उपराष्ट्रपति ने शिक्षा संस्थानों से समाज में परिवर्तन की धुरी बनने का आह्वान किया
शिक्षा असमानताओं को दूर करने का सबसे सशक्त माध्यम है - उपराष्ट्रपति
भारत बदल रहा है और भारत का उत्थान अजेय है - उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कहा जो लोग हमें सलाह देते थे, वे अब हमारी सलाह ले रहे हैं
उपराष्ट्रपति ने 'अमृतकाल' को हमारा 'गौरव काल' बताया
उपराष्ट्रपति ने कुछ लोगों द्वारा रचित भारत-विरोधी छवि को बेअसर और ख़त्म करने की अपील सबसे की
आर्थिक राष्ट्रवाद हमारे आर्थिक दर्शन का अभिन्न अंग - उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने आज गुवाहाटी में कॉटन विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों के साथ बातचीत की
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए सबसे प्रभावी तंत्र बताया। शिक्षा संस्थानों से परिवर्तन की धुरी बनने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि यह तभी संभव होगा जब वे अन्वेषण, अनुसंधान और विकास में संलग्न होंगे और लीक से हटकर सोचेंगे।
आज गुवाहाटी में कॉटन विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों से बातचीत के दौरान बोलते हुए, श्री धनखड़ ने उल्लेख किया कि शिक्षा असमानताओं को दूर करने और असमानताओं से लड़ने का सबसे शक्तिशाली माध्यम है। उन्होंने कहा, "अगर हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने में सफल रहे तो अन्य समस्याएं भी ठीक हो जाएंगी।"
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उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि भारत बदल रहा है और भारत का उत्थान अजेय है। यह कहते हुए कि दुनिया हमारे विकास से स्तब्ध है, उन्होंने कहा, "हमारा अमृतकाल हमारा गौरव काल है क्योंकि हम उस रास्ते पर हैं जो हमारी सभ्यता के अनुरूप है।"
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हाल के दिनों में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने और जी20 की अध्यक्षता जैसी विभिन्न ऐतिहासिक उपलब्धियों को सूचीबद्ध करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले दशक के दौरान, भारत ने पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक का सफर तय किया है। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि भारत की आवाज़ हर वैश्विक मंच पर सुनी जा रही है, उन्होंने कहा, "जो लोग हमें सलाह देते थे, वे हमारी सलाह ले रहे हैं।"
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उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत का उत्थान उन कुछ लोगों को नहीं पच रहा है जो भारत की संस्थाओं को कलंकित करने और धूमिल करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। इसलिए, उन्होंने सभी से ऐसे भारत-विरोधी आख्यानों का प्रतिकार करने और उन्हें बेअसर करने की अपील की। “अपने राष्ट्र में विश्वास करना, भारतीयता में विश्वास करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। भारत के नागरिक बनें और अपनी उपलब्धियों पर गर्व करें।''
यह रेखांकित करते हुए कि एक इकोसिस्टम का निर्माण किया गया है ताकि हर कोई अपनी पूरी क्षमता तक विकास कर सके, श्री धनखड़ ने कहा कि आज युवाओं के लिए अवसर की कोई कमी नहीं है। “अभी सही समय है, सही परिस्थितियाँ हैं, सही व्यवस्था है। सब कुछ संभव है। आपको केवल अपना पहला कदम उठाना है और सिस्टम आपकी मदद करेगा,'' उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि आपके सपनों को साकार करने में मदद करने के लिए सही सरकारी नीतियां मौजूद हैं।
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“हमारे सत्ता के गलियारे, जो सत्ता के दलालों और भ्रष्ट बिचौलियों से भरे हुए थे, अब पूरी तरह से स्वच्छ हो गए हैं। सत्ता के दलाल कहीं नज़र नहीं आते और आम आदमी इसका सबसे बड़ा लाभार्थी है, ”श्री धनखड़ ने कहा।
आर्थिक राष्ट्रवाद को हमारे आर्थिक दर्शन का एक अभिन्न अंग बताते हुए उपराष्ट्रपति ने सवाल किया कि हम पतंग, दीये, मोमबत्तियाँ, खिलौने, पर्दे, फर्नीचर आदि जैसी वस्तुओं को बेहतर बनाने में अपनी बहुमूल्य विदेशी मुद्रा को खर्च क्यों करते हैं, सोच में बदलाव का आह्वान करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें लोकल के लिए वोकल होना चाहिए। “मैं सभी से, विशेषकर हमारे उद्योग और व्यवसायों से अपील करूंगा कि छोटे मौद्रिक लाभ के लिए यह दृष्टिकोण हमारे देश के लिए लाभकर नहीं है। उन्होंने जोर देते हुए कहा- यदि कोई भारतीय आर्थिक राष्ट्रवाद के पालन करने का संकल्प लेता है, तो वह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा योगदान करेगा,।”
यह देखते हुए कि प्राकृतिक संसाधन पर मानवता का अधिकार है, उपराष्ट्रपति ने उनके अधिकतम उपयोग का आह्वान किया और कहा कि किसी की संपत्ति उसके प्राकृतिक संसाधनों जैसे पानी, बिजली, पेट्रोल के उपयोग को निर्धारित नहीं करना चाहिए।
एनईपी-2020 के बारे में बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि “यह डिग्री उन्मुख नहीं है, यह ज्ञान और कौशल उन्मुख है। यह बड़ा बदलाव है।” छात्रों को 2047 का योद्धा बताते हुए उन्होंने कहा कि वे तय करेंगे कि 2047 का भारत कैसा होगा जब हम अपनी आजादी के सौ साल मनाएंगे।
कई मुख्यमंत्रियों सहित कई प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों को तैयार करने के लिए कॉटन विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने उन्हें पूर्व छात्रों की द्विवार्षिक बैठकें बुलाने और उन्हें कॉलेज के माध्यम से समाज को वापस देने के लिए संलग्न करने का सुझाव दिया।
इस कार्यक्रम में असम के माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया, असम के माननीय शिक्षा मंत्री डॉ. रनोज पेगु, कॉटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रमेश चंद्र डेका और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।