उपराष्ट्रपति ने युवा प्रतिभाओं से लीक से हटकर सोचने का आह्वान किया; कहा- 'नवीन सोच हमारे डीएनए में है'
छात्र, योद्धा हैं जो 2047 में भारत की नियति को आकार देंगे- उपराष्ट्रपति
श्री धनखड़ ने सभी संस्थानों में पूर्व छात्रों के साथ सुनियोजित जुड़ाव के लिए एक तंत्र बनाने का आह्वान किया
कहा संस्थान अपने पूर्व छात्रों के बल पर आगे बढ़ते हैं
उपराष्ट्रपति ने आईआईटी मद्रास में 'नवाचार केंद्र' सुविधा का उद्घाटन किया
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज छात्र समुदाय से लीक से हटकर सोचने और देश की विकासात्मक चुनौतियों के लिए अभिनव समाधान खोजने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि नवीन सोच हमारे डीएनए में है। हमें केवल इसे सक्रिय करना है। उन्होंने छात्रों को '2047 में भारत की नियति को आकार देने वाले योद्धा' कहकर संबोधित किया।
वैश्विक अभिनव सूचकांक जैसे विभिन्न संकेतकों का उल्लेख करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि हम 40 पायदान ऊपर आ चुके हैं और यह शोध और पेटेंट करने से परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि भारत में 80,000 से अधिक स्टार्टअप के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है और देश में विश्व के तीसरे सबसे अधिक यूनिकॉर्न है।
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उपराष्ट्रपति ने चेन्नई में आईआईटी मद्रास में 'सेंटर फॉर इनोवेशन' सुविधा का उद्घाटन करने के पश्चात छात्र समुदाय को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किए। आईआईटी मद्रास की 'उत्कृष्ट संस्थान और देश के शीर्ष नवीन संस्थानों में से एक' के रूप में प्रशंसा करते हुए, श्री धनखड़ ने इसके परिसर में समृद्ध जैव विविधता की भी सराहना की।
वैश्विक विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत के निरंतर उत्थान पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अवसर की भूमि है और निवेश के लिए एक वैश्विक गंतव्य है। यह विश्वास व्यक्त करते हुए कि दशक के अंत तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी, उन्होंने रेखांकित किया कि अब जब भारत बोलता है, तो दुनिया सुनती है।
श्री धनखड़ ने कहा कि संस्थान 'अपने पूर्व छात्रों के बल पर आगे बढ़ते हैं। उन्होंने सभी संस्थानों में पूर्व छात्रों के संरचित विकास के लिए एक तंत्र निर्माण करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के पूर्व छात्रों का संघ एक अभूतपूर्व 'थिंक टैंक' तैयार करेगा, जिसमें दुनिया को बेहतरी के लिए बदलने की क्षमता होगी।
अपने संसदीय प्रतिनिधियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने में नागरिकों की भूमिका पर जोर देते हुए, उपराष्ट्रपति ने युवाओं से सदन में जिम्मेदार कार्यों और प्रामाणिक सूचनाओं के आदान-प्रदान के समर्थन में अपनी आवाज उठाने का आग्रह किया। उन्होंने छात्रों से अपील की कि 'एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार करने में मदद करें जिससे लोकतंत्र के मंदिरों की पवित्रता को ठेस न पहुंचे'।
आयोजन के दौरान, उपराष्ट्रपति ने छात्रों के साथ वार्तालाप भी किया और सेंटर फॉर इनोवेशन फैसिलिटी में विभिन्न परियोजनाओं का दौरा किया। उन्होंने कहा कि ऐसे उज्ज्वल मस्तिष्कों से उत्पन्न विचार राष्ट्र को बदलने की क्षमता रखते हैं।
तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री, थिरु के पोनमुडी, प्रोफेसर वी कामकोटि, निदेशक, आईआईटी मद्रास, श्री वी. शंकर, बेनिफैक्टर, द न्यू सेंटर फॉर इनोवेशन फैसिलिटी, संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।