उपराष्ट्रपति ने "संवैधानिक संस्थाओं को कलंकित करने, अपमानित करने, बदनाम करने और नष्ट करने के लिए तैयार की गई रणनीति” को बेअसर करने का अनुरोध किया
जी-20 में भारत की अध्यक्षता एक बड़ी उपलब्धि थी, एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरते भारत को वैध, उचित मान्यता प्राप्त हुई: उपराष्ट्रपति
आप देश से बाहर के हर व्यक्ति के लिए और विश्व के हर भारतीय नागरिक के लिए खिड़की हैं: शोधकर्ताओं से उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने भारतीय अंतर्राष्ट्रीय मामलों की परिषद की स्थित नवीनीकृत पुस्तकालय का उद्घाटन किया, शोधकर्ताओं को संबोधित किया
भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आईसीडब्ल्यूए के शोधकर्ताओं से "भारत के बारे में समय-समय पर प्रसारित की जाने वाली हानिकारक, भ्रामक कहानियों" से निपटने में अग्रिम मोर्चे पर रहने का अनुरोध किया। उन्होंने ऐसी कहानियों का गहन विश्लेषण करने की जरूरत पर जोर दिया। उपराष्ट्रपति ने कहा, "हमारी संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करने, उन्हें कलंकित करने, नीचा दिखाने और नष्ट करने के लिए तैयार की गई ऐसी रणनीति को बेअसर करने में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण है।"
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श्री धनकड़ ने इस बात पर जोर दिया कि भारत, इतिहास के एक निर्णायक पल में है। उन्होंने शोधकर्ताओं से अनुरोध किया कि वे लोगों को राष्ट्र की उपलब्धियों के बारे में जागरूक करें। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, "आप देश से बाहर के हर व्यक्ति के लिए और विश्व के हर भारतीय नागरिक के लिए खिड़की हैं।"
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उपराष्ट्रपति ने आज नई दिल्ली स्थित सप्रू हाउस में विश्व मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्ल्यूए) के अनुसंधान संकाय को संबोधित किया। उपराष्ट्रपति ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत की भूमिका की व्यापक सराहना की। साथ ही, हाल ही में संपन्न जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की सफलता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “भारत की जी-20 अध्यक्षता एक बड़ी उपलब्धि थी। इसने वैश्विक आम सहमति उत्पन्न की। एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरते भारत को सभी पक्षों से वैध, उचित मान्यता प्राप्त हुई है।”
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उपराष्ट्रपति ने वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद को रेखांकित किया। इसके आगे उन्होंने भारत की 'फ्रैजाइल फाइव' का हिस्सा बनने से लेकर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने तक की यात्रा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भारत ने जो उपलब्धियां प्राप्त कीं, उनमें से कुछ एक समय विश्व के लिए कल्पना से आगे लगती थीं। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, "वे कभी सोच भी नहीं सकते कि धर्म, जाति, पंथ और भाषा की विविधता वाले देश में ऐसा संभव है।"
उपराष्ट्रपति, जो कि आईसीडब्ल्यूए के पदेन अध्यक्ष भी हैं, ने आज सप्रू हाउस में आईसीडब्ल्यूए स्थित नवीनकृत पुस्तकालय का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में आईसीडब्ल्यूए के महानिदेशक राजदूत विजय ठाकुर सिंह, उपराष्ट्रपति के सचिव श्री सुनील कुमार गुप्ता और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।