उपराष्ट्रपति ने दिल्ली विधानसभा में संविधान दिवस समारोह में भाग लिया, श्री विट्ठल भाई पटेल के केंद्रीय विधान सभा का पहला निर्वाचित भारतीय अध्यक्ष बनने की 100वीं वर्षगांठ पर भारत की विधायी यात्रा के बारे में एक कॉफी टेबल पुस्तक का विमोचन किया
संविधान एक जीवंत दस्तावेज, भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का मार्गदर्शकः उपराष्ट्रपति
सांवैधानिक मूल्यों के मार्गदर्शन में राष्ट्र विकसित और आत्मनिर्भर भारत की राह परः उपराष्ट्रपति
पिछले दशक में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकाले गए, इस उपलब्धि की मानव इतिहास में दूसरी मिसाल नहीं: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने दिल्ली विधानसभा में विविध पेशों के प्रतिनिधित्व की सराहना की
दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता का नेतृत्व महिलाओं की अगुआई में विकास की मिसालः उपराष्ट्रपति
भारत के उपराष्ट्रपति श्री सीपी राधाकृष्णन ने आज दिल्ली विधानसभा में संविधान दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने श्री विट्ठल भाई पटेल के केंद्रीय विधान सभा का पहला निर्वाचित भारतीय अध्यक्ष बनने की 100वीं वर्षगांठ पर भारत की विधायी यात्रा के बारे में एक कॉफी टेबल पुस्तक का विमोचन भी किया।
Hon’ble Vice-President Shri C. P. Radhakrishnan participated in the ‘Constitution Day’ celebrations at the Delhi Legislative Assembly and released a Coffee Table Book on India’s legislative journey, marking 100 years since Shri Vithalbhai Patel’s election as the first Indian… pic.twitter.com/d7u1nte1DJ
— Vice-President of India (@VPIndia) November 26, 2025
उपराष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा कि भारत का संविधान देश की लोकतांत्रिक यात्रा को निर्देशित करने वाला एक जीवंत दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान को बौद्धिकता, अनुभवों, पीड़ाओं और उम्मीदों से आकार मिला तथा यह भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले लाखों देशवासियों की सामूहिक विद्वता, बलिदानों और सपनों का साक्ष्य है। उन्होंने संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की जिनके नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया कि देश का संविधान भारत की आत्मा और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करे।
श्री राधाकृष्णन ने कहा कि 26 नवंबर को 2015 से संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। यह अब नागरिकों को उनके अधिकारों और दायित्वों के बारे में जागरूक बनाने और संविधान की मूल दृष्टि को सम्मानित करने वाले राष्ट्रव्यापी समारोह में तब्दील हो गया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर साल भर के समारोहों का समापन हो रहा है। इन समारोहों को 2024 में ‘हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान’ के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था।
अमृतकाल में भारत की प्रगति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्र विकसित और आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में लगातार बढ़ रहा है। न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के संविधान के सिद्धांत उसकी इस यात्रा का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि एक समय भारत को कमजोर अर्थव्यवस्था बता कर उसकी उपेक्षा की जाती थी। लेकिन अब वह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और जल्दी ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले दशक में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया गया है। यह एक महान सफलता है जिसकी इतिहास में कोई बराबरी नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकियों ने 100 करोड़ नागरिकों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठाने में सक्षम बनाया है। उन्होंने कहा, ‘‘ये कोई मामूली उपलब्धियां नहीं हैं। ये हमारे संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने वाले मील के पत्थर हैं।’’
उपराष्ट्रपति ने दिल्ली विधानसभा में विभिन्न पेशों के प्रतिनिधित्व की सराहना की। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और दिव्यांगों के लिए समर्पित समितियों की मौजूदगी पर संतोष व्यक्त किया।
उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व की सराहना करते हुए उनकी भूमिका को राष्ट्र के महिला सशक्तीकरण से महिलाओं के नेतृत्व में विकास की ओर प्रस्थान की मिसाल बताया।
उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा भवन जहाँ पहले इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल और पहली सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली चला करती थी, इसने अधिकारों, नागरिकता और प्रतिनिधि शासन पर महत्वपूर्ण बहसों को होते देखा है।
उपराष्ट्रपति ने भारत की विधायी यात्रा पर कॉफी टेबल पुस्तक जारी करते हुए दिल्ली विधानसभा की सराहना की और 2025 में श्री विट्ठलभाई पटेल के ऐतिहासिक कार्यकाल के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय अध्यक्ष सम्मेलन की सफल मेजबानी को याद किया।
उन्होंने कहा कि कॉफी टेबल पुस्तक में दुर्लभ तस्वीरें, मुख्य भाषणों के अंश, सम्मेलन के चित्र और श्री विट्ठलभाई पटेल और अन्य नेताओं पर अभिलेखीय सामग्री शामिल है। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह भविष्य की पीढ़ियों को भारत के विधायी इतिहास से जुड़े रहने में मदद करेगी।
उपराष्ट्रपति ने सभी विधायकों से संवाद, बहस और चर्चा के माध्यम से रचनात्मक योगदान देने का आग्रह किया और विकसित भारत @2047 की दिशा में राष्ट्र की यात्रा में उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
अपने भाषण के अंत में उन्होंने सभी नागरिकों से मौलिक कर्तव्यों की भावना को बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, "संविधान के मूल्यों पर चलते हुए, दूसरों के अधिकारों का सम्मान करके, कानून के शासन को बनाए रखते हुए, अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए और एकता बनाए रख कर हम इस शानदार दस्तावेज़ का सम्मान करते हैं।"
उपराष्ट्रपति ने दिल्ली विधानसभा परिसर में भारत रत्न डॉ. बी. आर. अंबेडकर और श्री विट्ठलभाई पटेल की मूर्तियों पर पुष्पांजलि भी अर्पित की।
Hon’ble Vice-President also paid floral tributes at the statues of Bharat Ratna Dr. B. R. Ambedkar and Shri Vithalbhai Patel on the Delhi Assembly premises. pic.twitter.com/bXDJkFOO7p
— Vice-President of India (@VPIndia) November 26, 2025
इस अवसर पर दिल्ली के उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना, दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता, दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता, मंत्रीगण, विधानसभा के सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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