उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ अपने पहले तीन दिवसीय विदेश दौरे पर कंबोडिया पहुंचे

नोम पेन्ह, कंबोडिया
नवम्बर 11, 2022

उपराष्ट्रपति नोम पेन्हो में भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित सामुदायिक स्वागत समारोह में शामिल हुए
उपराष्ट्रपति ने कंबोडिया को विस्तारित परिवार के रूप में वर्णित किया
श्री धनखड़ ने दुनिया भर में भारतीयों के योगदान की प्रशंसा की

अपनी पहली विदेश यात्रा में उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ आज कंबोडिया पहुंचे, जहां उनका स्वागत नोम पेन्ह हवाई अड्डे पर कंबोडिया के डाक और दूरसंचार मंत्री श्री ची वंदेथ और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने किया। उपराष्ट्रपति का अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान आसियान भारत स्मारक शिखर सम्मेलन और 17वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन सहित कई कार्यक्रमों में भाग लेने का कार्यक्रम है।

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यात्रा के पहले दिन श्री जगदीप धनखड़ और डॉ. सुदेश धनखड़ ने आज शाम कंबोडिया में भारतीय समुदाय और भारत के दोस्तों द्वारा उनके सम्मान में आयोजित एक स्वागत समारोह में भाग लिया।

सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने इसे एक विशेष अवसर बताया क्योंकि भारत और कंबोडिया राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष मना रहे हैं, और भारत-आसियान मित्रता वर्ष के साथ भारत-आसियान संबंधों की 30वीं वर्षगांठ भी मना रहे हैं।

दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों पर जोर देते हुए श्री धनखड़ ने कहा, "कंबोडियन भारत को भगवान बुद्ध की पूजनीय भूमि के रूप में देखते हैं, जैसे हम कंबोडिया को अपनी सभ्यतागत बहन और विस्तारित परिवार के रूप में देखते हैं।"

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अंगकोरवाट, ता-प्रोह्म और प्रेह विहियर के शानदार मंदिरों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ये विस्मयकारी स्मारक हमारे दोनों देशों के बीच संबंधों का एक उत्कृष्ट प्रतिबिंब हैं। विश्व प्रसिद्ध अंगकोरवाट मंदिर के जीर्णोद्धार और संरक्षण कार्यों के साथ भारत के मजबूत सहयोग पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने ता प्रोहम मंदिर और प्राचीन प्रेह विहार मंदिर जैसे अन्य प्राचीन मंदिरों के लिए इस तरह के संरक्षण कार्य को जारी रखने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

कंबोडिया के साथ हमारे संबंधों के प्रमुख घटकों के रूप में विकास साझेदारी और क्षमता निर्माण का वर्णन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कंबोडिया को हमारी 'एक्ट ईस्ट' नीति और आसियान में एक महत्वपूर्ण वार्ताकार और भागीदार करार दिया।

दुनिया भर में भारतीयों के योगदान की सराहना करते हुए श्री धनखड़ ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारतीय डायस्पोरा के सदस्यों ने कंबोडिया में अपना नाम कमाया है।

भारतीय डायस्पोरा को पुल बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह उनकी गोद ली हुई भूमि को मातृभूमि से जोड़ने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने भारत को अवसरों की भूमि करार दिया और विदेशों में रहने वाले सभी भारतीयों को भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनने के लिए कहा।

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सामुदायिक स्वागत से पहले श्री धनखड़ ने स्थानीय और भारतीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां देखीं। उन्होंने नोम पेन्ह में चकतो मुख सम्मेलन हॉल में आसियान-भारत कलाकार समूह के चित्रों की प्रदर्शनी भी देखी।

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, कंबोडिया के संस्कृति और ललित कला मंत्री डॉ. फोउरंग सैकोना, भारतीय समुदाय के सदस्य और कंबोडिया में भारत के मित्र उपस्थित थे।

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