकि एक स्वस्थ परिदृश्य को बढ़ावा मिले।

मैं आईआईएम के अध्यक्ष और निदेशक को एक सुझाव दूंगा। पूर्व छात्र मेरुदंड जैसी ताकत हैं, जो न केवल संस्थान को फलने-फूलने में मदद करेंगे; न केवल संस्थान के छात्रों को प्लेसमेंट पाने में मदद करेंगे; न केवल संस्था की प्रतिष्ठा को बाहर तक ले जाने में मदद करेंगे; बल्कि वे एक बड़े राष्ट्रीय हित की पूर्ति भी करेंगे। इसलिए मैंने सुझाव दिया है कि पूर्व छात्रों की संस्कृति अब सभी संस्थानों से शुरू होनी चाहिए। और प्रमुख संस्थानों में पूर्व छात्रों का एक परिसंघ होना चाहिए जो दुनिया में एक बेजोड़ थिंक टैंक होगा। हमारे पास पूर्व छात्र संघों का वैसा परिसंघ होना चाहिए। यह दोहरे उद्देश्य की पूर्ति में मदद करेगा (1) वे अपने विचारों को प्रकट करने में सक्षम होंगे और निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचेंगे, और (2) वे ऐसा करने के लिए चुंबकीय रूप से दूसरों को आकर्षित करेंगे।

समाप्त करने से पहले, मेरी एक विनम्र राय है और इसे क्रियान्वित करने के लिए मेरे पास राज्य सभा के सचिव हैं। हम आपके जैसे संस्थानों के निदेशक द्वारा चुने गए छात्रों को राज्य सभा (संसद) आने और दो दिन या तीन दिनों के लिए आपके लिए विचार-विमर्श को देखने के लिए आमंत्रित करेंगे तथा आपके ठहरने को यथासंभव आरामदायक बनाने का प्रयास करेंगे ताकि यह सभी तरह से उत्पादक हो। और तभी आप महत्वपूर्ण भूमिका निभा पाएंगे। मैं इसका कारण बताता हूं क्योंकि आपकी अपेक्षाएं इतनी बड़ी हैं और जब आप पाएंगे कि परिदृश्य समाप्त हो रहा है और आप कुछ तरह के पल उत्पन्न करने में सक्षम होंगे ताकि सबसे बड़े लोकतंत्र, लोकतंत्र की जननी के पास एक ऐसी संसद हो जो बड़े पैमाने पर लोगों की आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करे और आपको उनका योद्धा बनना होगा।

मैं निदेशक महोदय का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे यह बड़ा अवसर प्रदान किया और यह सुनिश्चित किया कि जो चीज़ सामने आए वह उत्कृष्ट हो और आपको उसका पूरा लाभ मिले। आपको मेरी शुभकामनाएं। धन्यवाद!

जय हिन्द!