हम दूसरों को खुद को परखने की अनुमति नहीं दे सकते; उनकी परख वस्तुनिष्ठ नहीं है– उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली
जून 6, 2023

कुछ लोग भारत के विकास से खुश नहीं है- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कहा, नए संसद भवन में पूरे देश की संस्कृति झलकती है
उपराष्ट्रपति ने भारतीय रक्षा सम्पदा सेवा (आईडीईएस) के प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ बातचीत की

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज इस बात पर जोर देते हुए कहा, "हम दूसरों को खुद को परखने की अनुमति नहीं दे सकते, क्योंकि उनकी परख वस्तुनिष्ठ नहीं है।" उन्होंने बताया कि देश के अंदर और बाहर के लोग हमें परखने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के विकास से कुछ लोग खुश नहीं है क्योंकि हमारा देश दुनिया में शांति, स्थिरता और सद्भाव में विश्वास करता है।

उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे व्यक्ति हैं जिनका राष्ट्र के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं है और वे हमारे संस्थानों को धूमिल और कलंकित करते हैं, और वास्तविक सच्चाई को देखने के लिए एकतरफा और अदूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाते हैं। उन्होंने कहा, “यह कहना कि भारत का उत्थान नहीं हो रहा है, वास्तविक सच्चाई को नजरअंदाज करना है। हमारी उन्नति आंकड़ों में, लोगों की संतुष्टि और उनके जीवन की बेहतरी में स्पष्ट है।”

आज उप-राष्ट्रपति निवास में भारतीय रक्षा संपदा सेवा (आईडीईएस) के 2021 और 2022 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए, श्री धनखड़ ने डिजिटल लेनदेन, इंटरनेट उपयोग, बुनियादी ढांचे और खाद्य सुरक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में देश द्वारा कई प्रशंसनीय उपलब्धियां गिनाईं। हाल ही में उद्घाटन किए गए संसद भवन के नए भवन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सभी सुविधाओं से लैस यह विशाल भवन महज ढाई साल के रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुआ है। उन्होंने कहा, "यह इमारत पूरी तरह से तैयार है और नए संसद भवन में देश की पूरी संस्कृति झलकती है।"

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यह बताते हुए कि उन्हें 1.4 बिलियन लोगों की सेवा करने का एक दुर्लभ अवसर मिला है, उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि वे हमेशा देश को सबसे ऊपर रखें, चाहे कोई भी चुनौती या कुछ भी प्रलोभन हो। उन्होंने कहा, "भौतिक लाभ केवल उस सीमा तक आवश्यक है, जो आपको जीवित रहने के लिए जरूरी है। इसके अलावा यह मातृभूमि की सेवा करने और दूसरों की सेवा करने का संतोष है।”

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आईडीईएस को देश भर में एक बड़े भूमि क्षेत्र का संरक्षक और मार्गदर्शक बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि प्रकृति और वहां रहने वाले लोगों की बेहतरी के लिए वृक्षारोपण, बागवानी और चिकित्सा/हर्बल पेड़ के माध्यम से रक्षा भूमि के प्रत्येक इंच का दोहन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “इस प्रक्रिया में, आप न केवल रक्षा संपदा के उत्कर्ष में बड़ा योगदान देंगे, बल्कि प्रकृति के प्रति प्रेम और सम्मान के हमारे सदियों पुराने सांस्कृतिक लोकाचार का पोषण करके मां भारती की सेवा भी करेंगे।”

इस अवसर पर रक्षा संपदा महानिदेशक श्री जी. एस. राजेश्वरन, राष्ट्रीय रक्षा संपदा प्रबंधन संस्थान के निदेशक श्री संजीव कुमार, राष्ट्रीय रक्षा संपदा प्रबंधन संस्थान के पाठ्यक्रम निदेशक श्री सत्यम मोहन, आईडीईएस के प्रशिक्षु अधिकारी और उपराष्ट्रपति सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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