उपराष्ट्रपति ने देश के युवाओं से भारत और इसकी संस्थाओं की छवि को धूमिल करने के लिए फैलाए जा रहे किसी भी झूठे आख्यानों को निष्प्रभावी करने का आह्वान किया
उपराष्ट्रपति ने कहा - कुछ लोग इस हद तक जा सकते हैं कि वे पाकिस्तान की भुखमरी सूचकांक को भारत से बेहतर बता सकते है
उपराष्ट्रपति ने इस सोच पर नाराजगी व्यक्त की कि आईआईटी केवल उच्च वर्ग की आवश्यकताओं को पूरी करते हैं
असमानताओं को समाप्त करने का सबसे अच्छा तरीका गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है- उपराष्ट्रपति
भारत को वर्तमान समय की चुनौतियों के लिए एक समाधानकर्ता के रूप में देखा जा रहा है – उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से बड़े सपने देखने, निर्णायक रूप से सोचने और असफलताओं से कभी हार नहीं मानने का आग्रह किया
आर्थिक राष्ट्रवाद हमारे देश के विकास का आधार है- उपराष्ट्रपति
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन भारत के लिए एक बड़ी छलांग है: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज युवाओं से आह्वान किया कि वे भारत और इसकी संस्थाओं की छवि धूमिल करने के लिए कुछ ताकतों द्वारा फैलाई जा रही झूठी बातों को निष्प्रभावी करें। उपराष्ट्रपति ने आज आईआईटी दिल्ली में शिक्षकों और छात्रों के साथ बातचीत करते हुए इस सोच पर नाराजगी व्यक्त की कि आईआईटी सिर्फ उच्च वर्ग के लोगों की आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा, “मैं पूरी तरह से जानता हूं कि आईआईटी में ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र आते हैं, साधारण पृष्ठभूमि के छात्र आते हैं, ऐसे लोग जिन्होंने बड़ी मुश्किल से इसकी प्रतिष्ठा स्थापित की है, लेकिन बाहरी दुनिया में इसके लिए एक गलत छाप छोड़ी जा रही है।” उन्होंने कहा कि इन प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश करने वाले प्रत्येक छात्र का आधार योग्यता और केवल योग्यता है।
श्री धनखड़ ने कहा, “कुछ विचित्र कारणों से, कुछ लोगों को हमारा विकास नही पच रहा है। कुछ लोग इस हद तक जा सकते हैं और कह सकते हैं कि पाकिस्तान की भुखमरी का सूचकांक भारत से बेहतर है। कल्पना कीजिए कि वे कितनी दूर तक जा सकते हैं। उनकी कुछ समस्याएं हैं जिसका समाधान करने के लिए आईआईटी जैसे संस्थानों को आगे आना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि उनका पाचन तंत्र इस देश के विकास के लिए इतना नकारात्मक क्यों है, इसके लिए कुछ किया जाना चाहिए।”
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अपने संबोधन में, श्री धनखड़ ने छात्रों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और ग्रीन एनर्जी जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा क्योंकि उन्हें “भारत 2047” को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ना है जो सिर्फ एक दृष्टिकोण नहीं है, बल्कि एक वास्तविकता है जो हमारे सपनों की दुनिया को आगे लेकर जाती है। उन्होंने छात्रों को 'बड़े सपने देखने, निर्णायक रूप से सोचने और कभी भी अनिश्चित न होने' के लिए प्रोत्साहित किया।
उपराष्ट्रपति ने सतत ऊर्जा स्रोत के रूप में हरित हाइड्रोजन को अपनाने में तेजी लाने की एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात का वैश्विक केंद्र बन जाएगा, जिससे आठ लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त होगा और छह लाख से ज्यादा नौकरियां उत्पन्न होंगी।
श्री धनखड़ ने क्वांटम प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को 'क्वांटम जंप फॉर इंडिया' के रूप में संदर्भित करते हुए कहा कि 19 अप्रैल, 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस परियोजना के लिए 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की मंजूरी प्रदान की है, जो भारत को नवीनतम पारिस्थितिकी तंत्र में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगा।
आईआईटी को 'देश और दुनिया को बदलने वाले हथियार' के रूप में स्वीकार करते हुए, उपराष्ट्रपति ने भारत की विकास यात्रा में आईआईटी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और दुनिया के प्रमुख संगठनों के नेता गर्व से आईआईटी का चिन्ह और उपाधि ग्रहण करते हैं।
श्री धनखड़ ने आर्थिक राष्ट्रवाद के महत्व को 'हमारे देश के विकास के लिए मौलिक' के रूप में रेखांकित करते हुए कहा कि मूल सिद्धांत यह है कि हमारा कच्चा माल हमारी सीमाओं के अंदर ही रहना चाहिए। उन्होंने घरेलू स्तर पर मूल्यवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दिन-प्रतिदिन की वस्तुओं के आयात की हमारी प्रथा न केवल हमारे विदेशी मुद्रा भंडार को कम करती है, बल्कि हमारे कार्यबल को संभावित रोजगार के अवसरों से भी वंचित करती है।
उपराष्ट्रपति ने आईआईटी की सराहना करते हुए कहा कि इसने विश्व स्तरीय शिक्षा तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने का काम किया है और उन्होंने झूठे आख्यानों के प्रसार के खिलाफ चेतावनी दिया कि आईआईटी सिर्फ समाज के उच्च वर्ग को लाभान्वित करते हैं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे भारत और उसके संस्थानों की छवि को धूमिल करने वाले किसी भी भारत विरोधी आख्यानों से बचें और उसका सतर्कतापूर्वक मुकाबला करें।
देश के युवा दिमाग को उदयमान भारत का अग्रदूत बताते हुए, उन्होंने कहा कि ऐसे उज्ज्वल दिमाग में ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करने के बाद सामाजिक परिवर्तन लाने की क्षमता विकसित होती है। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अनेक देशों में आईआईटी परिसर को विकसित करने की वैश्विक रुचि आईआईटी दिल्ली की विश्वसनीयता को दर्शाती है, जिसमें मध्य पूर्व भी शामिल है।
उपराष्ट्रपति ने आईआईटी दिल्ली में अपनी यात्रा के दौरान, संस्थान के सीनेट सदस्यों के साथ भी बातचीत की। उपराष्ट्रपति के साथ संवाद कार्यक्रम में आईआईटी दिल्ली के निदेशक, प्रोफेसर रंगन बनर्जी, संकाय सदस्यों, छात्रों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।