तीन नए आपराधिक संहिता कानूनों ने भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को औपनिवेशिक विरासत से मुक्त कर दिया है - उपराष्ट्रपति
यह एक क्रांतिकारी परिवर्तन है कि 'दंड' विधान अब 'न्याय' विधान बन गया है - उपराष्ट्रपति
भारत तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है - उपराष्ट्रपति
आज हम भारत का जो चेहरा देख रहे हैं, वह एक दशक पहले हमने जो देखा था, उससे बिल्कुल अलग है - उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कॉरपोरेट्स और विश्वविद्यालयों से विध्वंसकारक प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास में निवेश करने का आग्रह किया
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बन गया है
उपराष्ट्रपति ने दिवंगत न्यायमूर्ति कोंडा माधव रेड्डी की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक विशेष भारतीय डाक कवर जारी किया
उपराष्ट्रपति ने कहा, "एक किसान पुत्र होने के नाते, मैं न्यायमूर्ति रेड्डी के निर्णयों से ग्रामीण संघर्षों को कम करने के उनके प्रयासों से प्रेरित हूं"
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने तीन नए आपराधिक संहिता विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी का स्वागत करते हुए कहा कि इन नए कानूनों ने भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को औपनिवेशिक विरासत से मुक्त कर दिया है। सजा के बजाय न्याय पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नए कानूनों की सराहना करते हुए उन्होंने इसे एक महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी परिवर्तन बताते हुए कहा कि 'दंड' संहिता अब 'न्याय' संहिता बन गई है।
उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश और बॉम्बे उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल, दिवंगत न्यायमूर्ति कोंडा माधव रेड्डी की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक विशेष भारतीय डाक कवर जारी करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए ये टिप्पणी की।
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इस बात को ध्यान में रखते हुए कि दिवंगत न्यायमूर्ति कोंडा माधव रेड्डी के जीवन का केंद्रीय संदेश समावेशी समाज था, उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें मूल्यों के साथ जीना चाहिए और मूल्यों का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा, "भारतीय इतिहास और तर्कों को आकार देने वाले कई महत्वपूर्ण निर्णयों में उनका योगदान था।"
न्यायमूर्ति रेड्डी की कृषि से जुड़ी जड़ों का उल्लेख करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि “एक किसान पुत्र होने के नाते, मैं न्यायमूर्ति रेड्डी के निर्णयों के माध्यम से ग्रामीण संघर्षों को कम करने के के उनके प्रयासों से प्रेरित हूं। उन्होंने उन लोगों को आवाज़ दी जिनके बारे में माना जाता था कि वे आवाज़हीन हैं।”
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जैसा कि हम 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी के करीब पहुंच रहे हैं, उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि हमें न्यायमूर्ति रेड्डी द्वारा प्रतिपादित और बल दिए गए आदर्शों - सेवा, न्याय और करुणा को याद रखना चाहिए, क्योंकि इन्हें एक समावेशी समाज और एक जीवंत लोकतंत्र का आधार बनना चाहिए। हमें सदैव उन पर विश्वास करते रहना चाहिए, उनका अभ्यास करना चाहिए।
श्री धनखड़ ने कहा कि हमारा अमृत काल हमारा गौरव काल है - क्योंकि हम एक विकसित भारत की मजबूत नींव रख रहे हैं, उस गौरव को पुनः प्राप्त करने के लिए जिसने हमें कई शताब्दियों तक अग्रणी राष्ट्र बनाया है।
भारत के कानूनी परिदृश्य में हाल के सकारात्मक बदलावों जैसे अदालतों के डिजिटलीकरण और वाणिज्यिक न्यायालयों की स्थापना का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि इनका राष्ट्र की प्रगति और कल्याण पर जबरदस्त सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा, "और भी उल्लेखनीय बात यह है कि भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश के तहत, सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को उनकी अपनी भाषा में न्याय दिलाने सहित कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।"
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज हम भारत का जो चेहरा देख रहे हैं, वह एक दशक पहले हमने जो देखा था, उससे बिल्कुल अलग है। उन्होंने कहा, "सिर्फ एक दशक पहले हम फ्रैजाइल फाइव (विकास के लिए विदेशी निवेश पर निर्भर देश) का हिस्सा थे, अब हम दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं।"
उन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने की भी सराहना करते हुए कहा कि यह एक लंबे समय से प्रतीक्षित उपाय है जो महिलाओं को हमारे लोकतंत्र में उनका उचित स्थान देगा।
नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन की शानदार सफलता का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जी20 में अफ्रीकी संघ का प्रवेश एक ऐतिहासिक घटनाक्रम है जो भारत के वैश्विक उत्थान का संकेत देता है।
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नवीनतम विध्वंसकारक तकनीकों को विकसित करने में भारत के अग्रणी होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, श्री धनखड़ ने कॉरपोरेट्स और विश्वविद्यालयों से अवसर का लाभ उठाने और ऐसी विध्वंसकारक प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास में निवेश करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
अपने संबोधन में, उपराष्ट्रपति ने उस प्रवृत्ति के प्रति भी आगाह किया जब कोई जानकार दिमाग, एक ज्ञानी व्यक्ति राजनीतिक समानता हासिल करने के लिए दूसरों की अज्ञानता पर व्यापार करता है।
डाक विभाग और संचार मंत्रालय को उनकी उपयुक्त पहल और डिजाइन में त्रुटिहीन सौंदर्यशास्त्र के लिए बधाई देते हुए, उपराष्ट्रपति ने भारत की प्रेरणादायक और प्रेरक किंवदंतियों का एक प्रमुख रिकॉर्ड-कीपर होने के लिए डाक विभाग की प्रशंसा की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि न्यायमूर्ति कोंडा माधव रेड्डी का जीवन और कार्य आज के युवा दिमागों को एक बेहतर और मजबूत राष्ट्र बनाने के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा देते रहेंगे क्योंकि हम 2047 में अपने सपनों के राष्ट्र को आकार देने के लिए एकजुट हो रहे हैं।
इस अवसर पर डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़, तेलंगाना के राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन, तेलंगाना के मुख्य न्यायाधीश, श्री आलोक अराधे, श्री पूर्व सांसद और जेकेएमआर फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी के. विश्वेश्वर रेड्डी, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी, तेलंगाना सर्कल के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल श्री पीवीएस रेड्डी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।