उपराष्ट्रपति ने "मोदी युग में भारत का आर्थिक सशक्तिकरण" पुस्तक के विमोचन अवसर पर एक दशक के परिवर्तनकारी सुधारों पर प्रकाश डाला

नई दिल्ली
दिसम्बर 24, 2025

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने एकीकृत राष्ट्रीय बाजार के निर्माण में जीएसटी और डिजिटल इंडिया की भूमिका पर जोर दिया
47 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से शासन में पारदर्शिता झलकती है : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री सीपी राधाकृष्णन ने आज उपराष्ट्रपति आवास में सांसद प्रोफेसर (डॉ.) सिकंदर कुमार की लिखी पुस्तक "मोदी युग में भारत का आर्थिक सशक्तिकरणका विमोचन किया।

इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह पुस्तक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि, नेतृत्व और परिवर्तनकारी आर्थिक नीतियों का एक सशक्त प्रमाण है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले एक दशक में देश ने उल्लेखनीय आर्थिक बदलाव और राष्ट्र के आत्मविश्वास में नई वृद्धि देखी है। उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है और साथ ही सबसे तेजी से विकास करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था भी है।

उपराष्ट्रपति ने बताया कि पुस्तक में दिवालियापन कानूनों, डिजिटल शासन और पारदर्शी बैंकिंग प्रणालियों जैसे प्रमुख संरचनात्मक सुधारों पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ये सुधार मात्र नीतिगत पहल नहीं हैं, बल्कि दशकों पुरानी अक्षमताओं और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उद्देश्य से उठाए गए साहसिक कदम हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का "न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासनका दृष्टिकोण दक्षता और अनुशासन के एक कारगर मॉडल में तब्दील हो चुका है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लाभार्थियों तक 100 प्रतिशत लाभ पहुंचाने पर विशेष जोर देते हैं। उन्होंने बताया कि जनधन-आधार-मोबाइल (जेएएम) की त्रिमूर्ति ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को संभव बनाया है, भ्रष्टाचार को कम किया है और शासन में पारदर्शिता तथा दक्षता को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि अब तक 47 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित की जा चुकी है।

उपराष्ट्रपति ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटीको इस युग की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि जीएसटी ने कर संरचना को सरल बनाकर, अनुपालन को बढ़ाकर और सहकारी संघवाद को मजबूत करके भारत को एकीकृत राष्ट्रीय बाजार में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय चेक पोस्टों को हटाने से माल की आवाजाही सुगम हुई है, जिससे लाखों मानव-घंटे और ईंधन की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को स्वतंत्र भारत में किए गए सबसे बड़े सुधारों में से एक माना जाता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि समावेश पर विशेष ध्यान देने के कारण भारत का आर्थिक सशक्तिकरण हुआ है। डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी पहल और यूपीआई के तीव्र विस्तार ने नागरिकों, उद्यमियों और छोटे व्यवसायों को मजबूत किया है।

उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर एक निर्णायक बदलाव का प्रतीक है, साथ ही यह भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करता है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा विकसित भारत की व्यापक आकांक्षा के अनुरूप है, जहां आर्थिक विकास को सामाजिक न्याय, पर्यावरण स्थिरता और तकनीकी उन्नति के साथ संतुलित किया जाता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत नीतिगत गतिरोध से उद्देश्यपूर्ण शासन की ओर, गरीबी की मानसिकता से समृद्धि के मिशन की ओर और निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हुआ है। उपराष्ट्रपति ने नागरिकों से एक ऐसे नए भारत का जश्न मनाने का आह्वान किया जो आत्मविश्वास से भरपूर, सक्षम और करुणामय है, क्योंकि यह 2047 में विकसित भारत की ओर अग्रसर है।

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