उपराष्ट्रपति ने कॉर्पोरेट नेताओं से प्रौद्योगिकी में अनुसंधान एवं विकास प्रोत्साहन के लिए संस्थानों से सहयोग करने का आग्रह किया
ऐसे दिन की प्रतीक्षा है जब आईएमडी पीठासीन अधिकारियों के लिए संसद में मौसम की स्थिति की भविष्यवाणी कर सके : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कहा- हमारी तकनीकी प्रगति सॉफ्ट डिप्लोमेसी का एक महत्वपूर्ण तंत्र है
अन्य देशों में जलवायु सेवाओं का विस्तार क्षेत्रीय लचीलेपन को मजबूत बनाता है और एक उत्तरदायी वैश्विक भागीदार के रूप में भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कहा- आईएमडी को हमारे राष्ट्र के हित के लिए अत्याधुनिक तकनीक को अपनाना और उसका उपयोग करना चाहिए
उपराष्ट्रपति ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के 150 वर्ष होने के अवसर पर आयोजित उद्घाटन समारोह को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कॉर्पोरेट नेताओं से विघटनकारी प्रौद्योगिकियों पर फोकस के साथ अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए संस्थानों से सहयोग करने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने विकसित देशों में अनुसंधान शुरू करने और वित्त पोषण करने में कॉरपोरेट्स द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए आपदा जोखिम में कमी तथा प्रबंधन के लिए विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।
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उपराष्ट्रपति ने आज विज्ञान भवन में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए "भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने वाला एक सुरक्षा जाल" के रूप में आईएमडी के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। आईएमडी के पूर्वानुमानों की सटीकता की सराहना करते हुए श्री धनखड़ ने विनोदपूर्वक टिप्पणी की, "मैं उस दिन की प्रतीक्षा में हूं जब आईएमडी भविष्यवाणी कर सके कि पीठासीन अधिकारियों के लिए संसद के दोनों सदनों में मौसम की स्थिति क्या होगी।"
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उपराष्ट्रपति ने आईएमडी के वैश्विक प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत के पड़ोसी भी आईएमडी की विशेषज्ञता पर भरोसा करते हैं, जैसा कि चक्रवात मोचा के दौरान और उसके बाद बांग्लादेश और म्यांमार द्वारा भारत की प्रशंसा से स्पष्ट हुआ। एक प्रमुख सॉफ्ट डिपलोमेसी उपकरण के रूप में तकनीकी प्रगति पर प्रकाश डालते हुए श्री धनखड़ ने बताया कि किस तरह किसी राष्ट्र की आर्थिक और तकनीकी प्रगति अंतरराष्ट्रीय संबंधों को परिभाषित करती है। उन्होंने कहा, "अपने पड़ोसियों और अन्य देशों तक अपनी मौसम और जलवायु सेवाओं का विस्तार करके, हम न केवल क्षेत्रीय लचीलेपन को मजबूत बनाते हैं बल्कि एक जिम्मेदार वैश्विक भागीदार होने की भारत की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करते हैं।"
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आईएमडी द्वारा राष्ट्रीय जीवन के हर पहलू में निभाई गई सकारात्मक भूमिका को स्वीकार करते हुए, "जमीन जोतने वाले किसानों से लेकर सीमाओं की रक्षा करने वाले जवानों तक", उपराष्ट्रपति ने कृषि आय बढ़ाने, कोविड प्रबंधन सुनिश्चित करने और जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन में सफल सुविधा प्रदान करने जैसे विविध क्षेत्रों में आईएमडी के योगदान का उल्लेख किया। श्री धनखड़ ने आईएमडी और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच तालमेल का भी उल्लेख किया जो आईएमडी की स्थिति को "विश्व में अग्रणी मौसम विज्ञान विभागों में से एक" के रूप में मजबूत कर रहा है।
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श्री धनखड़ ने जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे पर प्रकाश डालते हुए बल देकर कहा कि आईएमडी को प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी और अनुसंधान सहयोग के माध्यम से प्रौद्योगिकी का उपयोग करके आपदा न्यूनीकरण में सबसे आगे रहना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक केंद्रों के रूप में वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक विकास में आईएमडी के योगदान की भी सराहना की।
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उपराष्ट्रपति ने विघटनकारी प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने वाले देशों में भारत की प्रमुख स्थिति की पुष्टि करते हुए राष्ट्रीय संस्थानों की क्षमताओं को मजबूत करने में क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और बिग डेटा का उपयोग करने की अनिवार्यता को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, "हमारे राष्ट्र के लाभ के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने और उसका उपयोग करने में आईएमडी की महत्वपूर्ण भूमिका है।" उन्होंने आईएमडी से "वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने" के लिए लगातार नवाचारों को अपनाने और एकीकृत करने का आग्रह किया।
उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम में आईएमडी का थीम गीत जारी किया। उन्होंने निर्णय समर्थन प्रणाली, पंचायत मौसम सेवा, जलवायु सेवाओं के राष्ट्रीय ढांचे और विभाग के मोबाइल ऐप सहित कई अन्य पहल भी लांच की।
इस अवसर पर केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री, श्री किरेन रीजीजू, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम रविचंद्रन, आईएमडी के महानिदेशक डॉ. एम. महापात्र तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।