उपराष्ट्रपति ने आईआईटी,धनबाद के 43वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
उच्च शिक्षण संस्थान केवल बौद्धिक ज्ञान के मामले में ही शीर्ष पर नहीं हैं, बल्कि ये आर्थिक विकास के शक्तिशाली इंजन भी हैं- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने एक विश्व नेता के रूप में प्रधानमंत्री की वैश्विक मान्यता को रेखांकित किया
पीएम संस्था एक राष्ट्रीय संस्था है, इसे किसी राजनीतिक दल के साथ न जोड़ें- उपराष्ट्रपति
किसी देश की यात्रा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सबसे प्रभावशाली और परिवर्तनकारी तंत्र के रूप में खड़ी रहती है- उपराष्ट्रपति
अमृत काल हमारे गौरव काल के रूप में खड़ा है- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ ने आज उच्च शिक्षण संस्थानों की केवल बौद्धिक ज्ञान के मामले में ही शीर्ष पर बने रहने की ही नहीं, बल्कि आर्थिक विकास के शक्तिशाली इंजन के रूप में निभाई गई उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया। शिक्षा का समाज में एक सबसे प्रभावशाली और परिवर्तनकारी तंत्र के रूप में वर्णन करते हुए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र का कद विस्तारपूर्वक युवाओं को प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता से जुड़ा हुआ है।
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उपराष्ट्रपति ने आज आईआईटी धनबाद (आईएसएम) के वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए एक विश्व नेता के रूप में भारतीय प्रधानमंत्री की वैश्विक मान्यता को रेखांकित किया। एक निष्पक्ष दृष्टिकोण पर जोर देते हुए श्री धनखड़ ने कहा, "मैं किसी व्यक्ति की सराहना करने में किसी प्रकार की राजनीति नहीं करता। मैं प्रधानमंत्री संस्था को किसी राजनीतिक दल से नहीं जोड़ता क्योंकि प्रधानमंत्री संस्था एक राष्ट्रीय संस्था है।"
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श्री धनखड़ ने राष्ट्र के विकास में राज्य और केंद्र सरकार दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब भारत की बात आती है तो राष्ट्र के कल्याण को छोड़कर किसी भी राजनीतिक दल में मतभेद नहीं होना चाहिए।
आईआईटी जैसे संस्थानों को बदलाव की धुरी बताते हुए, श्री धनखड़ ने भारत को वैश्विक तकनीकी नेता के रूप में आगे बढ़ाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की कल्पना की है। उन्होंने यह भी कहा कि हम एक तकनीकी क्रांति की दहलीज पर खड़े हैं जो मूल रूप से हमारे जीवन, कार्य और सामाजिक संपर्क के तरीके में परिवर्तन लाएगी।
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि कानून, महिलाओं के लिए आरक्षण और अभूतपूर्व नीतियों में युगांतरकारी उपलब्धियों के कारण अमृत काल हमारे गौरव काल के रूप में खड़ा है।
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रक्षा क्षमताओं में देश की प्रगति की प्रशंसा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने स्वदेशी युद्धपोत विक्रांत, फ्रिगेट्स, लड़ाकू विमानों, रणनीतिक हेलीकॉप्टरों और मिसाइलों के लॉन्च करने के बारे में प्रधानमंत्री की दूरदर्शी पहल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह तकनीकी उन्नति के बारे में भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालता है।
आईआईटी के पूर्व छात्रों को प्रतिभा के भंडार के रूप में मान्यता देते हुए और विभिन्न क्षेत्रों में उनके व्यापक योगदान की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने पूर्व छात्र संघों का एक परिसंघ बनाने का भी सुझाव दिया ताकि उनके अनुभव, विशेषज्ञता एवं अनुभव का नीति निर्माण में उपयोग किया जा सके और वे परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकें।
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झारखंड के राज्यपाल श्री सी.पी. राधाकृष्णन, झारखंड सरकार के स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण मंत्री श्री बन्ना गुप्ता, अध्यक्ष बीओजी, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद प्रो. प्रेम व्रत, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के निदेशक प्रो. जे.के. पटनायक और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।