उपराष्ट्रपति ने नौकरशाही से आग्रह किया कि वे 'अमृत काल' में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएं
उपराष्ट्रपति ने लोक सेवकों से राजनीतिक व्यवस्थाओं की चिंता किए बिना संविधान का पालन करने का आह्वान किया
उपराष्ट्रपति भारतीय लोक प्रशासन संस्थान की 68वीं वार्षिक आम सभा की बैठक में शामिल हुए
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज लोक सेवकों से आह्वान किया कि वे अगले 25 वर्षों में 'अमृत काल' के दौरान भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएं। उन्होंने लोक सेवकों को सुझाव दिया कि वे प्रधानमंत्री के 'न्यूनतम सरकार- अधिकतम शासन' के सिद्धांत का पालन करें और कहा कि 'यह केवल एक नारा नहीं है बल्कि समय की मांग है।’
श्री धनखड़, जो भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के अध्यक्ष भी हैं, ने आज नई दिल्ली में इस संस्तान की 68वीं वार्षिक आम सभा की बैठक में शामिल हुए। उपराष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद यह उनकी आईआईपीए की पहली यात्रा भी थी।
आईआईपीए द्वारा पूरे वर्ष में प्राप्त की गई उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि ‘मिशन कर्मयोगी एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है जो सरकार में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग करने की अनुमति प्रदान करता है। आईआईपीए को अपनी अपार क्षमता के साथ उस बदलाव को उत्प्रेरित करने की आवश्यकता है।’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' वाला आह्वान भारतीय सभ्यता की प्रकृति और भारतीय संविधान निर्माताओं के दृष्टिकोण को अपने में समाहित करता है। उन्होंने नौकरशाही से कहा कि वह इस दृष्टिकोण को यथार्थ बनाएं और सरकार के विकासशील दृष्टिकोण को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए काम करें।
श्री धनखड़ ने लोक सेवकों से आग्रह किया कि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय सत्तारूढ़ राजनीतिक व्यवस्था की चिंता न करें और संवैधानिक नियम पुस्तिका का पालन करें। उन्होंने कहा कि प्रणालीगत भ्रष्टाचार की विनाशकारी प्रवृत्ति को नौकरशाही, नागरिक समाज और व्यापक स्तर पर लोगों द्वारा पूर्ण रूप से समाप्त करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नौकरशाही को भविष्य में वृद्ध जनसंख्या, आय की बढ़ती असमानता और जलवायु न्याय जैसी तिहरी समस्याओं से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
डॉ. सिंह ने आईआईपीए द्वारा क्षमता निर्माण के क्षेत्र में सक्रिय योगदान देने हेतु उसकी सराहना करते हुए कहा कि इसने कोविड-19 महामारी के दौरान सौ से ज्यादा ऑफलाइन और ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने और खुद को तीव्र गति से डिजिटल प्रशिक्षण के पावरहाउस के रूप में तब्दील करने का सराहनीय काम किया है।
बैठक के दौरान, उपराष्ट्रपति ने आईआईपीए को विशिष्ट सेवा के लिए पॉल एच एपलबी पुरस्कार, विजेताओं को अकादमिक उत्कृष्टता के लिए डॉ राजेंद्र प्रसाद पुरस्कार तथा अन्य पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने संस्थान के विभिन्न प्रकाशनों का भी विमोचन किया।
इस कार्यक्रम पर केंद्रीय मंत्री और आईआईपीए के चेयरमैन डॉ जितेंद्र सिंह, श्री सुरेंद्र नाथ त्रिपाठी, आईआईपीए के महानिदेशक, श्री एसएस क्षत्रिय, आईआईपीए महाराष्ट्र क्षेत्रीय शाखा के अध्यक्ष, श्री अमिताभ रंजन, आईआईपीए के रजिस्ट्रार और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए।